गोविंदा को गोली लगी तब जयपुर में थीं पत्नी सुनीता

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 01 अक्टूबर 2024 |  मुंबई :  बॉलीवुड एक्टर गोविंदा (60) पैर में गोली लगने से घायल हो गए हैं। उन्हें खुद की पिस्टल से चली गोली लगी। घटना मंगलवार सुबह करीब 4.45 बजे की है। ऑपरेशन कर उनके पैर से गोली निकाल ली गई है। एक्टर फिलहाल खतरे से बाहर हैं।

गोविंदा को गोली लगी तब जयपुर में थीं पत्नी सुनीता

मूकनायक मीडिया को दिए इंटरव्यू में DCP दीक्षित गेडाम ने बताया कि जिस समय घटना हुई उस समय गोविंदा घर में अकेले थे। उनके पास एक लाइसेंसी रिवॉल्वर है। रिवॉल्वर से गलती से गोली चली, जो उनके पैर पर लगी। इस मामले से जुड़ी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है। मामले में कुछ भी संदिग्ध नहीं है।

गोविंदा को गोली लगी तब जयपुर में थीं पत्नी सुनीता

मूकनायक मीडिया के करीबी सूत्रों के अनुसार, गोविंदा को अपनी रिवॉल्वर साफ करते हुए मिस फायरिंग से गोली लगी। मुंबई पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उनकी रिवॉल्वर जब्त कर ली है।

बॉलीवुड एक्टर गोविंदा (60) को जिस वक्त पैर में गोली लगी, उनकी पत्नी सुनीता जयपुर में थीं। सुनीता के राजस्थान मैनेजर सौरभ प्रजापति ने बताया- वे खाटूश्याम बाबा के दर्शन करने के लिए 29 सितंबर को आईं थी। 30 सितंबर को दिन में करीब 4.30 बजे मंदिर में दर्शन किए। 1 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे मुंबई जाने का कार्यक्रम था। मंगलवार सुबह करीब 5 बजे उन्हें घटना की जानकारी मिली।

सौरभ प्रजापति ने बताया- सुनीता सुबह करीब 9.30 बजे जयपुर से मुंबई के लिए रवानी हो गईं। वे मुंबई पहुंच चुकी हैं। उन्होंने जानकारी दी है कि गोविंदा की तबीयत अब ठीक है। बता दें की सौरभ प्रजापति राजस्थान में गोविंदा और सुनिता दोनों का काम देखते हैं।

सोमवार को दिन में सुनीता ने खाटूश्याम मंदिर के दर्शन किए थे।

सोमवार को दिन में सुनीता ने खाटूश्याम मंदिर के दर्शन किए थे।

बता दें कि गोविंदा को गोली लगने की घटना मंगलवार सुबह करीब 4.45 बजे की है। गोविंदा घर में अकेले थे। उनके पास एक लाइसेंसी रिवॉल्वर है। रिवॉल्वर से गलती से गोली चली, जो उनके पैर पर लगी। इस मामले से जुड़ी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है। ऑपरेशन कर उनके पैर से गोली निकाल ली गई है।

गोविंदा ने अस्पताल से ऑडियो मैसेज जारी कर कहा-

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मैं आप सबके आशीर्वाद से ठीक हूं। गलती से गोली चल गई थी, जिसे ऑपरेशन करके निकाल लिया गया है। डॉक्टरों और आप सभी को प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद देता हूं।

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गोविंदा खतरे से बाहर

जानकारी के मुताबिक, गोली लगने से उनके पैर से काफी खून बह गया था। इलाज के लिए अंधेरी के क्रिटी केयर हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। हॉस्पिटल से जुड़े सुत्रों के अनुसार, शुरुआती इलाज के बाद अब गोविंदा खतरे से बाहर हैं। उनकी बेटी टीना (नर्मदा) फिलहाल अस्पताल में उनके साथ मौजूद हैं, जबकि उनकी पत्नी सुनीता कोलकाता में हैं, जहां गोविंदा का प्रोग्राम होने वाला था।

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उन्हें घुटने के नीचे गोली लगी है। गोली आर-पार नहीं हुई थी। गोली लगकर अंदर अटकी हुई थी। अब खून रुक चुका है। वो मेरे परिवार की तरह हैं। मैं और उनकी बेटी उन्हें हॉस्पिटल लेकर आए थे।

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-डॉक्टर अग्रवाल, क्रिटी केयर हॉस्पिटल

गोविंदा के पैर में लगी गोली।

गोविंदा के पैर में लगी गोली।

एक प्रोग्राम में शामिल होने कोलकाता रवाना होने वाले थे

गोविंदा के मैनेजर शशि सिन्हा ने बताया है कि वे एक प्रोग्राम के लिए कोलकाता जा रहे थे। 6 बजे की फ्लाइट थी। अलमारी में पिस्टल रखते हुए मिस फायरिंग हो गई और उनके घुटने के नीचे गोली लग गई। उन्हें तुरंत अंधेरी के अस्पताल ले जाया गया। गोली निकाल ली गई है। उनकी हालत खतरे से बाहर है।

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पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जनवरी 2025 | जयपुर : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने अपने अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के हाल के उस विचार लेख से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने एक अखबार में भारत के लिए नए संविधान की मांग की थी। देबरॉय ने अपने लेख में लिखा था, ‘हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना होगा

पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण

नये संविधान की माँग करने वाले बिबेक देबरॉय से पहले पल्ला झाड़ने वाले पीएम ने सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण देते हुए लिखा, “डॉ बिबेक देबरॉय का हालिया लेख उनकी व्यक्तिगत राय थी। वो किसी भी तरह से ईएएसी-पीएम या भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाता।” ईएएसी-पीएम भारत सरकार, खासकर प्रधानमंत्री को आर्थिक मुद्दों पर सलाह देने के लिए गठित की गई बॉडी है।

पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण

जबकि पद्म पुरस्कार 2025 में उन्हीं देबरॉय को पद्म भूषण देकर प्रधानमंत्री ने साबित कर दिया कि अगर लोकसभा चुनाव में 400 सीटें आ जाती तो वे संविधान बदल देते! 

लेख में ऐसा क्या लिखा गया है?

द वायर के अनुसार 15 अगस्त को देबरॉय ने आर्थिक अख़बार मिंट में ” देयर इज़ ए केस फॉर वी द पीपल टू इंब्रेस अ न्यू कॉस्टिट्यूशन ” शीर्षक वालालेख लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था, “अब हमारे पास वह संविधान नहीं है जो हमें 1950 में विरासत में मिला था। इसमें संशोधन किए जाते हैं और हर बार वो बेहतरी के लिए नहीं होते, हालांकि 1973 से हमें बताया गया है कि इसकी ‘बुनियादी संरचना’ को बदला नहीं जा सकता है।”

“भले ही संसद के माध्यम से लोकतंत्र कुछ भी चाहता हो। जहाँ तक मैं इसे समझता हूं, 1973 का निर्णय मौजूदा संविधान में संशोधन पर लागू होता है, अगर नया संविधान होगा तो ये नियम उस पर लागू नहीं होगा।”

लेख में उन्होंने कहा है, “हम जो भी बहस करते हैं, वो ज़्यादातर संविधान से शुरू और ख़त्म होती है। महज़ कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा। हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और शुरू से शुरुआत करना चाहिए।”

“ये पूछना चाहिए कि संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों का अब क्या मतलब है। हमें ख़ुद को एक नया संविधान देना होगा।” देबरॉय ने एक स्टडी के हवाले से बताया कि लिखित संविधान का जीवनकाल महज़ 17 साल होता है। भारत के वर्तमान संविधान को उन्होंने औपनिवेशिक विरासत बताया है।

क्या वाकई हमारे संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है? पद्म पुरस्कारों का अर्थ 

पद्म पुरस्कार, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं। ये पुरस्कार, किसी खास क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले भारतीय नागरिकों को दिए जाते हैं। पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं। पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक हैं। ये पुरस्कार, विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, समाज सेवा, लोक-कार्य, विज्ञान और इंजीनियरी, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल-कूद, सिविल सेवा इत्यादि के संबंध में प्रदान किए जाते हैं।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिबेक देबरॉय ने 77वें स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त 2024 को इंडियन एक्सप्रेस में भारतीय संविधान जो लेख लिखा, उसके बाद उन्हें पद्म भूषण सम्मान दिया जाना चाहिए था! अगर उनको यह  देश का सबसे बड़ा दूसरा सम्मान दिया जा रहा है तो इसका सीधे तौर पर यह मतलब नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी देबरॉय के संविधान बदलने की बात से इत्तेफाक रखते हैं?

लोकसभा चुनावों में मोदी ने देश से झूठ क्यों बोला

फिर दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह है कि लोकसभा चुनावों में मोदी ने देश से झूठ क्यों बोला? न्यूज़ क्लिक वेबसाइट ने तब अपनी एक स्टोरी में लिखा था कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने 15 अगस्त को मिंट अख़बार में एक लेख में कहा कि नए संविधान की ज़रूरत है। उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में लिखे गए मौजूदा संविधान को ‘औपनिवेशिक विरासत’ का हिस्सा भी बताया। क्या ये विचार देबरॉय के अपने हैं या फिर वे मौजूदा सत्ता संरचना में व्याप्त विचारों को व्यक्त कर रहे हैं?

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दैनिक जागरण ने राजद के हवाले से अपनी स्टोरी कहा ‘आरजेडी ने कहा है कि आरएसएस और भाजपा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए संविधान को बदलने की तैयारी कर रही है। योजना है कि 2024 में फिर सत्ता में आएं और संघ की स्थापना के सौ साल पूरा होने से पहले संविधान बदलकर मनुस्मृति वाली व्यवस्था लागू कर दें। देश की जनता को इनकी साजिश का पता चल चुका है इसलिए भाजपा की सत्ता से विदा तय है।’

द प्रिंट के अनुसार बिबेक देबरॉय ने सुझाव दिया है कि यह एक औपनिवेशिक विरासत है। चूंकि हम अपनी औपनिवेशिक विरासत को त्यागने के लिए उत्साहित हैं, तो क्या हमें एक नए संविधान का विकल्प नहीं चुनना चाहिए? 

वस्तुतः औपनिवेशिक विरासत बताकर भारतीय संविधान को अपमानित करने वाले बिबेक देबरॉय कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे। उनका लेख प्रकाशित होने के बाद कई दिनी तक केंद्र सरकार और भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। पर अब देबरॉय को पद्म भूषण पुरस्कार से नवाज़ कर मिडी ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। 

बिबेक देबरॉय पद्मश्री से सम्‍मानित थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थ‍िक सलाहकार परिषद के चेयरमैन थे।  वे नीति आयोग के सदस्‍य भी रह चुके थे।  उन्‍होंने कई किताबें भी लिखीं और उन्‍होंने महाभारत और पुराणों का सरल अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी किया था।  पिछले साल ‘नए संविधान’ की मांग करके वे विवादों में भी आए थे। 

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श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांस

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 23 दिसंबर 2024 | जयपुर : प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता श्याम बेनेगल का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया है। वे वोकहार्ट अस्पताल में एडमिट थे। 14 दिसंबर को ही उन्होंने 90वां जन्मदिन मनाया था।

श्याम बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांस

श्याम बेनेगल की फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को बेहतरीन कलाकार दिए, जिनमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी प्रमुख हैं।

बेनेगल का निधन 90 की उम्र में ली अंतिम सांस

जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री बनाने के अलावा उन्होंने दूरदर्शन के लिए धारावाहिक ‘यात्रा’, ‘कथा सागर’ और ‘भारत एक खोज’ का भी निर्देशन किया। श्याम बेनेगल के नाम सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है। उन्हें 8 फिल्मों के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

श्याम बेनेगल के 90वें जन्मदिन पर शबाना आजमी ने अपने X अकाउंट पर यह तस्वीर शेयर की थी।

श्याम बेनेगल के 90वें जन्मदिन पर शबाना आजमी ने अपने X अकाउंट पर यह तस्वीर शेयर की थी।

पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित हो चुके

श्याम ने 24 फिल्में, 45 डॉक्यूमेंट्री और 15 एड फिल्म्स बनाई हैं। जुबैदा, द मेकिंग ऑफ द महात्मा, नेताजी सुभाष चंद्र बोसः द फॉरगोटन हीरो, मंडी, आरोहन, वेलकम टु सज्जनपुर जैसी दर्जनों बेहतरीन फिल्में उन्हीं ने बनाई हैं।

फिल्म जगत को दिए योगदान के लिए उन्हें 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इनके खाते में 8 नेशनल अवॉर्ड हैं। सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड इन्हीं के नाम है। बेनेगल को 2005 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी दिया गया।

2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने श्याम बेनेगल को रजत कमला अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने श्याम बेनेगल को रजत कमला अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

श्याम ने 1974 की फिल्म अंकुर से बतौर डायरेक्टर करियर की शुरुआत की थी।

श्याम ने 1974 की फिल्म अंकुर से बतौर डायरेक्टर करियर की शुरुआत की थी।

गुरु दत्त के कजिन हैं श्याम बेनेगल

श्याम सुंदर बेनेगल का जन्म 14 दिसम्बर 1934 को हैदराबाद के मिडिल क्लास परिवार में हुआ। ये मशहूर एक्टर और फिल्ममेकर गुरुदत्त के कजिन हैं। श्याम के पिता को स्टिल फोटोग्राफी का शौक था।

कांस फिल्म फेस्टिवल (1976) में फिल्म निशांत का प्रमोशन करते श्यान बेनेगल। इस मौके पर एक्ट्रेस शबाना आजमी भी मौजूद थीं।

कांस फिल्म फेस्टिवल (1976) में फिल्म निशांत का प्रमोशन करते श्यान बेनेगल। इस मौके पर एक्ट्रेस शबाना आजमी भी मौजूद थीं।

श्याम भी अक्सर बच्चों की तस्वीरें लिया करते थे। अर्थशास्त्र में एम.ए. करने के बाद वे फोटोग्राफी करने लगे। पहली फिल्म ‘अंकुर’ बनाने से पहले उन्होंने एड एजेंसियों के लिए कई एड फिल्में बनाई थीं। फिल्म और एड बनाने से पहले श्याम बतौर कॉपी राइटर काम किया करते थे।

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