
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 05 अगस्त 2025 | दिल्ली – जयपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक बहुचर्चित मानव तस्करी मामले में आरपीएस अधिकारी राजीव दत्ता के खिलाफ औपचारिक जांच के निर्देश दिये हैं। दत्ता वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में कार्यरत हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी राजीव दत्ता बाल तस्करी और यौन शोषण के आरोप
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता शेखर मेवाड़ा द्वारा दायर याचिका पर जारी किया, जिन्होंने पहले अजमेर के क्रिश्चियन गंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी थी। बेहद गंभीर मामला है – राजस्थान हाईकोर्ट ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एक मामले में RPS अधिकारी राजीव दत्ता के खिलाफ औपचारिक जांच के आदेश दिए हैं। दत्ता वर्तमान में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के OSD के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति समीर जैन की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील शेखर मेवाड़ा की याचिका पर यह आदेश दिया है। अपनी शिकायत में, वकील मेवाड़ा ने राजीव दत्ता और उनके करीबी सहयोगियों पर कई सालों से मानव तस्करी का रैकेट चलाने का आरोप लगाया है। ये भी आरोप लगाए गए हैं कि ये रैकेट नाबालिग बच्चों को बहला-फुसलाकर शारीरिक और यौन शोषण के लिए तस्करी में शामिल था। वहीं इस रैकेट में कथित तौर पर कई अन्य अज्ञात व्यक्ति भी शामिल होने का जिक्र किया गया है।
बाल तस्करी और यौन शोषण के आरोप
अपनी शिकायत में, वकील मेवाड़ा ने राजीव दत्ता और उनके करीबी सहयोगियों पर कई वर्षों से मानव तस्करी का रैकेट चलाने का आरोप लगाया है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यह समूह नाबालिग बच्चों को धोखे से बहला-फुसलाकर शारीरिक और यौन शोषण के लिए तस्करी में शामिल था।
शिकायत के अनुसार, बच्चों की तस्करी की जानकारी होने के बावजूद, आरोपियों ने उन्हें अपनी हिरासत में रखा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इस रैकेट में कथित तौर पर अन्य अज्ञात व्यक्ति भी शामिल थे।
पुलिस की निष्क्रियता और याचिकाकर्ताओं की जान को खतरा
आरोपों की गंभीरता के बावजूद, स्थानीय पुलिस कथित तौर पर शिकायत पर कार्रवाई करने में विफल रही। इसके बाद मेवाड़ा ने राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपनी जान को खतरा बताते हुए प्रभावशाली लोगों से दबाव बनाने का आरोप लगाया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा:
पुलिस अधिकारी शिकायत दर्ज नहीं कर रहे हैं क्योंकि आरोप हाई-प्रोफाइल राजनेताओं पर लगे हैं। इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने न्यायिक सहायता ली है और मामला संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है। याचिकाकर्ताओं ने प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ मानव तस्करी की शिकायत के कारण अपनी जान को खतरा और बलपूर्वक कार्रवाई का हवाला देते हुए इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ता पर कथित हमला और बदले की कार्रवाई का दावा
लगभग दो महीने पहले, वकील शेखर मेवाड़ा पर कुछ लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर जानलेवा हमला किया था। उन्होंने सीधे तौर पर राजीव दत्ता पर इस हमले का आरोप लगाया है। इसके अलावा, मेवाड़ा ने आरोप लगाया है कि मानव तस्करी की शिकायत को आगे बढ़ाने के बदले में दत्ता ने उनके खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज कराये हैं।
जवाबी एफआईआर और कथित पुलिस पक्षपात
उच्च न्यायालय ने कोटा, बूंदी और पाली में दर्ज अतिरिक्त शिकायतों पर भी ध्यान दिया, जिनका कथित तौर पर प्रतिशोधात्मक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया गया था। यह तर्क दिया गया कि ये प्राथमिकियाँ अजमेर में दर्ज मूल शिकायत को दबाने के लिए “जवाबी हमले” थीं।
इसके अलावा, मेवाड़ा ने आरोप लगाया कि कोटा में पुलिस के समन का पालन करने के बावजूद, उनसे पूछताछ नहीं की गयी और जयपुर लौटते समय उन पर हमला किया गया। याचिका के अनुसार, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के हस्तक्षेप और अधिवक्ताओं के एक समूह के समर्थन के बाद ही उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
अदालत ने एडीजीपी को जांच सौंपी
राजनीतिक संवेदनशीलता और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, हाईकोर्ट ने एडीजीपी दिनेश एमएन को जांच का नेतृत्व करने का निर्देश दिया है। हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील मामलों को संभालने के अपने अनुभव के लिए जाने जाने वाले दिनेश एमएन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए।
अदालत ने कहा:
मामले के उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा संबंधित वकील, विद्वान एडीजीपी श्री दिनेश एमएन, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हैं, द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, यह न्यायालय इस राय पर है कि इस मामले पर समग्र विचार की आवश्यकता है…
केस रिकॉर्ड और एडीजीपी की उपस्थिति के लिए निर्देश
न्यायालय ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वे न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (संख्या 3), अजमेर के समक्ष लंबित आपराधिक कार्यवाही से संबंधित केस रिकॉर्ड को अवलोकनार्थ प्रस्तुत करने की व्यवस्था करें। इसने यह भी आदेश दिया कि राजीव दत्ता और शिकायत में नामित अन्य व्यक्तियों को मामले में औपचारिक रूप से प्रतिवादी बनाया जाये।
इसके अतिरिक्त, एडीजीपी दिनेश एमएन को भविष्य की अदालती कार्यवाही में उपस्थित रहने और मूल शिकायत और बाद की एफआईआर से संबंधित सभी प्रासंगिक रिकॉर्ड के साथ विस्तृत स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है।
दत्ता से जुड़ा यह पहला विवाद नहीं है
यह पहली बार नहीं है जब राजीव दत्ता विवादों के केंद्र में आये हों। 2022 में, राजस्थान कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने दत्ता पर, जो उस समय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी थे, पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। विधायक ने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा को एक औपचारिक पत्र लिखकर दत्ता के आचरण पर चिंता भी जतायी थी।