कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव कांग्रेस कार्य समिति, देश के एक सच्चे राजनेता डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करती है, जिनके जीवन और कार्यों ने भारत के भविष्य को दिशा दिखायी।

कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव

डॉ. सिंह , भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक विशाल व्यक्तित्व थे, जिनके योगदान ने देश को रूपांतरित किया और उन्हें विश्वभर में सम्मान प्राप्त हुआ। 1990 के दशक के प्रारंभ में वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह भारत के आर्थिक उदारीकरण के शिल्पकार थे।

कांग्रेस कार्य समिति द्वारा डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव

अपनी अद्वितीय दूरदृष्टि के साथ, उन्होंने ऐसे सुधारों की शुरुआत की जिन्होंने न केवल देश को भुगतान संकट से उबारा, बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए द्वार खोले। उनके द्वारा किए गए विनियमन, निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने वाले नीतिगत कदमों ने भारत के तेज़ी से विकास की नींव रखी।

उनके नेतृत्व में, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया, जो उनकी प्रतिभा और दृष्टिकोण का प्रमाण है। भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने देश का नेतृत्व शांति, दृढ़ संकल्प और असाधारण बुद्धिमत्ता के साथ किया।

उनका कार्यकाल निरंतर आर्थिक वृद्धि, वैश्विक पहचान और सामाजिक प्रगति से चिह्नित था। उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भारत को इस संकट से बचाने के लिए रणनीतिक उपाय किए। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण पहलें हुईं जैसे MGNREGA, Right to Education, ऐतिहासिक Indo-U.S. Civil Nuclear Deal, National Food Security Act, Land Acquisition Act, Agricultural Debt Waiver and Debt Relief Scheme, और 93वीं संविधान संशोधन, जिसने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आर्टिकल 15(5) के माध्यम से सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया।

उन्होंने Right to Information (RTI) अधिनियम को पारदर्शिता बढ़ाने, Forest Rights Act को जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने और अपने कार्यकाल में उच्चतम GDP वृद्धि दर को प्राप्त करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

डॉ. सिंह की समावेशी विकास, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और आर्थिक आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया, जबकि साथ ही साथ सामान्य नागरिकों की भलाई पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनका दृष्टिकोण और कार्यकाल एक ऐसे सहानुभूतिशील, सुधारक नेता के रूप में इतिहास में अंकित रहेगा, जिन्होंने स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दी।

राजनीतिक नेता के रूप में अपने योगदान के अलावा, डॉ. सिंह एक सम्मानित शिक्षाविद् भी थे, जिनकी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में करियर ने भारत की नीतियों और दिशा को आकार दिया। एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके विद्वतापूर्ण कार्य और संयुक्त राष्ट्र और भारतीय रिजर्व बैंक जैसी संस्थाओं में उनके योगदान ने उन आर्थिक सुधारों की नींव रखी, जिन्हें उन्होंने बाद में एक नीति निर्माता के रूप में बढ़ावा दिया।

डॉ. सिंह की गहरी अर्थशास्त्र की समझ और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने अनगिनत छात्रों, विद्वानों और नीति निर्माताओं को प्रेरित किया। उनकी शैक्षिक सटीकता और बौद्धिक योगदान ने भारत के विकास के दृष्टिकोण को आकार दिया, और उनके मार्गदर्शन का प्रभाव देश के भविष्य के अर्थशास्त्रियों पर स्थायी असर डालेगा।

डॉ. सिंह असाधारण व्यक्तिगत गुणों के धनी थे। उनकी गरिमा, विनम्रता और शालीनता उन्हें एक दुर्लभ चरित्र वाले नेता के रूप में स्थापित करती हैं। देश के उच्चतम पदों पर रहते हुए भी वह हमेशा आत्म-निष्ठ और सभी के प्रति सम्मान और दयालुता से पेश आते थे।

उनका व्यवहार शांत, संतुलित और हमेशा ईमानदारी से प्रेरित था। उन्हें उनके बुद्धिमत्ता और उपलब्धियों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके साधारण स्वभाव के लिए भी सराहा गया, जिसने उन्हें सभी वर्गों के लोगों के बीच प्रिय बना दिया।

डॉ. सिंह ने एक सच्चे राजनेता की सर्वोत्तम विशेषताएँ—सहानुभूति, ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को जीवित किया। उनका जीवन यह उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस तरह गरिमा और विनम्रता एक साथ किसी शक्तिशाली पद पर बैठे व्यक्ति के चरित्र का हिस्सा हो सकती है।

कांग्रेस कार्य समिति डॉ. मनमोहन सिंह की याद को सम्मानित करने और उनके स्थायी योगदान को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है। उनका आर्थिक सुधार, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास का दृष्टिकोण हमें हमेशा प्रेरित करेगा और हमारा मार्गदर्शन करेगा।

उन्होंने जो आदर्श स्थापित किए—ईमानदारी, परिश्रम और सहानुभूति—वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दीपस्तंभ बने रहेंगे। हम उनके मूल्यों को बनाए रखते हुए एक समृद्ध और एकजुट भारत बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लेते हैं, जैसा कि उन्होंने कल्पना की थी। डॉ. सिंह का नेतृत्व और अर्थशास्त्र में उनका योगदान हमेशा जीवित रहेगा, और हम सभी को प्रेरित करेगा ताकि हम अपने महान देश की प्रगति और समृद्धि में योगदान दे सकें।

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नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 दिसंबर 2024 | दिल्ली : राजस्थान में ‘थप्पड़ कांड’ से चर्चित हुए कांग्रेस के बागी नरेश मीणा 1 महीने से टोंक जेल में बंद है। इधर, नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर टोंक जिला सेशन न्यायालय में अपील की गई है।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल, कब आयेंगे जेल से बाहर नरेश मीणा

इसके चलते 17 दिसंबर को एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत को लेकर सुनवाई होगी। इधर, नरेश के समर्थकों में रिहाई की मांग को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। बता दें कि बीते दिनों उनियारा कोर्ट में नरेश की जमानत की एप्लीकेशन लगाई गई थी, जो खारिज हो गई थी।

नरेश मीणा के एनकाउंटर की साजिश का वीडियो वायरल

टोंक जिले के देवली-उनियारा क्षेत्र में एसडीएम थप्पड़ कांड के 5वें दिन भी समरावता गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के आंसू थमने का नाम नही ले रहे है। जब भी कोई नेता गांव में पहुंच रहा हैं तो व्यथा सुनाते हुए ग्रामीणों की आंखों से आंसू निकल पड़ते है।

देवली-उनियारा के समरावता गाँव के लोग नये वीडियो से दहशत में है। वहीं, नरेश मीणा के पिता कल्याण सिंह मीणा भी गांव में पहुंचते ही रो पड़े। राजनेता वैसे तो नरेश मीणा की ज़मानत और उनकी रिहाई के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं पर अपनी राजनीति चमकाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। 

भोली-भली जनता सोच रही है कि सड़क पर आंदोलन करने या बड़ी-बड़ी सभाएँ करने से नरेश मीणा की ज़मानत हो जायेगी। पर, ऐसा कतई नहीं है क्योंकि जमनत तो सिर्फ़ वकीलों की अच्छी पैरवी से होगी जो अभी तक नहीं हुई है।

ग्रामीणों का आरोप ‘पुलिस कर देती एनकाउंटर’

इतना सुनते ही नरेश मीणा के पिता भावुक हो गए थे और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। लोगों ने यह भी कहा कि नरेश को हम उठाकर नहीं ले जाते तो पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती। इस दौरान मौके पर मौजूद लोग उन्हें संभालते नजर आए। सोशल मीडिया पर भी उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति नरेश मीणा के एनकाउंटर की पुलिस की साजिश की बात कह रहा है।

मूकनायक मीडिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। प्रोफ़ेसर राम लखन ने अपने एक्स (X) हैंडल पर राजस्थान पुलिस को टैग करते हुए इनकी तटस्थ जाँच की माँग की है। उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस की छवि से जुड़े इस वीडियो की जाँच हो।

ये है पूरा मामला

बता दें कि विधानसभा क्षेत्र देवली उनियारा में विधानसभा उप चुनाव 2024 के दौरान ग्राम समरावता थाना नगरफोर्ट, जिला टोंक में ग्रामीणो द्वारा उनके गांव समरावता को उपखण्ड देवली से हटाकर उपखण्ड उनियारा मे शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उक्त मांग को लेकर ग्रामीणो को साथ लेकर धरना शुरू किया। तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने वहां मौजूद एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी आरएएस उपखण्ड अधिकारी मालपुरा के थप्पड़ मार दी। इसके बाद घटनास्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गया।

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को पकड़ा। लेकिन, ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर नरेश मीणा को छुड़ा लिया। उपद्रवियों ने दो राजकीय वाहन व 7 प्राईवेट वाहन एवं लगभग 25 मोटर साईकिलों में आग लगा दी।

हालांकि, अगले दिन पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया। इस पर मीना समर्थक भड़क गए और नरेश मीणा की रिहाई की मांग को लेकर कचरावता गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 डी पर जाम लगा दिया। इस पर पुलिस 60 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नरेश मीणा सहित सभी उपद्रवी अभी जेल में बंद है।

नरेश मीणा कब आयेंगे जेल बाहर?

राजस्थान में उपचुनाव के दिन 13 नवंबर को देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट को थप्पड़ जड़ दिया था। इसको लेकर समरावता गांव में जमकर बवाल हुआ, हिंसा हुई। उसके दूसरे दिन 14 नवंबर को टोंक पुलिस ने नरेश को गिरफ्तार कर लिया।

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नरेश तब से टोंक जेल में बंद है। हालांकि एक बार उनियारा कोर्ट में उनकी जमानत याचिका को खारिज हो चुकी है। नरेश मीणा के वकील ने बताया कि जिला कोर्ट में फिर से याचिका दायर की गई है जिसको लेकर अब 17 दिसंबर को सुनवाई हुई। पर जमानत अभी तक नहीं हुई है।

नरेश की रिहाई को लेकर गरमा रहा है मुद्दा

इधर, एक महीने से टोंक जेल में बंद नरेश मीणा की रिहाई का मामला गर्माता जा रहा है। नरेश मीणा के समर्थक उनकी रिहाई को लेकर लगातार एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बीते दिनों सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में सर्व समाज की महापंचायत हुई।

इधर, नरेश के समर्थक टोंक सरपंच संघ अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में इस तरह का आंदोलन खड़ा किया जाएगा जो प्रशासन ने सोचा भी नहीं होगा। 

नरेश मीणा की जमानत पर फिर टली सुनवाई

बता दें कि थप्पड़ कांड के बाद से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा 14 नवंबर से टोंक जेल में बंद है। इस बीच दो बार उनकी जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है। टोंक जिला न्यायालय में आज एक बार फिर नरेश मीणा की जमानत अर्जी की सुनवाई टल गई है।

अब 4 जनवरी को जमानत पर सुनवाई होगी। बता दें कि नरेश मीणा सहित 18 आरोपियों के लिए उनियारा एसीजेएम कोर्ट मेें दो बार अर्जी खारिज हो चुकी है। इधर, 29 दिसंबर को नरेश के समर्थक उनकी रिहाई के लिए महापंचायत बुला रहे हैं। इस दौरान टोंक कलेक्ट्रेट और टोंक हाईवे पर बड़ा प्रदर्शन करने का प्रस्तावित कार्यक्रम रखा गया है।

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पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 दिसंबर 2024 | दिल्ली : मनमोहन सिंह देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो सबसे ज्यादा शिक्षित थे। प्रखर अर्थशास्त्री थे और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने वाले पहले अल्पसंख्यक भी थे। जब 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में देश में उदारीकरण का दौर शुरू हुआ, तब वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ही थे।

पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहर

इसके बाद उन्होंने 2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए की सरकार का नेतृत्व किया। वे 10 साल प्रधानमंत्री रहे। बराक ओबामा जैसे तत्कालीन विश्व नेता आर्थिक मामलों पर मनमोहन सिंह की समझ के कायल रहे।

पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफ़ेसर मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहर

दिल्ली एम्स ने जारी किया बयान

कांग्रेस ने रैली रद्द की, राहुल-खरगे दिल्ली लौट रहे

इससे पहले, पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत बिगड़ने की जानकारी सामने आने पर कांग्रेस ने कर्नाटक में होने वाली अपनी रैली को रद्द कर दिया। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी कर्नाटक से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। प्रियंका गांधी भी एम्स पहुंच गईं।

प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने ट्वीट किया, ” प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के निधन के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। हमारे राष्ट्र के प्रति आपकी सेवा के लिए धन्यवाद। देश में आपके द्वारा लाई गई आर्थिक क्रांति और प्रगतिशील बदलावों के लिए आपको हमेशा याद किया जाएगा।”

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की शिक्षा

उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री हासिल की।

इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल किया। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं’ में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी।

दक्षिण आयोग के महासचिव भी थे मनमोहन सिंह

इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में कार्य किया जो उनकी अकादमिक श्रेष्ठता दिखाता है। इसी बीच में कुछ वर्षों के लिए उन्होंने यूएनसीटीएडी सचिवालय के लिए भी काम किया। इसी के आधार पर उन्हें 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्ति किया गया।

इसी साल 3 अप्रैल को खत्म हुआ था राज्यसभा कार्यकाल

मनमोहन सिंह 3 अप्रैल को राज्यसभा से रिटायर हुए थे। वे 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा पहुंचे थे। तब से करीब 33 साल तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। छठी और आखिरी बार वे 2019 में राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने थे।

मनमोहन सिंह के रिटायरमेंट पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें खत भी लिखा था। अपनी चिट्ठी में खड़गे ने लिखा था कि- अब आप सक्रिय राजनीति में नहीं होंगे, लेकिन आपकी आवाज जनता के लिए लगातार उठती रहेगी।

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर 2024) को निधन हो गया। 92 साल के मनमोहन सिंह को गुरुवार को ही दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी।

1932 में हुआ था जन्म

डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया। डॉ. मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं।

1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने थे सिंह

भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। मनमोहन सिंह साल 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई।

डॉ. सिंह ने वित्त मंत्रालय के सचिव; योजना आयोग के उपाध्यक्ष; भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष; प्रधानमंत्री के सलाहकार; विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के तौर पर काम भी किया। मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे। ये वक्त देश के आर्थिक ढांचे के लिए काफी अहम था।

डॉ मनमोहन सिंह को मिल चुके हैं इतने सम्मान

डॉ मनमोहन सिंह को मिले कई पुरस्कारों और सम्मानों सम्मानित किया गया है। इनमें से अहम है भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण(1987); भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार; कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)। डॉ. सिंह को जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफ़ोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।

संसद को आपके ज्ञान और अनुभव की कमी खलेगी। मनमोहन सिंह की सीट पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार राज्यसभा पहुंची थीं। 20 फरवरी को उन्हें राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया था।

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