मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 11 नवंबर 2024 | जयपुर : राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के मतदान में मात्र दो दिन बचे हैं। इस सीट की हार-जीत को लेकर सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों की राजनीतिक बिसात बिछ गई है।
मीणा-गुर्जर दंगल के खलनायक बने नरेश मीणा
इसका मुख्य कारण इस सीट पर दोनों ही जातियों के बड़ी संख्या में वोटर का होना है। देवली उनियारा विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 3 लाख 3 हजार है। इनमें 1 लाख 54 हजार 832 पुरुष और 1 लाख 45 हजार 145 महिला मतदाता है। राजस्थान के टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचनुाव की वजह से चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है।
दोनों ही पार्टियां जीत को लेकर जोड़, गुणा और भाग के समीकरणों में लगी हुई हैं। इधर, बीजेपी के लिए इस सीट पर लगातार दो बार हार का मुंह देखने के बाद तीसरी बार अपनी लाज बचाना बड़ी चुनौती हो गई है। वहीं, कांग्रेस के लिए तीसरी बार जीत हासिल कर हैट्रिक बनाने का मौका है। इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है।
सबसे बड़ा सवाल क्या कांग्रेस तीसरी हैट्रिक या बीजेपी मारेगी बाज़ी?
देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र मीणा और गुर्जर जाति का बाहुल्य वर्ग है। पिछले दो बार से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को हार का स्वाद चखा कर जीत हासिल की है। हरीश मीणा लगातार दो बार इस सीट पर जीत हासिल कर अपना लोहा मनवा चुके हैं। हाल ही में लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें सांसद का चुनाव लड़वाया। इसमें मीणा टोंक सीट से सांसद चुने गए। इसके चलते विधानसभा सीट खाली हुई और अब 13 नवंबर को मतदान है।
देवली उनियारा विधानसभा सीट
यहाँ से कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं। केसी मीणा कांग्रेस, और राजेंद्र गुर्जर बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा है जो बाहरी कैंडिडेट है, जिन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की भरपूर कोशिश की है।
किंतु, लोकल उम्मीदवार की हवा में वे पिछड़ते नजर आ रहे हैं। आख़िरकार लोकल मुद्दा हावी रहा है और अब मुख्य मुकाबला केसी मीणा और राजेंद्र गुर्जर के बीच ही है। नरेश मीणा केवल केसी मीणा की जीत के अंतर को कम कर सकते हैं, वे मुकाबले से बाहर हो चुके हैं।
जातिगत समीकरणों की दृष्टि से एससी, एसटी, ओबीसी (जाट) और अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। वहीं, गुर्जर मतदाताओं के अलावा हिंदुत्व के नाम पर सवर्ण और कुछ ओबीसी जातियों के वोट बीजेपी को मिल सकते हैं। पर मुख्यमंत्री भजनलाल की देवली में हुई फ्लॉप सभा के बाद इसकी भी उम्मीद कम है। केसी मीणा बढ़त में लग रहे हैं।
तीसरी बार लाज बचाना बीजेपी के लिए चुनौती
दो बार लगातार हार का सामना करने के बाद अब बीजेपी के लिए कांग्रेस की हैट्रिक को तोड़ना और अपनी लाज बचाना बड़ी चुनौती बन गई है। हालांकि बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बीजेपी पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को टिकट दिया है।
गुर्जर का पिछले साल हुए चुनाव में टिकट काट दिया था। उनके स्थान पर गुर्जर नेता विजय बैंसला का दिया था, लेकिन हरीश मीणा ने पटखनी दे दी थी। राजेंद्र गुर्जर वर्ष 2013 से 2018 के देवली उनियारा विधायक रह चुके हैं, उन्हें 2018 में एक बार फिर टिकट दिया गया, लेकिन उस समय बीजेपी छोड़कर आए कांग्रेस के हरिश मीणा ने हरा दिया। अब पार्टी ने उपचुनाव में गुर्जर को फिर से मौका दिया है।
‘मीणा-गुर्जर’ ही लिखते हैं उम्मीदवारों का भाग्य
देवली उनियारा विधानसभा सीट पर अब तक के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें, तो यहां जीत की चाभी M यानी मीणा और G यानी गुर्जर समाज के हाथ में होती है। मीणा और गुर्जर वोटर्स ही उम्मीदवारों की तकदीर लिखते आये हैं।
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इस सीट पर मीणा और गुर्जर वोटर्स का दबदबा है। इसके चलते यहां करीब 71 हजार मीणा और 52 हजार के आसपास गुर्जर मतदाता है, जबकि माली 19 हजार, राजपूत 20 हजार, ब्राह्मण 22 हजार, वैश्य 22 हजार, जात 20 हजार, अल्पसंख्यक 30 हजार और एससी 45 हजार मतदाता है। इस सीट गुर्जर और मीणा मतदाता ही उम्मीदवार का भाग्य तय करते हैं।