राजस्थान उपचुनाव 7 में से 1 बीजेपी 4 कांग्रेस, आरएलपी-बीएपी को 1-1 सीट मिलने की संभावना

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 नवंबर 2024 | जयपुर : राजस्थान विधानसभा (Rajasthan By Election 2024 Ground Report; Dausa Jhunjhunu Ramgarh) की सात सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार का सोमवार को आखिरी दिन है। बीजेपी ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के कई बड़े नेता भी मैदान में प्रचार कर रहे हैं।

राजस्थान उपचुनाव 7 में से 1 बीजेपी 4 कांग्रेस, आरएलपी-बीएपी को 1-1 सीट मिलने की संभावना

बीजेपी से आज सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी एक मंच पर दिखाई देंगे। तीनों चौरासी और सलूंबर में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही बीजेपी की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर दौसा और प्रदेश महामंत्री व विधायक जितेंद्र गोठवाल देवली-उनियारा सीट पर प्रचार करेंगे।

राजस्थान उपचुनाव ग्राउंड रिपोर्ट
राजस्थान उपचुनाव 7 में से 1 बीजेपी 4 कांग्रेस, आरएलपी-बीएपी को 1-1 सीट मिलने की संभावना

दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट आज प्रदेश में प्रचार नहीं करेंगे। दोनों महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अलग-अलग जगह प्रचार करते हुए नजर आएंगे।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जयपुर में हैं। उनका अभी किसी भी सीट पर प्रचार के लिए जाने का कार्यक्रम तय नहीं है। केवल नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। इन सात विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी। 23 नवंबर को मतगणना होगी।

राजस्थान की उपचुनाव वाली 7 विधानसभा सीट कहां पर किसकी टक्कर 

राजस्थान की उपचुनाव वाली 7 सीटों में से महज 1 सीट पर बीजेपी को मिलने की संभावना है। 2023 के चुनाव में भी बीजेपी के खाते में सिर्फ सलूंबर सीट थी। अन्य की 6 सीटों में से 4 पर कांग्रेस के प्रत्याशी जितने ककी संभावना नजर आ रहीं है। जबकि एक सीट भारतीय आदिवासी पार्टी और 1 सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी जीत सकती है। 2023 के विधानसभा चुनाव में शेखावाटी की झुंझुनू सीट, दौसा, देवली-उनियारा और रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के एमएलए बने थे।

देवली उनियारा विधानसभा सीट

यहाँ से कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं। केसी मीणा कांग्रेस, और राजेंद्र गुर्जर बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है।  निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा है जो बाहरी कैंडिडेट है, जिन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की भरपूर कोशिश की है।

किंतु, लोकल उम्मीदवार की हवा में वे पिछड़ते नजर आ रहे हैं। आख़िरकार लोकल मुद्दा हावी रहा है और अब मुख्य मुकाबला केसी मीणा और राजेंद्र गुर्जर के बीच ही है। नरेश मीणा केवल केसी मीणा की जीत के अंतर को कम कर सकते हैं, वे मुकाबले से बाहर हो चुके हैं।

जातिगत समीकरणों की दृष्टि से एससी, एसटी, ओबीसी (जाट) और अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। वहीं, गुर्जर मतदाताओं के अलावा हिंदुत्व के नाम पर सवर्ण और कुछ ओबीसी जातियों के वोट बीजेपी को मिल सकते हैं। पर मुख्यमंत्री भजनलाल की देवली में हुई फ्लॉप सभा के बाद इसकी भी उम्मीद कम है। केसी मीणा बढ़त में लग रहे हैं।

दौसा विधानसभा सीट

कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन चुके हैं। दीनदयाल बैरवा (डीसी) कांग्रेस और जगमोहन मीणा बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर हो रही है। सांसद मुरारी लाल मीणा और विधायक (मंत्रीमंडल से स्तीफा दे चुके) किरोड़ी लाल मीणा के राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई सातवें आसमान पर है।

साथ ही, पायलेट पायलेट की साख भी दाव पर है। बीजेपी में भितरघात की खबरें हैं। डॉ किरोड़ी ने मीणा समुदाय को लामबंद करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रखा है। किंतु, बीजेपी सवर्ण वोटों के भीतरघात, मीणाओं के वोटों में आरक्षण वर्गीकरण को लेकर डॉ किरोड़ी के बयान, और एससी-एसटी वोटों में सामंजस्यपूर्ण माहोल के कारण जगमोहन की राह मुश्किल लग रही है। कांग्रेस में बढ़त बनाये हुए हैं। 

झुंझुनूं विधानसभा सीट

कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन चुके हैं। झुंझुनूं सीट हाल ही में बृजेन्द्र ओला के सांसद बनाने से खाली हो गई थी। कांग्रेस को यहाँ काफी बढ़त है। पर, झुंझुनूं में विधानसभा सीट के उपचुनाव को लेकर सियासी पारा बढ़ा हुआ है।

इस सीट पर उपचुनाव (Jhunjhunu UPChunav 2024) हो रहे उपचुनाव में बीजेपी के लिए चुनाव जीतना बेहद मुश्किल माना जा रहा है। राज्य में और केंद्र में NDA की सरकार होने का बीजेपी को फायदा बमुश्किल ही मिल सकता है। कांग्रेस बढ़त में है।

चौरासी विधानसभा सीट

BAP विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन चुके हैं। चौरासी सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है दोनों प्रमुख पार्टियों ने इस सीट पर अपना पूरा जोर लगा दिया है। राजस्थान के आदिवासी इलाके चौरासी उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के लिए अब अपना गढ़ बचाने का चुनाव हो गया है।

BAP पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा भील प्रदेश बनाने का है तो बीजेपी का हिंदुत्व और आदिवासी कल्याण का है। वहीं, कांग्रेस अतीत के अपने परंपरागत आदिवासी वोटों के जड़ की तलाश में है। कांग्रेस के कमजोर होने की वजह से BAP मजबूत होती चली गई।

यहां आदिवासी बहुल सीट है। इधर आदिवासी वोटरों की संख्या सबसे अधिक करीब 75 फीसदी है। यहां चुनाव का सारा दारोमदार आदिवासी मतदाता पर है। बाप बढ़त में है।

 खींवसर विधानसभा सीट

RLP  विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन चुके हैं। लेकिन लेकिन विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की जगह खाली हुई सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा है। पहले से ही बीजेपी ने इस सीट पर बेनीवाल की मुश्किलें बढ़ा रखी थीं। अब कांग्रेस के इस दांव ने बेनीवाल को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है।

हनुमान बेनीवाल ने साल 2008 में खींवसर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर जोरदार जीत हासिल की थी। नागौर में राजनीति के जानकार बताते हैं कि इसी चुनाव से हनुमान बेनीवाल को यहां अपनी जीत का फॉर्मूला मिल गया था। आरएलपी बढ़त में है।

सलूंबर विधानसभा सीट

बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो चुका है। लोग क्षेत्र के विकास के लिए सत्ता के साथ रहना पसंद कर रहे हैं। वहीं क्षेत्र में पानी, सड़क और आदिवासियों के लिए जल, जंगल, जमीन का मुद्दा हावी है। सलूंबर में सत्ता की चाभी किसके हाथ होगी, इसका फैसला तो आगामी 29 नवंबर के परिणामों से ही होगा।

लेकिन फिलहाल जनता की उम्मीदें और मुद्दे इस उपचुनाव को और भी अहम बना रहे हैं। कांग्रेस और बाप द्वारा साथ चुनाव न लड़कर अलग-अलग प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में खड़ा करना, दोनों ही पार्टियों के वोटों पर प्रभाव डालेगा। वहीं बीजेपी के परंपरागत वोटों में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा। 13 नवंबर मतदान के साथ ही सलूंबर की जनता इसका फैसला करेगी। बीजेपी बढ़त में है।  

रामगढ़ विधानसभा सीट

कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो चुका है। हरियाणा से सटी रामगढ़ सीट पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। यहां आतंरिक तौर पर ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे से धार्मिक गोलबंदी का प्रयास किया जा रहा है। किंतु, इसका फायदा भाजपा को मिलता नजर नहीं आ रहा है।

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रामगढ़ उपचुनाव को लेकर 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इसी बीच यहाँ से चुनाव लड़ रहीं आजाद समाज पार्टी की उम्मीदवार सुमन मजोका ने भरे मंच से बीजेपी कंडिडेट को अपना समर्थन दे दिया है। इससे दलित मतदाताओं में रोष व्याप्त है और इसका फ़ायदा कांग्रेस को मिल सकता है। कांग्रेस बढ़त में है।

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नरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्न

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 05 जनवरी 2025 | जयपुर : नरेश मीणा प्रकरण में 39 लोग की ज़मानत मंजूर होने के  बाद सभी आरोपी जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में जश्न मनाया गया। समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत हो गयी है। इससे नरेश मीणा के समर्थकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है।

नरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्न 

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने समरावता कांड के 39 आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है। 38 आरोपियों को मिली ज़मानत के बाद नरेश मीणा की रिहाई का भी रास्ता खुलेगा।

नरेश मीणा के कार्यकर्ताओं के जेल से बाहर आने पर समरावता गाँव में मनाया जश्न

टोंक के समरावता हिंसा मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से आज हाई कोर्ट ने 39 आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने आरोपियों की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि किसी पर भी स्पेसिफिक एलीगेशन (विशिष्ट आरोप) नहीं है। राजस्थान की देवली-उनियारा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा (Naresh Meena) के साथ 56 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

प्रवीर भटनागर की बैंच ने दी जमानत

बता दें, इस कांड के आरोपियों की एडवोकेट महेंद्र शांडिल्य, राजेंद्र सिंह तंवर, डॉ. महेश शर्मा और कपिल गुप्ता की ओर से पैरवी की गई। वहीं, न्यायमूर्ति प्रवीर भटनागर ने सुनवाई के बाद आरोपियों की जमानत मंजूर की। इससे पहले 6 दिसंबर 2024 को पिछली सुनवाई के दौरान टोंक जिला न्यायालय ने 39 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी।

सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पाया कि अधिकांश आरोपियों पर समान आरोप हैं और वे लंबे समय से जेल में बंद हैं। इस आधार पर जमानत मंजूर की गई। बताया जा रहा है कि नरेश मीना समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई होगी।

इन आरोपियों को मिली जमानत

जमानत पाने वालों में ब्रह्मराज, सुरेश, लवकुश, विमल, टीकाराम, बलराम, उग्रसेन, जसराम, हेतराम, उदयसिंह, कालूराम, गुल मोहम्मद, मनोज कुमार, सुदामा, खुशीराम, रामेश्वर, आत्माराम, रामराज, योगेंद्र, नेतराम, विजेंद्र, हनुमान, दिलखुश, मनीष, कमलेश, राकेश, खुशीराम-2, देशराज, भागीरथ, आत्माराम-2, बबलेश, महावीर, रवि, खेलताराम, आत्माराम-3, खेलताराम-2, राजेश और बुद्धीराम इत्यादि शामिल हैं।

टोंक हिंसा पर SP का बड़ा बड़ा आरोप

विकास सांगवान ने बताया कि नरेश मीणा की गिरफ्तारी चुनोतीपूर्ण थी। हम पूरी तैयारी के साथ समरावाता गांव के अंदर गए थे। 13 तारीख को ही नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया था, लेकिन उनके समर्थकों ने पुलिस गाड़ी में आग लगा दी और उन्हें पुलिस हिरासत से छुड़वा कर भगा दिया। जिस समय गाड़ी में आग लगाई, पुलिस टीम गाड़ी के अंदर मौजूद थी। घटना में कुछ पुलिस कर्मी घायल भी हुए हैं।

जबकि गाँव वालों का कहना है कि साधा वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों पर वर्दीधारी पुलिस कर्मियों ने ही बेरहमी से लाठी चार्ज किया था। इसके व्यापक सबूत गाँव के ही सीसीटीवी फुटेज में देखें गये हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी कई वीडियोज से इसकी पुष्टि हो रही है।

पुलिस अधीक्षक के अनुसार अफवाह फैलाने के लिए सोशल मीडिया का किया इस्तेमाल

नरेश मीणा के समर्थकों ने पुलिस टीम पर पथराव करना शुरू कर दिया।  गिरफ्तारी के बाद जो हिंसा हुई वो एक प्लान की गई साजिश है। सोशल मीडिया के जरिए गलत खबर फैलाई जा रही है। खुलेआम पुलिस और प्रशासन को धमकी दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर गुमराह करने वाले लोगों पर भी पुलिस कार्रवाई कर रही है। हाइवे जाम करना भी साजिश थी, जिसके सबूत मिले है। गिरफ्तार लोगों मे ज्यादातर लोग बाहरी है।

बता दें कि नरेश मीणा के फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा था- ‘मेरे साथियों और कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस बर्बरता वाला व्यवहार करना बंद कर दें, नहीं अभी तो यह चिंगारी सिर्फ देवली उनियारा में ही उठ रही है। इसकी जिम्मेदार टोंक की कलेक्टर और भजनलाल सरकार है। अगर पुलिस ने यह बर्बरता वाला व्यवहार बंद नहीं किया, तो यह चिंगारी पुरे राजस्थान के चप्पे-चप्पे से उठने में ज्यादा समय नहीं लगेगा, जिसकी जिम्मेदार प्रशासन और सरकार होगी।’

नरेश मीणा ने पुलिस को दी थी खुली चुनौती

मामले पर नरेश मीणा के वकील ने बताया कि नरेश मीणा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। उनकी जमानत की याचिका कोर्ट में दाखिल की है जिसपर कब सुनवाई होनी है वो कोर्ट तय करेगा। लॉ एंड आर्डर का हवाला देते हुए नरेश मीणा को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश किया गया था। 

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नरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत मंजूर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 03 जनवरी 2025 | जयपुर : नरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत हो गयी है। इससे नरेश मीणा के समर्थकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है। 42 आरोपियों को मिली ज़मानत के बाद नरेश मीणा की रिहाई का भी रास्ता खुलेगा।

नरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत मंजूर

नरेश मीणा से जुड़े समरावता प्रकरण में 42 लोगों की राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर से जमानत

एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले नरेश मीणा की रिहाई को लेकर आज रविवार को टोंक के नगर फोर्ट में महापंचायत सुबह 11 से शाम चार बजे तक आयोजित की गयी थी। इस महापंचायत में उमड़े जनसैलाब से स्थानीय पुलिस-प्रशासन के हाथ-पैर फूल गये थे।

जैसा कि टोंक जिले के नगरफोर्ट में आज नरेश मीणा (Naresh Meena) की रिहाई की मांग को लेकर महापंचायत का आयोजन किया गया था। समर्थकों का दावा है कि इस सभा में तीन लाख से अधिक लोग शामिल हुए। पुलिस प्रशासन द्वारा रास्ते में लोगों को रोकने के बावजूद लाखों लोग इकठ्ठे हुए थे।

सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी दावा किया था कि महापंचायत में सर्व समाज के कई लाख लोग शामिल हुए हैं। महापंचायत में एक नरेश मीणा की रिहाई और थप्पड़ कांड के बाद लोगों पर हुई कार्रवाई समेत आगे की रणनीति पर चर्चा की जायेगी। उपखंड अधिकारी द्वारा महापंचायत की सशर्त स्वीकृति दी गईथी।  

राजस्थान में सियासी हलचल के बीच आज एक बड़ा फैसला आना है। टोंक जिले के समरावता में विधानसभा उपचुनाव के दिन हुए पथराव और उपद्रव के मामले में गिरफ्तार 42 लोगों की जमानत पर कोर्ट का फैसला आज राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच से आया है।

टोंक के समरावता हिंसा मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से आज हाई कोर्ट ने 40 आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने आरोपियों की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि किसी पर भी स्पेसिफिक एलीगेशन (विशिष्ट आरोप) नहीं है।

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि करीब 400-500 लोगों ने समरावता में हिंसा की है। वहीं मौके पर मौजूद कॉन्स्टेबल को घास में डालकर जलाने की कोशिश की हैं। लेकिन किसी भी आरोपी को लेकर स्पेसिफिक एलिगेशन नहीं लगाए गए हैं।

दरअसल, 13 नवम्बर को टोंक के समारवता में उप चुनाव के दौरान आगजनी की घटना हुई थी। घटना के बाद 14 नवम्बर को पुलिस ने नगरफोर्ट थाने में आगजनी, हत्या का प्रयास सहित अन्य धाराओं में 81 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 6 दिसम्बर को इन सभी आरोपियों की जमानत टोंक डीजे ने खारिज कर दी थी।

इसलिए हुआ था विवाद

दरअसल, देवली-उनियारा विधानसभा के समरावता (टोंक) गांव में उपचुनाव में वोटिंग का बहिष्कार किया गया था। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरने पर थे। इसी दौरान नरेश मीणा ने अधिकारियों पर जबरन मतदान करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने पोलिंग बूथ में घुसने की कोशिश की तो SDM अमित चौधरी ने उन्हें रोका। इसके बाद नरेश ने तैश में आकर उन्हें थप्पड़ मार दिया।

इसके बाद ग्रामीणों ने वोटिंग का टाइम खत्म होने के बाद पोलिंग पार्टियों को भी रोकने की कोशिश की। गुस्साए लोगों ने SP विकास सांगवान की गाड़ी भी तोड़ दी। इस बीच पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया। मीणा के समर्थकों को जैसे ही इसकी जानकारी मिली, वे और भड़क गए।

सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण ने पुलिस जवानों को घेर लिया और मीणा को छुड़ाकर ले गए। पुलिस के लाठीचार्ज करने पर नरेश मीणा के समर्थक भड़क गए और पथराव-आगजनी कर दी। बवाल में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इनमें 10 पुलिसवाले भी शामिल हैं। वहीं, गुरुवार सुबह करीब 9.30 बजे नरेश मीणा अचानक समरावता गांव पहुंचे और पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाए थे। इसके बाद नरेश मीणा को गिरफ्तार किया गया था।

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