चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 12 नवंबर 2024 | दिल्ली :  शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार के अनुसार, चार वर्षीय स्नातक डिग्री रखने वाले छात्र अब राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) देकर अपनी पीएचडी आकांक्षाओं की ओर सीधे कदम बढ़ा सकते हैं। यह नेट पात्रता के लिए मास्टर डिग्री की पारंपरिक शर्त से अलग है।

चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

चार वर्षीय स्नातक डिग्री से नेट और पीएचडी में सीधे एडमिशन, सहायक प्रोफ़ेसर बनने के लिए पीजी जरूरी नहीं

पीएचडी करने के इच्छुक उम्मीदवारों को, चाहे जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के साथ हो या उसके बिना, अब अपने स्नातक अध्ययन में 75 प्रतिशत अंक या समकक्ष ग्रेड की न्यूनतम आवश्यकता के साथ असाधारण शैक्षणिक प्रदर्शन करना होगा। मानक से हटकर, इस वर्ष की NET परीक्षा कंप्यूटर-आधारित टेस्ट प्रारूप से हटकर ऑफ़लाइन मोड में बदल जायेगी।

इस बदलाव का उद्देश्य उम्मीदवारों की विविध शैक्षणिक महत्वाकांक्षाओं को समायोजित करना है, चाहे उनका स्नातक विषय कोई भी हो। यह एक प्रतिमान बदलाव है जो डॉक्टरेट अध्ययन करने के इच्छुक लोगों के लिए नए दरवाजे खोल रहा है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो ने राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य एवम् राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के मूर्धन्य शिक्षाविद् प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा से सभी सवालों पर विस्तृत बातचीत की।

प्रोफ़ेसर मीणा ने पात्रता, विषय आवश्यकताओं, मास्टर्स डिग्री के महत्व को कम करने के बारे में चिंताओं, यूजीसी चार वर्षीय पाठ्यक्रम लागू करने के लिए विश्वविद्यालयों को निर्देश, और बहुत कुछ पर सवालों के जवाब दिये।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 01 : क्या किसी भी विषय से 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्र पीएचडी के लिए पात्र होंगे?

प्रोफ़ेसर मीणा : हां, 4 वर्षीय यूजी डिग्री वाले छात्र किसी भी विषय में पीएचडी कर सकते हैं, चाहे उनका बैचलर कोर्स कोई भी हो। वे नेट परीक्षा के अनुसार विषय चुनकर और चुने गए विषय में उपस्थित होकर ऐसा कर सकते हैं।

इससे अंतःविषयक शोध को मजबूती मिलेगी। अपने स्नातक अनुशासन के बाहर के क्षेत्रों में पीएचडी करने वाले स्नातकों के पास व्यापक कौशल होगा, जिससे वे नौकरी के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। यह व्यापक पात्रता छात्रों को उनके स्नातक प्रमुख की परवाह किए बिना, अपने शैक्षणिक हितों का पालन करने की अधिक स्वतंत्रता देती है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवल 02 : क्या इन छात्रों को पीएचडी करने के लिए एमए, एमएससी या एमकॉम की आवश्यकता नहीं होगी?

प्रोफ़ेसर मीणा : 4 वर्षीय यूजी डिग्री (पूरा हो चुका या अंतिम सेमेस्टर/वर्ष में) वाले छात्रों को पीएचडी के लिए आवेदन करने के लिए मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी। यह एक शर्त के साथ आता है: पीएचडी के लिए आवेदन करने के लिए छात्र के पास कुल मिलाकर न्यूनतम 75% अंक या समकक्ष ग्रेड होना चाहिए।

विशिष्ट श्रेणियों जैसे कि “अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBS) दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्गों” के लिए 5% की छूट है। यदि किसी छात्र के पास चार वर्षीय स्नातक डिग्री में अपेक्षित प्रतिशत नहीं है, तो वे मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद पीएचडी कार्यक्रम में शामिल होने के पात्र होंगे।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 03: कुछ छात्र जो 3-वर्षीय यूजी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हैं, बाद में पीएचडी के लिए पात्र होने हेतु एक और वर्ष करने का निर्णय लेते हैं, क्या उन्हें ऐसा करने की अनुमति होगी?

प्रोफ़ेसर मीणा : 4 वर्षीय यूजी प्रोग्राम में नामांकित छात्र पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि संस्थान 3 वर्षीय यूजी प्रोग्राम में छात्रों को राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप उपयुक्त पाठ्यक्रम प्रदान करके चौथे वर्ष में जाने की अनुमति देता है, तो ऐसे छात्र पीएचडी प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास कुल मिलाकर आवश्यक प्रतिशत हो।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 04 : क्या यूजीसी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 4 वर्षीय यूजी पाठ्यक्रमों की अनुमति देने के लिए कोई निर्देश जारी करने जा रहा है?

प्रोफ़ेसर मीणा : यूजीसी 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रमों के विभिन्न लाभों के बारे में विश्वविद्यालयों के साथ लगातार संपर्क में है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क लॉन्च होने के बाद से, यूजीसी देश भर के विश्वविद्यालयों के साथ पत्र लिख रहा है और चर्चा कर रहा है। वर्तमान में, 150 से अधिक विश्वविद्यालयों ने या तो 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं या आगामी शैक्षणिक वर्ष से शुरू करने जा रहे हैं।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को यह भी लिखा है कि वे 3 वर्षीय यूजी कार्यक्रम में छात्रों को ब्रिज कोर्स की मदद से 4 वर्षीय यूजी कार्यक्रम में शामिल होने दें। इससे उन छात्रों को लाभ होगा जो अपने तीसरे वर्ष को आगे बढ़ाना चाहते हैं और चौथे वर्ष को शोध के लिए समर्पित करना चाहते हैं।

यूजीसी सक्रिय रूप से विश्वविद्यालयों के साथ इस मुद्दे को उठा रहा है और उन्हें शिक्षार्थियों को स्वतंत्रता, लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिए इन प्रावधानों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 05 : कुछ छात्र इस बात से भी चिंतित हैं कि क्या इससे मास्टर्स स्तर के पाठ्यक्रमों का महत्व कम हो जायेगा? आप इसे किस तरह देखते हैं?

प्रोफ़ेसर मीणा : स्नातकोत्तर अध्ययन करने के कई लाभ हैं। 04 वर्षीय यूजी कार्यक्रम लचीलेपन को बढ़ावा देने और उच्च शिक्षा के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए शुरू किया गया है और यह विशेष, उन्नत और पेशेवर स्नातकोत्तर डिग्री की आवश्यकता को प्रतिस्थापित नहीं करेगा। स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने का उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा में एक और डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है।

यह छात्रों को बहु-विषयक क्षेत्रों में लाकर उनके लिए उपलब्ध अवसरों का विस्तार करता है। साथ ही, 04 वर्षीय यूजी डिग्री के बाद काम करने वालों के लिए, 01 वर्षीय मास्टर डिग्री उन्हें अपने कौशल और ज्ञान को उन्नत करने के अवसर प्रदान करेगी।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 06 : पीएचडी के लिए पात्र होने के लिए 4 वर्षीय यूजी कोर्स में 75% अंक की आवश्यकता होती है, जबकि मानविकी, वाणिज्य और विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रमों में बहुत कम छात्र इतने अंक प्राप्त कर पाते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

प्रोफ़ेसर मीणा : जिन लोगों के 04 साल के यूजी प्रोग्राम में 75% अंक नहीं हैं, वे 01 साल का पीजी प्रोग्राम कर सकते हैं और फिर यूजीसी-नेट लिख सकते हैं। हम भारतीय विश्वविद्यालयों को जल्द से जल्द 01 साल का पीजी प्रोग्राम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, और उनमें से कई 1 साल का पीजी प्रोग्राम शुरू कर रहे हैं।

मूकनायक मीडिया ब्यूरो सवाल 07 : क्या आप 04 वर्षीय यूजी कोर्स के लिए पीएचडी की पात्रता से संबंधित विवरण साझा कर सकते हैं? क्या उन्हें नेट देना होगा या नहीं?

प्रोफ़ेसर मीणा : यूजीसी पीएचडी विनियमों के अनुसार, 75% अंकों या समकक्ष ग्रेड के साथ 04 वर्षीय/8 सेमेस्टर की स्नातक डिग्री वाला उम्मीदवार पीएचडी प्रवेश के लिए पात्र है। विनियमों के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर), दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 5% अंक या इसके समकक्ष ग्रेड की छूट दी जाती है।

यह भी पढ़ें : यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रोफेसर भर्ती योग्यता के बदलेंगे नियम, बिना पीजी 4 वर्षीय स्नातक बन सकेंगे सहायक प्रोफ़ेसर

वे 04 वर्षीय यूजी कार्यक्रम के छात्र जो पीएचडी में शामिल होना चाहते हैं, वे नेट में शामिल हो सकते हैं। नेट में शामिल होने से शिक्षार्थियों के लिए अधिक अवसर सुलभ हो जाते हैं। वे पीएचडी करने के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) पुरस्कार के लिए पात्र हो सकते हैं (जो पहले ऐसा नहीं था) या परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्र हो सकते हैं।

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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणाछात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।

छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी। 

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल

किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।

सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था

राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-

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मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।

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किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे

कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?

यह भी पढ़ें : ‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।

किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

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‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 अगस्त 2025 | जयपुर – जोधपुर – उदयपुर : राज्य सरकार ने प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया है। सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया। 

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा है। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई है।

इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी है। सरकार के जवाब के बाद 14 अगस्त को मामले में हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।

छात्रों के वकील पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे

याचिकाकर्ता के एडवोकेट शांतनु पारीक ने कहा- सरकार ने कुलगुरुओं की सिफारिश पर चुनाव नहीं कराने का फैसला किया है। लेकिन हमारा कहना है कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के भी चुनाव होते है, कर्मचारी संघों के भी चुनाव होते हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन नहीं चाहता है कि छात्र अपनी आवाज उठा सके और अपने मुद्दे प्रभावी रूप से रख सके। हम पुरजोर तरीके से अपनी बात कोर्ट में रखेंगे।

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाये गये। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है।

चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

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उन्होंने कहा- यूपी में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाया गया था। इसी तर्ज पर राजस्थान में भी बनाया जाना चाहिए। शिक्षा नीति सही तरीके से लागू करने के लिए गंभीरता से काम होना चाहिए और तब तक छात्र संघ चुनाव को स्थगित रखना ही उपयुक्त है।

तीन-चार साल चुनाव स्थगित रहने चाहिए

महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के कार्यवाहक कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने अपनी सिफारिश में कहा- विश्वविद्यालय में सत्र विलंब से चल रहा है। परीक्षा परिणाम आना बाकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन का कार्य चल रहा है। इसलिए तीन-चार साल के लिए छात्र संघ चुनाव स्थगित रहने चाहिए।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ इत्यादि को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जायेगी

गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के कुलगुरु प्रोफेसर के एस ठाकुर ने कहा- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अगले 2 साल महत्वपूर्ण रहेंगे। इसके पूर्ण के क्रियान्वयन के लिए 5 वर्ष आवश्यक है। सेमेस्टर प्रणाली में 3 महीने का टीचिंग पीरियड जरूरी है। दिसंबर और मई महीने में सेमेस्टर परीक्षाएं करवानी होगी। छात्रसंघ चुनाव होने से सेमेस्टर प्रणाली अव्यवस्थित हो जाएगी।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र ने दायर की थी याचिका

छात्रसंघ चुनाव न कराने के खिलाफ राजस्थान यूनिवर्सिटी एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार तीन सत्रों से चुनाव नहीं करवा रही है।

इसको लेकर हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को सुनवाई कर सरकार से जवाब मांगा था। बता दें कि छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदेश भर में छात्र नेता प्रदर्शन कर चुके हैं।

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