जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 फरबरी 2025 | जयपुर : जयपुर में एक और कॉलेज गर्ल ने सुसाइड किया है। करीब दस दिन पहले मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) कैंपस में एक छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर जान दे दी थी। अब राजस्थान विश्वविद्यालय के कैंपस में बने माही छात्रावास में रहने वाली एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

गांधी नगर पुलिस को शनिवार शाम को घटना की जानकारी मिली। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि हॉस्टल के पहली मंजिल पर बने कमरे में छात्रा फंदे से लटक रही थी। छात्रा को उतार कर अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने शनिवार को हॉस्टल में सुसाइड कर लिया। छात्रा का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला। छात्रा फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। छात्रा के आत्महत्या की खबर सामने आते ही पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई। तुरंत स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। मिली जानकारी के अनुसार सुसाइड की यह घटना राजस्थान यूनिवर्सिटी के माही हॉस्टल में हुई।

माही हॉस्टल में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने की सुसाइड

माही छात्रावास राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्राओं के लिए आवंटित है। यहां शनिवार को दोपहर बाद एक छात्रा के आत्महत्या की जानकारी सामने आई। सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान महारानी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट के रूप में हुई है। छात्रा ने अपने कमरे में पंखे से कपड़े का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड के कारणों की नहीं मिली जानकारी

पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। इधर छात्रा की खुदकुशी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। छात्रा ने सुसाइड क्यों किया, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। मालूम हो कि बीते दिनों माही हॉस्टल में वॉर्डन के व्यवहार सहित अन्य मुद्दों पर छात्राओं ने प्रदर्शन भी किया था।

महारानी कॉलेज में पढ़ाई करती थी छात्रा

माही हॉस्टल में सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान सारिका बुनकर के रूप में हुई है। सारिका महारानी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। सारिका मूल रूप से दिल्ली रोड स्थित मनोहरपुर की रहने वाली थी। बताया जाता है कि छात्रा ने सुसाइड से पहले परिवार को फोन भी किया था।

युवती का मोबाइल लॉक, परिजनों की दी गई सूचना

घटना के बारे में गांधी नगर थानाधिकारी आशुतोष ने बताया- सुसाइड की घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे। परिवार को घटना की जानकारी दी है. युवती का मोबाइल लॉक है। परिवार के आने के बाद अन्य चीजों पर काम किया जायेगा। हॉस्टल में सारिका के साथ रहने और पढ़ने वाली छात्राओं से भी पूछताछ की जा रही है।

कमरे से नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

बताया गया कि शाम करीब 4 बजे सारिका के कमरे का गेट नहीं खोलने पर दूसरी छात्राओं ने वॉर्डन को जानकारी दी। इस पर वॉर्डन ममता जैन गार्ड को लेकर कमरे में पहुंची और गेट तोड़कर अंदर गए तो सारिका फंदे से लटकी मिली। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. मामले की जांच जारी है।

राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्राओं का धरना-प्रदर्शन जारी है. गुरुवार रात भी छात्राएं कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करती नजर आई। अब छात्राओं का यह प्रदर्शन और तेज हो सकता है, क्योंकि गुरुवार रात NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने आंदोलनरत छात्राओं से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद विनोद जाखड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाये। साथ ही कहा कि विवि प्रशासन का रवैया तानाशाही है।

दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय के माही गर्ल्स हॉस्टल में नई वार्डन की नियुक्ति के मुद्दे पर छात्राएं कड़ाके की सर्दी में कुलपति सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि यह नियुक्ति उनके हितों और भावनाओं के खिलाफ है।

पाली की लड़की ने किया था सुसाइड

दस दिन पहले जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित एमएनआईटी में पढ़ने वाली छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला। उसमें लिखा था कि ‘गलती मेरी ही है। मैं ही इस दुनिया में नहीं जी सकती। सबसे ज्यादा खुश मैं या तो बचपन में या नींद में थी।’ मृतक छात्रा 21 वर्षीय दिव्या राज मेघवाल थी जो कि पाली जिले की रहने वाली थी। वह एमएनआईटी में बीआर्क (आर्किटेक्चर) फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी।

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मध्यप्रदेश 27% OBC आरक्षण का रास्ता साफ, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 87:13 फॉर्मूला रद्द

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जनवरी 2025 | जयपुर :  हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने यूथ फॉर इक्वलिटी की वह याचिका मंगवार को निरस्त कर दी, पूर्व में जिसकी सुनवाई करते हुए 87 : 13 का फार्मूला तैयार किया गया था।

मध्यप्रदेश 27% OBC आरक्षण का रास्ता साफ, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 87:13 फॉर्मूला रद्द

मध्य प्रदेशमें ओबीसी आरक्षण पर बड़ा अपडेट आया है। एमपी हाईकोर्ट ने मंगलवार (28 जनवरी) को मामले में सुनवाई करते हुए 87:13 का फार्मूला रद्द कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)के लिए 27 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। 

मध्यप्रदेश 27% OBC आरक्षण का रास्ता साफ, एमपी हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 87:13 फॉर्मूला रद्द

दरअसल, मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षाण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था, लेकिन कुछ लोगों इसे नियम विरुद्ध बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी। सरकार ने कोर्ट विवाद का हवाला देकर सरकारी विभागों में होने वाली नियुक्तियों में ओबीसी के 13 फीसदी पद होल्ड करने लगी। 

यूथ फार इक्वलिटी की याचिका खारिज

यूथ फार इक्वलिटी ने ओबीसी आरक्षण को संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। कहा,  यह समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। हाईकोर्ट ने उनके इस तर्क को खारिज कर याचिका निरस्त कर दी। 

क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ? 

  • सीनियर अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि सरकार ने 4 अगस्त, 2023 को महाधिवक्ता के अभिमत पर सभी भर्तियों में 87 : 13 का फार्मूला लागू किया था। हाईकोर्ट ने उस याचिका को ही निरस्त कर दिया है, जिस आधार पर  87 : 13 का यह फार्मूला लागू किया या था। 
  • याचिका निरस्त होने के बाद न सिर्फ सरकार को आरक्षण के तहत काम करने में स्पष्टता मिलेगी। बल्कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आएगी। 
  • सरकारी नौकरियों में होल्ड 13 फीसदी पदों पर भी नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया। अब विभिन्न विभागों के होल्ड पदों पर भी नियुक्तियां की जाएंगी।  

87 : 13 का फार्मूले के कारण शेष पदों पर लंबित थी भर्तियां

वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि महाधिवक्ता के अभिमत के कारण चार अगस्त, 2023 को हाई कोर्ट ने समस्त भर्तियों में 87 : 13 का फार्मूला लागू किया था। हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य में आरक्षण से संबंधित विवाद को समाप्त करने और भर्ती प्रक्रिया को सुचारु रुप से शुरु करने के लिए एक अहम कदम है।

इससे सरकार को आरक्षण नीति के तहत काम करने की स्पष्टता मिलेगी और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही प्रदेश में रुकी हुई सभी भर्तियों को अनहोल्ड करने का रास्ता साफ हो गया है।

सरकार अब ओबीसी आरक्षण के तहत 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करते हुए भर्तियों को तेजी से आगे बढ़ा सकती है। इससे ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को बड़ा लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।

27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी

यूथ फार इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आरक्षण संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन करता है और समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया।

हाई कोर्ट ने मंगलवार के आदेश में चार अगस्त, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बाधा नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में रुकी हुई सभी भर्तियों को फिर से शुरु करने का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से उन लाखों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, जिनकी भर्तियां कोर्ट के आदेश के चलते होल्ड पर थीं।

87-13 फॉर्मूले को हाईकोर्ट ने किया रद्द

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया कि याचिका के आदेश 4 अगस्त 2023 के अधीन 87-13 फॉर्मूला निर्धारित किया गया था। जिसे आज उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि जिन नियुक्तियों को 13 प्रतिशत के दायरे में लेकर होल्ड कर दिया गया था। उन सभी पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरु की जाएगी।

दरअसल, 4 अगस्त 2023 में हाईकोर्ट के द्वारा एक अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को 87%-13% का फॉर्मूला लागू करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के बाद से प्रदेश में सभी भर्तियां ठप्प कर दी गई थी।

यह भी पढ़ें : ‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

सरकार के द्वारा यह फॉर्मूला महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर तैयार किया था। जिसके तहत 87 प्रतिश अनारक्षित और 13 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए रखी गई थी। जिसके चलते 27 फीसदी आरक्षण मांगने वाले उम्मीदवारों में भारी आक्रोश देखा गया था।

रुकी हुई भर्तियों का रास्ता होगा साफ

हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में रुकी हुई भर्तियों को अनहोल्ड करने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार के द्वारा 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करके भर्तियां बढ़ा सकती हैं। जिससे ओबीसी वर्ग से आने वाले लोगों को बड़ा फायदा मिल सकता है।

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‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जनवरी 2025 | जयपुर : अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने शुक्रवार से इजराइल, मिस्र और फूड प्रोग्राम को छोड़कर विदेशी देशों को मिलने वाली सभी मदद पर रोक लगा दी है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस आदेश में गरीब देशों को मिलने वाले स्वास्थ्य मदद पर भी रोक लगा दी गई है।

‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों और दूतावासों को इस संबंध में नोटिस भेजा है। लीक हुआ यह नोटिस ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बाद जारी कए गए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के बाद आया है। इसमें विदेश नीति की समीक्षा करने तक 90 दिनों के लिए विदेश में दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता पर रोक लगा दी गई है।

‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

वित्तपोषण पर रोक के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग इस बात की समीक्षा करेगा कि कौन सी अमेरिकी सहायता और विकास कार्यक्रमों को जारी रखा जा सकता। इस आदेश से मानवीय सहायता से जुड़े अधिकारियों को काफी निराशा हुई, क्योंकि अमेरिका के इस फैसले से दुनियाभर में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की नई फंडिंग पर भी रोक लग गई है।

अमेरिका सरकार के इस आदेश के बाद दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, रोजगार जुड़े कई प्रोजेक्ट्स के बंद होने का खतरा बढ़ गया है। दरअसल, अमेरिका इन सभी विदेशी प्रोजेक्ट्स के लिए सबसे ज्यादा फंड्स मुहैया कराता है।

डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी के तहत सभी विदेशी मदद पर रोक लगा दी है। हालांकि इजराइल-मिस्र को सैन्य सहायता और फूड प्रोग्राम को मदद मिलती रहेगी। इस आदेश के बाद दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स बंद हो सकते हैं। दरअसल, अमेरिका इन विदेशी प्रोजेक्ट्स के लिए सबसे ज्यादा फंड्स मुहैया कराता है। फैसले का सबसे ज्यादा असर यूक्रेन पर पड़ेगा, जिसे बाइडेन सरकार ने अरबों डॉलर की मदद दी थी।

इजराइल और मिस्र को छूट क्यों मिली

इजराइल और मिस्र दोनों ही देश अमेरिका के लिए काफी रणनीतिक महत्व रखते हैं। इजराइल को अमेरिकी हथियारों की बड़ी सप्लाई मिलती रही है, जो गाजा युद्ध के बाद और बढ़ गई है। वहीं, मिस्र को 1979 में इजराइल के साथ पीस एग्रीमेंट के बाद से मिलिट्री फंडिंग मिलती रही है। अमेरिका फूड प्रोग्राम के तहत सूडान और सीरिया में भी मदद भेजता है।

यूक्रेन पर सबसे ज्यादा असर

माना जा रहा है कि ट्रम्प सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर यूक्रेन पर पड़ सकता है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में यूक्रेन को रूस से मुकाबला करने के लिए अरबों डॉलर की सैन्य मदद मिली थी। यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के एक अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि यूक्रेन में सभी अधिकारियों को काम बंद करने को कहा गया है।

अधिकारी ने कहा कि जिन प्रोजेक्ट्स को रोका गया है उनमें स्कूलों को सहायता, आपातकालीन मातृ देखभाल और बच्चों के टीकाकरण जैसे स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम भी शामिल हैं। अमेरिका ने साल 2023 में यूक्रेन को 17.2 बिलियन डॉलर (1.4 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा की मदद की थी।

विदेश विभाग समीक्षा के बाद लेगा वित्तपोषण जारी रखने का फैसला

वित्तपोषण पर रोक के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग इस बात की समीक्षा करेगा कि कौन सी अमेरिकी सहायता और विकास कार्यक्रमों को जारी रखा जा सकता। इस आदेश से मानवीय सहायता से जुड़े अधिकारियों को काफी निराशा हुई, क्योंकि अमेरिका के इस फैसले से दुनियाभर में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की नई फंडिंग पर भी रोक लग गई है।

दूतावासों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि फंडिंग रोकने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फंडिंग प्रभावी हो और राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति के अनुरूप हो। तीन महीने के भीतर विदेश विभाग की समीक्षा पूरी होने की उम्मीद है और इसके बाद राष्ट्रपति से सिफारिशें करने के लिए कि कौन सी विदेशी सहायता जारी रखी जाए और कौन सी बंद कर दी जाएं, इस संबंध में विदेश विभाग एक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे विदेश मंत्री मार्को रूबियो, राष्ट्रपति ट्रंप के सामने पेश करेंगे। 

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