‘होमोसेक्शुअलिटी सिर्फ अर्बन एरिया तक सीमित नहीं’ सीजेआई

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 जुलाई 2024 | दिल्ली : सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। दरअसल सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को बेंच से अलग कर लिया। सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस खन्ना ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया है।

‘होमोसेक्शुअलिटी सिर्फ अर्बन एरिया तक सीमित नहीं’ सीजेआई

जस्टिस खन्ना के अलग होने से रिव्यू पिटीशंस पर विचार करने के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा पांच जजों की नई बेंच का पुनर्गठन करना जरूरी हो जाएगा। इसके बाद ही इन पर सुनवाई हो सकेगी।

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने पिछले साल 17 अक्टूबर को सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में 52 याचिकाएं दायर कर फैसले पर पुर्नविचार करने की मांग रखी गई है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पांच जजों की बेंच फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर चैंबर में सुनवाई करने वाली थी।

इससे पहले 9 जुलाई को सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी और एनके कौल ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ से रिव्यू पिटिशन पर ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग की। इससे CJI ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- परंपरा के मुताबिक पुनर्विचार याचिका पर चेंबर में फैसला किया जाता है।

CJI ने कहा था- संसद कानून बना सकता है

17 अक्टूबर को 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया था।

CJI ने सबसे पहले कहा कि इस मामले में 4 जजमेंट हैं। एक जजमेंट मेरी तरफ से है, एक जस्टिस कौल, एक जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की तरफ से है। इसमें से एक डिग्री सहमति की है और एक डिग्री असहमति की है कि हमें किस हद तक जाना होगा।

कोर्ट रूम LIVE: ‘होमोसेक्शुअलिटी सिर्फ अर्बन एरिया तक सीमित नहीं’

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘होमोसेक्शुअलिटी या क्वीरनेस सिर्फ अर्बन इलीट क्लास तक सीमित नहीं है। ये सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाले और अच्छी जॉब करने वाले व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों में खेती करने वाली महिलाएं भी क्वीर हो सकती हैं। ऐसा सोचना कि क्वीर लोग सिर्फ अर्बन या इलीट क्लासेस में ही होते हैं, ये बाकियों को मिटाने जैसा है।’

‘शहरों में रहने वाले सभी लोगों को क्वीर नहीं कहा जा सकता है। क्वीरनेस किसी की जाति या क्लास या सोशल-इकोनॉमिक स्टेटस पर निर्भर नहीं करता। ये कहना भी गलत है कि शादी एक स्थायी और कभी न बदलने वाला संस्थान है। विधानपालिका कई एक्ट्स के जरिए विवाह के कानून में कई सुधार ला चुकी है।’

CJI चंद्रचूड़ ने कहा- हर व्यक्ति को अपने पार्टनर को चुनने का अधिकार

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ट्रांसजेंडर महिला को एक पुरुष से शादी करने का अधिकार है। उसी तरह ट्रांसजेंडर पुरुष को महिला से शादी करने का अधिकार है। हर व्यक्ति को अपने पार्टनर को चुनने का अधिकार है। वो अपने लिए अच्छा-बुरा समझ सकते हैं।

आर्टिकल 15 सेक्स ओरिएंटेशन के बारे में भी बताता है। हम सभी एक कॉम्प्लेक्स सोसाइटी में रहते हैं। एक-दूसरे के प्रति प्यार और सहयोग ही हमें मनुष्य बनाता है। हमें इसे देखना होगा। इस तरह के रिश्ते अनेक तरह के हो सकते हैं। हमें संविधान के भाग 4 को भी समझना होगा।

अगर मौजूदा याचिकाओं को लेकर कोर्ट तय करता है कि स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन 4 असंवैधानिक है, क्योंकि ये सबको अपने साथ लेकर नहीं चलता। इस सेक्शन को हटाना होगा या इसमें नई बातें जोड़नी होंगी।

अगर स्पेशल मैरिज एक्ट को खत्म कर दिया जाता है तो ये देश को आजादी से पहले के समय में ले जाएगा। अगर कोर्ट दूसरी अप्रोच अपनाता है और इसमें नई बातें जोड़ता है तो वह विधानपालिका का काम करेगा।

एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति अगर हेट्रोसेक्शुअल (विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण) रिलेशनशिप में है तो कानून ऐसे विवाह को मान्यता देता है। क्योंकि एक ट्रांसजेंडर इंसान, हेट्रोसेक्शुअल रिलेशनशिप में हो सकता है, इसलिए ट्रांसमैन और ट्रांसवुमन की शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए

केंद्र सरकार समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए। यह कमेटी राशन कार्ड में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।

27 अप्रैल, छठे दिन की सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था- सरकार इस मामले में क्या इरादा रखती है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था, ‘अगर ज्यूडीशियरी इसमें एंट्री करती है तो यह एक कानूनी मुद्दा बन जाएगा। सरकार बताए कि वह इस संबंध में क्या करने का इरादा रखती है और कैसे वह ऐसे लोगों की सुरक्षा और कल्याण के काम कर रही है। समलैंगिकों को समाज से बहिष्कृत नहीं किया जा सकता है।’

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, ‘स्पेशल मैरिज एक्ट केवल अपोजिट जेंडर वालों के लिए है। अलग आस्थाओं वालों के लिए इसे लाया गया। सरकार बाध्य नहीं है कि हर निजी रिश्ते को मान्यता दे। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि नए मकसद के साथ नई क्लास बना दी जाए। इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी।’

26 अप्रैल, सुनवाई का पांचवां दिन: केंद्र ने कहा था- नई परिभाषा के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता

केंद्र सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कहा- कोर्ट एक ही कानून के तहत अलग श्रेणी के लोगों के लिए अलग नजरिया नहीं रख सकता। हमें नई परिभाषा के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि LGBTQIA+ में ‘प्लस’ के क्या मायने हैं, ये नहीं बताया गया है।

उन्होंने पूछा, इस प्लस में लोगों के कम से कम 72 शेड्स और कैटेगरी हैं। अगर ये कोर्ट गैर-परिभाषित श्रेणियों को मान्यता देता है तो फैसले का असर 160 कानूनों पर होगा, हम इसे कैसे सुचारु बनाएंगे? मेहता ने आगे कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो किसी भी लिंग के तहत पहचाने जाने से इनकार करते हैं।

उन्होंने कहा, कानून उनकी पहचान किस तरह करेगा? पुरुष या महिला के तौर पर? एक कैटेगरी ऐसी है, जो कहती है कि लिंग मूड स्विंग (मन बदलने) पर निर्भर करता है। ऐसी स्थिति में उनका लिंग क्या होगा, कोई नहीं जानता।

मेहता ने कहा कि असल सवाल ये है कि इस मामले में ये कौन तय करेगा कि एक वैध शादी क्या और किसके बीच है। मेहता ने दलील दी कि क्या ये मामला पहले संसद या राज्यों की विधानसभाओं में नहीं जाना चाहिए।

25 अप्रैल, सुनवाई का चौथा दिन: CJI बोले- याचिकाकर्ताओं के मुद्दों पर हस्तक्षेप का अधिकार संसद को

सुनवाई के चौथे दिन CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि इन याचिकाओं में जो मुद्दे उठाए गए हैं, उनमें हस्तक्षेप का अधिकार संसद के पास है। इसलिए सवाल ये है कि इस मामले में कोर्ट कितना आगे तक जा सकती है।’

स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत अधिकार देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर हम स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत इसे देखेंगे, हमें कई पर्सनल लॉ बोर्ड में भी सुधार करने होंगे।’ जस्टिस कौल और जस्टिस भट्ट ने कहा कि इसलिए बेहतर होगा कि वो इस बात पर गौर करें कि समलैंगिक विवाह का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं। इसके बहुत अंदर जाने पर मामला उलझ जाएगा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि संविधान में दिए गए अधिकार से वंचित करने के लिए संसद का कारण नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि जब किसी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन हो तो उन्हें संविधान के आर्टिकिल 32 के आधार पर संवैधानिक पीठ में जाने का अधिकार है। उन्होंने कोर्ट से ये भी कहा कि याचिकाकर्ता कोई विशेष बर्ताव की अपेक्षा नहीं कर रहे हैं बल्कि वो स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अपने संबंधों की व्यावहारिक व्याख्या चाहते हैं।

20 अप्रैल, तीसरे दिन की सुनवाई; CJI ने पूछा- क्या शादी के लिए 2 अलग जेंडर वाले पार्टनर्स होना जरूरी

सुनवाई के तीसरे दिन कोर्ट में बच्चे को गोद लेने पर बहस हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील विश्वनाथन ने कहा कि LGBTQ माता-पिता बच्चों को पालने के लिए उतने ही योग्य हैं जितने अपॉजिट सेक्स के माता-पिता।

बेंच इस दलील से सहमत नहीं था कि अपोजिट सेक्स के विपरीत समलैंगिक जोड़े अपने बच्चों की उचित देखभाल नहीं कर सकते। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोग अब इस धारणा से दूर हो रहे हैं कि एक लड़का होना ही चाहिए। CJI ने कहा- समलैंगिक संबंध सिर्फ शारीरिक संबंध नहीं है बल्कि एक स्थिर, भावनात्मक संबंध से कुछ अधिक बढ़कर हैं।

19 अप्रैल, सुनवाई का दूसरा दिन: केंद्र सरकार ने कहा- राज्यों को भी इस बहस में शामिल किया जाए

सुनवाई के दूसरे दिन केंद्र सरकार ने अपील की कि इस मामले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पार्टी बनाया जाए। याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एडॉप्शन, सरोगेसी, अंतरराज्यीय उत्तराधिकार, कर छूट, कर कटौती, अनुकंपा सरकारी नियुक्तियां आदि का लाभ उठाने के लिए विवाह की आवश्यकता होती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वे इसे शहरी एलीट क्लास का विचार नहीं कह सकती। खासतौर पर तब, जब सरकार ने इस दावे के पक्ष में कोई डेटा नहीं दिया है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘ये शहरी सोच लग सकती है क्योंकि शहरी इलाकों में अब लोग खुलकर सामने आने लगे हैं।’

18 अप्रैल, सुनवाई का पहला दिन: सेम सेक्स मैरिज की याचिकाएं एलीट क्लास के लोगों का विचार

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के पहले दिन कहा कि वो पर्सनल लॉ के क्षेत्र में जाए बिना देखेगी कि क्या साल 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट के जरिए सेम सेक्स कपल को अधिकार दिए जा सकते हैं। केंद्र सरकार की ओर से सोलिसिटर जनरल ने कहा था कि ये याचिकाएं एलीट क्लास के लोगों के विचारों को दर्शाती हैं।

केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि कानूनी तौर पर देखा जाए तो शादी एक बायोलॉजिकल पुरुष और बायोलॉजिकल महिला के बीच का रिश्ता होता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला और पुरुष में भेद करने की कोई पुख्ता अवधारणा नहीं है।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए

MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

Related Posts | संबद्ध पोट्स

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 फरबरी 2025 | जयपुर : जयपुर में एक और कॉलेज गर्ल ने सुसाइड किया है। करीब दस दिन पहले मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) कैंपस में एक छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर जान दे दी थी। अब राजस्थान विश्वविद्यालय के कैंपस में बने माही छात्रावास में रहने वाली एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

गांधी नगर पुलिस को शनिवार शाम को घटना की जानकारी मिली। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि हॉस्टल के पहली मंजिल पर बने कमरे में छात्रा फंदे से लटक रही थी। छात्रा को उतार कर अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने शनिवार को हॉस्टल में सुसाइड कर लिया। छात्रा का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला। छात्रा फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। छात्रा के आत्महत्या की खबर सामने आते ही पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई। तुरंत स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। मिली जानकारी के अनुसार सुसाइड की यह घटना राजस्थान यूनिवर्सिटी के माही हॉस्टल में हुई।

माही हॉस्टल में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने की सुसाइड

माही छात्रावास राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्राओं के लिए आवंटित है। यहां शनिवार को दोपहर बाद एक छात्रा के आत्महत्या की जानकारी सामने आई। सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान महारानी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट के रूप में हुई है। छात्रा ने अपने कमरे में पंखे से कपड़े का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड के कारणों की नहीं मिली जानकारी

पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। इधर छात्रा की खुदकुशी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। छात्रा ने सुसाइड क्यों किया, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। मालूम हो कि बीते दिनों माही हॉस्टल में वॉर्डन के व्यवहार सहित अन्य मुद्दों पर छात्राओं ने प्रदर्शन भी किया था।

महारानी कॉलेज में पढ़ाई करती थी छात्रा

माही हॉस्टल में सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान सारिका बुनकर के रूप में हुई है। सारिका महारानी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। सारिका मूल रूप से दिल्ली रोड स्थित मनोहरपुर की रहने वाली थी। बताया जाता है कि छात्रा ने सुसाइड से पहले परिवार को फोन भी किया था।

युवती का मोबाइल लॉक, परिजनों की दी गई सूचना

घटना के बारे में गांधी नगर थानाधिकारी आशुतोष ने बताया- सुसाइड की घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे। परिवार को घटना की जानकारी दी है. युवती का मोबाइल लॉक है। परिवार के आने के बाद अन्य चीजों पर काम किया जायेगा। हॉस्टल में सारिका के साथ रहने और पढ़ने वाली छात्राओं से भी पूछताछ की जा रही है।

कमरे से नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

बताया गया कि शाम करीब 4 बजे सारिका के कमरे का गेट नहीं खोलने पर दूसरी छात्राओं ने वॉर्डन को जानकारी दी। इस पर वॉर्डन ममता जैन गार्ड को लेकर कमरे में पहुंची और गेट तोड़कर अंदर गए तो सारिका फंदे से लटकी मिली। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. मामले की जांच जारी है।

राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्राओं का धरना-प्रदर्शन जारी है. गुरुवार रात भी छात्राएं कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करती नजर आई। अब छात्राओं का यह प्रदर्शन और तेज हो सकता है, क्योंकि गुरुवार रात NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने आंदोलनरत छात्राओं से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद विनोद जाखड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाये। साथ ही कहा कि विवि प्रशासन का रवैया तानाशाही है।

दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय के माही गर्ल्स हॉस्टल में नई वार्डन की नियुक्ति के मुद्दे पर छात्राएं कड़ाके की सर्दी में कुलपति सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि यह नियुक्ति उनके हितों और भावनाओं के खिलाफ है।

पाली की लड़की ने किया था सुसाइड

दस दिन पहले जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित एमएनआईटी में पढ़ने वाली छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला। उसमें लिखा था कि ‘गलती मेरी ही है। मैं ही इस दुनिया में नहीं जी सकती। सबसे ज्यादा खुश मैं या तो बचपन में या नींद में थी।’ मृतक छात्रा 21 वर्षीय दिव्या राज मेघवाल थी जो कि पाली जिले की रहने वाली थी। वह एमएनआईटी में बीआर्क (आर्किटेक्चर) फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग कीजिए 

गर्भवती पत्नी के पेट पर बैठकर घोंटा गला गर्भ से बाहर आ गया 7 महीने का भ्रूण

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 जनवरी 2025 | जयपुर : हैदराबाद में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसको सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 21 साल के युवक ने कथित तौर पर केवल शक की वजह से अपनी गर्भवती पत्नी की हत्या कर दी। उसने अपनी पत्नी को इतने बेतरतीब तरीके से मारा कि महिला के गर्भ से सात महीने का भ्रूण बाहर आ गया।

गर्भवती पत्नी के पेट पर बैठकर घोंटा गला गर्भ से बाहर आ गया 7 महीने का भ्रूण

पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि 16 जनवरी को जब आरोपी की पत्नी घर में सो रही थी, तो वह उसके पेट पर बैठ गया और उसने तकिये से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी, जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण गर्भ से बाहर आ गया।

गर्भवती पत्नी के पेट पर बैठकर घोंटा गला गर्भ से बाहर आ गया 7 महीने का भ्रूण

हैदराबाद में एक युवक ने अपनी गर्भवती पत्नी की निर्मम हत्या कर दी और फिर इसे दुर्घटना का रूप देने का प्रयास किया। बेवफाई के शक में युवक ने पत्नी की हत्या के लिए निर्ममता की सारी सीमाएं लांघ डाली। इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उसने अपने दांतों तले उंगलियां दबा दीं।

अजन्मे बच्चे की भी मौत

21 वर्षीय युवक ने बेवफाई के शक में अपनी पत्नी की हत्या कर दी। इस वीभत्स घटना में महिला का भ्रूण गर्भ से बाहर आ गया। 21 वर्षीय महिला गर्भावस्था के सातवें महीने में थी। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

यह भी पढ़ें : जयपुर में बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर 50 लाख के गहने लूटने नौकरानी ने की साजिश

यह वीभत्स घटना 16 जनवरी को कुशाईगुडा पुलिस स्टेशन क्षेत्र में हुई। पुलिस ने बताया कि 16 जनवरी को जब आरोपी की पत्नी घर में सो रही थी, तो वह उसके पेट पर बैठ गया और उसने तकिये से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी, जिसके परिणामस्वरूप भ्रूण गर्भ से बाहर आ गया।

गैस सिलेंडर का वाल्व खोलकर लगा दी आग

पुलिस ने बताया कि इसके बाद आरोपी ने गैस सिलेंडर का वाल्व खोलकर उसमें आग लगाकर घटना को आग दुर्घटना में हुई मौत के रूप में दिखाने की कोशिश की। कुशाईगुड़ा थाना के एक अधिकारी ने बताया कि मृत महिला की मां की शिकायत के आधार पर एक मामला दर्ज किया गया और जांच के दौरान 20 जनवरी को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

2022 में हुई थी शादी

पुलिस के मुताबिक, दोनों की दोस्ती ऑनलाइन माध्यम से हुई थी, जिसके बाद 2022 में दोनों ने शादी कर ली। पुलिस ने बताया कि कुछ विवाद के बाद वे कुछ महीनों तक अलग-अलग रहे और एक महीने पहले से वे यहां एक किराए के मकान में साथ रह रहे थे। (भाषा इनपुट्स के साथ)

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग कीजिए 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Color

Secondary Color

Layout Mode