क्वाड शिखर सम्मेलन : पीएम मोदी चीन का नाम लेने से भी क्यों डरते हैं

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 22 सितंबर 2024 | जयपुर :  क्वाड शिखर सम्मेलन में सभी चार देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के राष्ट्राध्यक्ष ने एक संयुक्त बयान जारी किया। जिसमें सभी नेताओं ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद पर चिंता जाहिर की है। इसके अलावा क्वाड नेताओं ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर अपनी राय रखी है।

क्वाड शिखर सम्मेलन : पीएम मोदी चीन का नाम लेने से भी क्यों डरते हैं

पीएम मोदी के स्टेटमेंट में चीन शब्द का जिक्र तक नहीं है। जबकि सभी देशों ने खुलकर चीन का नाम लिया है, भारत के अपने ऑफिसियल स्टेटमेंट के प्रेस नोट तक से चीन का नाम गायब है।   आखिरकार ऐसा क्या है कि पीएम मोदी चीन का नाम लेने से भी क्यों डरते हैं।

क्वाड शिखर सम्मेलन 2024

डेलावेयर में क्वाड नेताओं के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 सितंबर, 2024 को विलमिंगटन, डेलावेयर में क्वाड नेताओं के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन अमरीका के राष्ट्रपति महामहिम श्री जोसेफ आर. बाइडेन ने किया था। शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री महामहिम श्री एंथनी अल्बानीज़ और जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री फुमियो किशिदा भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने और वैश्विक कल्याण के लिए क्वाड को एक संगठन के रूप में सशक्त बनाने की राष्ट्रपति बाइडेन की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के लिए उनको धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय दुनिया तनाव एवं संघर्ष से ग्रस्त है और ऐसी विषम परिस्थितियों में साझा लोकतांत्रिक विचारों तथा मूल्यों के साथ क्वाड भागीदार देशों का एक साथ एक मंच पर आना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।

श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि क्वाड संगठन कानून के शासन, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान एवं विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है।

उन्होंने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी और समृद्ध बनाना क्वाड देशों का साझा उद्देश्य है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि क्वाड यहां बने रहने, सहायता पहुंचाने, साझेदारी करने और हिंद-प्रशांत देशों के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए है।

संगठन के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि क्वाड “वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत” के रूप में उभर कर सामने आया है। इस संबंध में हिंद-प्रशांत क्षेत्र और समग्र रूप से वैश्विक समुदाय की विकास प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए निम्नलिखित घोषणाएं की गयी हैं:

  1. “क्वाड कैंसर मूनशॉट”, सर्वाइकल कैंसर से लड़कर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जीवन बचाने के लिए एक अभूतपूर्व साझेदारी।
  2. “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए समुद्री पहल” (मैत्री) का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र भागीदार देशों को आईपीएमडीए और अन्य क्वाड गतिविधियों के माध्यम से प्रदान किए गए उपकरणों का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाना है।
  3. पहली बार अंतर-संचालन सहभागिता क्षमता में सुधार और समुद्री सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए 2025 में “क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन”।
  4. “भविष्य की साझेदारी हेतु क्वाड बंदरगाह”, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में टिकाऊ और लचीले पत्तन बुनियादी ढांचे के विकास का सहयोग करने के लिए क्वाड की सामूहिक विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।
  5. हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उसके बाहर “डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विकास एवं विस्तार के लिए क्वाड सिद्धांत”।
  6. क्वाड की सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन बढ़ाने के लिए “सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला आकस्मिकता नेटवर्क सहयोग ज्ञापन”।
  7. हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उच्च दक्षता वाली किफायती शीतलन प्रणालियों की तैनाती और विनिर्माण सहित ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से क्वाड के सामूहिक प्रयास।
  8. भारत द्वारा मॉरीशस के लिए अंतरिक्ष आधारित वेब पोर्टल की स्थापना, ताकि मौसम की चरम स्थितियों में होने वाली घटनाओं और जलवायु प्रभाव की अंतरिक्ष आधारित निगरानी के उद्देश्य से मुक्त विज्ञान की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा सके।
  9. भारत ने क्वाड एसटीईएम फेलोशिप के तहत एक नई उप-श्रेणी की घोषणा भी की है, जिसके तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के विद्यार्थियों को भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थान में 4 वर्षीय स्नातक स्तर के इंजीनियरिंग कार्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा।

पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर रखी अपनी बात

पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर रखी अपनी बात पूर्वी और दक्षिण चीन सागर का जिक्र करते हुए क्वाड नेताओं ने कहा, ‘हम पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। हम विवादित विशेषताओं के सैन्यीकरण और दक्षिण चीन सागर में बलपूर्वक और डराने-धमकाने वाले युद्धाभ्यासों के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना जारी रखते हैं। हम खतरनाक युद्धाभ्यासों के बढ़ते उपयोग सहित तट रक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के खतरनाक उपयोग की निंदा करते हैं। हम अन्य देशों की अपतटीय संसाधन दोहन गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों का भी विरोध करते हैं। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्वक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए, जैसा कि UNCLOS में परिलक्षित होता है।’

यूक्रेन युद्ध पर की चर्चा

यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर भी क्वाड नेताओं ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं, जिसमें भयानक और दुखद मानवीय परिणाम शामिल हैं। हम में से प्रत्येक ने युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन का दौरा किया है, और इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा है। हम अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को दोहराते हैं, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप है।”

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संगठन के नेताओं ने वर्ष 2025 में भारत द्वारा क्वाड नेताओं के अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी का स्वागत किया है। बैठक के दौरान क्वाड एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए क्वाड विलमिंगटन घोषणा-पत्र को अपनाया गया।

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जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 फरबरी 2025 | जयपुर : जयपुर में एक और कॉलेज गर्ल ने सुसाइड किया है। करीब दस दिन पहले मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) कैंपस में एक छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर जान दे दी थी। अब राजस्थान विश्वविद्यालय के कैंपस में बने माही छात्रावास में रहने वाली एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

गांधी नगर पुलिस को शनिवार शाम को घटना की जानकारी मिली। पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि हॉस्टल के पहली मंजिल पर बने कमरे में छात्रा फंदे से लटक रही थी। छात्रा को उतार कर अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जयपुर में MNIT और महारानी कॉलेज की दो दलित छात्राओं ने की आत्महत्या

जयपुर स्थित राजस्थान विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने शनिवार को हॉस्टल में सुसाइड कर लिया। छात्रा का शव हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला। छात्रा फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। छात्रा के आत्महत्या की खबर सामने आते ही पूरे कैंपस में सनसनी फैल गई। तुरंत स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू की। मिली जानकारी के अनुसार सुसाइड की यह घटना राजस्थान यूनिवर्सिटी के माही हॉस्टल में हुई।

माही हॉस्टल में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट ने की सुसाइड

माही छात्रावास राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्राओं के लिए आवंटित है। यहां शनिवार को दोपहर बाद एक छात्रा के आत्महत्या की जानकारी सामने आई। सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान महारानी कॉलेज के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट के रूप में हुई है। छात्रा ने अपने कमरे में पंखे से कपड़े का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

सुसाइड के कारणों की नहीं मिली जानकारी

पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। इधर छात्रा की खुदकुशी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। छात्रा ने सुसाइड क्यों किया, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। मालूम हो कि बीते दिनों माही हॉस्टल में वॉर्डन के व्यवहार सहित अन्य मुद्दों पर छात्राओं ने प्रदर्शन भी किया था।

महारानी कॉलेज में पढ़ाई करती थी छात्रा

माही हॉस्टल में सुसाइड करने वाली छात्रा की पहचान सारिका बुनकर के रूप में हुई है। सारिका महारानी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। सारिका मूल रूप से दिल्ली रोड स्थित मनोहरपुर की रहने वाली थी। बताया जाता है कि छात्रा ने सुसाइड से पहले परिवार को फोन भी किया था।

युवती का मोबाइल लॉक, परिजनों की दी गई सूचना

घटना के बारे में गांधी नगर थानाधिकारी आशुतोष ने बताया- सुसाइड की घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे। परिवार को घटना की जानकारी दी है. युवती का मोबाइल लॉक है। परिवार के आने के बाद अन्य चीजों पर काम किया जायेगा। हॉस्टल में सारिका के साथ रहने और पढ़ने वाली छात्राओं से भी पूछताछ की जा रही है।

कमरे से नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

बताया गया कि शाम करीब 4 बजे सारिका के कमरे का गेट नहीं खोलने पर दूसरी छात्राओं ने वॉर्डन को जानकारी दी। इस पर वॉर्डन ममता जैन गार्ड को लेकर कमरे में पहुंची और गेट तोड़कर अंदर गए तो सारिका फंदे से लटकी मिली। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. मामले की जांच जारी है।

राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्राओं का धरना-प्रदर्शन जारी है. गुरुवार रात भी छात्राएं कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करती नजर आई। अब छात्राओं का यह प्रदर्शन और तेज हो सकता है, क्योंकि गुरुवार रात NSUI के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने आंदोलनरत छात्राओं से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद विनोद जाखड़ ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाये। साथ ही कहा कि विवि प्रशासन का रवैया तानाशाही है।

दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय के माही गर्ल्स हॉस्टल में नई वार्डन की नियुक्ति के मुद्दे पर छात्राएं कड़ाके की सर्दी में कुलपति सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि यह नियुक्ति उनके हितों और भावनाओं के खिलाफ है।

पाली की लड़की ने किया था सुसाइड

दस दिन पहले जवाहर लाल नेहरू मार्ग स्थित एमएनआईटी में पढ़ने वाली छात्रा ने हॉस्टल की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला। उसमें लिखा था कि ‘गलती मेरी ही है। मैं ही इस दुनिया में नहीं जी सकती। सबसे ज्यादा खुश मैं या तो बचपन में या नींद में थी।’ मृतक छात्रा 21 वर्षीय दिव्या राज मेघवाल थी जो कि पाली जिले की रहने वाली थी। वह एमएनआईटी में बीआर्क (आर्किटेक्चर) फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी।

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‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जनवरी 2025 | जयपुर : अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने शुक्रवार से इजराइल, मिस्र और फूड प्रोग्राम को छोड़कर विदेशी देशों को मिलने वाली सभी मदद पर रोक लगा दी है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस आदेश में गरीब देशों को मिलने वाले स्वास्थ्य मदद पर भी रोक लगा दी गई है।

‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों और दूतावासों को इस संबंध में नोटिस भेजा है। लीक हुआ यह नोटिस ट्रम्प के शपथ ग्रहण के बाद जारी कए गए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के बाद आया है। इसमें विदेश नीति की समीक्षा करने तक 90 दिनों के लिए विदेश में दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता पर रोक लगा दी गई है।

‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी ट्रम्प ने दुनियाभर में विदेशी मदद पर लगायी रोक

वित्तपोषण पर रोक के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग इस बात की समीक्षा करेगा कि कौन सी अमेरिकी सहायता और विकास कार्यक्रमों को जारी रखा जा सकता। इस आदेश से मानवीय सहायता से जुड़े अधिकारियों को काफी निराशा हुई, क्योंकि अमेरिका के इस फैसले से दुनियाभर में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की नई फंडिंग पर भी रोक लग गई है।

अमेरिका सरकार के इस आदेश के बाद दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, रोजगार जुड़े कई प्रोजेक्ट्स के बंद होने का खतरा बढ़ गया है। दरअसल, अमेरिका इन सभी विदेशी प्रोजेक्ट्स के लिए सबसे ज्यादा फंड्स मुहैया कराता है।

डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी के तहत सभी विदेशी मदद पर रोक लगा दी है। हालांकि इजराइल-मिस्र को सैन्य सहायता और फूड प्रोग्राम को मदद मिलती रहेगी। इस आदेश के बाद दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स बंद हो सकते हैं। दरअसल, अमेरिका इन विदेशी प्रोजेक्ट्स के लिए सबसे ज्यादा फंड्स मुहैया कराता है। फैसले का सबसे ज्यादा असर यूक्रेन पर पड़ेगा, जिसे बाइडेन सरकार ने अरबों डॉलर की मदद दी थी।

इजराइल और मिस्र को छूट क्यों मिली

इजराइल और मिस्र दोनों ही देश अमेरिका के लिए काफी रणनीतिक महत्व रखते हैं। इजराइल को अमेरिकी हथियारों की बड़ी सप्लाई मिलती रही है, जो गाजा युद्ध के बाद और बढ़ गई है। वहीं, मिस्र को 1979 में इजराइल के साथ पीस एग्रीमेंट के बाद से मिलिट्री फंडिंग मिलती रही है। अमेरिका फूड प्रोग्राम के तहत सूडान और सीरिया में भी मदद भेजता है।

यूक्रेन पर सबसे ज्यादा असर

माना जा रहा है कि ट्रम्प सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर यूक्रेन पर पड़ सकता है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में यूक्रेन को रूस से मुकाबला करने के लिए अरबों डॉलर की सैन्य मदद मिली थी। यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के एक अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि यूक्रेन में सभी अधिकारियों को काम बंद करने को कहा गया है।

अधिकारी ने कहा कि जिन प्रोजेक्ट्स को रोका गया है उनमें स्कूलों को सहायता, आपातकालीन मातृ देखभाल और बच्चों के टीकाकरण जैसे स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम भी शामिल हैं। अमेरिका ने साल 2023 में यूक्रेन को 17.2 बिलियन डॉलर (1.4 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा की मदद की थी।

विदेश विभाग समीक्षा के बाद लेगा वित्तपोषण जारी रखने का फैसला

वित्तपोषण पर रोक के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग इस बात की समीक्षा करेगा कि कौन सी अमेरिकी सहायता और विकास कार्यक्रमों को जारी रखा जा सकता। इस आदेश से मानवीय सहायता से जुड़े अधिकारियों को काफी निराशा हुई, क्योंकि अमेरिका के इस फैसले से दुनियाभर में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की नई फंडिंग पर भी रोक लग गई है।

दूतावासों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि फंडिंग रोकने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फंडिंग प्रभावी हो और राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति के अनुरूप हो। तीन महीने के भीतर विदेश विभाग की समीक्षा पूरी होने की उम्मीद है और इसके बाद राष्ट्रपति से सिफारिशें करने के लिए कि कौन सी विदेशी सहायता जारी रखी जाए और कौन सी बंद कर दी जाएं, इस संबंध में विदेश विभाग एक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे विदेश मंत्री मार्को रूबियो, राष्ट्रपति ट्रंप के सामने पेश करेंगे। 

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