सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगे

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 12 नवंबर 2024 | दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई ओरली (मौखिक) नहीं करा सकेंगे। नए CJI संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि वकीलों से इसके लिए ईमेल या रिटन लेटर भेजा होगा। दरअसल, CJI ने ज्यूडिशियल रिफोर्म के लिए सिटिजन सेंट्रिक एजेंडे की रूपरेखा तैयार की है।

सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगे

CJI खन्ना ने कहा- तत्काल सुनवाई के लिए अब तक वकील सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच के सामने मौखिक अपील कर रहे हैं, यह अब नहीं होगा। वकीलों को ईमेल भेजकर या पत्र देकर यह बताना होगा कि केस की अर्जेंट लिस्टिंग और हियरिंग क्यों जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट में वकील अब किसी मामले की तत्काल लिस्टिंग और सुनवाई मौखिक नहीं करा सकेंगे

जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर को देश के 51वें चीफ जस्टिस की शपथ ली थी। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई थी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर्ड हो चुके हैं।

6 महीने का होगा जस्टिस खन्ना का कार्यकाल

जस्टिस खन्ना का सीजेआई के रूप में कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं।

जस्टिस संजीव के चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट में जज थे। हालांकि, इंदिरा सरकार के इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्हें सीनियर होने के बावजूद चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया। उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को CJI बना दिया गया। जस्टिस हंसराज ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट जज से इस्तीफा दे दिया था।

शपथग्रहण समारोह की तस्वीरें…

भारत के मुख्य न्यायाधीश का शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन में हुआ।

भारत के मुख्य न्यायाधीश का शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन में हुआ।

समारोह में पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली CM आतिशी भी मौजूद रहीं।

समारोह में पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली CM आतिशी भी मौजूद रहीं।

शपथ ग्रहण के बाद निवर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़, CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति ने फोटो सेशन करवाया।

शपथ ग्रहण के बाद निवर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़, CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति ने फोटो सेशन करवाया।

पिता दिल्ली हाईकोर्ट, चाचा सुप्रीम कोर्ट के जज थे

संजीव खन्ना की विरासत वकालत की रही है। उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं। वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे। उन्होंने इंदिरा सरकार के इमरजेंसी लगाने का विरोध किया था। साथ ही राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी। जस्टिस हंसराज खन्ना 1971 से 1977 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे।

1977 में वरिष्ठता के आधार पर उनका चीफ जस्टिस बनना तय माना जा रहा था, लेकिन जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया गया। इसके विरोध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। इंदिरा की सरकार गिरने के बाद वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में 3 दिन के लिए कानून मंत्री भी बने थे।

जस्टिस संजीव ने चाचा से प्रभावित होकर वकालत को कॅरियर चुना

जस्टिस संजीव अपने चाचा से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई की। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की। फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए स्टैंडिंग काउंसल भी रहे। स्टैंडिंग काउंसल का आम भाषा में अर्थ सरकारी वकील होता है।

2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने। जहां उन्होंने 13 साल तक पद संभाला। 2019 में जस्टिस खन्ना को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया। हालांकि, उनका यह प्रमोशन भी विवादों में रहा था।

दरअसल, 2019 में जब CJI रंजन गोगोई ने उनके नाम की सिफारिश की, तब सीनियॉरिटी में जस्टिस खन्ना 33वें नंबर पर थे। जस्टिस गोगोई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के लिए ज्यादा काबिल बताते हुए प्रमोट किया।

उनकी इस नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी थी। जस्टिस कैलाश ने लिखा था- 32 जजों की अनदेखी करना ऐतिहासिक भूल होगी। इस विरोध के बावजूद राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के बतौर अपॉइंट किया। 18 जनवरी 2019 को संजीव ने पद ग्रहण कर लिया।

आर्टिकल-370, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे जस्टिस खन्ना के बड़े फैसले

सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 साल के करियर में जस्टिस खन्ना 450 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने खुद 115 फैसले लिखे। इसी साल जुलाई में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी। 8 नवंबर को AMU से जुड़े फैसले में जस्टिस खन्ना ने यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी स्टेटस दिए जाने का समर्थन किया है।

सेम सेक्स मैरिज केस से खुद काे अलग किया

जस्टिस खन्ना ने सेम सेक्स मैरिज केस से जुड़ी याचिका की सुनवाई से खुद को दूर रखा था। उन्होंने इसके पीछे व्यक्तिगत कारण बताया था। जुलाई 2024 में समलैंगिक विवाह के मामले पर रिव्यू पिटीशन की सुनवाई के किए 4 जजों की बेंच बनाई गई थी, जस्टिस खन्ना भी इसमें शामिल थे।

सुनवाई से पहले जस्टिस खन्ना ने कहा कि उन्हें इस मामले से छूट दी जाए। कानूनी भाषा में इसे खुद को केस से अलग करना कहते हैं। जस्टिस खन्ना के अलग होने के चलते सुनवाई अगली बेंच के गठन तक टालनी पड़ी।

सुप्रीम कोर्ट का CJI बनने के लिए कॉलेजियम की व्यवस्था

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनने के लिए एक तय प्रक्रिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम कहते हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज शामिल होते हैं। केंद्र इसकी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए नए CJI और अन्य जजों की नियुक्ति करता है।

परंपरा के तहत सुप्रीम कोर्ट में अनुभव के आधार पर सबसे सीनियर जज ही चीफ जस्टिस बनते हैं। यह प्रक्रिया एक ज्ञापन के तहत होती है, जिसे MoP यानी ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर फॉर द अपॉइंटमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट जजेज’ कहते हैं।

साल 1999 में पहली बार MoP तैयार हुआ। यही डॉक्यूमेंट, जजों के अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दायित्व तय करता है। MoP और कॉलेजियम के सिस्टम को लेकर संविधान में कोई अनिवार्यता या कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन इसी के तहत जजों की नियुक्ति होती आ रही है। हालांकि 1999 में MoP तैयार होने के पहले से ही CJI के बाद सबसे सीनियर जज को पदोन्नत कर CJI बनाने की परंपरा है।

साल 2015 में संविधान में एक संशोधन करके राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) बनाया गया था, यह जजों की नियुक्ति में केंद्र की भूमिका बढ़ाने वाला काम था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया। इसके बाद MoP पर बातचीत जारी रही। बीते साल भी केंद्र सरकार ने कहा है कि अभी MoP को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।

सबसे सीनियर जज को CJI बनाने की परंपरा अब तक दो बार टूटी

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दो मौकों पर परंपरा के खिलाफ जाकर बतौर CJI, सबसे सीनियर जज के बजाय दूसरे जजों की नियुक्ति की। 1973 में इंदिरा ने जस्टिस एएन रे को CJI बनाया, जबकि उनसे भी सीनियर तीन जज- जेएम शेलत, केएस हेगड़े और एएन ग्रोवर को दरकिनार किया गया।

जस्टिस रे को इंदिरा सरकार की पसंद का जज माना जाता था। केशवानंद भारती मामले में आदेश आने के एक दिन बाद ही जस्टिस रे को CJI बना दिया गया था। 13 जजों की बेंच ने 7:6 के बहुमत से यह फैसला सुनाया था, जस्टिस रे अल्पमत वाले जजों में शामिल थे। जनवरी 1977 में इंदिरा ने एक बार फिर परंपरा तोड़ी। उन्होंने सबसे सीनियर जज जस्टिस हंसराज खन्ना की जगह जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया था।

छोटे कार्यकाल में 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस खन्ना

पूर्व CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल करीब 2 साल का रहा है। इसकी तुलना में CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल छोटा होगा। जस्टिस खन्ना बतौर चीफ जस्टिस सिर्फ 6 महीने पद पर रहेंगे। 13 मई 2025 को उन्हें रिटायर होना है।

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इस कार्यकाल में जस्टिस खन्ना को मैरिटल रेप केस, इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की अपॉइंटमेंट की प्रोसेस, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता, सबरीमाला केस के रिव्यू, राजद्रोह (sedition) की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई करनी है।

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भारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 जनवरी 2025 | जयपुर : कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद भारतीय मूल की सांसद अनीता आनंद का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्ताधारी लिबरल पार्टी इस साल होने वाले संसदीय चुनाव से पहले नया प्रधानमंत्री चुन सकती है। बुधवार यानी आज पार्टी के नेशनल कॉकस की बैठक भी होने वाली है।

भारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे

माना जा रहा है कि पार्टी में अनीता के नाम पर सहमति बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो वो कनाडा में प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला होंगी। फिलहाल जब तक कोई नया नेता नहीं चुन लिया जाता, तब तक ट्रूडो पद पर बने रहेंगे।

भारतवंशी अनीता आनंद कनाडा के प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार (6 जनवरी, 2025) को इस्तीफ़ा देने का ऐलान कर दिया है। ट्रूडो ने कहा कि वह आगामी आम चुनावों में लिबरल पार्टी का चेहरा बनने के लिए पसंदीदा उम्मीदवार नहीं हैं। लिबरल पार्टी से प्रधानमंत्री पद के लिए नए नेता का चयन होने के बाद जस्टिन ट्रूडो अपना इस्तीफ़ा दे देंगे।

ट्रूडो के इस इस्तीफे की पटकथा बीते लगभग एक वर्ष से लिखी जा रही थी। इस खबर के बाद अब लिबरल पार्टी के नेताओं में पीएम पद की दौड़ शुरू हो गई है। इस दौड़ में एक भारतवंशी अनीता आनंद भी शामिल हैं।

अनीता आनंद लिबरल पार्टी की सीनियर मेंबर हैं। वह 2019 से कनाडाई संसद की सदस्य भी हैं। उन्होंने ट्रूडो सरकार में कई प्रमुख विभागों को संभाला है, जिसमें पब्लिक सर्विस और खरीद मिनिस्ट्री, नेशनल डिफेंस मिनिस्ट्री और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी शामिल है। वह 2024 से ट्रांसपोर्ट और इंटरनल ट्रेड मिनिस्टर हैं।

पार्टी नेताओं की तरफ से लगातार बढ़ते दबाव के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी को पार्टी लीडर और PM दोनों पद से इस्तीफा दे दिया था। वे सितंबर 2021 में तीसरी बार पीएम बने थे। उनकी सरकार का कार्यकाल अक्टूबर 2025 तक था।

अनीता आनंद 2019 में ओकविल से चुनाव जीतकर सांसद बनीं थीं। पब्लिक सर्विस मिनिस्टर के तौर पर उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अनीता पीएम बनीं तो इस पद पर पहुंचने वाली देश की दूसरी महिला होंगी

  • अनीता के पिता तमिलनाडु जबकि मां पंजाब की रहने वाली थीं। हालांकि, अनीता का जन्म और पालन-पोषण कनाडा के ग्रामीण क्षेत्र नोवा स्कोटिया में हुआ था।
  • उन्होंने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में आर्ट्स ग्रेजुएशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में आर्ट्स ग्रेजुएशन, डलहौजी यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएशन और टोरंटो यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया।
  • 57 साल की अनीता पेशे से वकील हैं। उन्होंने 2019 में कनाडा की ओकविल सीट से पहला संसदीय चुनाव जीता था। इसी साल उन्हें सार्वजनिक सेवाओं और खरीद का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
  • अनीता कनाडा का रक्षा मंत्रालय संभालने वाली दूसरी महिला हैं। इससे पहले 1990 में किम कैंपबेल ने ये जिम्मेदारी संभाली थी।
  • अनीता टोरंटो यूनिवर्सिटी की एसोसिएट डीन भी रह चुकी हैं। उन्होंने 1995 जॉन नोल्टन से शादी की, जो एक कनाडाई वकील और बिजनेस एग्जीक्यूटिव हैं। उनके 4 बच्चे हैं।
  • अनीता आनंद लैंगिक समानता की मुखर समर्थक रही हैं। वो LGBTQIA+ अधिकारों का सपोर्ट करती हैं। उन्होंने सेक्शुअल मिसकंडक्ट से लड़ने और कनाडाई डिफेंस फोर्सेज में कल्चरल परिवर्तन लाने के लिए पहल भी की थी। ​​
  • प्रोग्रेसिव कंजर्वेटिव पार्टी की किम कैंपबेल 1993 में कनाडा की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं थीं, जिसके बाद से अब तक कोई महिला कनाडा में प्रधानमंत्री पद पर नहीं पहुंची है।

ट्रूडो की पार्टी के पास बहुमत नहीं

कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स​​​​​​ में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था। NDP खालिस्तान समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है।

गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। हालांकि कनाडा की संसद को 24 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, ऐसे में लिबरल पार्टी के पास बहुमत जुटाने और नया नेता चुनने के लिए 60 दिन से ज्यादा का वक्त है।

ट्रूडो के खिलाफ क्यों है नाराजगी

कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या 65% तक पहुंच गई है। देश में हुए कई सर्वे के मुताबिक अगर कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत मिल सकता है, क्योंकि जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है।

पिछले साल अक्टूबर में हुए इप्सोस के एक सर्वे में सिर्फ 28% कनाडाई लोगों का कहना था कि ट्रूडो को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग गिरकर 30% पर आ गई है।

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कैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जले

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 जनवरी 2025 | जयपुर : अमेरिका में कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एंजिलिस के जंगलों में लगी आग शहर तक पहुंच गई है। मंगलवार को लगी आग से अब तक 4,856 हेक्टेयर इलाका प्रभावित हुआ है। आग से करीब 1100 इमारतें पूरी तरह जल गई हैं और 28 हजार घरों को नुकसान पहुँचा है।

कैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जले

अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में लॉस एंजिल्स के नजदीक जंगलों में लगी आग ने अब भयावह रूप ले लिया है। इस आग से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही 70000 हजार लोगों को घर छोड़ना पड़ा है। इसके अलावा हजारों इमारतें इस आग की चपेट में हैं।

कैलिफोर्निया की आग में, लॉस एंजिलिस में कमला हैरिस का घर खाली कराया, हॉलीवुड स्टार्स के घर भी जले

रिपोर्ट के मुताबिक पहले यह आग पेसिफिक पैलिसेड्स, ईटन और हर्स्ट के जंगलों में लगी जिसके बाद ये रिहायशी इलाकों में फैलने लगी। जंगल में फैल रही आग से अब 5 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 50 हजार लोगों को तुरंत घर खाली करने को कहा गया है। वहीं करीब 3 लाख लोगों को सुरक्षित जगह जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन ने शहर में इमरजेंसी घोषित कर दी है।

कैलिफोर्निया के पॉश इलाके पैलिसेडेस में हॉलीवुड स्टार्स के बंगले बने हुए हैं। आग से कई बंगले जल गए हैं।

कैलिफोर्निया के पॉश इलाके पैलिसेडेस में हॉलीवुड स्टार्स के बंगले बने हुए हैं। आग से कई बंगले जल गए हैं।

लॉस एंजिलिस में आग से कई कम्युनिटी सेंटर्स और धर्मस्थल पूरी तरह जल चुके हैं।

लॉस एंजिलिस में आग से कई कम्युनिटी सेंटर्स और धर्मस्थल पूरी तरह जल चुके हैं। आग से लॉस एंजिलिस शहर के पॉश इलाके पैलिसेडेस में कई हॉलीवुड स्टार्स के बंगले जल गए हैं। मार्क हैमिल, पेरिस हिल्टन, जेमी ली कर्टिस, मैंडी मूर, मारिया श्राइवर, एश्टन कुचर , जेम्स वुड्स और लीटन मेस्टर समेत कई हॉलीवुड स्टार्स के घर आग की चपेट में आ गए। कई सेलिब्रिटीज को घर छोड़कर जाना पड़ा है।

आग की वजह से लॉस एंजिसिल के ब्रेटनवुड इलाके में बने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के घर को भी खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। लॉस एंजिलिस अमेरिका का सबसे ज्यादा आबादी वाला काउंटी है। यहां 1 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। प्रसिद्ध हॉलीवुड इलाके के नाम पर ही यहां की फिल्म इंडस्ट्री का नाम पड़ा है।

आग और उसमें जलते लॉस एंजिलिस शहर की 5 तस्वीरें

जंगलों की आग ने सबसे पहले शहर के बाहरी इलाकों में बने घरों को चपेट में लिया। घर-गाड़ियां जलकर खाक हो गए।

जंगलों की आग ने सबसे पहले शहर के बाहरी इलाकों में बने घरों को चपेट में लिया। घर-गाड़ियां जलकर खाक हो गए।

आग इतनी तेजी से फैली कि फायर फाइटर्स के पहुंचने से पहले ही दर्जनों घर पूरी तरह जल चुके थे

आग इतनी तेजी से फैली कि फायर फाइटर्स के पहुंचने से पहले ही दर्जनों घर पूरी तरह जल चुके थे

लॉस एंजिलिस में घरों के जलने की रफ्तार इतनी तेज थी कि हर तरफ आग ही दिखाई दे रही थी।

लॉस एंजिलिस में घरों के जलने की रफ्तार इतनी तेज थी कि हर तरफ आग ही दिखाई दे रही थी।

जंगलों की लॉस एंजिलिस के हिल टॉप तक पहुंच गई। आग से रात को पहाड़ी लाल दिखाई दे रही थी।

जंगलों की लॉस एंजिलिस के हिल टॉप तक पहुंच गई। आग से रात को पहाड़ी लाल दिखाई दे रही थी।

लॉस एंजिसिल के हिल टॉप पर कई सेलिब्रिटीज के बंगले जलकर खाक हो चुके हैं। आग अभी भी जारी है।

लॉस एंजिसिल के हिल टॉप पर कई सेलिब्रिटीज के बंगले जलकर खाक हो चुके हैं। आग अभी भी जारी है।

रेस्क्यू के लिए हेलिकॉप्टर-विमान से छिड़काव

कैलिफोर्निया में हेलिकॉप्टरों और विमानों से आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तेज हवाओं और उनके दिशा बदलने की वजह से आग अलग-अलग जगहों पर फैल रही है। स्क्यू टीम हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही है। स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और अन्य सुरक्षित जगहों को इमरजेंसी शेल्टर के तौर पर तैयार किया गया है।

आग बुझाने और रेस्क्यू की 5 तस्वीरें

आग से घिर चुके घरों पर फायर फाइटर्स प्रेशर मशीन से छिड़काव कर रहे हैं, ताकि आग और न फैल सके।

आग से घिर चुके घरों पर फायर फाइटर्स प्रेशर मशीन से छिड़काव कर रहे हैं, ताकि आग और न फैल सके।

आग से हवा जहरीली हो चुकी है। फायर फाइटर्स प्रोटेक्टिव मास्क पहनकर प्रभावित इलाकों में पहुंच रहे हैं।

आग से हवा जहरीली हो चुकी है। फायर फाइटर्स प्रोटेक्टिव मास्क पहनकर प्रभावित इलाकों में पहुंच रहे हैं।

फायर फाइटर्स पिछले 24 घंटे से लगातार आग बुझाने के काम में लगे हुए हैं, लेकिन आग फैलती गई है।

फायर फाइटर्स पिछले 24 घंटे से लगातार आग बुझाने के काम में लगे हुए हैं, लेकिन आग फैलती गई है।

आग के ऊपर विमानों से फोम का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि आग आगे न फैले, हालांकि हवाओं से इसमें मुश्किल हो रही है।

आग के ऊपर विमानों से फोम का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि आग आगे न फैले, हालांकि हवाओं से इसमें मुश्किल हो रही है।

लॉस एंजिलिस शहर के हिल टॉप इलाके में रेस्क्यू का जायजा लेने पहुंचे कैलिफोर्निया के गवर्नर फैलती हुई आग को देखते रहे।

चीड़ के सूखे पेड़ों में लगी आग, शहर तक फैली

लॉस एंजिलिस शहर के हिल टॉप इलाके में रेस्क्यू का जायजा लेने पहुंचे कैलिफोर्निया के गवर्नर फैलती हुई आग को देखते रहे। कैलिफोर्निया का लॉस एंजेलिस शहर पहाड़ों के बीच बसा है। यहां चीड़ के जंगल हैं। मंगलवार को चीड़ के सूखें पेड़ जलने से आग शुरू हुई। अगले कुछ घंटे में आग ने लॉस एंजिल्स के बड़े इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। शहर की हवा जहरीली हो गई है। यहां AQI 350 पार हो गया है।

‘सांता सना’ हवाओं ने आग को तेजी से फैलाया

जंगलों में आग भड़कने के बाद करीब 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली ‘सांता सना’ हवाओं ने आग को तेजी से भड़का दिया। आमतौर पर पतझड़ के मौसम में चलने वाली ये हवाएं काफी गर्म होती हैं। ये दक्षिण कैलिफोर्निया को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी भी हवाओं की रफ्तार काफी तेज बनी हुई है, इस वजह से आग लगातार फैलती जा रही है।

आपात शेल्टर तैयार किये गये

राष्ट्रीय मौसम सेवा ने कहा कि बुधवार को सुबह चलने वाली तेज हवाएं स्थिति को और बिगाड़ सकती है। लॉस एंजिल्स यूनिफाइड स्कूल डिस्ट्रिक्ट का कहना है कि आग के कारण पैसिफिक पैलिसेड्स क्षेत्र के तीन परिसरों से छात्रों को अस्थायी रूप से स्थानांतरित किया जा रहा है।

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बचाव दल लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। स्थानीय स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों, और अन्य सुरक्षित स्थानों को आपात शेल्टर के रूप में तैयार किया गया है। खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति जो बाइडन ने कैलिफोर्निया के रिवरसाइड काउंटी की यात्रा रद्द कर दी हैं। 

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