फर्जी डिग्री देने वाले सनराइज एंड एमके और ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 20 जुलाई 2024 | दिल्ली : फर्जी डिग्री मामले में एसओजी ने शुक्रवार को दो यूनिवर्सिटी के संचालकों को गिरफ्तार किया है। एसओजी ने एक आरोपी की गर्लफ्रेंड को भी रोहतक से हिरासत में लिया है। पूछताछ में सामने आया है कि इन संचालकों ने सभी रिकॉर्ड जला दिए हैं। फिलहाल SOG की टीम गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ करने के साथ मामले में जुड़े अन्य लोगों को पकड़ने के लिए दबिश दे रही है।

फर्जी डिग्री देने वाले सनराइज एंड एमके और ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक गिरफ्तार

DIG परिस देशमुख ने बताया- फर्जी डिग्री जारी करने वाली ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक जोगेन्द्र सिंह (55) पुत्र ओमप्रकाश दलाल निवासी रोहतक हरियाणा और सनराइज एंड एमके यूनिवर्सिटी के संचालक जितेन्द्र यादव (38) पुत्र जिले सिंह निवासी नारनौल, हरियाणा को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक जोगेन्द्र सिंह की गर्लफ्रेंड सरिता कड़वासरा (50) पुत्री धर्मवीर सिंह को भी रोहतक से डिटेन किया है।

सनराइज एंड एमके और ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक गिरफ्तार

दोनों आरोपियों को SOG की ओर से जांच के दौरान चूरू के राजगढ़ में स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी बुलाया गया था। जांच के बाद फर्जीवाड़े का पता चलने पर राउंडअप कर पूछताछ के लिए जयपुर SOG ऑफिस लाया गया। पूछताछ पूरी होने पर शुक्रवार सुबह दोनों को गिरफ्तार किया गया।

गर्लफ्रेंड पहले रजिस्टार थी, फिर चेयरपर्सन बनी

परिस देशमुख ने बताया- SOG को ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के खिलाफ फर्जी डिग्री जारी करने की काफी शिकायतें मिली थी। जो चूरू के राजगढ़ में है। जांच में सामने आया है कि साल-2013 में ओपीजेएस यूनिवर्सिटी शुरू हुई थी। सरिता कड़वासरा साल 2013 से 2015 तक ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार के पद पर रही है। इसके बाद 2017 से 2020 तक वह चेयरपर्सन रही थी।

डीआईजी ने बताया- 2015 से 2020 तक जितेंद्र यादव सनराइज एंड एमके यूनिवर्सिटी का संचालक बनने से पहले ओपीजेएस विवि में रजिस्ट्रार के पद पर रहा। इस दौरान OPJS विवि की ओर से हजारों की संख्या में फर्जी डिग्री जारी की गई।

पाटर्नरशिप छोड़ खुद की खोली यूनिवर्सिटी

DIG परिस देशमुख ने बताया- साल-2020 में आरोपी जितेंद्र यादव ने OPJS यूनिवर्सिटी की पार्टनरशिप छोड़ दी। उसके बाद उसने अलवर में खुद की सनराइज यूनिवर्सिटी खोल ली। कुछ समय बाद ही एमके यूनिवर्सिटी पाटन, गुजरात में खोली।

पुलिस ने जब इनसे पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 2015 से 2020 की डिग्री का रिकॉर्ड जलने के कारण खत्म हो गया है। जांच में सामने आया है कि दलालों के जरिए फर्जी डिग्री बांटने का खेल चल रहा था। बिना मान्यता के भी यूनिवर्सिटी की ओर से फर्जी सर्टिफिकेट और डिग्री जारी की गई।

इसके बाद बूंदी में एक नई जीत यूनिवर्सिटी खोलने की तैयारी चल रही थी। मान्यता अभी सरकार से नहीं मिली थी। वहीं, आरोपी जोगेन्द्र सिंह शाहबाद (बांरा) में वैदिक विवि खोलने की तैयारी में था। इसका कैम्पस बनकर तैयार हो गया है।

फर्जीवाड़े पर टिकी थी पूरी यूनिवर्सिटी

DIG परिस देशमुख ने बताया- जांच में सामने आया है कि आरोपी यूनिवर्सिटी संचालकों की ओर से एडिमशन में भी फर्जीवाड़े किए। बेक डेट में एडमिशन दिए गए हैं। दलालों के साथ मिलकर फर्जी खेल प्रमाण-पत्र जारी करने का बिजनेस किया गया। गलत तरीके से गेम खिलाकर फर्जी खेल प्रमाण-पत्र देकर एडमिशन दिए गए। इन्होंने अपनी जालसाजी छिपाने के लिए 2016 से 2020 तक का रिकॉर्ड जला दिया है।

यूनिवर्सिटी में कुल 27 लोगों का स्टाफ

परिस देशमुख ने बताया- यूनिवर्सिटी में टीचर्स के बारे में रिकॉर्ड देखने पर भी फर्जीवाड़ा सामने आया। विवि में 27-28 लोगों का सैलेरी अकांउट है। इनमें से 8-10 नॉन टीचर स्टाफ हैं। यहां चलने वाले कोर्स की संख्या 18 है। 18 कोर्स करवाने के लिए यूनिवर्सिटी के पास 27-28 लोग ही हैं।

ये भी बड़ा फजीवाड़ा है। यूनिवर्सिटी का काम सिर्फ फर्जी डिग्री बांटने का था। आरोपी जोगेन्द्र सिंह के खिलाफ पूर्व में दो केस दर्ज हैं। इसमें अरेस्ट भी हो चुका है। एसओजी को जांच के दौरान ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के साथ अन्य यूनिवर्सिटी के भी सर्टिफिकेट मिले थे।

एसओजी को जांच के दौरान ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के साथ अन्य यूनिवर्सिटी के भी सर्टिफिकेट मिले थे।

सबसे ज्यादा नॉर्थ इंडिया में बांटी फर्जी डिग्री

उन्होंने बताया- राजस्थान के विभिन्न डिपार्टमेंट में फर्जी डिग्री दिखाकर लोग जॉब कर रहे हैं। शिक्षा विभाग को इस संबंध में अवगत करवाया गया है। विभाग की ओर से दोबारा वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जांच में सामने आया है कि विवि की ओर से सबसे ज्यादा फर्जी डिग्री नॉर्थ इंडिया में बांटी गई है।

सौदा तय होने के बाद भी वसूलते ज्यादा रुपए

परिस देशमुख ने बताया- यूनिवर्सिटी की ओर से सौदा तय होने पर एडमिशन दिखाकर फर्जी डिग्री बांटी गई। फर्जी डिग्री देने के दौरान स्टूडेंट्स से 50-60 प्रतिशत ज्यादा रकम की डिमांड की जाती थी। स्टूडेंट्स सौदे की रकम देने की जिद करते थे तो उन्हें डिग्री दे दी जाती थी।

लेकिन सरकारी जॉब के लिए विभाग की ओर से जब डिग्री का वेरिफिकेशन किया जाता था तो विभाग को मना कर दिया जाता था। परेशान होकर स्टूडेंट यूनिवर्सिटी से दोबारा कॉन्टैक्ट करते थे और इसके बाद यूनिवर्सिटी उनसे ज्यादा पैसा वसूलती थी।

आरोपी बोले- यूनिवर्सिटी का क्या कसूर

रुपए देने पर दोबारा विभाग को विवि की तरफ से गलती से रिपोर्ट भेजने का जबाव देकर वेरिफिकेशन करवा दिया जाता था। मीडिया को देखकर विवि संचालक बोले- हमे भी अपनी बात रखने की आजादी है। स्टूडेंट्स ने हमारी यूनिवर्सिटी का नाम लिख दिया। इसमें हमारा का क्या कसूर है।

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राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 मार्च 2025 | जयपुर :  प्रदेश में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने और कोचिंग सेंटर पर कंट्रोल के लिए सरकार बिल लायेगी। सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025 को मंजूरी दी गई है। विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में ही इस बिल को पारित करवाने की तैयारी है।

राजस्थान में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या रोकने, कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी

बिल के प्रावधानों के मुताबिक 50 या इससे ज्यादा विद्यार्थियों वाले कोचिंग सेंटर्स को कानूनी दायरे में लाया जायेगा। 50 या इससे ज्यादा स्टूडेंट वाले कोचिंग सेंटर्स को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। प्रदेश में राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन अथॉरिटी का गठन किया जायेगा। उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव इस अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे।

कोचिंग सेंटर कंट्रोल के बिल को कैबिनेट की मंजूरी

पोर्टल और एप बनेगा

कोचिंग सेंटर्स पर मॉनिटरिंग और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक राज्य स्तरीय पोर्टल और काउंसिलिंग के लिए हेल्पलाइन भी बनाई जाएगी। इस बिल के कानून के बाद हर कोचिंग सेंटर को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो जायेगा।

कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी बढ़ेगी, फीस लौटाने के प्रावधान भी होंगे

बिल में कोचिंग सेंटर्स पर निगरानी और नियंत्रण के कड़े प्रावधान होंगे। कोचिंग सेंटर्स मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे। स्टूडेंट्स को तनाव मुक्त माहौल देना होगा। स्टूडेंट की मेंटल हेल्थ को ध्यान में रखना होगा। बीच में कोचिंग छोड़ने वाले स्टूडेंट्स को फीस लौटाने के प्रावधान भी बिल में शामिल होंगे। जोगाराम पटेल ने कैबिनेट के के फैसलों के बारे में जानकारी दी।

नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और संपत्ति जब्त करने तक के प्रावधान

कोचिंग सेंटर पर कंट्रोल वाले बिल में नियमों के उल्लंघन पर कड़ी करवाई का प्रावधान है। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा- कोचिंग में पढ़ने वाले युवाओं में जिस तरह का तनाव बढ़ रहा था और जो घटनाएं हो रही थी, वो चिंताजनक थी। बिल में कोचिंग सेंटरों की मान्यता रद्द करने, भारी जुर्माना लगाने और लैंड रेवेन्यू एक्ट के हिसाब से जब्ती तक के प्रावधान होंगे।

जोगाराम पटेल ने कैबिनेट के के फैसलों के बारे में जानकारी दी।

राज्य की नई कौशल नीति को मंजूरी, नीति में कई प्रावधान

कैबिनेट ने राज्य की नई कौशल नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के अनुसार इंडस्ट्री की मांग के अनुसार कुशल प्रोफेशनल और कामगार तैयार किए जायेंगे। युवाओं को इंडस्ट्री की डिमांड के हिसाब से स्किल डवलपमेंट की ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार पाने के योग्य बनाया जायेगा।

आईटीआई को उन्नत कौशल विकास केंद्र के तौर पर विकसित करेंगे

नई कौशल नीति के अनुसार प्रदेश की सभी आईटीआई को नए जमाने के हिसाब से उन्नत कौशल केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा। संभाग मुख्यालय में मॉडल करियर सेंटर बनाये जायेंगे। वहां पर युवाओं को करियर काउंसिलिंग से लेकर इंटर्नशिप और रोजगार के अवसरों की जानकारी दी जायेगी।

प्रदेश भर में अलग-अलग सेक्टर के अनुभवी श्रमिकों के कौशल का सर्टिफिकेशन किया जायेगा। इसके लिए कैंप लगाए जायेंगे। स्किल यूनिवर्सिटी का मॉडर्नाइजेशन करके विशेष कौशल केंद्र बनाए जायेंगे।

प्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति को मंजूरी

कैबिनेट में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति 2024 को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत सरकारी दफ्तरों में विशेष योग्यजन की एंट्री को आसान और बाधा मुक्त बनाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार के सभी संस्थाओं में ऐसी सुविधा विकसित की जायेगी, जिससे कि दिव्यांगजनों को आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं हो।

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दिव्यांग कर्मचारी के लिए भी सभी सरकारी दफ्तर में उनके सुविधा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जायेगा। सारी सुविधाएं भारत सरकार के मापदंडों के हिसाब से विकसित की जाएगी, इसके तहत रैंप बनाने से लेकर इजी अप्रोच के लिए जरूरी सभी संसाधन विकसित किये जायेंगे।

दिव्यांगों के तबादले कम से कम होंगे, रोटेशनल ट्रांसफर से मुक्त रखेंगे

इस नीति के तहत दिव्यांगों को रोटेशनल टाइप ट्रांसफर से मुक्त रखा जायेगा और उनके तबादले कम से कम हो यह कोशिश होगी। हर विभाग दिव्यांगों की भर्ती की देखरेख उनकी नियुक्ति और उनके रिकॉर्ड को मेंटेन करने के लिए संपर्क अधिकारी को नियुक्त करेगा।

कर्मचारियों को अब ग्रेच्युटी का लाभ 1 जनवरी 2024 से मिलेगा

सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के अनुसार 1 जनवरी से बढ़ी हुई ग्रेजुएट ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दी है। सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी। राज्य सरकार ने रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और डेट ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हाली 20 लाख से बढ़कर 25 लख रुपए की है।

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फर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 मार्च 2025 | जयपुर : फर्जी डिग्री मामले में शनिवार को राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद के कुलाधिपति सुकेश यादव, रजिस्ट्रार नंदन कुमार और दलाल अजय भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया। सुकेश विदेश भागने की फिराक में थे। उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा गया। वहीं, रजिस्ट्रार नंदन की शिकोहाबाद व दलाल अजय की गिरफ्तारी जयपुर से हुई।

फर्जी डिग्री सरगना जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने ​बैक डेट में फर्जी डिग्री जारी करने वाले जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर, रजिस्ट्रार और दलाल को अरेस्ट किया है। इस यूनिवर्सिटी से 245 अभ्यर्थी फर्जी डिग्री लेकर पीटीआई बने थे। जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को एसओजी ने पकड़ा है।

जेएस यूनिवर्सिटी के कुलपति, रजिस्ट्रार और दलाल गिरफ्तार

विदेश भागने की फिराक में था चांसलर सुकेश कुमार

एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया- शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2022 के मामले में शनिवार को जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को गिरफ्तार किया है। इन्होंने अभ्यर्थियों को घर बैठे फर्जी डिग्रियां दी थी। फर्जीवाड़े में एसओजी पूर्व में ओपीजेएस विश्वविद्यालय के चांसलर-संचालक और पूर्व रजिस्ट्रार को गिरफ्तार कर चुकी है।

जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश कुमार, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और जयपुर निवासी दलाल अजय भारद्वाज को एसओजी ने पकड़ा है।

वीके सिंह ने बताया- चांसलर सुकेश कुमार वर्तमान में राजकीय कॉलेज आगरा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत है। इसने जेएस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा, दलाल अजय भारद्वाज और अन्य के मार्फत यूनिवर्सिटी की बीपीएड कोर्स की बैक डेट में फर्जी तरीके से डिग्रियां जारी की।

जैसा कि पहले बताया गया है उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद कस्बे में स्थित जेएस यूनिवर्सिटी से जुड़े इन व्यक्तियों ने ​लाखों रुपए में सौदा कर सैकड़ों फर्जी डिग्रियां अभ्यर्थियों को घर बैठे दी थी। सुकेश कुमार एसओजी की कार्रवाई का अंदेशा होने पर विदेश भागने की फिराक में था, लेकिन एसओजी ने उसको दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया।

फर्जी तरीके से बैक डेट में दी डिग्रियां

संचालक सुकेश कुमार ने अपने पिता जगदीश सिंह के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम जेएस विश्वविद्यालय रखा है। दलाल अजय भारद्वाज ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से भी हजारों छात्रों को विभिन्न कोर्सेज की फर्जी तरीके से बैक डेट में डिग्रियां दिलवा चुका है।

पेपर माफिया भूपेंद्र सारण के घर से फर्जी डिग्रियां जब्त होने के मामले में भी यह जयपुर में गिरफ्तार हो चुका है। अपने साथियों से मिलकर अजय एकलव्य ट्राइबल यूनिवर्सिटी (पूर्व सुधासागर विश्वविद्यालय) डूंगरपुर और अनंत इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मेघालय स्थापित करने जा रहा है।

एसओजी की जांच में सामने आया कि एक ही शिक्षा सत्र में प्रवेश लेने वाले सभी अभ्यर्थियों का चयन इस परीक्षा में हुआ था। यह सभी राजस्थान के निवासी थे। पीटीआई परीक्षा में अनेक विद्यार्थियों ने आवेदन के समय अलग-अलग विश्वविद्यालय का उल्लेख किया।

जबकि चयन के बाद जेएस विश्वविद्यालय की डिग्रियां दी। इस परीक्षा में आवेदन के समय कुल 2067 अभ्यर्थियों ने अपनी बीपीएड की डिग्री जेएस विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण/अध्ययनरत होने का उल्लेख किया, जो निर्धारित सीटों से कई गुना ज्यादा है।

पेपर लीक माफिया में फर्जी डिग्री के लिए जेएस यूनिवर्सिटी कुख्यात

एडीजी सिंह ने बताया- पूर्व की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक माफियाओं ने अयोग्य अभ्यर्थियों के लिए निजी विश्वविद्यालयों से पैसे देकर बड़ी संख्या में बैक डेट में डिग्रियां उपलब्ध करवाई थी। परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थी फॉर्म भरते समय जान-बूझकर ऐसे निजी विश्वविद्यालय का नाम उल्लेख करते थे, ताकि चयनित होने पर आसानी से पैसे देकर बैक डेट में डिग्री का इंतजाम किया जा सके।

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वीके सिंह ने बताया- पेपर लीक गैंग के सदस्यों के बीच में इस काम के लिए जेएस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद कुख्यात थी। इस परीक्षा में 2067 अभ्यर्थियों ने परीक्षा का फॉर्म भरते समय खुद को जेएस यूनिवर्सिटी का विद्यार्थी होना और डिग्री प्राप्त होने का उल्लेख किया था, जो कि इस यूनिवर्सिटी के इस कोर्स के लिए स्वीकृत संख्या के कई गुना है।

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