

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 | जयपुर – अजमेर : राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से निकाली गई उपनिरीक्षक/प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन आज यानि 10 अगस्त से शुरू कर दिया गया है। इसके लिए आवेदन की लास्ट डेट 8 सितंबर तक है। आयोग ने इसके लिए एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित की है।
बता दें कि साल 2021 में निकाली गई सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। फिलहाल इसे रद्द करना है या नहीं, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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इन 3 भर्तियों में आवेदन प्रोसेस जारी
इन 2 वैकेंसी में भी जल्द शुरू होंगे आवेदन
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 अगस्त 2025 | दिल्ली – जयपुर (विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष) : जीवन में असफल हुए कई लोग वे होते हैं, जिन्हें इस बात का आभास नहीं होता कि जब उन्होंने हार मान ली जबकि वे सफलता के कितने करीब थे।
एक नन्हा पक्षी अपने परिजनों से बिछड़ कर घोंसले से बहुत दूर आ गया था। नन्हा पक्षी समझ नहीं पा रहा था कि वह अपने घोंसले तक कैसे पहुँचे? वह उड़ान भरने की भरसक कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार कुछ ऊपर उड़कर नीचे गिर जाता। कुछ दूरी पर दो पक्षी यह दृश्य बड़े ध्यान से देख रहे थे।
कुछ देर देखने के बाद वे नन्हें पक्षी के करीब पहुँचे। नन्हा पक्षी उन्हें देखकर थोड़ा घबरा गया। उन पक्षियों में से एक पक्षी थोड़ा बूढ़ा और समझदार था, उसने नन्हें पक्षी से पूछा, ‘क्या हुआ नन्हें पक्षी काफी परेशान दिख रहे हो?” वह बोला, “मैं रास्ता भटक गया हूं और मुझे शाम होने से पहले अपने घर लौटना है। मेरे घरवाले बहुत परेशान हो रहे होंगे। क्या आप मुझे उड़ना सिखा सकते हैं?
मैं काफी देर से कोशिश कर रहा हूं पर कामयाबी नहीं मिल पा रही है। बूढ़ा पक्षी (थोड़ी देर सोचने के बाद) बोला, ‘जब उड़ान भरना सीखा नहीं, तो इतनी दूर आने की क्या जरूरत थी ?’ वह नन्हें पक्षी का मजाक उड़ाने लगा। उसकी बातों से नन्हा पक्षी बहुत क्रोधित हो रहा था।
बूढ़ा पक्षी हंसते हुए बोला, ‘देखो हम तो उड़ान भरना जानते हैं और अपनी मर्जी से कहीं भी जा सकते हैं। इतना कहकर बूढ़े पक्षी ने नन्हें पक्षी के सामने पहली उड़ान भरी। वह थोड़ी देर बाद लौटकर आया और दो-चार कड़वी बातें बोल कर पुनः उड़ गया।
ऐसा उसने पांच-छह बार किया और जब इस बार वह उड़ान भर कर वापस आया तो नन्हा पक्षी वहाँ नहीं था। बूढ़े पक्षी ने अपने मित्र से पूछा, ‘नन्हें पक्षी ने उड़ान भर ली न ?’ उस समय बूढ़े पक्षी के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। मित्र पक्षी बोला, ‘ही नन्हें पक्षी ने तो उड़ान भर ली लेकिन तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो? तुमने तो उसका कितना मजाक उड़ाया था।”
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बूढ़ा पक्षी बोला, ‘मित्र तुमने मेरी सिर्फ नकारात्मकता पर ध्यान दिया लेकिन नन्हा पक्षी मेरी नकारात्मकता पर कम और सकारात्मकता पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। इसका मतलब यह है कि उसने मेरे मजाक को अनदेखा करते हुए मेरी उड़ान भरने वाली चाल पर ज्यादा ध्यान दिया और वह उड़ान भरने में सफल हुआ। मित्र पक्षी बोला, ‘जब तुम्हें उसे उड़ान भरना सिखाना ही था, तो उसका मजाक बनाकर क्यों सिखाया ?’
बूढ़ा पक्षी बोला, ‘मित्र, नन्हा पक्षी अपने जीवन की पहली बड़ी उड़ान भर रहा था और मैं उसके लिए अजनबी था। अगर मैं उसको सीधे तरीके से उड़ना सिखाता, तो वह सारी जिंदगी मेरे उपकार के नीचे दबा रहता और आगे भी शायद ज्यादा कोशिश नहीं करता।
मैंने उस पक्षी के अंदर छिपी लगन देखी थी। जब मैंने उसको कोशिश करते हुए देखा था, तभी समझ गया इसे बस थोड़ी-सी दिशा देने की जरूरत है और जो मैंने अनजाने में उसे दी और वह अपनी मंजिल पाने में कामयाब रहा।
कहानी के प्रतीक : इस छोटी सी कहानी में प्रतीकात्मक रूप में नन्हा पक्षी (अभावों और विकट परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहा आदिवासी-दलित समाज), बूढ़ा पक्षी (दलित-आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी) और मित्र पक्षी (चतुर-चालाक सवर्ण व्यक्ति जो दलित आदिवासी समुदायों के रसूखदार लोगों से मित्रता का भाव रखकर अपने उल्लू सीधे करते हैं, पर वास्तविक रूप से दलित आदिवासी समुदायों के पक्के शत्रु) के प्रतीक हैं।
सीखः सच्ची मदद वही है, जो सहायता पाने वाले को यह महसूस न होने दे कि उसकी मदद की गयी है। बहुत बार लोग मदद तो करते हैं पर उसका ढिढोरा पीटने से नही थकते, ऐसी मदद किस काम की। यह कहानी हम इन्सानों के लिए एक सीख है कि हम लोगों की मदद तो करें पर उसे जतायें नहीं।