देश के टॉप 10 एग्रीकल्चर कॉलेज, पहले नंबर पर IARI दिल्ली

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 सितंबर 2024 | जयपुर : देशभर में 12वीं के बाद एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए एंट्रेंस एग्जाम हो चुके हैं। एग्रीकल्चर के लिए देश में सबसे प्रतिष्ठित दिल्ली के इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट 23 सितंबर को पहले चरण की काउंसलिंग के बाद सीट अलॉटमेंट रिजल्ट जारी कर देगा।

देश के टॉप 10 एग्रीकल्चर कॉलेज, पहले नंबर पर IARI दिल्ली

देश के टॉप 10 एग्रीकल्चर कॉलेज

ऐसे में इस बार टॉप कॉलेज में जानेंगे एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए देश के टॉप 10 कॉलेज, कोर्सेज और एडमिशन प्रोसेस..

1. इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, दिल्ली

ICAR दिल्ली एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट है। यहां एग्रीकल्चरल केमिकल्स, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चरल फिजिक्स, बायोकेमिस्ट्री, कंप्यूटर एप्लिकेशन जैसे 26 एकेडमिक डिपार्टमेंट्स हैं। इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1923 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां 12वीं के बाद BSc Hons एग्रीकल्चर, BTech एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, BTech बायोटेक्नोलॉजी जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में 12वीं के बाद ICAR UG एंट्रेंस एग्जाम क्वालिफाई करना जरूरी है।

इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1923 में हुई थी।

2. ICAR – नेशनल डेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल

ये एक सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट है। इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का स्टेटस दिया गया है। यहां फूड टेक्नोलॉजी, एनिमल केयर जैसे डिपार्टमेंट्स हैं। इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1923 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां BTech डेरी टेक्नोलॉजी, BTech फूड टेक्नोलॉजी जैसे दो अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम और 14 पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम ऑफर किए जाते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए ICAR UG एग्जाम क्वालिफाई करना जरूरी है।

इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1923 में हुई थी।

3. पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना

इस यूनिवर्सिटी में कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कॉलेज ऑफ होम साइंस एंड कॉलेज ऑफ बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज जैसे कॉलेज जुड़े हैं। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1962 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां से 12वीं के बाद BTech फूड टेक्नोलॉजी, BSc Hons एग्रीकल्चर, BTech बायोटेक्नोलॉजी, BSc Hons न्यूट्रीशियन एंड टेक्नोलॉजी जैसे 7 अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए यूनिवर्सिटी लेवल पर होने वाला CET एग्जाम क्वालिफाई करना जरूरी है।

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1962 में हुई थी।

4. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए अलग से डेडिकेटेड इंस्टीट्यूट है – इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 4 फरवरी 1916 को हुई थी।

कोर्सेज : यहां से 12वीं के बाद BSc Hons एग्रीकल्चर और MSc में एग्रीकल्चर से जुड़े अलग-अलग 6 स्पेशलाइजेशन में पढ़ाई कर सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए यूनिवर्सिटी लेवल पर होने वाला UET-Ag एग्जाम क्वालिफाई करना जरूरी है।

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 4 फरवरी 1916 को हुई थी।

5. इंडियन वेटेरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बरेली

इंडियन वेटेरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट वेटेरनरी मेडिसिन में एडवांस्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट है। ये एक सरकारी इंस्टीट्यूट है। इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का स्टेटस दिया गया है। देश भर में इस इंस्टीट्यूट के 7 रीजनल कैंपस हैं। इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1889 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां 12वीं के बाद बैचलर्स ऑफ वेटेरनरी साइंसेज में एडमिशन ले सकते हैं।

इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1889 में हुई थी।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : NEET UG , ICAR UG जैसे एंट्रेंस एग्जाम के स्कोर के बेसिस पर एडमिशन ले सकते हैं।

6. तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर

ये तमिलनाडु की सरकारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी है। मद्रास के एग्रीकल्चर कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिलाकर ये यूनिवर्सिटी बनाई गई है। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1965 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां से BSc Hons एग्रीकल्चर, BSc Hons बिजनेस मैनेजमेंट, BSc Hons सेरीकल्चर, BTech फूड टेक्नोलॉजी, BTech बायोटेक्नोलॉजी जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए कोई एंट्रेंस एग्जाम देना जरूरी नहीं है। 12वीं के मार्क्स के बेसिस पर अप्लाई कर सकते हैं।

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1965 में हुई थी।

7. चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार

ये हरियाणा की सरकारी यूनिवर्सिटी है। ये एशिया की सबसे बड़ी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी है। यूनिवर्सिटी कैंपस 8,645 एकड़ एरिया में बसा है। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1970 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां BSc Hons एग्रीकल्चरल और BTech एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए इंस्टीट्यूट लेवल पर होने वाले एग्रीकल्चरल एप्टीट्यूड टेस्ट में अप्लाई कर सकते हैं।

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1970 में हुई थी।

8. जी बी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर

ये देश की पहली एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी है। यहां एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट, बेसिक साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज, कम्युनिटी साइंस, वेटरनेरी एंड एनिमल साइंसेज जैसे 8 डिपार्टमेंट्स हैं। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1960 में की थी।

कोर्सेज : यहां BSc इन एग्रीकल्चर, BE फूड टेक्नोलॉजी जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए यूनिवर्सिटी लेवल एंट्रेंस एग्जाम देना जरूरी है। इसके अलावा NEET UG, JEE मेन्स जैसे एग्जाम के बेसिस पर एडमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1960 में की थी।

9. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन, फिशरीज यूनिवर्सिटी

ये इंस्टीट्यूट ICAR की एकेडमिक ब्रांच है। यहां एक्वाकल्चर, फिशरीज रिसोर्सेज, हार्वेस्ट एंड पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, फिश जेनेटिक्स एंड बायोटेक्नोलॉजी, सोशल साइंसेज जैसे डिपार्टमेंट्स हैं।

कोर्सेज : यहां ग्रेजुएशन के बाद 11 अलग-अलग स्पेशलाइजेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में मेरिट बेसिस पर एडमिशन ले सकते हैं।

इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1961 में हुई थी।

10. शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, श्रीनगर

ये एक सरकारी यूनिवर्सिटी है। यहां एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, एनवायर्नमेंटल, वेटेरनरी एंड एनिमल साइंसेज जैसे डिपार्टमेंट्स हैं। इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1961 में हुई थी।

कोर्सेज : यहां BSc वेटेरनरी साइंसेज, BSc इन फॉरेस्ट्री, BSc ऑफ फिशरीज साइंस जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।

इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1982 में हुई थी।

ऐसे मिलेगा एडमिशन : इन कोर्सेज में SKUAST एग्जाम यानी यूनिवर्सिटी लेवल एंट्रेंस एग्जाम के बेसिस पर एडमिशन ले सकते हैं।

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MOOKNAYAK MEDIA

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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणाछात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।

छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी। 

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल

किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।

सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था

राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-

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मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।

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किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे

कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?

यह भी पढ़ें : ‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।

किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 अगस्त 2025 | जयपुर – जोधपुर – उदयपुर : राज्य सरकार ने प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया है। सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया। 

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा है। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई है।

इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी है। सरकार के जवाब के बाद 14 अगस्त को मामले में हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।

छात्रों के वकील पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे

याचिकाकर्ता के एडवोकेट शांतनु पारीक ने कहा- सरकार ने कुलगुरुओं की सिफारिश पर चुनाव नहीं कराने का फैसला किया है। लेकिन हमारा कहना है कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के भी चुनाव होते है, कर्मचारी संघों के भी चुनाव होते हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र अपनी आवाज उठा सके और अपने मुद्दे प्रभावी रूप से रख सके। हम पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे।

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाये गये। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है।

चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

यह भी पढ़ें : सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 की एसओजी जाँच की आँच अशोक गहलोत के घर तक पहुँची, PSO गिरफ्तार

उन्होंने कहा- यूपी में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाया गया था। इसी तर्ज पर राजस्थान में भी बनाया जाना चाहिए। शिक्षा नीति सही तरीके से लागू करने के लिए गंभीरता से काम होना चाहिए और तब तक छात्र संघ चुनाव को स्थगित रखना ही उपयुक्त है।

तीन-चार साल चुनाव स्थगित रहने चाहिए

महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के कार्यवाहक कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने अपनी सिफारिश में कहा- विश्वविद्यालय में सत्र विलंब से चल रहा है। परीक्षा परिणाम आना बाकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन का कार्य चल रहा है। इसलिए तीन-चार साल के लिए छात्र संघ चुनाव स्थगित रहने चाहिए।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ इत्यादि को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जायेगी

गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के कुलगुरु प्रोफेसर के एस ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अगले 2 साल महत्वपूर्ण रहेंगे। इसके पूर्ण के क्रियान्वयन के लिए 5 वर्ष आवश्यक है। सेमेस्टर प्रणाली में 3 महीने का टीचिंग पीरियड जरूरी है। दिसंबर और मई महीने में सेमेस्टर परीक्षाएं करवानी होगी। छात्रसंघ चुनाव होने से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जाएगी।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र ने दायर की थी याचिका

छात्रसंघ चुनाव न कराने के खिलाफ राजस्थान यूनिवर्सिटी एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार तीन सत्रों से चुनाव नहीं करवा रही है।

इसको लेकर हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को सुनवाई कर सरकार से जवाब मांगा था। बता दें कि छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदेश भर में छात्र नेता प्रदर्शन कर चुके हैं।

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