गर्ल्स स्टूडेंट को हर साल 30 हजार की स्कॉलरशिप देगा अजीज प्रेमजी फाउंडेशन

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 16 अगस्त 2024 |  जयपुर :  राजस्थान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हर साल स्कॉलरशिप देने का फैसला लिया गया है। इसके लिए हर साल राजस्थान सरकार अजीज प्रेमजी फाउंडेशन के साथ मिलकर 30 हजार की स्कॉलरशिप देंगे।

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से चलाई जा रही इस स्कीम का लाभ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड के चयनित जिलों में लाभ प्रदान किया जाएगा। इस योजना में उत्तर प्रदेश के 35 जिलों का चयन किया गया है जबकि राजस्थान के 22 जिलों का चयन किया गया है।

गर्ल्स स्टूडेंट को हर साल 30 हजार की स्कॉलरशिप देगा अजीज प्रेमजी फाउंडेशन

गर्ल्स स्टूडेंट को हर साल 30 हजार की स्कॉलरशिप देगा अजीज प्रेमजी फाउंडेशन

इसे लेकर राजस्थान आयुक्तालय कॉलेज निदेशालय की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है। इसके लिए सितंबर के दूसरे सप्ताह में आवेदन शुरू हो जाएंगे। कॉलेज निदेशालय की ओर से जारी आदेश में इस योजना का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने के लिए भी कहा है।

कॉलेज निदेशालय की ओर से जारी आदेश में इस योजना का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने के लिए भी कहा है।

प्रदेश के 22 जिलों की गर्ल्स स्टूडेंट को मिलेगा इसका फायदा

दरअसल, अजीज प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से राजस्थान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अजीज प्रेमजी स्कॉलरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। इसके तहत प्रदेश के 22 जिलों में उच्च शिक्षा लेने वाली स्टूडेंट को सालाना स्कॉलरशिप दी जाएगी। इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम में न सिर्फ सरकारी बल्कि, प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली स्टूडेंट भी अप्लाई कर सकेंगे।

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक पहुंचाने के दौरान काफी ऐसी स्टूडेंट्स है जो आर्थिक स्थिति कमजोर होने और सामाजिक रीति-नीति की वजह से भी उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं। ऐसे में इन सब की मदद करते हुए महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। इसके लिए वे ही स्टूडेंट एप्लिकेबल होगी जिन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई प्रदेश के सरकारी स्कूल से की हो।

राजस्थान के इन जिलों में मिलेगी स्कॉलरशिप

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से राजस्थान में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू होने जा रही अजीज प्रेमजी स्कॉलरशिप फिलहाल राजस्थान के इन 22 जिलों अजमेर, अलवर, बालोतरा, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, दूदू, डूंगरपुर, जयपुर, जयपुर (ग्रामीण), जालौर, झालावाड़, जोधपुर, केकड़ी, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाई माधोपुर, सिरोही, टोंक और उदयपुर मैं छात्रवृत्ति योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा।

उत्तर प्रदेश के 35 जिले योजना में शामिल 

उत्तर प्रदेश के इन 35 जिलों “अंबेड़कर नगर, अमेठी, अयोध्या-फ़ैज़ाबाद, आज़मगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बस्ती, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, फ़तेहपुर, गाज़ीपुर, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, कौशांबी, कुशीनगर, लखनऊ, महराजगंज, मऊ, मिर्ज़ापुर, प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद), प्रतापगढ़, रायबरेली, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर (पूर्व में भदोही), श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर और वाराणसी” मैं छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिया जाएगा.

ऐसे कर सकेंगे अप्लाई राजस्थान में सरकारी स्कूल से 10वीं और 12वीं पास करने वाली स्टूडेंट अजीज प्रेमजी स्कॉलरशिप प्रोग्राम में अप्लाई कर सकेंगे। हालांकि वह उच्च शिक्षा के लिए प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी पढ़ सकती है

सितंबर में कर सकेंगे आवेदन

राज्य के आयुक्तालय कॉलेज निदेशालय की ओर से इस स्कॉलरशिप के संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। आवेदन प्रक्रिया सितंबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होगी, जिससे छात्राएं अपनी स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई कर सकें। यह स्कॉलरशिप प्रोग्राम न केवल सरकारी कॉलेजों बल्कि प्राइवेट कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए भी उपलब्ध होगा।

छात्राओं को सहयोग प्रदान करना : उद्देश्य

अजीज प्रेमजी फाउंडेशन के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोग्राम का उद्देश्य प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक की छात्राओं को सहयोग प्रदान करना है। राजस्थान में कई छात्राएं सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पातीं, ऐसे में यह स्कॉलरशिप उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

इस योजना के तहत केवल वही छात्राएं आवेदन कर सकती हैं जिन्होंने अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई राज्य के सरकारी स्कूलों से की हो। शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए छात्राओं के आवेदन सितंबर 2024 के दूसरे सप्ताह से स्वीकार किए जाएँगे।

  • इस सत्र (वर्ष 2024-25) में हम उन छात्राओं का सहयोग करेंगे, जिन्होंने सरकारी स्कूल से कक्षा 10वीं एवं 12वीं (दोनों) उत्तीर्ण की है और किसी शासकीय संस्थान या विश्‍वसनीय प्रामाणिक निजी कॉलेज/विश्‍वविद्यालय के नियमित डिग्री या डिप्लोमा प्रोग्राम में नियमित छात्रा के रूप में प्रवेश प्राप्त कर लिया हो।
  • चयनित छात्राओं को स्नातक डिग्री/डिप्लोमा प्रोग्राम की पूरी अवधि (दो, तीन, चार या पाँच वर्ष) के लिए प्रतिवर्ष 30,000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी, ताकि उनकी शिक्षा पूरी करने में लगने वाला शिक्षण शुल्‍क (ट्यूशन फीस) या अन्य खर्चों को कवर किया जा सके।
  • इस वर्ष इस प्रोग्राम को ‘पायलट’ चरण के रूप में अलग-अलग इलाकों में शुरू किया जा रहा हैं, (विवरण नीचे) इसे जल्द ही पूरे देश में विस्‍तारित किया जाएगा।

कौन आवेदन कर सकते हैं?

मध्य प्रदेश या राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिलों या रांची (झारखंड) जिले के इटकी विकासखण्ड की वे सभी छात्राएँ, जिन्होंने:

  • किसी स्थानीय शासकीय स्कूल से कक्षा 10 वीं उत्तीर्ण की हो, एवं  
  • शैक्षणिक वर्ष 2023-24 या उससे पहले किसी स्थानीय शासकीय स्कूल से कक्षा 12 वीं (नियमित या ओपन) उत्तीर्ण की हो, एवं 
  • आवेदन के समय किसी शासकीय संस्थान या विश्‍वसनीय प्रामाणिक निजी कॉलेज या विश्‍वविद्यालय में मान्यता प्राप्त स्नातक उपाधि या डिप्लोमा प्रोग्राम के पहले वर्ष में नियमित छात्र के रूप में प्रवेश प्राप्त किया हो।

Link : अजीज प्रेमजी फाउंडेशन छात्रवृत्ति डिटेल नोटिफिकेशन

स्कॉलरशिप प्रोग्राम में सिलेक्ट होने वाली स्टूडेंट्स को ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम की पूरी समय अवधि के लिए प्रतिवर्ष 30 हजार रुपए की स्कॉलरशिप दी जाएगी।

अजीम प्रेमजी ने दुनिया के सबसे बड़े दिल वाले अरबपति

टेक टाइकून अजीम प्रेमजी ने दुनिया के सबसे बड़े दिल वाले अरबपतियों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। अरबपति ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने अपनी शिक्षा-केंद्रित धर्मार्थ शाखा, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को 21 बिलियन डॉलर का दान दिया है, इस दान में उनकी आईटी आउटसोर्सर, विप्रो में 67% हिस्सेदारी शामिल है, जिसकी कीमत 15 बिलियन डॉलर है, इसके अलावा उपभोक्ता व्यवसाय विप्रो एंटरप्राइजेज और प्रेमजीइन्वेस्ट, उनके पारिवारिक कार्यालय में उनकी हिस्सेदारी सहित संपत्तियां शामिल हैं।

प्रेमजी ने हाल ही में फोर्ब्स को संकेत दिया था कि वे और अधिक देने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने कहा, “जिसको बहुत कुछ दिया गया है, उससे बहुत कुछ की उम्मीद की जानी चाहिए।” आज की घोषणा के बाद, प्रेमजी की संपत्ति, जो $22.6 बिलियन थी, जो उन्हें दुनिया के अरबपतियों में 36वें स्थान पर रखती थी, 80% घटकर $4.4 बिलियन रह गई है। अपने परिवार के साथ, अब उनके पास विप्रो में 7% हिस्सेदारी है।

प्रेमजी की करीबी दोस्त और बेंगलुरु निवासी बायोटेक अरबपति किरण मजूमदार-शॉ कहती हैं, “यह एक शानदार इशारा है।” “अजीम ने भारतीय परोपकार को दूसरे स्तर पर पहुंचा दिया है।” मजूमदार-शॉ, जिन्होंने अब तक 30 मिलियन डॉलर दान किए हैं, ने और भी अधिक देने का वादा किया है; प्रेमजी की तरह, उन्होंने गिविंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए हैं और अपनी संपत्ति का 75% दान करने का संकल्प लिया है।

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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणाछात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।

छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी। 

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल

किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।

सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था

राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-

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मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।

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किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे

कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?

यह भी पढ़ें : ‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।

किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

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‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 अगस्त 2025 | जयपुर – जोधपुर – उदयपुर : राज्य सरकार ने प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया है। सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया। 

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा है। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई है।

इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी है। सरकार के जवाब के बाद 14 अगस्त को मामले में हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।

छात्रों के वकील पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे

याचिकाकर्ता के एडवोकेट शांतनु पारीक ने कहा- सरकार ने कुलगुरुओं की सिफारिश पर चुनाव नहीं कराने का फैसला किया है। लेकिन हमारा कहना है कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के भी चुनाव होते है, कर्मचारी संघों के भी चुनाव होते हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र अपनी आवाज उठा सके और अपने मुद्दे प्रभावी रूप से रख सके। हम पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे।

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाये गये। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है।

चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

यह भी पढ़ें : सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 की एसओजी जाँच की आँच अशोक गहलोत के घर तक पहुँची, PSO गिरफ्तार

उन्होंने कहा- यूपी में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाया गया था। इसी तर्ज पर राजस्थान में भी बनाया जाना चाहिए। शिक्षा नीति सही तरीके से लागू करने के लिए गंभीरता से काम होना चाहिए और तब तक छात्र संघ चुनाव को स्थगित रखना ही उपयुक्त है।

तीन-चार साल चुनाव स्थगित रहने चाहिए

महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के कार्यवाहक कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने अपनी सिफारिश में कहा- विश्वविद्यालय में सत्र विलंब से चल रहा है। परीक्षा परिणाम आना बाकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन का कार्य चल रहा है। इसलिए तीन-चार साल के लिए छात्र संघ चुनाव स्थगित रहने चाहिए।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ इत्यादि को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जायेगी

गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के कुलगुरु प्रोफेसर के एस ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अगले 2 साल महत्वपूर्ण रहेंगे। इसके पूर्ण के क्रियान्वयन के लिए 5 वर्ष आवश्यक है। सेमेस्टर प्रणाली में 3 महीने का टीचिंग पीरियड जरूरी है। दिसंबर और मई महीने में सेमेस्टर परीक्षाएं करवानी होगी। छात्रसंघ चुनाव होने से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जाएगी।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र ने दायर की थी याचिका

छात्रसंघ चुनाव न कराने के खिलाफ राजस्थान यूनिवर्सिटी एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार तीन सत्रों से चुनाव नहीं करवा रही है।

इसको लेकर हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को सुनवाई कर सरकार से जवाब मांगा था। बता दें कि छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदेश भर में छात्र नेता प्रदर्शन कर चुके हैं।

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