कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर आरोपी संजय रॉय का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 24 अगस्त 2024 | कोलकाता : कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर करने के आरोपी संजय रॉय समेत 7 लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट हो रहा है। इनमें कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और पीड़ित के साथ 8 अगस्त की रात डिनर करने वाले डॉक्टर भी शामिल हैं।

कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर आरोपी संजय रॉय का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट

23 अगस्त को सियालदह कोर्ट के मजिस्ट्रेट ने आरोपी संजय से पूछा था कि वह टेस्ट के लिए क्यों तैयार हुआ। संजय बोला- टेस्ट से साबित होगा कि मैं निर्दोष हूं। मुझे फंसाया गया है।

सेक्स वर्कर के यहां से क्यों RG Karवापस लौटा संजय रॉय?

संजय रॉय के साथी सिविक वॉलेंटियर ने पूछताछ में दावा किया कि चेतला के कोठे से निकलने के बाद उस रात संजय रॉय का मूड बहुत खराब था। संजय रॉय सेक्स वर्कर के पास नहीं गया था। वह बाहर खड़ा था. उसका साथी सिविक वॉलेंटियर अंदर गया था। उसके अचानक बाहर आने के बाद संजय रॉय ने उससे कहा कि आरजी कर अस्पताल जाएंगे।

कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर आरोपी संजय रॉय का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट

जब संजय को उसके साथी सिविक वॉलेंटियर ने रोकने की कोशिश की तो संजय रॉय ने कहा कि तुम ही करोगे ! मैं भी हूं… संजय रॉय इस तरह से आरजी कर अस्पताल वापस लौटा। सीबीआई के अधिकारी यही जानना चाहते हैं कि संजय रॉय आखिर क्यों आरजी कर अस्पताल लौटा? क्या इसके पीछे किसी की साजिश थी? क्या उसने पहले से प्लानिंग बना रखी थी? और वह अपने प्लानिंग को अंजाम देने के लिए आरजी कर अस्पताल लौटा था?

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है, इससे सच कैसे सामने आ जाता है; इससे जुड़े 7 जरूरी सवालों के जवाब…

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर की दरिंदगी के बाद हत्या के मामले में सीबीआई पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के अलावा पांच अन्य का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति ली है। पांच अन्य में चार डॉक्टर शामिल हैं। जिन्होंने घटना वाली रात को लेडी डॉक्टर के साथ डिनर किया था।

इसके अलावा एक सिविक वालंटियर शामिल है। सीबीआई जघन्य घटना के मुख्य आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति पहले ही हासिल कर चुकी है। पूरे देश को झकझोर देने वाली इस मामले में सीबीआई ने सबसे ज्यादा लंबी पूछताछ पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष से की है।

पॉलीग्राफ टेस्ट में अब सीबीआई सच और झूठ का पता लगाएगी। सीबीआई ने संजय रॉय से सहयोगी और कोलकाता पुलिस के निलंबित एएसआई अनूप दत्ता से पूछताछ की थी।

सवाल-1: कोलकाता रेप केस में पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की जरूरत क्यों महसूस हुई?
जवाब:
 डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच कर रही CBI के सामने कई सवाल हैं। CBI इस बात की जांच कर रही है कि इस अपराध को बिना किसी बाधा के सेमिनार हॉल में अंजाम दिया गया। उस हॉल के दरवाजे का टॉवर बोल्ट टूटा हुआ मिला। शुरुआती जांच में पता चला है कि टॉवर बोल्ट टूटने के कारण दरवाजा कुछ समय से खराब था।

CBI यह भी पता लगाने की कोशिश में है कि क्या कोई दूसरा शख्स सेमिनार हॉल के बाहर तैनात था। अधिकारी इसकी जांच भी कर रहे हैं कि जब घटना को अंजाम दिया जा रहा था, तो सेमिनार हॉल के अंदर से कोई आवाज क्यों नहीं सुन सका।

ये कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की तस्वीर है। इसी बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर बने सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी।

ये कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की तस्वीर है। इसी बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर पर बने सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी। पीड़िता के शरीर से लिए गए डीएनए, वजाइनल स्वैब, ब्लड, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बावजूद CBI अभी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची है।

CBI जानना चाहती है कि क्या मुख्य आरोपी के अलावा भी कोई इस षडयंत्र का हिस्सा था। CBI ये भी जानना चाहती है कि आरोपी जो बोल रहा है वो सच है या उसने किसी को बचाने के लिए जुर्म कबूला है।

सवाल-2: पॉलीग्राफ टेस्ट है क्या, जिससे कोलकाता केस की सच्चाई सामने आने के दावे किए जा रहे हैं?
जवाब: 
फोरेंसिक साइकोलॉजी डिवीजन के डॉ. पुनीत पुरी के मुताबिक, पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट से मंजूरी लेने की जरूरत होती है। पॉलीग्राफ टेस्ट नार्को टेस्ट से अलग होता है। इसमें आरोपी को बेहोशी का इंजेक्शन नहीं दिया जाता है, बल्कि कार्डियो कफ जैसी मशीनें लगाई जाती हैं।

इन मशीनों के जरिए ब्लड प्रेशर, नब्ज, सांस, पसीना, ब्लड फ्लो को मापा जाता है। इसके बाद आरोपी से सवाल पूछे जाते हैं। झूठ बोलने पर वो घबरा जाता है, जिसे मशीन पकड़ लेती है।

इस तरह का टेस्ट पहली बार 19वीं सदी में इटली के अपराध विज्ञानी सेसारे लोम्ब्रोसो ने किया था। बाद में 1914 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम मैरस्ट्रॉन और 1921 में कैलिफोर्निया के पुलिस अधिकारी जॉन लार्सन ने भी ऐसे उपकरण बनाए।

सवाल- 3: क्या पॉलीग्राफ टेस्ट में कही गई बातों का सबूत की तरह इस्तेमाल होता है?
जवाब:
 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी की कही गई बातों को सबूत नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि यह सिर्फ सबूत जुटाने के लिए एक जरिया होता है। इसे ऐसे समझिए कि अगर पॉलीग्राफ टेस्ट में कोई हत्या आरोपी मर्डर में इस्तेमाल हथियारों की लोकेशन बताता है, तो उसे सबूत नहीं माना जा सकता है, लेकिन अगर आरोपी के बताए लोकेशन से हथियार बरामद हो जाता है तो फिर उसे सबूत माना जा सकता है।

इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा था कि हमें यह समझना चाहिए कि इस तरह के टेस्ट के जरिए किसी व्यक्ति की मानसिक प्रक्रियाओं में जबरन घुसपैठ करना भी मानवीय गरिमा और उसके निजी स्वतंत्रता के अधिकारों के खिलाफ है। ऐसे में ज्यादा गंभीर मामलों में ही कोर्ट की इजाजत से इस तरह की जांच होनी चाहिए।

सवाल- 4: पॉलीग्राफ मशीन कैसे धड़कनों और पसीने से सच पता कर लेती है?
जवाब: 
एक पॉलीग्राफ मशीन में सेंसर लगे हुए कई सारे कंपोनेंट होते हैं। इन सभी सेंसर को एक साथ मेजर करके किसी व्यक्ति के साइकोलॉजिकल रिस्पॉन्स का पता लगाया जाता है। इसे ऐसे समझिए कि किसी व्यक्ति को झूठ बोलते समय कुछ घबराहट होती है तो ये मशीन तुरंत उसे पता कर लेती है।

सवाल-5: इस जांच में दो तरह के कौन से टेस्ट होते हैं?

जवाब: इस जांच में इन दो तरह के टेस्ट होते हैं…

कंट्रोल क्वेश्चन टेस्ट: सबसे पहले व्यक्ति को पॉलीग्राफ मशीन से जोड़ने के बाद उससे सामान्य सवाल पूछे जाते हैं। इन सवालों के जवाब हां या ना में पूछे जाते हैं। ऐसा यह जांचने के लिए किया जाता है कि जब वह किसी सामान्य सवाल का जवाब देता है और जब उस घटना से जुड़े टफ सवाल का जवाब देता है तो उसके शरीर की प्रतिक्रिया कैसी होती है।

इस समय व्यक्ति के सांस लेने की गति यानी ब्रीदिंग रेट, व्यक्ति का पल्स, ब्लड प्रेशर और शरीर से निकल रहे पसीने से यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति सही बोल रहा है या झूठ बोल रहा है।

गिल्टी नॉलेज टेस्ट: इसमें एक सवाल के कई जवाब होते हैं। सारे सवाल आरोपी के अपराध से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए कोई चोरी के आरोप में गिरफ्तार हुआ है तो उससे इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं… 5,000, 10,000 या 15,000 रुपए की चोरी हुई है?

इस सवाल का आरोपी सही जवाब देगा तो उसकी हार्ट बीट सामान्य होगी, लेकिन जैसे ही वह झूठ बोलने की कोशिश करता है उसकी हार्ट बीट, उसके दिमाग के सोचने के तरीके आदि से पता चल जाता है कि वह कुछ छिपा रहा है।

सवाल- 6: क्या पॉलीग्राफ टेस्ट में सच को छिपाया जा सकता है?
जवाब: 
अमेरिका की साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक, पूछताछ के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव या घबराहट से यह तय नहीं किया जा सकता कि आरोपी कुछ छिपा रहा है या झूठ बोल रहा है।

हालांकि, यह सच को पता करने का एक माध्यम जरूर हो सकता है। वंडरपोलिस की एक रिसर्च से ये पता चला है कि अगर कोई व्यक्ति अपने इमोशन को कंट्रोल में रख सकता है तो इस जांच से उस पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ता है।

अगर आरोपी के दिए सही जवाब को एक्सपर्ट गलत बताकर उस पर दबाव बनाने लगते हैं तो वह नर्वस होने लगता है। आमतौर पर उसके नर्वस होने पर ही ये मान लिया जाता है कि वह झूठ बोल रहा है। हालांकि, कई मामलों में इस जांच के जरिए असली अपराधी को भी पकड़ा गया है।

सवाल- 7: पॉलीग्राफी से भी एक कदम आगे नार्को टेस्ट क्या है और इसमें सच कैसे बाहर आता है?
जवाबः
 शातिर क्रिमिनल बचने के लिए अकसर झूठी कहानियां बनाते हैं। पुलिस को गुमराह करते हैं। इनसे सच उगलवाने के लिए नार्को टेस्ट किया जाता है।

नार्को टेस्ट में साइकोएस्टिव दवा दी जाती है, जिसे ट्रुथ ड्रग भी कहते हैं। जैसे- सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल। सोडियम पेंटोथल कम समय में तेजी से काम करने वाला एनेस्थेटिक ड्रग है। इसका इस्तेमाल सर्जरी के दौरान बेहोश करने में सबसे ज्यादा होता है।

ये केमिकल जैसे ही नसों में उतरता है, शख्स बेहोशी में चला जाता है। बेहोशी से जागने के बाद भी आरोपी आधी बेहोशी में रहता है। इस हालत में वो जानबूझकर कहानी नहीं गढ़ सकता, इसलिए सच बोलता है।

5 लोगों के साथ होगा पॉलीग्राफ टेस्ट

अदालत में जब जज ने संजय राय से यह पूछा कि वह पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए क्यों सहमत हो रहे हैं तो वह रोने लगा और कहा कि उसने लाई डिटेक्टर टेस्ट के लिए सहमति इसलिए दी क्योंकि उसका मानना है कि वह निर्दोष है। उसने कहा मुझे फंसाया जा रहा है। मैंने कोई अपराध नहीं किया।

यह भी पढ़ें : RAS का एग्जाम छोड़ पहुंची KBC की हॉट सीट पर नरेशी मीणा

शायद यह टेस्ट यह साबित कर देगा कि मैं निर्दोष हूं। इसके बाद उसने अपना पॉलीग्राफ टेस्ट करने की अनुमति दे दी। उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अदालत ने मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और मामले से जुड़े पांच अन्य लोगों पर लाई डिटेक्टर टेस्ट करने की अनुमति दी है।

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सरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमला

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 जनवरी 2025 | जयपुर : राजस्थान के दौसा जिले में टाइगर ने एक महिला सहित तीन लोगों पर हमला कर दिया। तीनों की हालत गंभीर है और उन्हें जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल रेफर किया गया है। वहीं, ट्रैंकुलाइज करने पहुंची वन विभाग की टीम पर भी टाइगर ने हमला बोल दिया और गाड़ी के कांच फोड़ दिए।

सरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमला

सरिस्का के 2 टाइगर्स की दौसा जयपुर में मूवमेंट, बांदीकुई महुखुर्द गांव में 03 लोगों पर टाइगर हमला

घटना जिले के बांदीकुई के महुखुर्द गांव में सुबह 7.30 बजे की है। टाइगर के हमले की सूचना के बाद वन विभाग की टीम भी पहुंच गई है। बताया जा रहा है टाइगर सरिस्का सेंचुरी से आया है। रेंजर दीपक शर्मा ने बताया- टाइगर की उम्र करीब 4 साल है। तीन बार इसे ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास किया, लेकिन निशाना सही नहीं लग सका।

बुधवार सुबह 11 बजे सरिस्का से वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टाइगर पलासन नदी की ओर भाग गया, जिसकी लगातार तलाश की जा रही है।

बुधवार सुबह 11 बजे सरिस्का से वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टाइगर पलासन नदी की ओर भाग गया, जिसकी लगातार तलाश की जा रही है। बीते करीब 20 दिन से सेंचुरी के दो टाइगर गायब हैं और इनकी लोकेशन जयपुर और दौसा के आसपास बताई जा रही है।

हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि हमला करने वाला टाइगर इन्हीं में से एक है। उधर, सरिस्का से वन विभाग की टीम गांव पहुंच गई है। टाइगर को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश की जा रही है। टीम को देखकर वह गली से निकलकर पलासन नदी की ओर भाग गया।

टाइगर के हमले में घायल तीनों लोगों को पहले बांदीकुई के उपजिला हॉस्पिटल ले जाया गया था।

खेत में किया हमला, घर के पास भी दिखा

टाइगर के हमले में घायल तीनों लोगों को पहले बांदीकुई के उपजिला हॉस्पिटल ले जाया गया था। महुखुर्द गांव के सरपंच पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि मुहखुर्द गांव स्थित कोली मोहल्ले के पास एक गली में झाड़ियों के पास टाइगर बैठा हुआ था।

सुबह सात-साढ़े सात बजे आवाज सुनकर सबसे पहले उगा महावर (45) झाड़ियों की तरफ गईं। वह कुछ समझ पातीं, इससे पहले ही टाइगर उनकी पीठ पर हमला कर दिया। इसके बाद शोर-शराबा हुआ।

महिला को बचाने के लिए सुबह करीब 8 बजे विनोद मीणा (42) एवं बाबूलाल मीणा (48) हाथों में डंडा लेकर टाइगर के नजदीक पहुंचे। टाइगर ने इन पर भी हमला कर दिया। तीनों गंभीर रूप से घायल हो गये।

दौसा जिले के बांदीकुई क्षेत्र में टाइगर के हमले के बाद दहशत का माहौल है।

सरिस्का क्षेत्र का टाइगर दौसा पहुंचा

दौसा जिले के बांदीकुई क्षेत्र में टाइगर के हमले के बाद दहशत का माहौल है। सुबह करीब 9 बजे बैजूपाड़ा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को वहां से दूर हटाया। सुबह 9:30 बजे बांदीकुई वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और वीडियो देखकर टाइगर होने की पुष्टि की।

बांदीकुई वन रेंजर दीपक शर्मा ने बताया कि इसकी सूचना सरिस्का वन क्षेत्र को दी है। संभावना है कि यह टाइगर सरिस्का क्षेत्र से यहां पहुंचा है और अब हम इसकी जांच कर रहे हैं। टाइगर को ट्रैंकुलाइज कर सुरक्षित स्थान पर भेजा जाएगा।

उन्होंने बताया- टाइगर को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीमें जुटी है। शाम 3:45 बजे टाइगर सरसों के खेत से निकलकर पलासन नदी की ओर भाग गया। इस दौरान दो गाड़ियों में वन विभाग की टीमों ने उसका पीछा किया, लेकिन उसे ट्रैंकुलाइज नहीं किया जा सका।

2 महीने पहले भी आ चुका है बांदीकुई क्षेत्र में टाइगर

बांदीकुई क्षेत्र में 2 महीने पहले भी एक टाइगर सरिस्का से भटक कर मुही गांव के पास आ गया था। वह दो-तीन दिन तक यहां रहा और फिर सरिस्का लौट गया। वन अधिकारियों के अनुसार, मुही गांव सरिस्का जंगल के पास होने के कारण यहां कई बार टाइगर आ जाते हैं। तीन साल पहले भी ऐसा ही हुआ था।

एक टाइगर गुडा कटला और मुही के पास आया था। एक सप्ताह बाद वापस चला गया था। बुधवार सुबह लगभग 11:45 बजे सरिस्का से वन विभाग की टीम बांदीकुई (दौसा) के महुखुर्द गांव पहुंची। टाइगर को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश की जा रही है।

सरिस्का से 30 किमी दूर निकला

अलवर DFO राजेंद्र हुड्डा ने बताया- अलवर के सरिस्का के जंगल से निकलकर टाइगर 30 किलोमीटर दूर रैणी के पास देवती का बास प्रधानों का गवाड़ा गांव में मंगलवार रात को ही घुस गया था। टाइगर को देखने के बाद कुत्ते भौंकने लगे। इसके बाद गांव में भी दहशत का माहौल हो गया।

ग्रामीणों ने छत पर चढ़कर टाइगर का वीडियो बनाया था। उस समय टाइगर गुस्से में दहाड़ा भी। इसके बाद टाइगर पास की पहाड़ी से होता हुआ आगे निकला। बुधवार सुबह दौसा के महुखुर्द गांव में टाइगर ने 3 लोगों पर हमला कर दिया।

वन विभाग की टीमें टाइगर को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश कर रही है। इसी बीच टाइगर एक खेत से निकलकर दूसरे खेत में जा छुपा।

ट्रैंकुलाइज करने के लिए तीन टीमें एक्टिव हुईं

वन विभाग की टीमें टाइगर को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश कर रही है। इसी बीच टाइगर एक खेत से निकलकर दूसरे खेत में जा छुपा। रेंजर शंकर सिंह ने बताया- वन विभाग की तीन टीमें टाइगर को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश कर रही हैं।

महुखुर्द गांव के पास एक सरसों के खेत में टाइगर के देखे जाने के बाद खेत को घेर लिया गया है। टाइगर ST 2402 को रेस्क्यू कर सरिस्का ले जाया जायेगा।

रणथंभौर से भी टीम मौके पर पहुंची, कल शुरू होगा रेस्क्यू

रेंजर दीपक शर्मा ने बताया- बुधवार को देर शाम तक टाइगर का रेस्क्यू करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। अंधेरा हो जाने के कारण अब रेस्क्यू को रोक दिया गया है। रणथंभौर से भी एक टीम आ गई है।

गुरुवार सुबह सरिस्का और रणथंभौर की टीम मिलकर टाइगर को रेस्क्यू करने का प्रयास करेगी। टीम बुधवार रातभर गांव में ही रहेगी। लोगों को घर में रहने की हिदायत दी गई है। टाइगर की लास्ट लोकेशन एक सरसों के खेत में थी।

दोपहर 1:30 सरसों के खेत में ट्रेंकुलाइज करने के दौरान टाइगर ने वनकर्मियों की पिकअप गाड़ी पर हमला कर दिया। जिससे ड्राइवर साइड वाली सीट का कांच टूट गया। इस दौरान गाड़ी में बैठी टीम बाल-बाल बच गई।

दोपहर 1:30 सरसों के खेत में ट्रेंकुलाइज करने के दौरान टाइगर ने वनकर्मियों की पिकअप गाड़ी पर हमला कर दिया। जिससे ड्राइवर साइड वाली सीट का कांच टूट गया। इस दौरान गाड़ी में बैठी टीम बाल-बाल बच गई।

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IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक, देशभर के यूट्यूबर्स को मुंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 सितंबर 2024 | जयपुर : केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट नहीं बना सकेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को IT एक्ट में किए गए संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि IT एक्ट में संशोधन जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक, देशभर के यूट्यूबर्स को मुंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत

दरअसल, केंद्र सरकार ने 2023 में IT नियमों में संशोधन किया था। सरकार इसके जरिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर झूठी या फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बना सकती थी।

IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक

इसी साल 20 मार्च को अधिसूचना जारी कर कहा था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी। उससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी।

बॉम्बे हाईकोर्ट के टाईब्रेकर जज ने सुनाया फैसला

जनवरी 2024 में बेंच में शामिल दो जजों जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला न्यायमूर्ति ने अलग-अलग फैसला दिया था। इसके बाद यह केस टाईब्रेकर जज जस्टिस एएस चंदुरकर के पास भेजा गया था। जब दो जजों के फैसले पर अलग-अलग मत होते हैं तब इसे टाईब्रेकर जज के पास भेजा जाता है।

जस्टिस पटेल और जस्टिस गोखले ने क्या कहा था जस्टिस गौतम पटेल: संशोधित IT नियम सेंसरशिप के समान हैं।

जस्टिस गोखले: दिए जा रहे तर्कों के मुताबिक फ्री स्पीच पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ने लगाई याचिका

IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

इसमें तीन रूल को चुनौती दी गई थी। ये रूल केंद्र सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए FCU बनाने का अधिकार देते हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(a)(g) (कोई भी पेशा अपनाने, या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।

21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट बनाने पर रोक लगाई

केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को फैक्ट चेक यूनिट बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। 21 मार्च को इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये रोक तब तक के लिए लगाई थी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले। कोर्ट ने कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है।

अश्विनी वैष्णव ने कहा था- केंद्र के लिए फैक्ट-चेक यूनिट जरूरी

केंद्रीय IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि केंद्र सरकार के लिए अपनी फैक्ट-चेक यूनिट स्थापित करना जरूरी है। सरकार अपनी नीतियों और अन्य योजनाएं से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए सबसे उपयुक्त है।

अश्विनी वैष्णव ने एक न्यूज चैनल के इवेंट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा- हाल ही में एक विपक्षी पार्टी ने पोस्ट किया कि भारतीय रेलवे के पैसेंजर्स 80% तक कम हो गए हैं। इस तरह की गलत जानकारी से बचने के लिए आपको रेलवे से सही आंकड़ा पूछना होगा। फैक्ट्स तो फैक्ट्स हैं।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा- फैक्ट-चेक यूनिट को लेकर हमारा प्रस्ताव केंद्र के काम से संबंधित फैक्ट्स और आंकड़ों तक ही सीमित था। दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालांकि, हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) का गठन करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी। केंद्र ने एक दिन पहले बुधवार यानी 20 मार्च को ही आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।’ यह फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी।

CJI चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका पर यह फैसला दिया।

PIB फैक्ट चेक यूनिट मामले को सवाल-जवाब में समझिए

1. PIB फैक्ट चेक यूनिट कैसे काम करती है?

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी PIB फैक्ट चेक के जरिए सरकार से जुड़ी खबरों का खंडन करता है। कहने का मतलब अगर न्यूजपेपर/ऑनलाइन मीडिया/ या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर पब्लिश किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार या उसकी छवि खराब करने वाली बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ एनालिसिस कर फैक्ट चेक किया जाता है।

2. PIB फैक्ट चेक यूनिट फैक्ट चेक को कहां पोस्ट करती है

सोशल मीडिया X, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और Koo पर @PIBFactCheck के नाम से अकाउंट है। यहीं पर खबरों का फैक्ट चेक कर पब्लिश किया जाता है। इसके अलावा https://pib.gov.in/factcheck.aspx पर भी जानकारी दी जाती है।

PIB की फैक्ट चेक यूनिट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भ्रामक दावों को लेकर अक्सर पोस्ट करती रहती है।

PIB की फैक्ट चेक यूनिट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भ्रामक दावों को लेकर अक्सर पोस्ट करती रहती है।

3. सरकार ने इस यूनिट को कब बनाया

PIB की वेबसाइट के अनुसार, इस यूनिट को नवंबर 2019 में शुरू किया गया था। ये न्यूजपेपर, ऑनलाइन मीडिया या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर पब्लिश किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार की छवि खराब करने वाली कोई बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ एनालिसिस कर फैक्ट चेक करती है।

4. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक क्यों लगाई?

PIB फैक्ट चेक यूनिट के पास पहले लीगल एक्शन लेने का अधिकार नहीं था। इसी को ध्यान में रखकर अप्रैल 2023 में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन किए गए थे। इसके तहत कोई खबर या पोस्ट जो सरकार के बारे में गलत या भ्रामक जानकारी दे रही है, उसे PIB के सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया जाएगा।

इसके बाद जिसने यह गलत या भ्रामक जानकारी दी थी, उसे यह हटाना पड़ेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है। इसे 20 मार्च 2024 को सरकार ने नोटिफाई किया।

5. क्यों हो रहा है विरोध

IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।

6. बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया?

संशोधित याचिका पर फैसला देते हुए जस्टिस जीएस पटेल ने संशोधन के विरोध में और जस्टिस नीला गोखले ने उसके पक्ष में फैसला दिया था। जब मामला तीसरे जज जस्टिस चंदूरकर के पास गया तो उन्होंने संशोधन पर स्टे लगाने से मना कर दिया।

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हालांकि पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी, लेकिन तीसरे जज के संशोधन पर रोक लगाने से मना करने के बाद कोर्ट ने सरकार को अधिसूचना लाने की इजाजत दे दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर 21 मार्च को सुनवाई तय की गई थी।

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