भाजपा विधायक ही क्यों उठा रहे हैं पर्ची सरकार के खिलाफ आवाज़

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 जुलाई 2024 | जयपुर : विधानसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल की कार्यवाही के बाद आज से बजट पर बहस होगी। प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने अपने क्षेत्र में सड़क निर्माण में देरी सरकार को घेरा।

भाजपा विधायक ही क्यों उठा रहे हैं पर्ची सरकार के खिलाफ आवाज़

वहीं, श्रीचंद कृपलानी ने कहा कि एक तरफ तो सरकार जनसंख्या नियंत्रण की बात करती है, वहीं ऐसे क्षेत्रों में कम जनसंख्या का हवाला देते हुए सड़क-हॉस्पिटल भी नहीं बनाती है। प्रश्नकाल के दौरान न केवल कांग्रेसी विधायकों ने मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के महिला अत्याचारों को लेकर दिए जवाब पर भी हंगामा किया। बल्कि, बीजेपी विधायक भी अपनी ही सरकार को घेरते दिखे।

मंत्री ने दावा किया कि पिछले 6 महीने में महिला अत्याचारों के केसों में कमी आई है। बजट पर गुरुवार, शुक्रवार, सोमवार और मंगलवार को चार दिन बहस होगी। मंगलवार को बहस का सरकार की तरफ से जवाब आयेगा। विधानसभा की कार्यसलाहकार समिति ने 29 जुलाई तक विधानसभा का कामकाज तय कर दिया है।

29 को विधानसभा में राजस्थान का बजट पास होगा। 17 जुलाई को विधानसभा नहीं चलेगी। 18 जुलाई से अलग-अलग विभागों की अनुदान मांगों पर बहस होगी। हर दिन बहस के बाद मंत्री बहस का जवाब देंगे। 8 दिन तक विधानसभा में अलग अलग विभागों की अनुदान मांगों पर बहस होगी।

भाजपा विधायक कृपलानी ने कसा सरकार पर तंज

  • प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी विधायक श्रीचंद कृपलानी ने हॉस्पिटल, स्कूल खोलने के जनसंख्या के मापदंडों पर सवाल उठाए।
  • स्वास्थ्य मंत्री ने कृपलानी के सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान में निंबाहेड़ा जिला अस्पताल का प्रसव भार अनुसार मैटरनिटी बेड ऑक्युपेंसी रेट 48.44 प्रतिशत है जो कि तय मापदंड 70 प्रतिशत से कम है, इसलिए निम्बाहेड़ा जिला अस्पताल में मातृ-शिशु स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र मंजूर किया जाना विचाराधीन नहीं है।
  • मंत्री के जवाब पर कृपलानी ने कहा कि एक तरफ तो सरकार जनसंख्या नियंत्रण की बात करती है। दूसरी तरफ आप कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में शिशु स्वास्थ्य केंद्र नहीं खोल रहे हो। सरकार चाहती क्या है?
  • हम स्कूल खुलवाने जाएं तो आप कहते हो बच्चों की संख्या इतनी होनी चाहिए।
  • अगर सड़क बनाने जाएं तो 2000 की आबादी होनी चाहिए, हम अस्पताल खुलवाने के लिए जाएं तो इतनी आबादी होनी चाहिए।

बीजेपी विधायक ने गांव में सड़क नहीं बनाने पर सवाल उठाए

  • छबड़ा से भाजपा विधायक प्रताप सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांव में सड़क नहीं बनने को लेकर मंत्री के जवाब पर सवाल उठाए।
  • मंत्री के जवाब से असंतुष्ट सिंघवी ने कहा की जिस गांव को वन विभाग में बताया जा रहा है वह गांव उसे कैटेगरी में आता ही नहीं है।
  • छपरा विधानसभा के जयसिंहपुर गांव में सड़क नहीं बनने को लेकर सिंक भी ने कहा की पिछली कांग्रेस सरकार ने भी इसी तरह के जवाब दिए थे और इन गांव में सड़क नहीं बनाई।
  • मंत्री मंजू बाघमार करने कहा की वन विभाग की जमीन होने के कारण छबड़ा क्षेत्र के इन गांव में सड़क नहीं बनी है, वन विभाग की मंजूरी की कोई समय सीमा नहीं है।
  • इस पर भाजपा विधायक ने नाराजगी जताते हुए कहा की सड़क नहीं बनने का कारण साफ करना चाहिए।

शिक्षा की अनुदान मांगों पर बहस नहीं होगी

  • इस बार विधानसभा में शिक्षा से जुड़ी अनुदान मांगों पर बहस नहीं होगी, अनुदान मांगों पर बहस वाले विभागों में शिक्षा को शामिल नहीं किया है।
  • दिलावर के आदिवासी डीएनए वाले बयान के बाद विपक्ष ने उनके जवाब का ​बहिष्कार कर रखा है।
  • शिक्षा की अनुदान मांगों पर बहस होती तो विपक्ष के विधायक दिन भर इस मामले पर सरकार को घेरते। पहले दिलावर सदन में इस पर जवाब दे चुके लेकिन विपक्ष उनके इस्तीफे और माफी की मांग पर अड़ा हुआ है।
  • बताया जाता है कि सदन में हंगामा और गतिरोध टालने टालने के लिए शिक्षा की अनुदान मांगों पर बहस नहीं करवाने का रास्ता चुना गया है।

बजट में कुछ सियासी गणित छुपा हुआ है क्या?

हां, पहले ही बजट में पांच साल आगे की तैयारी दिखती है। अब तक राजस्थान में भाजपा सरकारों के काम में गुजरात मॉडल दिखता था, जो अब शिफ्ट होकर मध्यप्रदेश पर पहुंचा है। यहां भाजपा पहले से मजबूत है।

मध्यप्रदेश में ‘लाडली बहना’ काफी चर्चा में रहती है। अब राजस्थान में केंद्र की ‘लखपति दीदी’ योजना शुरू की गई है। इसका सीधा मकसद 15 लाख महिलाओं के परिवारों तक भाजपा का संदेश पहुंचाना है। राजस्थान में महिलाओं से जुड़ी कोई योजना नहीं थी।

दूसरा, मध्यप्रदेश के बजट में भी 4 लाख नौकरियों की घोषणाएं थीं, उसी तर्ज पर यहां भी 4 साल में 4 लाख नौकरियां देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा कई ऐसी योजनाएं हैं, जो MP की तर्ज पर हैं। मध्यप्रदेश की तर्ज पर ही यहां भी कुलपति अब कुलगुरु होंगे।

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भारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 जनवरी 2025 | जयपुर : कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद भारतीय मूल की सांसद अनीता आनंद का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्ताधारी लिबरल पार्टी इस साल होने वाले संसदीय चुनाव से पहले नया प्रधानमंत्री चुन सकती है। बुधवार यानी आज पार्टी के नेशनल कॉकस की बैठक भी होने वाली है।

भारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे

माना जा रहा है कि पार्टी में अनीता के नाम पर सहमति बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो वो कनाडा में प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला होंगी। फिलहाल जब तक कोई नया नेता नहीं चुन लिया जाता, तब तक ट्रूडो पद पर बने रहेंगे।

भारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार (6 जनवरी, 2025) को इस्तीफ़ा देने का ऐलान कर दिया है। ट्रूडो ने कहा कि वह आगामी आम चुनावों में लिबरल पार्टी का चेहरा बनने के लिए पसंदीदा उम्मीदवार नहीं हैं। लिबरल पार्टी से प्रधानमंत्री पद के लिए नए नेता का चयन होने के बाद जस्टिन ट्रूडो अपना इस्तीफ़ा दे देंगे।

ट्रूडो के इस इस्तीफे की पटकथा बीते लगभग एक वर्ष से लिखी जा रही थी। इस खबर के बाद अब लिबरल पार्टी के नेताओं में पीएम पद की दौड़ शुरू हो गई है। इस दौड़ में एक भारतवंशी अनीता आनंद भी शामिल हैं।

अनीता आनंद लिबरल पार्टी की सीनियर मेंबर हैं। वह 2019 से कनाडाई संसद की सदस्य भी हैं। उन्होंने ट्रूडो सरकार में कई प्रमुख विभागों को संभाला है, जिसमें पब्लिक सर्विस और खरीद मिनिस्ट्री, नेशनल डिफेंस मिनिस्ट्री और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी शामिल है। वह 2024 से ट्रांसपोर्ट और इंटरनल ट्रेड मिनिस्टर हैं।

पार्टी नेताओं की तरफ से लगातार बढ़ते दबाव के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी को पार्टी लीडर और PM दोनों पद से इस्तीफा दे दिया था। वे सितंबर 2021 में तीसरी बार पीएम बने थे। उनकी सरकार का कार्यकाल अक्टूबर 2025 तक था।

अनीता आनंद 2019 में ओकविल से चुनाव जीतकर सांसद बनीं थीं। पब्लिक सर्विस मिनिस्टर के तौर पर उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अनीता पीएम बनीं तो इस पद पर पहुंचने वाली देश की दूसरी महिला होंगी

  • अनीता के पिता तमिलनाडु जबकि मां पंजाब की रहने वाली थीं। हालांकि, अनीता का जन्म और पालन-पोषण कनाडा के ग्रामीण क्षेत्र नोवा स्कोटिया में हुआ था।
  • उन्होंने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में आर्ट्स ग्रेजुएशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में आर्ट्स ग्रेजुएशन, डलहौजी यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएशन और टोरंटो यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया।
  • 57 साल की अनीता पेशे से वकील हैं। उन्होंने 2019 में कनाडा की ओकविल सीट से पहला संसदीय चुनाव जीता था। इसी साल उन्हें सार्वजनिक सेवाओं और खरीद का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
  • अनीता कनाडा का रक्षा मंत्रालय संभालने वाली दूसरी महिला हैं। इससे पहले 1990 में किम कैंपबेल ने ये जिम्मेदारी संभाली थी।
  • अनीता टोरंटो यूनिवर्सिटी की एसोसिएट डीन भी रह चुकी हैं। उन्होंने 1995 जॉन नोल्टन से शादी की, जो एक कनाडाई वकील और बिजनेस एग्जीक्यूटिव हैं। उनके 4 बच्चे हैं।
  • अनीता आनंद लैंगिक समानता की मुखर समर्थक रही हैं। वो LGBTQIA+ अधिकारों का सपोर्ट करती हैं। उन्होंने सेक्शुअल मिसकंडक्ट से लड़ने और कनाडाई डिफेंस फोर्सेज में कल्चरल परिवर्तन लाने के लिए पहल भी की थी। ​​
  • प्रोग्रेसिव कंजर्वेटिव पार्टी की किम कैंपबेल 1993 में कनाडा की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं थीं, जिसके बाद से अब तक कोई महिला कनाडा में प्रधानमंत्री पद पर नहीं पहुंची है।

ट्रूडो की पार्टी के पास बहुमत नहीं

कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स​​​​​​ में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था। NDP खालिस्तान समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है।

गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। हालांकि कनाडा की संसद को 24 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, ऐसे में लिबरल पार्टी के पास बहुमत जुटाने और नया नेता चुनने के लिए 60 दिन से ज्यादा का वक्त है।

ट्रूडो के खिलाफ क्यों है नाराजगी

कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या 65% तक पहुंच गई है। देश में हुए कई सर्वे के मुताबिक अगर कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत मिल सकता है, क्योंकि जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है।

पिछले साल अक्टूबर में हुए इप्सोस के एक सर्वे में सिर्फ 28% कनाडाई लोगों का कहना था कि ट्रूडो को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग गिरकर 30% पर आ गई है।

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नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

ये है पूरा मामला

बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

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नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

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