मौतों का कब्रगाह बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे वजह ख़राब क्वालिटी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 14 जुलाई 2024 | जयपुर : देश का सबसे बड़ा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे राजस्थान में हादसों का हाईवे बना हुआ है। लगातार हो रही दुर्घटनाओं में अब तक 156 लोगों की मौत हो चुकी है।

मौतों का कब्रगाह बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे वजह ख़राब क्वालिटी

अकेले दौसा में ही 50 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। एक्सप्रेस-वे पर कुछ ऐसे पॉइंट्स हैं, जहां बार-बार एक्सीडेंट हो रहे हैं। मई और जून के महीने में सबसे ज्यादा 15 एक्सीडेंट यहीं हुए, जिनमें 23 की मौत हुई, जबकि 55 लोग घायल हुए।

मौतों का कब्रगाह बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे वजह ख़राब क्वालिटी

खौफनाक हादसों वाले ये पॉइंट्स कौनसे हैं? आखिर यहीं सबसे ज्यादा एक्सीडेंट क्यों हो रहे हैं? क्या एक्सप्रेस-वे में इंजीनियरिंग खामियां हैं? ऐसे ही सवालों का जवाब तलाशने हम एक्सपर्ट इंजीनियर-रिसर्चर की टीम को साथ लेकर हादसे वाले पॉइंट्स पर ग्राउंड रिपोर्ट के लिए पहुंचे। 

15 किलोमीटर के सर्किल में कुछ दूरी में हुए हादसे

भास्कर रिपोर्टर ने मई और जून महीने में हुए 15 बड़े एक्सीडेंट की डिटेल निकाली। इस डिटेल के आधार पर राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में से एक मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MNIT), जयपुर के एक्सपट्‌र्स, शोधार्थी और सीनियर प्रोफेसर की मदद से स्टडी की।

एक्सपट्‌र्स ने राजस्थान के 7 जिलों से गुजर रहे 373 किलोमीटर लंबे 8 लेन एक्सप्रेस-वे का पूरा नक्शा खंगाला। सबसे ज्यादा हादसे वाली जगहों को नक्शे में ही चिह्नित किया। रिसर्च में सामने आया कि भांडारेज से एंट्री करने के बाद सबसे ज्यादा एक्सीडेंट बांदीकुई इलाके के 15 किलोमीटर रेंज में ही हुए हैं।

रूट मैप तैयार होने के बाद एक्सपट्‌र्स को साथ लेकर दौसा से एक्सप्रेस-वे पर दाखिल हुए और सबसे ज्यादा हादसे वाले सभी पॉइंट्स का मौका मुआयना किया। हादसों की 7 वजहें सामने आईं…

1. जहां-जहां घुमाव, एक्सीडेंट उन्हीं घुमावों के आस-पास

हम सबसे पहले दौसा के भांडारेज पर बने एंट्री पॉइंट से एक्सप्रेस-वे पर दाखिल हुए। हमने करीब 20 किलोमीटर लंबा सफर तय किया। हादसे वाले पॉइंट्स का मिलान करने के बाद MNIT के रिसर्चर अंकित गुप्ता ने बताया कि नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने जामरोली से लेकर सोमाड़ा गांव के बीच 15 किलोमीटर एरिया में ही 3 जगह घुमाव बना रखे हैं। करीब 90 फीसदी एक्सीडेंट घुमाव वाली जगह पर हो रहे हैं।

दो दिन पूर्व दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कुंतलवास पुलिया के पास एक स्कॉर्पियो बेकाबू होकर पलट गई। हादसे में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

दो दिन पूर्व दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कुंतलवास पुलिया के पास एक स्कॉर्पियो बेकाबू होकर पलट गई। हादसे में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। ये घुमाव 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार के पैरामीटर पर बिल्कुल सही बने हैं। लेकिन, गाड़ियां तेज रफ्तार में आती हैं और जैसे ही घुमाव को क्रॉस करने लगती हैं, बैलेंस बिगड़ने पर आगे और पीछे के वाहनों से टकरा जाती हैं।

दरअसल, एक्सप्रेस-वे को गांवों के बाहर से निकालने के लिए हाईवे अथॉरिटी ने ये घुमाव बनाए हैं। कुछ जगहों पर अरावली की पहाड़ियां भी बीच में आ रही थीं। एक्सपट्‌र्स का कहना है कि ऐसे घुमाव पर स्पीड लिमिट 100 या इससे भी कम करने की जरूरत है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कई घुमाव हैं, जहां वाहन चालक सावधानी नहीं रख पाते।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कई घुमाव हैं, जहां वाहन चालक सावधानी नहीं रख पाते। MNIT में सिविल डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर महेश स्वामी ने बताया कि जहां घुमाव हैं, वहां NHAI को स्पीड कंट्रोल के साइन बोर्ड लगाने चाहिए। साथ ही चालकों को भी ऐसे घुमाव पर स्पीड बैलेंस करनी चाहिए, ताकि हादसा नहीं हो।

2. कई पॉइंट्स पर सड़क खराब, गलत पैचवर्क भी जानलेवा

भांडारेज से करीब 15 किलोमीटर आगे रेस्ट एरिया को क्रॉस करने के बाद एक अंडरपास बना हुआ है। यहां हमने देखा कि सड़क के बीच दूसरी लेन में एक लंबा पेच वर्क बना हुआ था। एक्सपर्ट अंकित गुप्ता ने गाड़ी को रुकवाया।

एक्सप्रेस-वे पर हुए पैचवर्क का ड्रोन शॉट।

एक्सप्रेस-वे पर हुए पैचवर्क का ड्रोन शॉट। हम उतर कर पैचवर्क वाली जगह के करीब पहुंचे और उसके ऊपर से गुजरने वाले वाहनों को देखा। नोटिस में आया कि ज्यादातर वाहनों का बैलेंस बिगड़ रहा था। पैचवर्क के कारण वाहन अपनी लेन बदल रहे थे।

अंकित गुप्ता ने बताया- यहां पैचवर्क गलत है। NHAI के नियमों के हिसाब से एक ही लेन में इतना लंबा पैचवर्क स्क्वायर शेप में नहीं कर सकते। मान लीजिए चार लेन हैं और उसमें से एक लेन में कोई छोटा-सा भी गड्ढा हो जाए तो उतने एरिया में हटाने के बाद क्रॉस मैथड (पैरलेलग्रैम) से पैचवर्क करते हैं।

यानी समानांतर चतुर्भुज बनाया जाता है। पैचवर्क को पूरी तरह से पुरानी सड़क के लेवल तक मिलाया जाता है। वो सड़क पर बिल्कुल भी उभरा हुआ नहीं होना चाहिए, ताकि रफ्तार में आने वाली गाड़ियों का बैलेंस नहीं बिगड़े।

3. एक्सप्रेस-वे पर जहां भी अंडरपास, वहां बिगड़ रहा वाहनों का बैलेंस

एक्सप्रेस-वे पर कई जगह एनीमल पास या फिर अंडरपास बनाए गए हैं। कई अंडरपास घुमाव वाली जगहों पर भी हैं। इन्हें बनाने में पूरे पैरामीटर का ध्यान रखा गया है। लेकिन, जब कोई वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड को क्रॉस करते हुए इन अंडरपास के ऊपर से गुजरता है तो बैलेंस बिगड़ जाता है।

हमने अंडरपास पर खड़े होकर 100 से ज्यादा गाड़ियों काे निकलते हुए नोटिस किया। कई वाहनों का बैलेंस बिगड़ रहा था।

हमने अंडरपास पर खड़े होकर 100 से ज्यादा गाड़ियों काे निकलते हुए नोटिस किया। कई वाहनों का बैलेंस बिगड़ रहा था। अंकित गुप्ता ने बताया कि अंडरपास पर चढ़ते समय कोई दिक्कत नहीं आती, लेकिन ढलान पर लोग स्पीड कम नहीं करते। इससे गाड़ी के सस्पेंशन और टायरों पर अचानक से प्रेशर पड़ता है। इससे गाड़ी एकदम थोड़ा-सा नीचे दब जाती है।

4. ओवर स्पीड बन रही मौत की वजह, 180 KMPH से भी क्रॉस कर रहे लोग

एक्सप्रेस-वे पर एक्सीडेंट की सबसे बड़ी वजह है वाहनों का स्पीड लिमिट क्रॉस करना। हमने एक्सप्रेस-वे की दोनों लेन पर खड़े होकर देखा। कई वाहनों की स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी कहीं अधिक थी। तेज स्पीड में ही कई गाड़ियों को ओवरटेक करते हुए भी देखा।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर स्पीड की लिमिट तो 120 किलोमीटर प्रति घंटा की है, लेकिन वाहन चालक इसे क्रॉस करने से नहीं हिचकते।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर स्पीड की लिमिट तो 120 किलोमीटर प्रति घंटा की है, लेकिन वाहन चालक इसे क्रॉस करने से नहीं हिचकते। भांडारेज पॉइंट पर बने कंट्रोल रूम के पास पेट्रोलिंग कर रहे ऑफिसर नीरज चौहान ने बताया कि ओवर स्पीड ही एक्सीडेंट की सबसे बड़ी वजह है।

पेट्रोलिंग वाहनों के जरिए हम लगातार ओवर स्पीड वाहनों को मॉनिटर कर उनके खिलाफ चालान भी कर रहे हैं। कई चालान तो ऐसे हैं जिनकी स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा की पाई गई। 90 फीसदी से ज्यादा चालान में वाहनों की स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटा पाई गई है।

पेट्रोलिंग ऑफिसर नीरज चौहान ने बताया ज्यादातर हादसों की वजह 180 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा की रफ्तार है।

पेट्रोलिंग ऑफिसर नीरज चौहान ने बताया ज्यादातर हादसों की वजह 180 किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा की रफ्तार है। कंट्रोल रूम में स्पीड चेक करने के लिए कैमरे लगे हुए हैं। 120 किलोमीटर की सीमा पार करने वालों को स्पीड मीटर की फोटो के साथ चालान भेजा जाता है। किसी तरह का एक्सीडेंट होने पर 1033 की गाड़ियां और एंबुलेंस 10 से 15 मिनट में ही तुरंत मौके पर पहुंच जाती है। लेकिन, फिर भी बहुत लोग स्पीड लिमिट का पालन नहीं करते।

5. अचानक लेन बदल रही गाड़ियां, स्टीयरिंग से हाथ उठाया तो मौत!

एक्सप्रेस-वे पर हुए कुछ हादसों के सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर सामने आया कि तेज गति से आ रही गाड़ियां अचानक से लेन बदल लेती हैं और फिर पलटते हुए हादसे का शिकार हो जाती हैं। आखिर ऐसा क्यों है?

एक्सप्रेस-वे पर 50 से ज्यादा बार दिल्ली का सफर कर चुके सुरजीत सिंह ने हमें एक्सपेरिमेंट करके दिखाया। उन्होंने हमारी कार को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया। जरा सा स्टीयरिंग से हाथ हटाने पर हमारी कार अचानक ही तीसरी लेन से पहली लेन की तरफ मुड़ रही थी। सुरजीत सिंह ने बताया कि ऐसा उनके साथ कई बार हो चुका है।

एक्सपर्ट अंकित गुप्ता ने कारण जानने के लिए कार रुकवाई और कुछ देर मुआयना किया। फिर बताया कि देश के ज्यादातर हाईवे पर बरसात के पानी को निकालने के लिए लेफ्ट साइड में ढलान (स्लोप) दिया जाता है। लेकिन, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कुछ जगहों पर ढलान राइट हैंड (अंदर की तरफ) साइड दी गई है। यह केवल उन जगहों पर एक्सप्रेस-वे के बीच ग्रीन बेल्ट है।

इसका मकसद है बारिश का पानी सड़क पर नहीं भरे और ग्रीन बेल्ट में लगे पौधों को मिल जाए। ये ढलान बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन तेज गति से आ रहे वाहनों के लिए तब खतरनाक हो जाती है, जब कोई रिलेक्स होकर या स्टीयरिंग से हाथ हटा लेता है। गाड़ी तीसरी या चौथी लेन से अंदर की तरफ घुस जाती है और हादसे हो जाते हैं।

6. मई-जून में सबसे ज्यादा हादसे और मौतें, 50 डिग्री! का पारा बड़ा कारण

स्टडी में सामने आया कि सबसे ज्यादा हादसे मई और जून के महीने में हुए हैं। अधिकांश हादसों की वजह एक्सप्रेस-वे पर टायरों का ब्रस्ट होना यानी फटना है।

एमएनआईटी के एक्सपर्ट शोधार्थी अंकित गुप्ता के मुताबिक गर्मियो में डामर की सड़क तपने लगती हैं। इससे गाड़ियों के टायर फटने का डर बना रहता है।

एमएनआईटी के एक्सपर्ट शोधार्थी अंकित गुप्ता के मुताबिक गर्मियो में डामर की सड़क तपने लगती हैं। इससे गाड़ियों के टायर फटने का डर बना रहता है। एक्सपर्ट अंकित गुप्ता ने बताया कि एक तो एक्सप्रेस-वे 300 किलोमीटर से ज्यादा लंबा है। जब गाड़ी बिना रुके इतने लंबे डामर रूट पर चलती हैं तो टायर गर्मी से काफी गर्म हो जाते हैं।

टायर अगर घिसे हुए हैं तो वे लगातार चलने पर फट जाते हैं। मई-जून के महीने में इस बार कई शहरों में तापमान 48 डिग्री से ऊपर चला गया था। अधिक तापमान से सड़क भी काफी तपने लग जाती हैं। पहले NHAI का दावा था कि एंट्री पॉइंट्स पर टायरों की कंडीशन का चेकअप किया जाएगा। अगर टायर ज्यादा कमजोर हुए तो ऐसे वाहनों को एक्सप्रेस-वे पर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

7. एंट्री पॉइंट्स पर टायरों में नाइट्रोजन का चेकअप नहीं

हम दौसा के भांडारेज में NHAI एक्सप्रेस-वे के एंट्री पॉइंट पर पहुंचे। एक्सप्रेस-वे पर चढ़ने से पहले एंट्री पाइंट पर टोल प्लाजा बना हुआ है। एक्सपर्ट अंकित गुप्ता ने बताया- NHAI ने पहले दावा किया था कि एक्सप्रेस-वे पर चलने वाली गाड़ियों के टायरों में नाइट्रोजन हवा का चेकअप करेंगे। टायरों में नाइट्रोजन हवा होना अनिवार्य किया जाएगा।

एक्सपर्ट के मुताबिक एक्सप्रेस-वे पर टायर फटने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक एक्सप्रेस-वे पर टायर फटने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जिन वाहनों के टायरों में नाइट्रोजन हवा नहीं होगी, उनकी एंट्री नहीं होगी। क्योंकि नाइट्रोजन गैस टायर को ठंडा रखती है। सामान्य गैस टायरों को गर्म कर देती है, जिससे टायर फट जाते हैं। लेकिन, अभी ऐसी कोई बाध्यता नहीं लगाई गई है।

एक्सप्रेस-वे पर पैदल चलते हुए वाहन से टकराए तो क्लेम भी नहीं

एक्सप्रेस-वे को पूरी तरह से पैदल आवागमन से फ्री रखा गया है। किसी तरह की क्रॉसिंग लाइन और रेड लाइट नहीं है। अगर एक्सप्रेस-वे को पार करते समय किसी व्यक्ति को स्पीड में आ रहा वाहन टक्कर मार देता है तो मौत पर भी इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम नहीं मिल सकता है।

अंकित गुप्ता ने बताया कि एक्सप्रेस-वे को पूरी तरह से सेफ तरीके से बनाया गया है। यह देश के बेहतरीन हाईवे में से एक है। लेकिन, चालकों को अपने वाहनों की मेंटेनेंस और एक्सप्रेस-वे पर आते समय स्पीड पर कंट्रोल रखना चाहिए।

एक्सप्रेस-वे के आस-पास एक्सीडेंट के बाद कचरे को हटाया नहीं गया है। इन कारणों से भी हादसों से इनकार नहीं किया जा सकता।

एक्सप्रेस-वे के आस-पास एक्सीडेंट के बाद कचरे को हटाया नहीं गया है। इन कारणों से भी हादसों से इनकार नहीं किया जा सकता।

दौसा में NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डीके चौधरी से सवाल-जवाब

1. एक्सप्रेस-वे पर जहां कर्व हैं, वहां एक्सीडेंट सबसे ज्यादा हुए हैं?

जवाब : एक्सप्रेस-वे का कंस्ट्रक्शन IRCSP-99 के मानकों के अनुसार हुआ है। ऐसे में कर्व को एक्सीडेंट का कारण नहीं मान सकते। पिछले दिनों में हुए अधिकांश एक्सीडेंट में वाहन ड्राइवर को नींद आना सबसे बड़ा कारण था।

2. कई जगह अंडरपास के आगे-पीछे सड़क का लेवल डाउन होने से भी हादसे हुए हैं?

जवाब : निर्माण के दौरान कई जगह गांवों के लोगों ने उनके आवागमन की सहूलियत के लिए लेवल नहीं बढ़ाने दिया। ऐसी जगहों पर लेवल डाउन है, लेकिन उससे हादसे नहीं हो सकते।

3. एक्सप्रेस-वे पर आवारा जानवर भी हादसे का कारण हैं, जबकि सुरक्षित सफर का दावा किया गया था?

जवाब : पिछले दिनों एक एक्सीडेंट आवारा पशु की वजह से हुआ था। इसकी जांच करने पर सामने आया कि आसपास के लोग आवागमन के लिए सुरक्षा दीवार को खोल देते हैं। इससे आवारा पशु चढ़ जाते है, इन्हें रोकने के निर्देश दिए हैं।

दौसा स्थित नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दफ्तर की तस्वीर।
दौसा स्थित नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दफ्तर की तस्वीर

4. वाहनों की ओवर स्पीड पर क्या कार्रवाई की जाती है?

जवाब : कमर्शियल वाहनों की स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा और फोर व्हीलर की 120KMPH तय की हुई है। इससे तेज स्पीड चलने वाले वाहनों की सीसीटीवी कैमरे से मॉनिटरिंग कर NIC के जरिए चालान की व्यवस्था की गई है। उनसे अनुबंध हो गया है, अब जल्द ही चालान शुरू किया जाएगा।

1355 किलोमीटर लंबा होगा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे

दिल्ली से मुंबई तक 1355 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए पांच राज्यों में 1500 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। एक्सप्रेस-वे की गुजरात में लंबाई 426 किलोमीटर, राजस्थान में लंबाई 373 किलोमीटर, मध्यप्रदेश में 244 किलोमीटर, महाराष्ट्र में 171 लंबाई, हरियाणा में 129 किलोमीटर की लंबाई रहेगी। एक्सप्रेस-वे राजस्थान के 7 जिलों से होकर निकल रहा है, जिनमें अलवर, दौसा, भरतपुर, कोटा, बूंदी, सवाईमाधाेपुर और टोंक हैं।

दैनिक भास्कर से साभार : जनहित में संपादित रिपोर्टिंग 

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

 

MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

Related Posts | संबद्ध पोट्स

भारत के सबसे बड़े दानवीर, नेक दिल कारोबारी रतन टाटा को अंतिम जोहार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अक्टूबर 2024 | मुंबई : भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का निधन हो गया है। वे टाटा संस के मानद चेयरमैन थे। उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उन्हें बुधवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 7 अक्टूबर को भी उन्हें अस्पताल जाने की खबर आई थी, लेकिन उन्होंने पोस्ट करके कहा था कि वे ठीक हैं और चिंता की कोई बात नहीं है।

भारत के सबसे बड़े दानवीर, नेक दिल कारोबारी रतन टाटा को अंतिम जोहार

पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा की अगुआई में ही टाटा ग्रुप ने देश की सबसे सस्ती कार लॉन्च की, तो हाल ही में कर्ज में फंसी एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ की कैश डील में खरीदा था। बिजनेस में बेहद कामयाब रतन टाटा निजी जिंदगी में बेहद सादगी पसंद थे और मुंबई में अपने छोटे से फ्लैट में रहते थे।

भारत के सबसे बड़े दानवीर, नेक दिल कारोबारी रतन टाटा को अंतिम जोहार

माता-पिता बचपन में अलग हुए, दादी ने परवरिश की

  • 28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर जन्मे रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के परपोते थे। उनका परिवार पारसी धर्म से है। उनके माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे और दादी ने उनकी परवरिश की थी। 1991 में उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था।
  • रतन टाटा की चार बार शादी होते-होते रह गई। टाटा बताते हैं कि एक बार तो शादी हो ही गई होती, जब वो अमेरिका में थे। उसी समय उनकी दादी ने उन्हें फोन करके बुला लिया। उसी समय भारत-चीन युद्ध छिड़ जाने की वजह से वे अमेरिका नहीं जा के। कुछ समय बाद उस लड़की ने किसी और से शादी कर ली।

21 साल चेयरमैन रहे, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ा

  • 1962 में फैमिली बिजनेस जॉइन किया था। शुरुआत में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया। इसके बाद वे मैनेजमेंट पोजीशन्स पर लगातार आगे बढ़े। 1991 में, जे.आर.डी. टाटा ने पद छोड़ दिया और ग्रुप की कमान रतन टाटा को मिली।
  • 2012 में 75 वर्ष के होने पर, टाटा ने एग्जीक्यूटिव फंक्शन छोड़ दिए। उनके 21 वर्षों के दौरान, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ गया। इसमें अधिकांश रेवेन्यू जगुआर-लैंडरोवर व्हीकल्स और टेटली जैसे पॉपुलर टाटा उत्पादों की विदेशों में बिक्री से आया।
  • चेयरमैन का पद छोड़ने के बाद उन्होंने 44 साल के साइरस मिस्त्री को उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उनका परिवार ग्रुप में सबसे बड़ा इंडिविजुअल शेयरहोल्डर था। हालांकि, अगले कुछ वर्षों में, मिस्त्री और टाटा के बीच तनाव बढ़ गया।
  • अक्टूबर 2016 में, चार साल से भी कम समय के बाद, मिस्त्री को रतन टाटा के पूर्ण समर्थन के साथ टाटा के बोर्ड से बाहर कर दिया गया। फरवरी 2017 में नए उत्तराधिकारी का नाम घोषित होने तक टाटा ने चेयरमैन के रूप में अपना पद वापस ले लिया।

कम बात करते थे, बुक लवर और कारों के शौकीन

  • टाटा को बचपन से ही कम बातचीत पसंद थी। वे केवल औपचारिक और जरूरी बात ही करते थे। वे बुक लवर थे और उन्हें सक्सेस स्टोरीज पढ़ना बहुत पसंद था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद वे अपने इस शौक को समय दे रहे हैं।
  • वे 60-70 के दशक के गाने सुनना पसंद करते थे। वे कहते थे, ‘मुझे बड़ी संतुष्टि होगी अगर मैं शास्त्रीय संगीत बजा पाऊं। मुझे शॉपेन पसंद है। सिम्फनी भी अच्छी लगती है। बिथोवन, चेकोस्की पसंद हैं, पर मुझे लगता है कि काश मैं खुद इन्हें पियानो पर बजा सकता।’
  • कारों के बारे में पूछने पर टाटा ने बताया था कि मुझे कारों से बहुत लगाव है। उन्होंने कहा था ‘मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की कारों का शौक है। खासतौर पर उनकी स्टाइलिंग और उनके मैकेनिज्म के प्रति गहरा रुझान है। इसलिए मैं उन्हें खरीदता हूं, ताकि उन्हें पढ़ सकूं।’

50 साल छोटे दोस्त को खुद ड्राइव कर डिनर पर ले गए

शांतनु नायडू (बाएं) रतन टाटा के सबसे करीबी दोस्त रहे। वे टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं।

शांतनु नायडू (बाएं) रतन टाटा के सबसे करीबी दोस्त रहे। वे टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं।
  • रतन टाटा के सबसे करीबी माने जाने वाले 30 साल के शांतनु नायडू ने भास्कर से बातचीत में उनके व्यक्तित्व के कई पहलू साझा किए थे। शांतनु टाटा ग्रुप के जनरल मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि मैं टाटा के साथ डिनर करने गया था। वे खुद कार चलाकर मुझे मुंबई के ‘थाई पवेलियन’ ले गए थे। डिनर के दौरान मैंने टाटा से कहा, जब मैं ग्रेजुएट हो जाऊंगा, तो क्या आप मेरे दीक्षांत समारोह में आएंगे? इस पर टाटा ने कहा कि मैं पूरी कोशिश करूंगा और वे आए भी।
  • शांतनु ने कहा कि मैं कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में MBA करने अमेरिका जा रहा था, तब उनसे पहली बार मिला। उन्होंने मेरी चोट देखकर मजाक में कहा था ‘किसी डॉग ने काट लिया?’ तुरंत ही माफी मांगने लगे और कहा, बहुत खराब जोक था।

COVID-19 महामारी के समय 500 करोड़ रुपए दान दिये

रतन टाटा, ग्रुप की परोपकारी शाखा, टाटा ट्रस्ट में गहराई से शामिल थे। टाटा ग्रुप की यह आर्म शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास जैसे सेक्टर्स में काम करती है।

अपने पूरे करियर के दौरान, रतन टाटा ने यह तय किया कि टाटा संस के डिविडेंड का 60-65% चैरिटेबल कॉज के लिए इस्तेमाल हो। रतन टाटा ने COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए 500 करोड़ रुपए का दान दिया था।

रतन टाटा ने एक एग्जीक्यूटिव सेंटर की स्थापना के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था। वे यहीं से पढ़े थे। उनके योगदान ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया, एक परोपकारी और दूरदर्शी के रूप में उनकी विरासत को और बढ़ाया है।

रतन टाटा की 7 तस्वीरें

1945 की तस्वीर रतन टाटा (बाएं) अपने भाई जिम्मी के साथ। यह तस्वीर उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर 10 जनवरी 2023 को शेयर करते हुए लिखा था- वो खुशी के दिन थे।

1945 की तस्वीर रतन टाटा (बाएं) अपने भाई जिम्मी के साथ। यह तस्वीर उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर 10 जनवरी 2023 को शेयर करते हुए लिखा था- वो खुशी के दिन थे।

यह तस्वीर तब ली गई थी जब रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में छात्र थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में, उन्होंने लिखा था कि वे यूनिवर्सिटी में अपने समय के दौरान सीखे लेसन्स से उत्साहित हैं।

यह तस्वीर तब ली गई थी जब रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में छात्र थे। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में, उन्होंने लिखा था कि वे यूनिवर्सिटी में अपने समय के दौरान सीखे लेसन्स से उत्साहित हैं।

JRD टाटा ने करीब 50 साल तक ग्रुप का नेतृत्व करने के बाद रतन नवल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।

JRD टाटा ने करीब 50 साल तक ग्रुप का नेतृत्व करने के बाद रतन नवल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।

रतन टाटा ने "भारत की पहली स्वदेशी कार, द टाटा इंडिका" की लॉन्चिंग के दौरान तस्वीरें खिंचवाईं।

रतन टाटा ने “भारत की पहली स्वदेशी कार, द टाटा इंडिका” की लॉन्चिंग के दौरान तस्वीरें खिंचवाईं।

रतन टाटा जेआरडी टाटा के साथ। रतन टाटा अपने ग्रुप को लेकर कहते थे- वहां के वर्क्स और सुपवाइजर दोनों से मिले प्यार और स्नेह को एन्जॉय किया।

रतन टाटा जेआरडी टाटा के साथ। रतन टाटा अपने ग्रुप को लेकर कहते थे- वहां के वर्क्स और सुपवाइजर दोनों से मिले प्यार और स्नेह को एन्जॉय किया।

अपने इंस्टाग्राम पेज पर, रतन टाटा ने इस तस्वीर के बारे में डिटेल में लिखा है- यह तब ली गई थी जब वे कॉलेज से छुट्टी पर थे।

अपने इंस्टाग्राम पेज पर, रतन टाटा ने इस तस्वीर के बारे में डिटेल में लिखा है- यह तब ली गई थी जब वे कॉलेज से छुट्टी पर थे।

रतन टाटा F-16 पर उड़ान भरने वाले पहले भारतीय नागरिक थे। वे लगभग 40 मिनट तक अमेरिकी वायु सेना के ब्लॉक 50 से संबंधित लड़ाकू विमान के को-पायलट रहे थे।

रतन टाटा F-16 पर उड़ान भरने वाले पहले भारतीय नागरिक थे। वे लगभग 40 मिनट तक अमेरिकी वायु सेना के ब्लॉक 50 से संबंधित लड़ाकू विमान के को-पायलट रहे थे।

156 साल पहले टाटा ग्रुप की स्थापना: इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी का हिस्सा

टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, इसकी 30 कंपनियां दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में 10 अलग-अलग बिजनेस में कारोबार करती हैं। अभी एन चंद्रशेखरन इसके चेयरमैन हैं।

टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल उसके चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है।

यह भी पढ़ें : आदिवासी इलाकों में फैली सिकल सेल एनीमिया खतरनाक बीमारी

2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल हैं। सुबह उठकर टाटा चाय पीने से लेकर टेलीविजन पर टाटा बिंज सर्विस का इस्तेमाल, और टाटा स्टील से बने अनगिनत उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।

रतन टाटा कहते थे…’सबसे बड़ा जोखिम, जोखिम नहीं उठाना है’

  • ‘अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप लंबी दूरी जाना चाहते हैं, तो साथ-साथ चलें।’
  • ‘लोग आप पर जो पत्थर फेंकते हैं, उन्हें लीजिए और उनका उपयोग मॉन्यूमेंट बनाने के लिए कीजिए।’
  • ‘मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं रखता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित करता हूं।’
  • धैर्य और दृढ़ता से चुनौतियों का सामना करें क्योंकि वे सफलता की आधारशिला हैं।’
  • ‘सबसे बड़ा जोखिम,जोखिम नहीं उठाना है। तेजी से बदलती दुनिया में एक ही स्ट्रैटेजी है जो नाकाम बना सकती है, वह है जोखिम न उठाना।’

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 07 अक्टूबर 2024 |  दिल्ली – पटना :  लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत मिल गई है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से सभी को 1-1 लाख के निजी मुचलके पर बेल मिली। कोर्ट ने सभी को पासपोर्ट सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

इस मामले में आज लालू परिवार की दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई। सुनवाई के लिए कोर्ट में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेजप्रताप और मीसा भारती पहुंचे थे। पहली बार इस मामले में कोर्ट की तरफ से लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को समन किया गया था।

लैंड फॉर जॉब केस में लालू परिवार समेत सभी 9 आरोपियों को जमानत

तेजस्वी यादव ने कहा, ‘ये लोग बार-बार राजनीतिक साजिश करते रहते हैं। केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इस केस में कोई दम नहीं है। हम लोगों की जीत तय है। वहीं, सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘हमें कोर्ट पर पूरा विश्वास है। आज जो फैसला आया है, हम उसके लिए न्यायालय का धन्यवाद करते हैं।’

कोर्ट में पेशी के लिए लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी मीसा और रोहिणी के साथ रविवार को पटना से दिल्ली पहुंचे थे। तेजप्रताप पहले से ही दिल्ली में मौजूद थे। तेजस्वी दुबई से रविवार देर रात तक दिल्ली पहुंचे थे। लालू यादव कोर्ट में पेशी के लिए व्हील चेयर पर पहुंचे।

दिल्ली रवाना होने से पहले लालू बोले थे- मोदी की हार तय

एअर इंडिया के विमान से दिल्‍ली रवाना होने से पहले पटना एयरपोर्ट पर लालू प्रसाद ने कहा, ‘जम्‍मू-कश्‍मीर और हरियाणा चुनाव में नरेंद्र मोदी की हार तय है।’ वहीं, सांसद मीसा भारती ने कहा, ‘हरियाणा और जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।’

इस पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ‘लालू यादव जी भ्रष्टाचार के प्रतीक हैं। उनको ये सब क्या पता। वो जेल से डरने का काम करें। उन्होंने जो पाप किया है, वह न्यायालय तय करेगा।’

कोर्ट ने कहा था- तेजप्रताप की संलिप्तता से इनकार नहीं

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को स्वीकार करने के बाद 18 दिन पहले कोर्ट ने लालू परिवार समेत इस मामले में शामिल अखिलेश्वर सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को भी समन भेजा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, ‘तेजप्रताप यादव की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। वह एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी थे।’

ED ने 6 अगस्त को 11 आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री आरोप पत्र दायर किया था। इनमें से 4 की मौत हो चुकी है। इसमें लल्लन चौधरी, हजारी राय, धर्मेंद्र कुमार, अखिलेश्वर सिंह, रविंदर कुमार, स्व. लाल बाबू राय, सोनमतिया देवी, स्व. किशुन देव राय और संजय राय शामिल हैं। लल्लन चौधरी की पत्नी ने पति की मृत्यु से जुड़ी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश किया है। कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।

कौन हैं किरण देवी

कोर्ट ने किरण देवी को समन जारी किया है। वह पटना की रहने वाली हैं। किरण देवी ने नवंबर 2007 में सिर्फ 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को बेच दी थी। इसके बाद 2008 में सेंट्रल रेलवे मुंबई में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को नौकरी मिल गई।

ED का दावा फुस्स – लालू हैं लैंड फॉर जॉब स्कैम के मास्टरमाइंड

ED ने दावा किया था कि लैंड फॉर जॉब मामले में मुख्य साजिशकर्ता पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ही हैं। ED ने यह दावा 26 सितंबर को दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में किया। चार्जशीट में एजेंसी ने बताया कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के तौर पर जमीन के टुकड़े लिए थे। आरोप है कि अपराध से अर्जित जमीन पर लालू प्रसाद यादव के परिवार का कब्जा है।

यही नहीं लालू प्रसाद ने घोटाले की साजिश इस तरह रची कि अपराध से अर्जित जमीन पर कंट्रोल तो उनके परिवार का हो, लेकिन जमीन सीधे इनसे और परिवार से लिंक ना हो पाए। प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी अपराध से अर्जित आय को खपाने के लिए कई इकाइयां (शेल कंपनियां) खोली गईं और उनके नाम पर जमीन दर्ज कराई गई। राउज एवेन्यू कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में लालू प्रसाद, तेजस्वी और तेजप्रताप को समन जारी किया था।

ED के मुताबिक, साजिश की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि रेलवे में नौकरी के नाम पर रिश्वत के तौर पर जमीन लेना लालू प्रसाद यादव खुद तय कर रहे थे, इसमें उनका साथ उनका परिवार और करीबी अमित कात्याल दे रहे थे। कई जमीन के टुकड़े ऐसे हैं जो कि लालू प्रसाद यादव के परिवार की जमीन के ठीक बराबर में स्थित हैं और जिन्हें कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया गया।

कारोबारी भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की

लालू के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम पर लगभग 7 जमीन हैं। ये जमीन पटना के महुआ बाग में स्थित हैं। इसमें से 4 जमीन अप्रत्यक्ष रूप से राबड़ी देवी से जुड़ी हुई हैं। ED ने कहा कि लालू का महुआ बाग गांव से पुराना रिश्ता है।

महुआबाग के जुलूमधारी राय, किशुन देव राय, लाल बाबू राय और अन्य ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को जमीन दी। राबड़ी देवी ने 1990 में महुआ बाग में प्लॉट संख्या 1547 में एक टुकड़ा खरीदा था।

यह भी पढ़ें : गोविंदा को गोली लगी तब जयपुर में थीं पत्नी सुनीता

व्यावसायिक लाभ के लिए लालू ने OSD भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की। जमीन मालिक के परिजन को रेलवे में नौकरी देने के नाम पर सस्ते में जमीन खरीदी। ये जमीन लालू, उनके परिवार, एके इंफोसिस्टम्स, हृदयानंद चौधरी और ललन चौधरी के नाम पर ट्रांसफर की गई हैं।

एके इंफोसिस्टम्स प्रा. लि. ने सभी शेयर राबड़ी-तेजस्वी के नाम ट्रांसफर

चार्जशीट में ED ने कहा कि एके इंफोसिस्टम्स जमीन अधिग्रहण के बाद 13 जून 2014 को राबड़ी देवी को 85% और तेजस्वी यादव को 15% शेयर ट्रांसफर कर दिए। इससे वह मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पास मौजूद भूमि के मालिक बन गए। 1.89 करोड़ रुपए की संपत्ति को लालू प्रसाद यादव के परिवार वालों ने 1 लाख रुपए कीमत देकर अपने कब्जे में कर लिया।

जनवरी 2024 में लालू-तेजस्वी से हुई थी पूछताछ

लैंड फॉर जॉब्स मामले में ED की दिल्ली और पटना टीम के अधिकारियों ने लालू और तेजस्वी से 20 जनवरी 2024 में 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी। ED सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद से 50 से ज्यादा सवाल किए गए थे। उन्होंने ज्यादातर जवाब हां या ना में ही दिया था। पूछताछ के दौरान कई बार लालू झल्ला भी गए थे। वहीं, तेजस्वी से 30 जनवरी को लगभग 10-11 घंटे तक पूछताछ चली थी।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Color

Secondary Color

Layout Mode