मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 सितंबर 2024 | जयपुर : केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट नहीं बना सकेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को IT एक्ट में किए गए संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि IT एक्ट में संशोधन जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
IT एक्ट संशोधन असंवैधानिक, देशभर के यूट्यूबर्स को मुंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2023 में IT नियमों में संशोधन किया था। सरकार इसके जरिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर झूठी या फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बना सकती थी।
इसी साल 20 मार्च को अधिसूचना जारी कर कहा था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी। उससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के टाईब्रेकर जज ने सुनाया फैसला
जनवरी 2024 में बेंच में शामिल दो जजों जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला न्यायमूर्ति ने अलग-अलग फैसला दिया था। इसके बाद यह केस टाईब्रेकर जज जस्टिस एएस चंदुरकर के पास भेजा गया था। जब दो जजों के फैसले पर अलग-अलग मत होते हैं तब इसे टाईब्रेकर जज के पास भेजा जाता है।
जस्टिस पटेल और जस्टिस गोखले ने क्या कहा था जस्टिस गौतम पटेल: संशोधित IT नियम सेंसरशिप के समान हैं।
जस्टिस गोखले: दिए जा रहे तर्कों के मुताबिक फ्री स्पीच पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ने लगाई याचिका
IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें तीन रूल को चुनौती दी गई थी। ये रूल केंद्र सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए FCU बनाने का अधिकार देते हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(a)(g) (कोई भी पेशा अपनाने, या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।
21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट बनाने पर रोक लगाई
केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को फैक्ट चेक यूनिट बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। 21 मार्च को इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये रोक तब तक के लिए लगाई थी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले। कोर्ट ने कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा था- केंद्र के लिए फैक्ट-चेक यूनिट जरूरी
अश्विनी वैष्णव ने एक न्यूज चैनल के इवेंट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा- हाल ही में एक विपक्षी पार्टी ने पोस्ट किया कि भारतीय रेलवे के पैसेंजर्स 80% तक कम हो गए हैं। इस तरह की गलत जानकारी से बचने के लिए आपको रेलवे से सही आंकड़ा पूछना होगा। फैक्ट्स तो फैक्ट्स हैं।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा- फैक्ट-चेक यूनिट को लेकर हमारा प्रस्ताव केंद्र के काम से संबंधित फैक्ट्स और आंकड़ों तक ही सीमित था। दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालांकि, हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) का गठन करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी। केंद्र ने एक दिन पहले बुधवार यानी 20 मार्च को ही आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।’ यह फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी।
CJI चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका पर यह फैसला दिया।
PIB फैक्ट चेक यूनिट मामले को सवाल-जवाब में समझिए
1. PIB फैक्ट चेक यूनिट कैसे काम करती है?
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी PIB फैक्ट चेक के जरिए सरकार से जुड़ी खबरों का खंडन करता है। कहने का मतलब अगर न्यूजपेपर/ऑनलाइन मीडिया/ या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर पब्लिश किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार या उसकी छवि खराब करने वाली बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ एनालिसिस कर फैक्ट चेक किया जाता है।
2. PIB फैक्ट चेक यूनिट फैक्ट चेक को कहां पोस्ट करती है
सोशल मीडिया X, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और Koo पर @PIBFactCheck के नाम से अकाउंट है। यहीं पर खबरों का फैक्ट चेक कर पब्लिश किया जाता है। इसके अलावा https://pib.gov.in/factcheck.aspx पर भी जानकारी दी जाती है।
3. सरकार ने इस यूनिट को कब बनाया
PIB की वेबसाइट के अनुसार, इस यूनिट को नवंबर 2019 में शुरू किया गया था। ये न्यूजपेपर, ऑनलाइन मीडिया या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर पब्लिश किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार की छवि खराब करने वाली कोई बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ एनालिसिस कर फैक्ट चेक करती है।
4. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक क्यों लगाई?
PIB फैक्ट चेक यूनिट के पास पहले लीगल एक्शन लेने का अधिकार नहीं था। इसी को ध्यान में रखकर अप्रैल 2023 में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन किए गए थे। इसके तहत कोई खबर या पोस्ट जो सरकार के बारे में गलत या भ्रामक जानकारी दे रही है, उसे PIB के सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया जाएगा।
इसके बाद जिसने यह गलत या भ्रामक जानकारी दी थी, उसे यह हटाना पड़ेगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है। इसे 20 मार्च 2024 को सरकार ने नोटिफाई किया।
5. क्यों हो रहा है विरोध
IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।
6. बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया?
संशोधित याचिका पर फैसला देते हुए जस्टिस जीएस पटेल ने संशोधन के विरोध में और जस्टिस नीला गोखले ने उसके पक्ष में फैसला दिया था। जब मामला तीसरे जज जस्टिस चंदूरकर के पास गया तो उन्होंने संशोधन पर स्टे लगाने से मना कर दिया।
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हालांकि पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी, लेकिन तीसरे जज के संशोधन पर रोक लगाने से मना करने के बाद कोर्ट ने सरकार को अधिसूचना लाने की इजाजत दे दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस पर 21 मार्च को सुनवाई तय की गई थी।