WHO की चेतावनी इयरबड्स से हो सकता है बहरापन

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 अगस्त 2024 |  जयपुर : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2050 तक चार में से एक व्यक्ति की सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है। WHO की स्टडी में इसके कई कारण बताए गए हैं, जिनमें प्रमुख वजहों में से एक है इयरबड्स और इयरफोन का बढ़ता इस्तेमाल।

WHO की चेतावनी इयरबड्स से हो सकता है बहरापन

आजकल इयरबड्स या इयरफोन का इस्तेमाल म्यूजिक सुनने के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रील्स और वीडियो देखने के लिए भी किया जाता है, जिनमें कई बार वॉल्यूम आउटपुट सामान्य से अधिक होता है। लंबे समय तक इनका इस्तेमाल करना कानों को नुकसान पहुंचाता है।

WHO की चेतावनी इयरबड्स से हो सकता है बहरापन

स्टडी के मुताबिक लगभग 65% लोग इयरबड्स, इयरफोन या हेडफोन से म्यूजिक, पॉडकास्ट या कुछ भी और सुनते हुए वॉल्यूम 85 DB (डेसीबल) से अधिक रखते हैं, जो कान के इंटरनल हिस्से के लिए बेहद नुकसानदायक है।

दुनिया की 5% से अधिक आबादी की सुनने की क्षमता कमजोर है। इसमें अधिकांश लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि इयरबड्स या इयरफोन का इस्तेमाल करते समय किन बातों का ध्यान रखें? साथ ही जानेंगे कि-

  • म्यूजिक सुनते समय गैजेट्स को कितने वॉल्यूम पर सेट करना चाहिए?
  • कितनी देर से ज्यादा इयरफोन या इयरबड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए?

एक्सपर्ट: डॉ. राम लखन मीणा, सीनियर ENT विशेषज्ञ, एसएमएस, जयपुर

सवाल- लंबे समय तक इयरफोन या इयरबड्स लगाने से कानों को क्या नुकसान पहुंचता है?

जवाब- डॉ. राम लखन मीणा बताते हैं कि इयरफोन या इयरबड्स से उत्पन्न ध्वनि की तरंगें हमारे कानों तक पहुंचती हैं, जिससे कान का परदा कंपन करने लगता है। यह कंपन कान के कॉक्लिया (Cochlea) तक पहुंचती है। कॉक्लिया एक खोखली सर्पिल आकार की हड्डी होती है, जो इंसान के कान के आंतरिक भाग में होती है। सुनने की प्रक्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इसके अलावा इयरफोन की तेज आवाज से हियरिंग सेल्स को भी नुकसान पहुंचता है। हालांकि हियरिंग सेल्स को कितना नुकसान पहुंचेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि-

  • आवाज कितनी तेज है?
  • तेज आवाज कितनी देर तक सुनी जा रही है?
  • एक लंबी अवधि में तेज आवाज से एक्सपोजर का समय कितना है?

तेज आवाज के लगातार और लंबे समय तक संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। साथ ही कान में इन्फेक्शन या बहरापन भी हो सकता है, जिसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।

सवाल- इयरबड्स और इयरफोन को कितने DB पर सुनना सही है?

जवाब- डॉ. राम लखन मीणा बताते हैं कि डेसीबल (DB) आवाज मापने की एक इकाई है। 70 या उससे कम की आवाज हमारे कान की सुनने की क्षमता के लिए सेफ मानी जाती है। यह दो लोगों के बीच होने वाली सामान्य बातचीत की आवाज होती है।

अधिकांश पर्सनल म्यूजिक डिवाइस (इयरफोन, इयरबड्स) की आवाज 60% वॉल्यूम लेवल पर 75-80 DB की होती है। अगर आप 85 DB से ज्यादा की आवाज में लंबे समय तक कुछ सुनते हैं तो आपकी सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है।

इयरफोन, इयरबड्स से फुल वॉल्यूम पर 110 DB की आवाज हो जाती है। DB बढ़ने के साथ सेफ लिसनिंग टाइम कम होता जाता है। एक दिन में कुल 90 मिनट से ज्यादा इयरफोन, इयरबड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

सवाल- सेफ लिसनिंग के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जवाब- पिछले कुछ सालों में इयरबड्स और इयरफोन यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। आज ब्लूटूथ वायरलेस के इयरफोन की वजह से यूजिंग टाइम बढ़ गया है। लोग इयरबड्स या इयरफोन का इस्तेमाल ट्रैवलिंग, वर्कआउट, गेम खेलने, मूवी देखने या घर के छोटे-मोटे काम के दौरान खूब करते हैं।

लेकिन अगर आप हर रोज घंटों इयरबड्स का इस्तेमाल करते हैं तो बेहद जरूरी है कि आप इसके इस्तेमाल पर ध्यान दें और जितनी वॉल्यूम कानों के लिए सही है, उतनी ही वॉल्यूम में म्यूजिक सुनें।

आइए ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

  • अधिकतम वॉल्यूम और समय की अवधि के प्रतिशत के लिए 60/60 के नियम का पालन करें यानी अपने गैजेट्स का अधिकतम वॉल्यूम 60% से ज्यादा नहीं करना चाहिए।
  • इयरबड्स और इयरफोन का लगातार कुल 60 मिनट से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही वॉल्यूम जितना तेज हो, उसकी अवधि उतनी ही कम होनी चाहिए।
  • इयरबड्स और इयरफोन की तुलना में हेडफोन एक बेहतर विकल्प है। हेडफोन बाहरी शोर को कम करने का काम करते हैं। इससे सीधे कान के छेद को नुकसान नहीं पहुंचता है। इसलिए जब भी आपके पास विकल्प हो तो हेडफोन चुनना बेहतर है।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा के दौरान शोर-शराबे और ट्रैफिक की आवाज के कारण डेसिबल का स्तर बढ़ जाता है। इससे आपके काम को दोहरा नुकसान पहुंचता है। इसलिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करते समय इयरबड्स और इयरफोन लगाने से बचना चाहिए।
  • लंबे समय तक लाउडस्पीकर सुनने से आपके कानों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए क्लब, लाइव म्यूजिक कॉन्सर्ट, खेल के मैदान या ऐसे कार्यक्रम जहां बहुत ज्यादा शोर हो, ऐसी जगह जाने से बचना चाहिए।
  • अगर आप किसी ऐसे स्थान पर जा रहे हैं जहां आप लंबे समय तक तेज आवाज के संपर्क में रहेंगे तो आप कान में प्लग या नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपके आसपास के शोर और दूसरे साउंड को रोकने में मददगार होते हैं। यहां नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन का मकसद गाना सुनना नहीं, बल्कि बाहर की आवाज और शोर से आपके कानों को प्रोटेक्ट करना है।

सवाल- बारिश के मौसस में इयरबड्स या इयरफोन को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

जवाब- बारिश के मौसम में कानों की अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत होती है क्योंकि बारिश के मौसम में बैक्टीरिया, फफूंद, फंगल होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए इयरबड्स या इयरफोन को नियमित साफ करें। इससे इयरबड्स या इयरफोन पर मौजूद धूल या मिट्टी के छोटे-छोटे कण इयर कनाल तक नहीं पहुंचते हैं।

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जयपुर में 1800 किलो मिलावटी पनीर पकड़ा, पनीर के नाम पर जहर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 |  जयपुर – अलवर : लालकोठी इलाके में सांगानेरी गेट के पास पकड़ी गई 1800 किलो मिलावटी पनीर से भरी पिकअप हरियाणा के नूंह स्थित अगोन से आई थी। जब्त किया गया मिलावटी बदबूदार पनीर जयपुर के 3 ठिकानों पर सप्लाई होना था। पुलिस ने पिकअप में सवार नूंह के फिरोजपुर निवासी मनीष, मुफीद व अलवर के किशनगढ़ निवासी शालीम को गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें शनिवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से चार दिन के लिए रिमांड पर भेज दिया।

जयपुर में 1800 किलो मिलावटी पनीर पकड़ा, पनीर के नाम पर जहर

अब पुलिस पनीर सप्लाई होने वाले ठिकानों की तलाश कर रही है। लालकोठी थानाधिकारी बन्नालाल ने बताया कि पिकअप में 1800 किलो मिलावटी पनीर भरा था, जो जयपुर में थड़ी मार्केट, जयसिंहपुरा खोर व वीकेआई 14 नंबर के पास सप्लाई होना था।

आगे इन्हें पनीर सप्लायर तसलीन, तोफिक, विक्की, शेरू, समीर, जुम्मन, सद्दाम व यासीन लंगड़ा नाम के सप्लायर मिलने थे, लेकिन उनकी लोकेशन इनके पास नहीं है। वो सप्लायर इनसे खुद संपर्क करते तो ही माल आगे सप्लाई होता। ऐसे में पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।

नेटवर्क खंगालने में जुटी टीम

28 पैकेट में 1800 किलो मिलावटी पनीर भरा था, जो जयपुर में तीन ठिकानों पर होलसेल का काम करने वाले दलालों को सप्लाई होना था। इसके बाद वो दलाल अलग-अलग दुकानदारों को सप्लाई करते है। ऐसे में पुलिस टीमें पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि सरगना अरशद अगोन से रोजाना दो पिकअप माल भरकर जयपुर भेजता है। हर बार सप्लाई में अलग लड़के आते थे।

हर बार सप्लाई में अलग-अलग लड़के भेजता था

गिरोह का सरगना अरशद अगोन में मिलावटी पनीर की फैक्ट्री चलाता है, जो जयपुर सहित कई शहरों में रोज हजारों किलो पनीर सप्लाई करता है। अरशद हर बार सप्लाई के लिए अलग गाड़ी, अलग लड़के और उनके साथ खुद के अलग-अलग मोबाइल देकर भेजता था, ताकि कोई उन्हें ट्रेस नहीं कर सके।

पकड़े गए तीनों आरोपी करीब डेढ़ साल से अरशद के साथ काम करते है। जैसे यहां पकड़े गए आरोपी शुक्रवार को जयपुर आये थे, लेकिन अगले चक्कर में ये किसी अन्य शहर में सप्लाई को जाते और यहां दूसरे लड़के भेजे जाते है। कार्रवाई के दौरान मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पनीर के सैंपल लेने के बाद जेसीबी से गड्ढ़ा खोदकर बदबूदार पनीर को नष्ट करवा दिया।

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ICMR ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस, संतुलित व पौष्टिक डाइट लेना बेहद जरूरी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 अगस्त 2025 | दिल्ली – जयपुर: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 56.4% बीमारियों का संबंध सीधे तौर पर खराब खानपान से है। यह चिंताजनक आंकड़ा हमें अपनी सेहत के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। 

ICMR ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस, संतुलित व पौष्टिक डाइट लेना बेहद जरूरी

आईसीएमआर (ICMR) की आहार संबंधी दिशानिर्देश, 2024, स्वस्थ जीवनशैली के लिए संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि पर जोर देती है। ये दिशानिर्देश, भोजन में विविधता, ताजी सब्जियों और फलों, दालों, मोटे अनाज, और दूध, अंडे, मांस, मछली जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त, ये दिशानिर्देश, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किशोरों के लिए विशेष आहार संबंधी सुझाव भी देते हैं। 

इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए ICMR ने भारतीयों के लिए कुछ डाइटरी गाइडलाइंस दी हैं। इसका मुख्य उद्देश्य हर व्यक्ति को स्वस्थ, फिट और रोगमुक्त बनाना है। NIN के मुताबिक, संतुलित डाइट और नियमित एक्सरसाइज से हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा 80% तक कम किया जा सकता है।

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आज के दौर में मिलावटी, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड्स ने लगभग हर घर में अपनी जगह बना ली है। इसकी वजह से बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि बच्चों, बुजुर्गों और प्रेग्नेंट वुमन की डाइट में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

सवाल- ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस में क्या सुझाव दिए गए हैं?

जवाब- ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस यह बताती हैं कि एक स्वस्थ, सक्रिय और रोगमुक्त जीवन के लिए संतुलित व पौष्टिक डाइट लेना बेहद जरूरी है। ये गाइडलाइंस प्रेग्नेंसी, बचपन, किशोरावस्था और बुजुर्गों के अनुसार सही खानपान की आदतों को अपनाने पर जोर देती हैं।

इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे रेगुलर फिजिकल एक्टिविटीज, बेस्ट फूड चॉइस और सही कुकिंग मेथड हमारी सेहत को बेहतर बना सकते हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक से ICMR की 17 डाइटरी गाइडलाइंस को ध्यान से समझिए-

सवाल- हेल्दी मील किसे कहते हैं और उसमें कौन-कौन से फूड शामिल होने चाहिए?

जवाब- ICMR के मुताबिक, एक हेल्दी मील में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स जैसे सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मौजूद होने चाहिए। यह संतुलन न सिर्फ शरीर को एनर्जी और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है, बल्कि कई बीमारियों के रिस्क को भी कम करता है।

यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के मुताबिक, एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना लगभग 2,000 से 3,000 कैलोरी की जरूरत होती है, जो व्यक्ति की उम्र, लिंग, फिजिकल एक्टिविटी और हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करती है। 

सवाल- एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना कितनी मात्रा में नमक और चीनी खानी चाहिए?

जवाब- ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस के मुताबिक, नमक और चीनी हमेशा सीमित मात्रा में ही खानी चाहिए। इसके ज्यादा सेवन से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।

रोजाना कुल 5 ग्राम (एक चम्मच से भी कम) नमक का सेवन पर्याप्त होता है। इसमें छुपा हुआ नमक (प्रोसेस्ड फूड्स, नमकीन, अचार आदि) भी शामिल होता है। वहीं प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम (लगभग 5-6 छोटी चम्मच) से अधिक चीनी नहीं खानी चाहिए। इसमें चाय-कॉफी, मिठाइयां, पैक्ड जूस और बिस्किट जैसी चीजों में मौजूद चीनी भी शामिल है।

सवाल- प्रेग्नेंट वुमन को डाइट के लिए क्या सलाह है?

जवाब- प्रेग्नेंसी के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में रोजाना लगभग 350 कैलोरी ज्यादा की जरूरत होती है। इसलिए इस दौरान थोड़ा अधिक डाइट लेनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि डाइट में फोलिक एसिड, आयरन, विटामिन B12, आयोडीन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व शामिल हों। सिर्फ डाइट बढ़ाने से फायदा नहीं है। इसमें सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स भी होने चाहिए।

सवाल- छोटे बच्चों की डाइट में किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है?

जवाब- जन्म से 6 महीने तक बच्चे को मां का दूध ही देना चाहिए। इसके बाद उन्हें घर पर बना हुआ नरम और थोड़ा ठोस भोजन देना चाहिए। जैसेकि- मसली हुई दाल, हल्की खिचड़ी और उबली और पिसी हुई सब्जियां। ध्यान रखें सिर्फ पैकेज्ड बेबी फूड्स पर निर्भर रहना न्यूट्रिशन की दृष्टि से सही नहीं है।

सवाल- किशोरों और बीमार बच्चों की डाइट पर खास ध्यान देना क्यों जरूरी है?

जवाब- किशोरावस्था और बीमारी के समय शरीर की पोषण संबंधी जंरूरतें बढ़ जाती हैं। ये दोनों अवस्थाएं विकास और रिकवरी के लिए अहम होती हैं। इस समय मसल्स और टिश्यू की रिकवरी के लिए प्रोटीन, हड्डियों और खून के लिए आयरन-कैल्शियम और एनर्जी और ब्रेन के लिए गुड फैट की ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए इस दौरान बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सवाल- क्या फिजिकल एक्टिविटी सिर्फ वजन कम करने में मददगार है?

जवाब- नहीं, फिजिकल एक्टिविटी का उद्देश्य केवल वजन घटाना नहीं है। यह पाचन, मेटाबॉलिज्म, मूड और पोषक तत्वों के अब्जॉर्प्शन को बेहतर बनाती है। ICMR के अनुसार, रोजाना कम-से-कम 30 मिनट की तेज वॉक से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है, कोलेस्ट्रॉल बेहतर होता है और मेंटल हेल्थ बेहतर रहती है।

सवाल- क्या बुजुर्गों को सिर्फ हल्का खाना ही देना चाहिए?

जवाब- नहीं, बुजुर्गों की भूख कम हो सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें सिर्फ खिचड़ी या हल्का भोजन दिया जाए। उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन देना चाहिए। जैसेकि- दूध, दही, अंडे, पनीर, अंकुरित अनाज, मौसमी फल और हरी सब्जियां आदि। ध्यान रखें बुजुर्गों को खास देखभाल और सपोर्ट की जरूरत होती है क्योंकि उनकी शरीर ढलान की ओर पहुंच चुकी होती है।

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