कोटे में कोटा के वोट हासिल करने के लिए, राजनीतिक पार्टियाँ एससी एसटी में वैमनस्यता बढ़ायेंगी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 अगस्त 2024 | जयपुर : संविधान के अनुच्छेद 341 और अनुच्छेद 342 के तहत, किसी समुदाय विशेष को अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) घोषित करना संसद में निहित शक्ति है। आरक्षण और योग्यता के बीच संतुलन रखनाः समुदायों को आरक्षण देते समय प्रशासन की दक्षता को ध्यान में रखना भी आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को अनुसूचित जाती (SC) के आरक्षण को छोटी-छोटी जाति समूहों में बांटने और एससी में क्रीमीलेयर की पहचान करने का आरक्षण विरोधी गैर जरूरी फैसला सुनाया है। बड़ा असर यह होगा कि राज्यों में अनुसूचित जातियों और जन  जातियों  के उपसमूहों का वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियाँ उनमें वैमनस्यता बढ़ायेंगी।

कोटे में कोटा के वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियाँ एससी एसटी में वैमनस्यता बढ़ायेंगी

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दलितों और आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त हो गया है? ऐसे में आरक्षण का बंटवारा कितना उचित है? फैसले के बाद जातीय राजनीति की धार तेज होगी। अब सियासत जातीय राजनीति की धुरी पर घूमने लगेगी। अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 और अनुच्छेद-342 के खिलाफ  है।

कोटे में कोटा के वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियाँ एससी एसटी में वैमनस्यता बढ़ायेंगी

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एक समरूप समूह है और आर्थिक या सामाजिक उन्नति के आधार पर उनके पुन: समूहन के लिये कोई कार्रवाई करना उचित नहीं होगा। एससी/एसटी की सूची में समुदायों को शामिल करने के लिये कठोर रूपरेखा निर्धारित की गई है।

अनुच्छेद 341, भारतीय संविधान 1950

(1) राष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श के पश्चात, लोक अधिसूचना द्वारा, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या समूहों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य के संबंध में अनुसूचित जातियां समझी जाएंगी।

(2) संसद विधि द्वारा , खंड (1) के अधीन जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या समूह को सम्मिलित कर सकेगी, किन्तु पूर्वोक्त के सिवाय, उक्त खंड के अधीन जारी की गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

सिर्फ महिला जज असहमत

  • जस्टिस बेला एम त्रिवेदी इस फैसले में असहमति जताने वाली इकलौती जज रहीं। उन्होंने कहा कि यह देखा गया कि आंध्र प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में स्टेटवाइज रिजर्वेशन के कानूनों को हाईकोर्ट्स ने असंवैधानिक बताया है। आर्टिकल 341 को लेकर यह कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रपति की अधिसूचना अंतिम मानी जाती है। केवल संसद ही कानून बनाकर सूची के भीतर किसी वर्ग को शामिल या बाहर करती है।
  • अनुसूचित जाति कोई साधारण जाति नहीं है, यह केवल आर्टिकल 341 की अधिसूचना के जरिए अस्तित्व में आई है। अनुसूचित जाति वर्गों, जनजातियों का एक मिश्रण है और एक बार अधिसूचित होने के बाद एक समरूप समूह बन जाती है। राज्यों का सब-क्लासिफिकेशन आर्टिकल 341(2) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना के साथ छेड़छाड़ करने जैसा होगा।
  • इंदिरा साहनी ने पिछड़े वर्गों को अनुसूचित जातियों के नजरिए से नहीं देखा है। आर्टिकल 142 का इस्तेमाल एक नया बिल्डिंग बनाने के लिए नहीं किया जा सकता है जो संविधान में पहले से मौजूद नहीं थी। कभी-कभी सकारात्मक कार्रवाई की नीतियों और संविधान में कई तरह से मतभेद होते हैं।
  • इन नीतियों को समानता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। मेरा मानना ​​है कि ईवी चिन्नैया मामले में निर्धारित कानून सही है और इसकी पुष्टि होनी चाहिए।

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 341 अनुसूचित जाति

राष्ट्रपति किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, और जहां वह राज्य है वहां उसके राज्यपाल से परामर्श के पश्चात्, लोक अधिसूचना द्वारा, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के समूहों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए, यथास्थिति, उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अनुसूचित जातियां समझी जाएंगी।

संसद विधि द्वारा, खंड (1) के अधीन जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में किसी जाति, मूलवंश या जनजाति अथवा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या समूह को सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से निकाल सकेगी, किन्तु जैसा पूर्वोक्त है उसके सिवाय, उक्त खंड के अधीन जारी की गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

मसौदा अनुच्छेद 300A (भारत के संविधान 1950 का अनुच्छेद 341) मसौदा संविधान 1948 में अनुपस्थित था। मसौदा समिति के अध्यक्ष ने 17 सितंबर 1949 को इस प्रावधान को पेश किया  मसौदा अनुच्छेद ने राष्ट्रपति को उन जातियों, नस्लों या जनजातियों को निर्दिष्ट करने की शक्ति दी जिन्हें संविधान के तहत ‘अनुसूचित जातियों’ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा।

राष्ट्रपति को सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से किसी राज्य के राज्यपाल के परामर्श के बाद इस शक्ति का उपयोग करने की अनुमति है। मसौदा अनुच्छेद ने संसद को कानून के माध्यम से राष्ट्रपति की अधिसूचना से किसी भी जाति, नस्ल या जनजाति को शामिल करने या बाहर करने की शक्ति भी दी। 

प्रारूप समिति के अध्यक्ष ने यह अनुच्छेद इसलिए प्रस्तावित किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संविधान पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की लंबी सूची का बोझ न पड़े।  

एक सदस्य ने संशोधन पेश किया जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति की पहली अधिसूचना – ‘अनुसूचित जाति’ समुदायों को सूचीबद्ध करना – 10 साल की अवधि के लिए अपरिवर्तित रहना चाहिए। इससे समुदायों के अधिकारों को कार्यपालिका, विधायिका या राष्ट्रपति द्वारा छीने जाने से   बचाया जा सकेगा। उसी दिन बिना किसी संशोधन के संविधान में अनुच्छेद 300A का मसौदा जोड़ दिया गया।

सामाजिक विषयों के एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा फैसले पर आश्चर्यपूर्वक कहते है कि क्या इस निर्णय की कोई वास्तविक आवश्यकता है। यदि ऐसा है भी, तो मुझे नहीं पता कि यह कितना सही होगा यदि आप इसे इस तरह से रखते हैं “जैसा कि यह भारत के सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने वाले अधिनियम की व्याख्या के लिए लागू होता है”। क्योंकि, इसके बाद जब निर्णय  लागू हो जाएगा, तो ऐसा कोई कानून नहीं होगा जो भारत के के वंचित वर्गों; एससी एसटी को सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने वाले संरक्षित कानूनों को बदने का रास्ता बनाया गया हो। तब भारत में सामाजिक न्याय कि अवधारणा ही समाप्त हो जायेगा और भारत के डोमिनियन के भीतर लागू एससीएसटी विरोधी अधिनियम स्वचालित रूप से संघ के अधिनियम बन जाएंगे।

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उपनिरीक्षक-प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन शुरू

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 |  जयपुर – अजमेर : राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से निकाली गई उपनिरीक्षक/प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन आज यानि 10 अगस्त से शुरू कर दिया गया है। इसके लिए आवेदन की लास्ट डेट 8 सितंबर तक है। आयोग ने इसके लिए एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित की है।

उपनिरीक्षक-प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन शुरू

बता दें कि साल 2021 में निकाली गई सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। फिलहाल इसे रद्द करना है या नहीं, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

यह भी देखें : सब इंस्पेक्टर भर्ती की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग Link

  • शैक्षणिक योग्यता– किसी भी यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री, अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे कैंडिडेट्स भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन इंटरव्यू शुरू होने की डेट तक तय योग्यता होना जरूरी है।
  • आयु सीमा, तीन साल की छूट– कैंडिडेट्स की आयु 1 जनवरी 2026 को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम 25 साल होनी चाहिए। इससे पहले साल 2021 में भर्ती निकाली गई थी। इसलिए इस बार कैंडिडेट्स को 3 साल की अतिरिक्त छूट दी गई है।
  • सिलेक्शन– लिखित परीक्षा व इंटरव्यू से चयन होगा। विस्तृत पाठ्यक्रम आयोग की वेबसाइट पर अलग से जारी होगा। लिखित परीक्षा में 200-200 अंक के दो पेपर होंगे।
  • परीक्षा – मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन में (ऑफलाइन/ऑनलाइन) ली जाएगी। एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए करें यहां क्लिक

इन 3 भर्तियों में आवेदन प्रोसेस जारी

इन 2 वैकेंसी में भी जल्द शुरू होंगे आवेदन

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सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 की एसओजी जाँच की आँच अशोक गहलोत के घर तक पहुँची, PSO गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 |  जयपुर – अजमेर : एसओजी ने शुक्रवार देर रात SI पेपर लीक से जुड़े मामले में राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) राजकुमार यादव और उसके बेटे भरत यादव को गिरफ्तार किया है। राजकुमार यादव और उसके बेटे भरत यादव को तीन दिन की रिमांड पर भेजा गया है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 की एसओजी जाँच की आँच अशोक गहलोत के घर तक पहुँची

मामले को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने पोस्ट की। किसी भी व्यक्ति की अपराध में कोई संलिप्तता हो तो कानून अपना काम करें। एसओजी रात से दोनों से पूछताछ कर रही है। अब तक जांच में सामने आया है कि राजकुमार यादव ने बेटे के लिए सब इंस्पेक्टर का पेपर खरीदा था। राजकुमार यादव का बेटा भरत यादव भर्ती एग्जाम में पास हो गया था। इसके बाद फिजिकल में फेल हो गया।

अशोक गहलोत के सीएम रहने के दौरान राजकुमार यादव उनकी सुरक्षा में तैनात था। प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद अशोक गहलोत का PSO लग गया था। इन्हें कोर्ट में पेश कर दिया गया है। अब रिमांड पर लिया जाएगा। शनिवार दोपहर राजकुमार यादव को कोर्ट में पेश किया गया।

शनिवार दोपहर राजकुमार यादव को कोर्ट में पेश किया गया।

पूर्व वर्ती सरकार के संरक्षण में नकल माफिया ने पेपर लीक किये

मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा- मैंने कई बार दोहराया था कि पूर्ववर्ती सरकार के संरक्षण में नकल माफिया ने पेपर लीक किये। आज SI भर्ती में SOG की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पीएसओ राजकुमार यादव और उनके बेटे भरत यादव की गिरफ्तारी से इसकी पुष्टि हो गई है। यदि गहलोत सरकार की नकल माफिया के साथ साठगांठ नहीं होती तो युवाओं के साथ इतना बड़ा अन्याय नहीं होता।

अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा…

मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है कि मेरी सुरक्षा में तैनात जयपुर पुलिस लाइन के एक हेड कांस्टेबल एवं उनके पुत्र को SOG ने हिरासत में लिया है। किसी भी व्यक्ति की अपराध में कोई संलिप्तता हो तो कानून अपना काम करे। मुझे आशा है कि SOG बिना किसी दबाव के इस मामले की जांच कर एक तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचेगी।

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अब पढ़िए… 2021 की भर्ती का सिलसिलेवार घटनाक्रम

  • RPSC ने साल 2021 में सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती निकाली थी।
  • भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे, सरकार ने जांच SOG को दी। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया।
  • भर्ती को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुईं। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने 18 नवंबर, 6 जनवरी और 9 जनवरी को पूरी भर्ती प्रक्रिया पर यथास्थिति के आदेश दिए थे।
  • हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने 10 जनवरी 2025 को आदेश जारी करते हुए भर्ती में फील्ड ट्रेनिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। यह रोक आज भी जारी है।

नयी भर्ती 2025 की कवायद शुरू

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से निकाली गई उपनिरीक्षक/प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन कल यानि 10 अगस्त से शुरू होंगे। इसके लिए आवेदन की लास्ट डेट 8 सितंबर तक है। आयोग ने इसके लिए एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित की है।

साल 2021 में निकाली गई सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। फिलहाल इसे रद्द करना है या नहीं, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग Link

आवेदन संबंधित जानकारी

  • शैक्षणिक योग्यता– किसी भी यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री, अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे कैंडिडेट्स भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन इंटरव्यू शुरू होने की डेट तक तय योग्यता होना जरूरी है।
  • आयु सीमा, तीन साल की छूट– कैंडिडेट्स की आयु 1 जनवरी 2026 को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम 25 साल होनी चाहिए। आयोग की ओर से इससे पहले साल 2021 में भर्ती निकाली गई थी। इसलिए इस बार कैंडिडेट्स को तीन साल की अतिरिक्त छूट दी गई है।
  • सिलेक्शन– लिखित परीक्षा व इंटरव्यू से चयन होगा। विस्तृत पाठ्यक्रम आयोग की वेबसाइट पर अलग से जारी होगा। लिखित परीक्षा में 200-200 अंक के दो पेपर होंगे।
  • परीक्षा – मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन में (ऑफलाइन/ऑनलाइन) ली जाएगी। एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित है।

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