मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 जुलाई 2024 | जयपुर : SOG की इन्वेस्टिगेशन में सामने आया था कि जमीन विवाद के चलते गैंगस्टर आनंदपाल ने हिम्मत सिंह का मर्डर करवाया था। साल 2016 तक इस केस में SOG ने आनंदपाल गैंग के लक्ष्मण सिंह, उदयवीर सिंह, अनुराग चौधरी उर्फ रानू, आनंद शांडिल्य, सोनू पावटा और अजीत पावटा को गिरफ्तार कर लिया था। इसी दौरान पूछताछ में आनंद शांडिल्य ने हैरान कर देने वाला खुलासा किया।
राजस्थान में ‘हाईप्रोफाइल हनीट्रैप रैकेट’ के अंत की रूमानी कहानी
पूरे राजस्थान में हाई प्रोफाइल हनीट्रैप रैकेट चलाया जा रहा था। गैंग में शामिल गैंगस्टर, वकील, पत्रकार और पुलिस वाले लड़कियों के जरिए डॉक्टर, बिल्डर, नेताओं और बड़े अफसरों को फंसाते। उन्हें झूठे रेप मुकदमे करने की धमकियां देकर करोड़ों रुपए वसूल रहे थे। रेप के केस में फंसे जयपुर के एक डॉक्टर सुनीत सोनी ने पहली बार इस गिरोह के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था।
गैंग में 17 लड़कियां शामिल थीं। गैंग का मास्टरमाइंड इन्हें हनीट्रैप के लिए टारगेट बताता था। डॉक्टर सोनी के परिवार से 1 करोड़ 5 लाख रुपए मिलने के बाद पूरी गैंग ने पुष्कर में पार्टी की। इधर, जेल से छूटने के बाद डॉक्टर सोनी ने वैशालीनगर थाने में इस गैंग के खिलाफ रिपोर्ट भी दी थी।
लेकिन तब पुलिस ने परिवाद लेकर ही खानापूर्ति कर दी थी। डॉक्टर सुनीत सोनी की ये आपबीती जानने के बाद SOG टीम ने तुरंत उनसे रिपोर्ट लेकर सभी आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया और गिरोह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।
दोनों पत्रकारों को गिरफ्तार किया, वकील फरार
डॉक्टर सुनीत सोनी की रिपोर्ट पर एक्शन लेते हुए SOG टीम ने 24 दिसंबर 2016 को सबसे पहले खुद को पत्रकार बताने वाले सिरसी रोड निवासी अक्षत शर्मा और टोंक फाटक निवासी विजय उर्फ सोनू को गिरफ्तार कर लिया।
इधर पुलिस कार्रवाई के डर से इस गैंग में शामिल NRI लड़की रवनीत कौर और दूसरी लड़कियां फरार हो गई थीं। इसके साथ ही यह भी खुलासा कि गिरोह का असली सरगना एडवोकेट नवीन देवानी और उसका एक एडवोकेट साथी नितेश बंधु है। हालांकि पुलिस कार्रवाई से पहले दोनों फरार हो गए।
अक्षत शर्मा और विजय शर्मा ने SOG की पूछताछ में उन लाेगों के बारे में जानकारी दी, जिन्हें उन्होंने ब्लैकमेलिंग का शिकार बताया। पूछताछ में उन महिलाओं के नाम भी सामने आए जो इस ब्लैकमेलिंग के धंधे में लिप्त थी।
एडवोकेट अखिलेश मिश्रा सहित 3 और गिरफ्तार, मोबाइल में वीडियो मिले
अक्षत शर्मा और विजय शर्मा की गिरफ्तारी के बाद एसओजी टीम ने इस पूरे गिरोह के सरगना नवीन देवानी के साथी और ड्राइवर राकेश यादव, एडवोकेट अखिलेश मिश्रा और पुष्पेन्द्र नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया।
SOG टीम को इनके पास बड़ी मात्रा में रेप केस से जुड़े डॉक्युमेंट्स व इस्तगासे मिले, जिनके जरिए गिरोह ने हाईप्रोफाइल लोगों को डरा धमकाकर करोड़ों रुपए वसूले थे। ड्राइवर राकेश यादव के घर इस्तगासे के अलावा गिरोह से जुड़े लोगों के पासपोर्ट और नई गाड़ियों की आरसी, 2.75 लाख रुपए व मीडिया से जुड़े काड्र्स भी मिले।
गिरोह में सप्लायर का काम कर रहे थे
ड्राइवर राकेश यादव, एडवोकेट अखिलेश मिश्रा और पुष्पेन्द्र से हुई पूछताछ के बाद एसओजी टीम ने गैंग के लिए हाईप्रोफाइल लोगों की तलाश करने वाले विमल और कैलाश को गिरफ्तार कर लिया। ये दोनों आपस में रिश्तेदार थे।
सिरसी रोड पर रहने वाले विमल व निवारू रोड पर रहने वाले कैलाश ने फैक्ट्री संचालक, ठेकेदार, धुलाई प्रेस मालिक, बैंक मैनेजर व बैंक के सुरक्षा गार्ड को उत्तराखंड व वैशालीनगर में रहने वाली युवतियों से संपर्क कराया था और इसके बाद में केस में फंसाने की धमकी देकर उनसे 2 लाख से 10 लाख रुपए तक वसूले थे।
दोनों आरोपियों ने SOG टीम के सामने 13 वारदातें करना स्वीकारा था। विमल का प्रॉपर्टी व्यवसाय था। पकडे़ जाने से कुछ महीने पहले ही विमल का एडवोकेट अखिलेश मिश्रा से संपर्क हुआ था। इसके बाद अखिलेश ने विमल व कैलाश को गिरोह में शामिल कर लिया था। विमल व कैलाश ने एक फैक्ट्री संचालक से 10 लाख रुपए हड़प लिए थे।
उत्तराखंड की कल्पना को पकड़ा, होटल कारोबारी को फंसाया था
एसओजी टीम ने इस गैंग की लड़कियों में से से सबसे पहले उत्तराखंड निवासी कल्पना उर्फ रीया को दिसंबर 2016 में गिरफ्तार किया। उसने पूछताछ में बताया था कि उसे एडवोकेट नवीन देवानी, आनंद शांडिल्य व एडवोकेट अखिलेश मिश्रा ने होटल कारोबारी के पास भेजा था।
कल्पना ने नौकरी करते हुए होटल मालिक से दोस्ती की और उसके खिलाफ जालूपुरा थाने में रेप की शिकायत दे दी। इस मामले में भी अक्षत शर्मा और विजय शर्मा ने डील की थी। कल्पना ने थाने में ही अपने बयान बदल लिए। इस पर जालूपुरा पुलिस ने एफआर लगा दी, जबकि कल्पना के खिलाफ कोर्ट में पुलिस को झूठी सूचना देने को इस्तगासा करना चाहिए था।
RAC कॉन्स्टेबल गैंग में करता था लड़कियों की सप्लाई, पकड़ा गया
कल्पना से पूछताछ में SOG को ये पता चला कि गिरोह में RAC का एक कॉन्स्टेबल लड़कियों की सप्लाई करता है। कल्पना को भी उत्तराखंड से लाकर उसी ने गैंग को सौंपा था। 9 जनवरी 2017 को SOG टीम ने RAC की पांचवीं बटालियन के काॅन्स्टेबल सीकर के दांतारामगढ़ निवासी हरिकिशन को गिरफ्तार किया गया।
जयपुर में तैनात काॅन्स्टेबल हरिकिशन तीन साल से गैंग के संपर्क में था। उत्तराखंड से अपनी परिचित महिला के माध्यम से युवतियां लाता था। उसने एक लाख रुपए प्रति युवती का लिया था। युवती को मात्र 10 हजार रुपए दिए गए थे। उत्तराखंड निवासी कल्पना उर्फ रीया, जिसे पुलिस ने सबसे पहले गिरफ्तार किया था।
NRI रवनीत BBA करने जयपुर आई और गैंग से जुड़ गई
SOG टीम ने 5 जनवरी 2017 को कोटा से NRI रवनीत कौर को गिरफ्तार किया। पूछताछ में रवनीत ने एक साल में सात लोगों को ब्लैकमेल कर उनसे 4 करोड़ रुपए वसूलने की बात कबूली थी। हालांकि गैंग के सदस्यों ने उसे महज 10 लाख रुपए ही दिए।
रवनीत ने पुलिस को बताया था कि उसका जन्म हांगकांग में हुआ था और इसके बाद वो साल 2008 में पंजाब में जालंधर दादी के पास आई थी। उसने इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट का कोर्स किया और साल 2009 में गुड़गांव चली गई। साल 2012 में उसने जयपुर की एक यूनिवर्सिटी में तीन साल के बीबीए कोर्स में एडमिशन लिया।
इस दौरान उसे एक MBA स्टूडेंट रोहित शर्मा से प्यार हो गया। कोटा के रहने वाले रोहित का परिवार दोनों की शादी के लिए राजी नहीं हुआ, क्योंकि दोनों ही बेरोजगार थे। इसके बाद रवनीत ने तेजी से पैसा कमाने की सोची। उसने दो साल बाद ही बीबीए छोड़ दिया और नौकरी की तलाश शुरू कर दी। रवनीत जयपुर पढ़ने आई थी, लेकिन हनीट्रैप गैंग के साथ काम करने लगी।
मोटी कमाई का लालच दिया
इसी बीच रवनीत की जान-पहचान अक्षत शर्मा उर्फ सागर पुरी से हुई। अक्षत ने उसे 12 हजार रुपए महीने की नौकरी ऑफर की। कुछ दिनों बाद ही अक्षत को पता चल गया था कि रवनीत रुपए कमाने के लिए कुछ भी कर सकती है। ऐसे में उसने रवनीत को अपनी गैंग के लिए हाईप्रोफाइल लोगों को फंसाने और बदले में मोटी कमाई का लालच दिया। रवनीत इसके लिए तैयार भी हो गई।
साल 2014 में रवनीत को एक बिल्डर को फांसने भेजा गया था। काम होने के बाद गैंग ने बिल्डर से एक करोड़ 20 लाख रुपए वसूले। रवनीत को 30 लाख रुपए मिले। रवनीत सिरसी रोड स्थित अक्षत शर्मा के बगल के फ्लैट में रहने लगी थी।
साल 2016 के फरवरी महीने में मेम्बर्स से विवाद हुआ और उसने गैंग छोड़ दिया और कोटा जाकर अपने बॉयफ्रेंड रोहित से शादी कर ली। वहां नामी कोचिंग सेंटर में रिसेप्शनिस्ट की जॉब करने लगी।
SOG टीम ने जब उसे कोटा से गिरफ्तार किया था, उससे एक महीने पहले ही रवनीत का अबॉर्शन भी हुआ था। उसकी गिरफ्तारी की जानकारी पुलिस ने हांगकांग में उसके माता-पिता को भी दे दी थी।
रेप केस में फंसा सीए से 70 लाख वसूले
एसओजी द्वारा हाई प्रोफाइल ब्लैकमेलिंग कांड का खुलासा करने के बाद जयपुर के एक सीए ने भी एसओजी में खुद को ब्लैकमेल किए जाने की शिकायत की। पुलिस को दी शिकायत में सीए ने बताया कि वो मानसरोवर निवासी प्रॉप्रर्टी का काम करने वाले शंभूसिंह का हिसाब-किताब संभालता था। शंभूसिंह के पास गरीब बच्चों का एनजीओ चलाने वाली रीना शुक्ला का आना-जाना था।
इस लिहाज से सीए की रीना से जान-पहचान हो गई थी। रीना ने एक मासिक समाचार पत्र का भी रजिस्ट्रेशन करवा रखा था और उसने अपने प्रेस कार्ड बनवा रखे थे। रीना ने कोटा में रहने वाली लड़की अनिता को जयपुर बुलाया और सीए के माध्यम से नौकरी दिलवा दी। प्रताप नगर स्थित एक फ्लैट किराए पर दिलवा दिया।
नवंबर 2013 में रीना के रिश्तेदार की शादी में शरीक होने के लिए सीए, शंभूसिंह व अनिता भी प्रतापगढ़ गए थे। वहां पर सीए और अनिता के बीच फिजिकल संबंध बन गए। इसके सबूत रीना और अनिता ने इकट्ठा कर लिए और सीए को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
सीए से अनिता को एक लाख रुपए दिलवाकर रीना ने उसे कोटा भेज दिया। इसके बाद भी रीना और शंभूसिंह ने सीए को ब्लैकमेल करना जारी रखा और छह माह में 10 लाख रुपए वसूल लिए।
इस बीच सीए ने मानसरोवर में अपना एक प्लाॅट सवा करोड़ रुपए में बेच दिया। सीए के पास म रकम देखकर शंभू व रीना को लालच आ गया और उन्होंने धमकी दी कि अनिता कोर्ट में रेप का इस्तगासा दर्ज करवा रही है और समझौते के लिए एक करोड रुपए की मांग कर रही है।
रीना ने भी मीडिया में मामले उजागर करने की धमकी दी। वसूली और धमकियों से परेशान होकर सीए ने समझौता किया और मई 2014 में 70 लाख रुपए उन्हें दे दिए। इन्वेस्टिगेशन के बाद SOG टीम ने मानसरोवर निवासी शंभूसिंह और रीना शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया। दोनों से पूछताछ में पता चला कि अनिता की छह माह पहले कैंसर के चलते मौत हो गई थी।
माफिया का साथी एडवोकेट हुआ गिरफ्तार
9 फरवरी को इस हाई प्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह के पांच हजार के इनामी वकील नितेश बंधु को भी SOG टीम ने करणी विहार के पास धाबास से पकड़ लिया। नितेश बंधू को उसका हिस्ट्रीशीटर भाई मनीष और 3 अन्य साथी वहां फरारी कटवा रहे थे।
SOG टीम ने जब उसे पकड़ने के लिए दबिश दी तो नितेश ने खुद का नाम सुशील बताया और कहा कि वह वकील नहीं है। उसने दाढ़ी और बाल बढ़ा रखे थे। एक बार को SOG टीम भी इससे चकरा गई लेकिन उसके भाई मनीष और मददगार ने बाद में उसकी पहचान पुख्ता कर दी।
नितेश ने SOG टीम को बताया कि उसने और नवीन देवानी ने अलवर, दिल्ली, गाजियाबाद, नैनीताल, हल्द्वानी, मुरादाबाद, बरेली, नेपाल, भोपाल औंकारेश्वर और इंदौर में फरारी काटी थी।
इस दौरान बार-बार शहर बदलने से नितेश की तबियत खराब हो गई थी। इलाज से भी हालत नहीं सुधरी तो नवीन ने उसका इंदौर में साथ छोड़ दिया और कहा कि वह जयपुर जाकर उपचार कराए, नहीं तो वह भी पकड़ा जाएगा। इसके बाद 29 जनवरी को नितेश वापस जयपुर आ गया था। वह करणी विहार थाना के धावास में नीरज मीणा के घर में छिप गया था।
लड़की के साथ गोवा में पकड़ा गया सरगना नवीन
नितेश की गिरफ्तारी के 2 दिन बाद ही SOG ने गोवा के कालवा बीच पर स्थित एक कॉटेज से ब्लैकमेलिंग गिरोह के सरगना नवीन को एक युवती के साथ गिरफ्तार किया। SOG ने नवीन के सहयोगी पिंकी झाला व अखिलेश शर्मा को भी यहां से हिरासत में लिया था।
जांच में सामने आया कि नवीन देवानी व नीतेश बंधु 23 दिसंबर को ब्लैकमेल गैंग का खुलासा होने के एक दिन पहले ही अखिलेश शर्मा के साथ लिव इन में रहने वाली पिंकी झाला के साथ फरार हो गए थे। इसके बाद से तीनों फरारी काट रहे थे। 20 जनवरी को अखिलेश इंदौर में नवीन व नीतेश से मिला था। यहां से नीतेश जयपुर आ गया और नवीन पिंकी और अखिलेश के साथ गोवा चला गया।
गोवा से हिरासत में लिए गए अखिलेश ने एसओजी को पूछताछ में बताया था कि नवीन देवानी ने उसको मानसरोवर एसएफएस में 14 दिसंबर को फास्ट फूड की दुकान खुलवाई थी। इसके बाद उसने पिंकी के साथ दाल बेचने का व्यवसाय शुरू करने की उसने योजना बनाई थी। नाेटबंदी के चलते वो व्यापार शुरू नहीं कर पाए थे।
मसाज की आड़ में ब्लैकमेलिंग का पार्लर चला रहा था सरकारी वकील
ब्लेकमेलिंग गिरोह का खुलासा होने के बाद कई पीड़ित एसओजी के पास पहुंचे। इन्हीं में से एक गोपालपुरा मोड के मार्बल व्यवसायी ने जनवरी 2017 में मामला दर्ज कर बताया था कि जयपुर में एक मसाज पार्लर पर वंदना भट्ट और पूनम नाम की लड़कियों ने एक्स्ट्रा सर्विस के नाम से संबंध बनाए।
इसके बाद अनिल यादव व महेश यादव नाम के दो लोगों ने उसे रेप केस में फंसाने की धमकी दी। काफी मिन्नतों के बाद उन्होंने दस लाख रुपए में सेटलमेंट किया। मामला दर्ज होने के बाद SOG टीम ने कार्रवाई करते हुए मसाज पार्लर में दबिश दे गोविंदगढ़ निवासी महेश कुमार यादव, मालवीयनगर निवासी वंदना भट्ट और मुरलीपुरा निवासी पूनम कंवर को गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि इस दौरान अनिल यादव फरार हो गया। पड़ताल में पता चला कि अनिल यादव ही ये मसाज पार्लर चला रहा था। उसे तत्कालीन राज्य सरकार ने राजनीतिक नियुक्ति देते हुए 11 फरवरी, 2014 को सरकारी वकील बनाया था।
हेड कॉन्स्टेबल हुआ गिरफ्तार, हाईप्रोफाइल ब्लैकमेल गिरोह की करता था मदद
एसओजी टीम ने 28 मार्च 2017 को महेश नगर थाने में पोस्टेड हेड कॉन्स्टेबल बलराम को गिरफ्तार कर लिया। इन्वेस्टिगेशन में उसका नाम मसाज पार्लर की आड़ में हाई प्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह चलाने वाले सरकारी वकील अनिल यादव के मददगार के तौर पर सामने आया था। हैड कॉन्स्टेबल बलराम पर एक केस में पीड़ित से 2 लाख रुपए लेने का आरोप था।
डॉक्टर को फंसाने वाली मुंबई में बनी मशहूर डीजे
अब तक हुई गिरफ्तारियों से जयपुर में चल रही हाईप्रोफाइल ब्लेकमेलिंग गैंग पूरी तरह से एक्सपोज हो गई थी। SOG ने गिरोह में शामिल गैंगस्टर, वकील, पत्रकार, पुलिसवाले, दलालों व लड़कियों को मिलाकर 32 लोगों को पकड़ लिया था लेकिन अभी भी कई आरोपी पुलिस गिरफ्त से दूर थे। वहीं डॉक्टर सोनी को फांसने वाली शिखा तिवाड़ी का भी कोई अता-पता नहीं मिल पा रहा था।
इस बीच शिखा तिवाड़ी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल को अपडेट किया और फेसबुक लाइव भी किया। अब वो मुंबई में मशहूर डीजे बन गई थी। उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स पहले से ही SOG टीम की रडार पे थे। इसके बाद SOG टीम ने प्लानिंग के साथ मुंबई पहुंच उसे पकड़ने का प्लान बना लिया।
14 मई 2017 की रात जब मुंबई के एक फेमस पब में जयपुर SOG भी टीम भी सादे कपड़ों में मौजूद थी। तभी डीजे आई और कंसर्ट शुरू हुआ। 2 घंटे बाद लाइव कंसर्ट खत्म हुआ डीजे लड़की जाने ही वाली थी कि जयपुर SOG ने उसे घेर लिया। डीजे ने सोचा ये सब उसके फैन होंगे तभी टीम में शामिल एक अफसर ने कहा- शिखा तिवाड़ी तुम्हारा नाटक खत्म हो गया है। शिखा चुपचाप जयपुर SOG टीम के साथ वहां से रवाना हो गई।
15 मई को मुंबई से जयपुर SOG की टीम शिखा को लेकर जयपुर पहुंची। शिखा जयपुर में बृह्मपुरी एरिया की रहने वाली थी। उसकी बहन मेघा तिवाड़ी भी इस गैंग में काम कर रही थी। पूछताछ में शिखा ने बताया कि SOG के डर से उसने जयपुर छोड़ दिया था और मुंबई में डीजे का काम शुरू कर दिया था।
अजमेर से पकड़ी गई आकांक्षा एमबीए कर चुकी
शिखा तिवाड़ी से हुई पूछताछ में पुलिस को गिरोह में शामिल एक और लड़की आकांक्षा का पता चला। वो अजमेर के क्रिश्चियन गंज के माली मोहल्ला में रहने वाली थी। आकांक्षा ने जयपुर से MBA किया था। इस दौरान वो सिरसी रोड पर एक अपार्टमेंट में रहती थी।
यहां उसकी अक्षत शर्मा से मुलाक़ात हुई थी और दोनों में प्यार भी हो गया। अक्षत ब्लैकमेलिंग के मामलों में आकांक्षा की मदद लेता था। शिखा को डॉक्टर सोनी के पास पहुंचाने में आकांक्षा का ही अहम रोल था। ऐसे में SOG टीम ने आकांक्षा को अजमेर से गिरफ्तार कर लिया।
9 महीने बाद सरकारी वकील अनिल यादव पकड़ा गया
28 अक्टूबर 2017 को एसओजी ने सरकारी वकील अनिल यादव को गिरफ्तार कर लिया। वो मसाज पार्लर की आड़ में मार्बल व्यापारी को ब्लैकमेल करने के केस में मुख्य आरोपी था। इस मामले में SOG पहले ही उसके सहयोगी महेश कुमार, हैड कांस्टेबल बलराम व दो युवतियों को गिरफ्तार कर चुकी थी। इस मामले के अलावा भी उसके खिलाफ ब्लैकमेल मामलों की काफी शिकायतें थी।
अनिल यादव मामले का खुलासा होने के बाद फरार हो गया था। इसके बाद उसने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई जो खारिज हो गई। हाईकोर्ट से भी अनिल को राहत नहीं मिली। उसने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
वहां SOG ने तथ्यों के साथ अर्जी का विरोध किया। कोर्ट ने भी अनिल को आदेश दिया कि अगले 20 दिन में वह एसओजी के समक्ष पेश हो। इस बीच एसओजी ने अदालत में अर्जी पेश कर उसका गिरफ्तारी वारंट भी जारी करा लिया था।
7 वकील, 2 पत्रकार, और 2 पुलिस वाले 17 लड़कियों से चला रहे थे ब्लेकमेलिंग रैकेट
इस हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह को एक्सपोज करने वाली SOG टीम में शामिल रहे वर्तमान बांसवाड़ा DYSP सूर्यवीर सिंह ने बताया कि अलग-अलग मामलों में इस गैंग के 79 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था। इसमें 7 वकील नवीन देवानी, अखिलेश मिश्रा, नितेश बंधू, आलोक वर्मा, विक्रम सिंह राठौड़, संदीप गुप्ता और अनिल यादव थे। अक्षत शर्मा और विजय शर्मा अपने आप को पत्रकार बताते थे।
रवनीत कौर, शिखा तिवाड़ी, कल्पना, शिवानी, पूजा, मेघा तिवाड़ी, राधिका, निशा, भावना, मुस्कान, उर्मिला, सुमन, मोनिका, पूजा, रानी परवीन, रीना शुक्ला और सपना शर्मा गिरोह में 17 लड़कियां शामिल थी। पुलिसकर्मियों में हेड कॉन्स्टेबल बलराम व RAC कॉन्स्टेबल हरिकिशन पकडे़ गए थे।
सभी आरोपी जमानत पर छूटे, ट्रायल चल रहा
SOG अधिकारियों से मिली जानकारी अनुसार हाई प्रोफाइल ब्लेकमेलिंग के अलग-अलग 13 मामलों में 47 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। काफी टाइम तक इन आरोपियों को जमानत नहीं मिल पाई थी लेकिन बाद में एक-एक कर सभी को जमानत मिल गई। फिलहाल लोअर कोर्ट में अलग-अलग मामलों में ट्रायल चल रहा है।
तत्कालीन महेश नगर सीआई का भी नाम, जांच में नहीं हुए आरोप प्रमाणित
मामले में महेश नगर थाने में पोस्टेड हेड कॉन्स्टेबल बलराम व RAC के कॉन्स्टेबल हरिकिशन को गिरफ्तार किया जा चुका था। SOG ने तत्कालीन महेश नगर थाने के सीआई उम्मेद सिंह सोलंकी की भी मिलीभगत को लेकर इन्वेस्टिगेशन की थी। उन्हें आरोपी भी बनाया था, लेकिन बाद में जांच के दौरान नए आइओ सुभाष मिश्रा ने उनके खिलाफ आरोप को प्रमाणित नहीं माना था।