मीणा शौर्य गाथाएँ पुस्तक ‘मीणाओं के गौरवशाली अतीत का प्रामाणिक स्मारक’

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 14 जुलाई 2024 | जयपुर : मूर्धन्य आदिवासी लेखक हरिराम मीणा द्वारा लिखित ‘मीणा शौर्य गाथाएँ’ पुस्तक ‘मीणाओं के गौरवशाली अतीत का स्मारक’ है जो हाल ही में प्रकाशित हुई है। हरिराम जी आदिवासी समुदाय पर अधिकृत लेखक है। फ़ादर हेनरी हेरास सहित एक दर्जन से अधिक प्राचीन इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं ने मीणाओं को सिंधु सभ्यता के मौलिक वारिस माना है, जिसे यह पुस्तक पूर्णत: प्रमाणित करती है। 

मीणा शौर्य गाथाएँ पुस्तक ‘मीणाओं के गौरवशाली अतीत का प्रामाणिक स्मारक’

कृति की महत्ता इतनी है कि प्रथम पंक्ति पढ़ी तो अद्योपांत पढ़ना मेरी ही नहीं अपितु हर पाठक की मजबूरी है। यह है हरिराम मीणा कि लेखनी की ताकत । यह केवल मीणा जाति का इतिहास न होकर आपने समसामयिक इतिहास बना दिया है। वाह,सर आपकी कलम को नमन! तथ्यों की प्रमाणिकता के रूप में इतिहास पर लिखना भौतिक विज्ञान से अधिक चुनौतिपूर्ण होता हैं। यह और भी चुनौतिपूर्ण परीक्षण बन जाता हैं जब इससे पूर्व प्रमाणिक पुस्तकें श्रोत कम उपलब्ध हो।

मीणा शौर्य गाथाएँ ‘मीणाओं के गौरवशाली अतीत का प्रामाणिक स्मारक’

प्राचीन काल से मीणा समाज का न केवल राजस्थान बल्कि भारत वर्ष में बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है देश के विभिन्न हिस्सों मीणा समाज कई जातियों में बटा हुआ है लेकिन यह कैसी विडंबना है कि राजस्थान की पाठ्य पुस्तकों में भी हमारे गौरवशाली इतिहास को समुचित स्थान प्राप्त नही है। बल्कि हर्कुलिश (अपारशक्ति के वीर पुरुष जिन्होंने अनेकानेक महान कार्य किये) मीणा समाज की नकारात्मक छवि प्रस्तुत की गयी है।

राजस्थान में जनसँख्या की दृष्टि से सर्वाधिक आबादी पर मीणा समुदाय की है। इनकी बसावट अरावली पर्वत शृंखला में ठेठ जिला भरतपुर से लेकर अलवर, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक, बारां, झालावाड़, कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, पाली, जालोर, सिरोही, जोधपुर एवं शेखावाटी के सभी जिलों सहित जयपुर तक पसरी हुई है। प्राचीन बस्तियां खासकर पर्वत घाटियों एवं तलहटियों में थीं।

कालांतर में कुछ गाँव समतलीय क्षेत्रों तक में फैलते गए। मूलत: राजस्थान से ताल्लुक रखने के बावजूद अन्य प्रान्तों में भी मीणा लोग पाए जाते हैं जिनके यहाँ से विस्थापन, पलायन का अनेक सोपानों में लंबा इतिहास है। आरक्षण की दृष्टि से केवल राजस्थान के मीणा संविधान की सूची में सम्मिलित हैं।

मध्यप्रदेश के विदिशा जिला की सिरोंज तहसील के मीणा लोगों को अनुसूचित जनजाति में लिया गया है। अन्य करीब 23 जिलों में ये अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में हैं। उत्तरप्रदेश के मथुरा, संभल व बदायूं जिलों में मीणा हैं। सभी स्थानों को मिलकर मीणा समुदाय की जनसँख्या करीब 50 लाख है, जिनमें से 40 लाख राजस्थान में है।

राजस्थान व हरियाणा के मेवात अंचल में रहने वाले मेव मुसलमानों का अधिकांश मीणों से ही धर्मान्तरित हुआ है। अजमेर अंचल के मेर व रावत भी असल में मीणा ही हैं। मीणा लोगों के भौगोलिक विस्तार का गहरा संबंध उनके विस्थापन व पलायन से है। ज्ञात प्राचीनता की दृष्टि से वर्तमान अफगानिस्तान व पाकिस्तान और भारत के पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, राजस्थान व गुजरात तक यह जनजाति फैली हुई थी।

इस सारे भूभाग में सिंधु सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उस सभ्यता के विनाश के पश्चात् इस जनजाति बचे हुए लोगों का पहला और बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। नदी-घाटी सभ्यता की जीवनशैली के अभ्यस्त ये लोग अपने उस मूल अंचल से विस्थापित होकर अरावली पर्वत-शृंखलाओं की शरण में आये, जहाँ मुख्य रूप से ढूंढ, बाणगंगा, पार्वती, गंभीरी, कालीसिंध, मोरेल, चम्बल, बनास, माही, सोम, जाखम नदियाँ बहती हैं।

यह वर्तमान राजस्थान का मीणा बाहुल्य इलाका है जिसमें जयपुर सहित पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, दौसा, धोलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक जिला, हाड़ौती अंचल के कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी, आगे चलकर भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, सिरोही, पाली और फिर अजमेर होते हुए शेखावाटी का अंचल शामिल है। इस सम्पूर्ण क्षेत्र में अरावली पर्वत-माला और उससे उद्गमित नदियाँ फैली हुई हैं।

भारत में महाजनपद काल में मीणा जनजाति का पुन: संगठित उत्थान होकर पूर्वी राजस्थान के बड़े हिस्सा को समेटता हुआ मत्स्य गणराज्य स्थापित होता है। मौर्य एवं गुप्त वंशीय साम्राज्यों के अवतरण के साथ मत्स्य महाजनपद विखंडित हो जाता है। इसी कालखंड में यवनों के आक्रमण हुए। सिकंदर महान की मृत्यु के पश्चात् उसके सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने उत्तर भारत के अधिकांश भागों पर अधिकार कर लिया।

यूनानियों के आक्रमणों से भयभीत होकर योद्धेय, शिवि, अर्जुनायन व मालव जातियों ने राजस्थान में शरण लेना आरंभ कर दिया। इसी दौर में हूणों के आक्रमण हुए. भारत पर एकछत्र साम्राज्यों का युग समाप्त हो गया। इस राजनैतिक वातावरण में संभवत: मीणा समुदाय के स्थानीय मुखियाओं के नेतृत्व में लघु शासन प्रणालियों का दौर आता है। उदाहरणार्थ आज के जयपुर जिला में पृथक पृथक मीणा राज्य थे।

अलवर क्षेत्र में अन्गारी, क्यारा व नरेठ जैसे छोटे राज्य थे। बूंदी गजेटियर, कर्नल टॉड और जयपुर-अलवर के इतिहास ग्रंथों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मत्स्य जनपद के पतन के पश्चात् इस सम्पूर्ण क्षेत्र में बाहरी आक्रांताओं के तांडव और राजनैतिक उथल-पुथल के बावज़ूद यत्र-तत्र मीणा समुदाय की शासन व्यवस्थाएं अस्तित्व में रही थीं। तत्कालीन मीणा राज्यों में रणथंभोर व बूंदी का भौगोलिक क्षेत्रफल ज़रूर बड़ा था। यह राजनैतिक परिदृश्य विशेषकर ग्यारहवीं-बारहवीं सदियों तक चलता है।

इस समुदाय के प्रमुख राज्यों में खोहगंग का चांदा राजवंश, मांच का सीहरा राजवंश, गैटोर तथा झोटवाड़ा के नाढला राजवंश, आमेर का सूसावत राजवंश, नायला का राव बखो देवड़वाल राजवंश, नहाण (लवाण) का गोमलाडू राजवंश, रणथम्भौर का टाटू राजवंश, बूंदी का ऊसारा राजवंश, माथासुला ओर नरेठ (नहड़ा, थानागाज़ी-प्रतापगढ़) का ब्याड्वाल राजवंश, झांकड़ी-अंगारी (थानागाजी) का सौगन मीना राजवंश थे। इनके दुर्ग, परकोटा, महल, बावड़ी आदि के ऐतिहासिक अवशेष यहाँ वहाँ आज भी मिलते हैं।

ग्यारहवीं-बारहवीं सदियों में बाहर से आये हुए राजपूतों ने मीणा राजाओं को एक के बाद एक विजित किया। जयपुर अंचल के कच्छवाहा राजाओं के साथ हुए संधि-समझौतों के बाद मीणा मुखिया एवं सरदार आमेर और बाद में जयपुर रियासत में हिस्सेदारी निभाते हैं। उन्हें नगर एवं राजकोष की सुरक्षा का दायित्व सौंपा जाता है। जब मुगलों ने दक्षिण विजय का अभियान चला तो जयपुर के राजा के साथ गयी सेना में बड़ी संख्या मीणा लड़ाकुओं की थी। उनके वंशज आज भी महाराष्ट्र के कई इलाकों में ‘परदेसी राजपूतों’ के नाम से जाने जाते हैं।

यह मीणा लोगों का एक किस्म का इच्छित विस्थापन था। इसके बाद अकाल, भुखमरी, महामारी का दौर आया जब रोजी-रोटी की तलाश में मीणों का राजस्थान से उत्तरप्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश की तरफ भारी तादात में पलायन हुआ। सन 1783 अर्थात सम्वत 1840 के अकाल को चालीसा का अकाल कहते हैं। सन 1812-13 और 1868-69 में भी अकाल पड़ा। सबसे भीषण दुर्भिक्ष छप्पन्या के नाम से जाना जाता है जो सम्वत 1956 में आरंभ हुआ और तीन साल अर्थात सन 1899 से लेकर 1902 तक जिसने भयंकर तबाही मचाये रखी।

यूँ तो महामारियों का दौर यदा-कदा आता ही रहा है किंतु वर्ष 1915-26 की ग्यारह साला अवधि में महामारियों का विकट प्रकोप रहा। जब लोगों का पलायन अन्य इलाकों में हुआ। विस्थापन-पलायन की इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के फलस्वरूप जो भौगोलिक विस्तार हुआ। उसे आज दिल्ली हित उत्तरप्रदेश के मेरठ-बुलंदशहर, मध्यप्रदेश के इंदोर-उज्जैन, महाराष्ट्र के औरंगाबाद जैसे इलाकों में मीणा जनजाति के लोगों की बड़ी संख्या देखी जा सकती है। ऐसी जनजाति के गौरवशाली अतीत को हमारे इतिहासकारों ने नज़रंदाज़ किया है। लोक में इस आदिम समुदाय की शौर्य गाथाएँ आज भी प्रचलित हैं।

मीणा इतिहास की पहली पुस्तक झूँथालाल नांढला के प्रयासों से रावत सारस्वत द्वारा रचित सन 1968 में प्रकाशित हुई। रावत सारस्वत के मतानुसार ‘जहाँ जहाँ विभिन्न नामधारी मीणा वंशों के लोग बसे हुए हैं वहाँ वहाँ उन्होंने अपनी स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए निरंतर संघर्ष किया है। शिवाजी और प्रताप द्वारा अपनाए गए पहाड़ी युद्धों के तौर तरीकों के जन्मदाता, प्राचीन मत्स्यों के यशस्वी उत्तराधिकारी मीणों के गौरवपूर्ण आख्यानों को यदि भारतीय इतिहासकार संभल कर रखन एक प्रयत्न करते तो देश के इतिहास की श्रीवृद्धि होतो, इसमें संदेह नहीं है।

जिन मुसलमान आक्रमणकारियों और बादशाहों के सामने राजस्थान और अन्यान्य प्रदेशों के राव-राजा घुटने टेकते गए उन्हीं विजय के मद में दुर्दांत बने यवन शासकों को मीणों ने एक दो बार नहीं, सैकड़ों बार और शताब्दियों तक नाकों चने चबाये हैं। ऐसी बहादुर कौम को, जिनकी संघ-शक्ति की दुंदभी कभी समूचे देश में गूँजती थी। किस प्रकार राज्य प्रणाली के हिमायतियों ने धीरे धीरे नाचीज़ बना दिया। यह सारी कथा बड़े दर्द से भरी हुई है और जिसे जानने के लिए साधारण पाठक के सामने कोई क्रमबद्ध वर्णन प्रस्तुत नहीं हो पाया है।’

इस पुस्तक में मीणा आदिम समुदाय के गौरव की इन्हीं गाथाओं को प्रस्तुत करने का विनम्र प्रयास किया गया है।

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तिरुपति मंदिर में भगदड़ 150 से ज्यादा भक्त घायल 4 की मौत

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 08 जनवरी 2025 | जयपुर : विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर से बड़ी खबर सामने आई है। तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन के लिए टोकन जारी करने से पहले बड़ी अनहोनी हुई है। वैकुंठ द्वार दर्शन टोकन का आवंटन गुरुवार तड़के शुरू होगा।

तिरुपति मंदिर में भगदड़ 150 से ज्यादा भक्त घायल 4 की मौत

वहीं बुधवार शाम से ही केंद्रों पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इसी क्रम में तिरुपति में विष्णु के निवास स्थान पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इसमें तमिलनाडु के सेलम की एक महिला श्रद्धालु की मौत हो गई। जबकि चार अन्य घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में ले जाया गया।

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नवभारत टाइम्स के अनुसार विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर से बड़ी खबर सामने आई है। तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन के लिए टोकन जारी करने से पहले बड़ी अनहोनी हुई है। वैकुंठ द्वार दर्शन टोकन का आवंटन गुरुवार तड़के शुरू होगा।

वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

दरअसल वैकुंठ एकादशी के मौके पर तिरुमला तिरुपती देवस्थानम यानी टीटीडी श्री के भक्तों को तिरुमाला में दस दिनों के लिए वैकुंठ द्वार दर्शन प्रदान कर रहा है। 10 जनवरी से 19 जनवरी तक दर्शन कराए जा रहे हैं।

9 जनवरी को सुबह 5 बजे से इसी द्वार से दर्शन टोकन जारी किए जाएंगे। इन एसएसडी टोकन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। टीटीडी ने तिरुपति और तिरुमाला में एसएसडी टोकन जारी करने के लिए काउंटर स्थापित किए हैं।

दैनिक भास्कर ने लिखा कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार शाम को वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई। इस हादसे में एक महिला समेत 4 लोगों की मौत हो गई। 150 से ज्यादा भक्त घायल होने की खबर है। दरअसल, काउंटर के पास 4 हजार से ज्यादा श्रद्धालु कतार में खड़े थे।

हादसे की फोटोज

दर्शन टोकन जारी किए जाने थे

9 जनवरी को सुबह 5 बजे इन केंद्रों पर भक्तों को 10, 11 और 12 तारीख के लिए 1.20 लाख टोकन आवंटित किए जाएंगे। टीटीडी ने कहा कि अन्य दिनों में टोकन जारी किए जाएंगे। भक्त बुधवार शाम से ही काउंटरों पर भीड़ लगाने लगे। क्योंकि गुरुवार सुबह से द्वार दर्शन टोकन जारी किए जाने थे।

तिरुपति में 8 केंद्रों पर 90 काउंटर बनाए गए हैं। तिरुपति में इंदिरा मैदान, रामचंद्र पुष्करिणी, श्रीनिवासम कॉम्प्लेक्स, विष्णु निवासम कॉम्प्लेक्स, भूदेवी कॉम्प्लेक्स, भैरगीपट्टेडा रामानायडू हाई स्कूल, एमआर पल्ली जिला परिषद हाई स्कूल, जिवाकोना जिला परिषद हाई स्कूल में काउंटर स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा तिरुमाला निवासियों को बालाजी नगर सामुदायिक हॉल में एसएसडी टोकन जारी किए जाएंगे।

विष्णु धाम के काउंटर पर मारपीट

टीटीडी की ओर से व्यवस्थित सभी कतारें श्रीवारी के भक्तों से भरी हुई थीं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों से भी श्रीवारी के भक्त बड़ी संख्या में काउंटरों पर पहुंचे। विष्णु धाम के काउंटर पर मारपीट हुई। इससे वहां भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इसमें एक महिला श्रद्धालु की जान चली गई। टीटीडी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि बिना टोकन वाले भक्तों को वैकुंठ द्वार दर्शनम के दिनों में श्रीवारी के दर्शन नहीं होंगे।

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार शाम को वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई। इस हादसे में एक महिला समेत 4 लोगों की मौत हो गई। 150 से ज्यादा भक्त घायल होने की खबर है। दरअसल, काउंटर के पास 4 हजार से ज्यादा श्रद्धालु कतार में खड़े थे।

1.20 लाख टोकन जारी करने का हुआ था फैसला

मूकनायक मीडिया रिपोर्टर के अनुसार गुरुवार से तिरुपति के 9 केंद्रों में 94 काउंटरों के माध्यम से वैकुण्ठ दर्शन टोकन जारी करने की व्यवस्था की गई थी। हालांकि, बुधवार शाम को टोकन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। भगदड़ में कई लोग बीमार पड़ गये। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि यह घटना तब हुई, जब श्रद्धालु बड़ी संख्या में वहां पहुंचे थे। आशंका है कि भगदड़ में घायलों की संख्या बढ़ सकती है।

टीटीडी ने 10, 11 और 12 जनवरी को वैकुण्ठ द्वार दर्शन के पहले तीन दिनों के लिए गुरुवार सुबह 1.20 लाख टोकन जारी करने का निर्णय लिया था। बाकी दिनों के संबंध में, टीटीडी ने संबंधित तिथियों पर तिरुपति में विष्णुनिवासम, श्रीनिवासम और भूदेवी परिसरों में टिकट जारी करने की व्यवस्था की है।

सीएम नायडू ने निधन पर जताया शोक

दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सीएम नायडू ने घटना में घायलों को दिए जा रहे उपचार के बारे में अधिकारियों से फोन पर बात की। उन्होंने उच्च अधिकारियों को घटनास्थल पर जाकर राहत कार्य करने के आदेश दिए हैं, ताकि घायलों को बेहतर उपचार मिल सके।

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सुशीला मीणा को RCA ने ले लिया गोद, सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया क्लीन बोल्ड

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 06 जनवरी 2025 | जयपुर : राजस्थान की 12 साल की स्टूडेंट सुशीला मीणा चर्चा में है। क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर और जहीर खान जैसे नामी खिलाड़ी भी इनके फैन हो गए हैं। सचिन ने सरकारी स्कूल की ड्रेस में गेंदबाजी करती सुशीला का वीडियो शेयर किया और एक्शन को जहीर खान जैसा बताया था।

सुशीला मीणा को RCA ने ले लिया गोद, सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया क्लीन बोल्ड

सुशीला ने खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को किया बोल्ड

सचिन तेंदुलकर की तारीफ से चर्चा में आई प्रतापगढ़ की सुशीला मीणा को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) ने गोद ले लिया है। अब 12 साल की सुशीला की पढ़ाई से लेकर उसके रहने, खाने और क्रिकेट ट्रेनिंग का खर्च आरसीए उठाएगा।

सुशीला ने बताया कि वह पिछले 3 साल से क्रिकेट खेल रही है। ऐसे में अब वह और अच्छी ट्रेनिंग हासिल कर भारतीय टीम में शामिल होना चाहती है। यही लक्ष्य है।

सुशीला को गोद लेने के दौरान राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ मंत्री हेमंत मीणा, जोगाराम पटेल, RCA एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी समेत जिला क्रिकेट संघों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

सुशीला को गोद लेने के दौरान राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ मंत्री हेमंत मीणा, जोगाराम पटेल, RCA एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी समेत जिला क्रिकेट संघों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

मंत्री बोले- दुनिया का सबसे तेज गेंदबाज राजस्थान से होना चाहिए

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा- राजस्थान में कई प्रतिभाएं हैं। जिन्हें आगे बढ़ाने के लिए अब RCA और खेल विभाग प्रॉपर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा। इसकी शुरुआत सुशीला मीणा से हो रही है। सुशीला को क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जाएगी। अच्छी एजुकेशन भी दी जाएगी।

खेल मंत्री ने जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों को अपने जिलों में खेल प्रतिभाओं को तराशने के आदेश दिए। उन्होंने कहा- आने वाले समय में दुनिया का सबसे तेज गेंदबाज राजस्थान से होना चाहिए। न सिर्फ क्रिकेट बल्कि सभी खेलों में राजस्थान के खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करें। इस सोच को लेकर राजस्थान की सरकार काम कर रही है।

आरसीए एकेडमी में खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ नेट प्रैक्टिस करती सुशीला मीणा।

आरसीए एकेडमी में खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ नेट प्रैक्टिस करती सुशीला मीणा। राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने प्रतापगढ़ की होनहार क्रिकेटर सुशीला मीणा जी से वीडियो कॉल पर संवाद किया और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं। उनकी प्रतिभा और मेहनत को प्रोत्साहित करने के लिए जयपुर आने का आमंत्रण दिया।

जयपुर पहुंची सुशीला मीणा का डूंगरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव सुशील जैन ने स्वागत किया। इस दौरान अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

जयपुर पहुंची सुशीला मीणा का डूंगरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव सुशील जैन ने स्वागत किया। इस दौरान अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

सचिन तेंदुलकर ने पोस्ट किया था सुशीला का वीडियो

दरअसल, क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने 20 दिसंबर को एक वीडियो X पर पोस्ट किया था। इस पोस्ट में उन्होंने पूर्व तेज गेंदबाज जहीर खान को टैग किया और लिखा- ‘सहज, सरल और देखने में बहुत ही प्यारा। सुशीला मीणा की गेंदबाजी में आपकी झलक दिखती है जहीर खान। क्या आपने भी इसे देखा?’

जहीर खान ने इसका जवाब दिया- ‘आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं। उसका एक्शन बहुत सहज और प्रभावशाली है। वे पहले से ही बहुत आशाजनक दिख रही हैं।’

तेंदुलकर के पोस्ट के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी ने सुशीला के खेल की तारीफ की थी। कुछ लोग उनके बॉलिंग एक्शन की तुलना तेज गेंदबाज जहीर खान से भी कर रहे थे। इसके बाद वह सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी।

सचिन ने सुशीला का बॉलिंग करते हुए वीडियो शेयर किया और उसके गेंदबाजी एक्शन को जहीर खान जैसा बताया था।

सचिन ने सुशीला का बॉलिंग करते हुए वीडियो शेयर किया और उसके गेंदबाजी एक्शन को जहीर खान जैसा बताया था।

पत्थर को निशाना बनाकर गेंदबाजी करती थी सुशीला

प्रतापगढ़ जिले के धरियावद तहसील के रामेर तालाब गांव की रहने वाली सुशीला 5वीं क्लास की छात्रा है। वह तीन साल से क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रही है। पहले खाली दीवार या किसी पत्थर को निशाना बनाकर गेंदबाजी करती थी, लेकिन अब वह इस खेल में इतनी माहिर हो गई है कि उसके शिक्षकों ने उसकी मदद करते हुए उसे खेल सामग्री उपलब्ध करवाई है।

मूकनायक मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसके बाद राजस्थान क्रिकेट संघ ने सुनीता को जयपुर बुलाकर गोद लिया है।

यह भी पढ़ें : सुशीला मीणा को लेकर BCCI और RCA घोर उदासीन, नेताओं ने TRP बढ़ाई धरातल पर कोई सहायता नहीं

सुशीला के पिता रतनलाल और मां शांति बाई मीणा मजदूरी व खेती करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं। सुशीला माता-पिता और दादा के साथ बांस की झोपड़ी में रहती है। सुशीला पढ़ाई के साथ हर रोज 2 घंटे क्रिकेट खेलती है। जहीर खान जैसे बॉलिंग एक्शन वाली सुशीला की मदद  के लिए किरोड़ी लाल मीणा ने भी वादा किया था।  

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