मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 05 सितंबर 2024 | जयपुर : सीनियर आईएएस अमृतलाल मीना बिहार के मुख्य सचिव बनने से पहले दिल्ली में कोयला मंत्रालय में सचिव के पद पर थे। मूकनायक मीडिया ब्यूरो टीम उनकी संघर्ष से सफलता तक की कहानी जानने उनके गांव पहुंची।
अमृतलाल मीणा बिहार की ब्यूरोक्रेसी के बॉस, उनका बेटा सफल उद्यमी
राजस्थान के करौली जिले के सपोटरा का डाबरा गांव। इसी गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे अमृतलाल मीना। पढ़ने का बहुत शौक था, लेकिन परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। घर में बिजली तक नहीं थी। ऐसे में अमृतलाल रातभर दीये की रोशनी में पढ़ाई करते।
बस का सवा रुपए का किराया बचाने के लिए घर से 20 किलोमीटर दूर स्कूल पैदल ही निकल जाते। हर तरह के संघर्ष का सामना किया, क्योंकि जिंदगी में खास मुकाम हासिल करने का सपना देखा था। पहले IAS बने और अब बिहार के मुख्य सचिव।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
बचपन में चेचक हुआ तो मां कपड़े में लपेटकर ले जाती
मां जगनी देवी बताती हैं कि 15 अगस्त को अमृतलाल का जन्म हुआ। परिवार खेत में बने पुराने मकान में रहता था। बोलीं- बेटा पढ़ने में शुरू से ही तेज था। अकेले स्कूल जाता और आता। किसी से कोई मतलब नहीं रखता। एक बार चेचक होने पर बहुत कमजोर हो गया था। उसके दोनों छोटे भाई भी बीमार थे। उन्हें कपड़ों और अखबार में लपेटकर डाॅक्टर को दिखाने ले जाती थी।
सिद्धांतवादी और नियमों पर चलने वाले इंसान
अमृतलाल के छोटे भाई शरद लाल ने बताया कि भाईसाहब को खाना बनाना भी नहीं आता था। गांव से एक दूध वाला गंगापुर सिटी जाता था, दूध बेचने। मां उसके हाथ ही रोटी और छाछ भेज देती थी। भाईसाहब सुबह-शाम वही खाना खाते थे। खाना खाने के बाद शाम को भी वहीं खाना खाते थे। उन्होंने काफी संघर्ष किया था। पिता खेती करते थे।
मैं सीकर के लक्ष्मणगढ़ में पढ़ता था। एक वहां से बिना बताए अचानक जयपुर आ गया। तब वे पता नहीं कहां से अचानक आ गए थे। आते ही दो थप्पड़ मार दिए। बोले- मुझे बिना बताए हॉस्टल से कैसे आ गए हो?
वे सिद्धांतवादी हैं और नियमों पर चलते हैं। शरदलाल मीना पीडब्ल्यूडी में एक्सईएन हैं। एक भाई भरतलाल एफसीआई (पंजाब) में मैनेजर हैं। सबसे छोटे भाई रामअवतार पावर ग्रिड (दौसा) में डीजीएम हैं।
MNIT से इंजीनियरिंग की, पहले प्रयास में बने IAS
उनका MNIT में इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन हो गया था। 1982 से लेकर 1988 तक जयपुर रहे। कुछ समय तक वहीं पर पढ़ाया। इसके बाद कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने लगे।
इसी दौरान IAS और IES का एग्जाम दिया। पहली बार में ही दोनों में पास हो गए। घरवालों ने बताया कि सेल्फ स्टडी की बदौलत ये सफलता हासिल की। कहीं से कोचिंग नहीं की। IES में उन्हें रेलवे विभाग मिला था। उन्होंने सिविल सर्विस को सिलेक्ट कर लिया था। तब से अब तक उनका सफर लगातार जारी है।
बेटा सुमित करीब 100 करोड़ वार्षिक टर्नओवर की B2B कंपनी के मालिक
अमृतलाल का बेटा सुमित एमबीए है। एमबीए करने के बाद उन्होंने अपनी खुद की B2B कंपनी रजिस्टर्ड की है। पिछले साल उनकी कंपनी का टर्न ओवर 45 करोड़ से अधिक था जो कि अब 100 के करीब पहुँच चुका है। उनकी कंपनी में करीब 60-70 कर्मचारी हैं। उनकी बहू प्रीति डॉक्टर हैं। बेटी आकांशा ने भी एमबीबीएस किया है। लखनऊ एम्स से पीजी कर रही हैं। पत्नी बर्फी देवी गृहणी हैं।
ऐसा रहा SDM से मुख्य सचिव तक का सफर
- अमृतलाल मीना 1989 बैच के IAS हैं। उन्हें बिहार कैडर मिला था। 1991 में एसडीएम के रूप में पहली पोस्टिंग बेगूसराय में हुई थी। 1993 में एडीएम बने।
- 1994 में बतौर कलेक्टर पहली पोस्टिंग सीतामढ़ी में हुई। वे 2004 तक सीवान, आरा, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, नालंदा, गया सहित 7 जिलों में कलेक्टर रहे थे।
- 2005 में बिहार के वैशाली से सांसद रघुवंश प्रसाद केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय दिया गया था। अमृतलाल मीना को उनका पीएस नियुक्त किया।
- 2009 तक वे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में ही रहे थे। 2009 में ही उन्हें फूड प्रोसेसिंग में जाॅइंट सेक्रेटरी लगाया गया। जिसके मंत्री शरद पंवार थे।
- मई 2012 में अमृतलाल वापस बिहार चले गए। उन्हें कृषि मंत्रालय में प्रिंसिपल सेक्रेटरी लगाया गया। दिसंबर 2013 में अर्बन डेवलपमेंट में प्रिंसिपल सेक्रेटरी लगाया।
- 2015 में पीडब्ल्यूडी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी और 2017 से लेकर 2021 तक पीडब्ल्यू और पंचायतराज में अतिरिक्त मुख्य सचिव लगाया गया।
- नवंबर 2021 में एडिशनल सेक्रेटरी कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज में लगाया गया। मई 2022 में कोल इंडिया में सचिव लगाया। 30 अगस्त 2024 में उन्हें बिहार भेजा गया।
- 31 अगस्त की रात को मुख्य सचिव बनाने का नोटिफिकेशन जारी हुआ।
करियर के 2 चैलेंजिंग मामले
- 22 दलितों की हत्या : अमृतलाल 1996 में नालंदा में कलेक्टर थे। उसी दौरान भोजपुर जिले के एक गांव मथानी टोला में 22 दलित लोगों की हत्या कर दी थी। राज्य सरकार ने उन्हें वहां से भोजपुर पोस्ट किया था। वहां जाने के बाद स्थिति को संभाला। दो साल तक वहां पर रहे थे। इस दौरान वहां कोई भी बड़ी वारदात नहीं हुई।
- बच्चे का अपहरण और दंगे : अमृतलाल गया में कलेक्टर थे। उसी दौरान मुजफ्फपुर में एक बच्चे का अपहरण हो गया था। घटना के विरोध में दंगे हो गए। लोगों ने पुलिस थाने से लेकर सरकारी संपतियों में आग लगा दी थी। अमृतलाल का तत्काल गया से मुजफ्फपुर तबादला कर सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए भेजा गया। अमृतलाल ने वहां पहुंच कर लोगों को समझायाा। दंगों पर कंट्रोल किया।
15 साल पहले पिता का एक्सीडेंट हुआ ताे टूट गए
शरद लाल ने बताया कि करीब 15 साल पहले पिता अमरलाल मीना बाइक से जा रहे थे। सामने से आ रही स्कूल बस ने टक्कर मार दी। सिर में चाेट लगी थी। पहले गंगापुर सिटी लेकर गए। वहां से उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया।
करीब 22 दिन आईसीयू में एडमिट रहे। भाईसाहब छुट्टी लेकर जयपुर में ही पिता की सेवा में लगे रहे थे। एक बार पिताजी रिकवर भी हो गए थे। बाद में तबीयत ज्यादा खराब हो गई। पिताजी की मृत्यु होने पर भाईसाहब काफी टूट गए थे।