एसआईटी रिपोर्ट में भी भोले बाबा को क्लीनचिट

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 06 जुलाई 2024 | हाथरस :  हाथरस हादसे के 7 दिन बाद UP सरकार ने पहला एक्शन लिया। SDM, CO समेत 6 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। सरकार ने SIT की रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की। SIT ने सोमवार रात CM योगी को 900 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी।

एसआईटी रिपोर्ट में भी भोले बाबा को क्लीनचिट

सरकार ने SIT रिपोर्ट में से 9 विशेष बातों का जिक्र करते हुए एक विज्ञप्ति जारी की, जिसमें कहीं भी भोले बाबा का नाम नहीं है। आयोजकों और प्रशासनिक अधिकारियों को लापरवाह बताया गया। इस तरह जिला प्रशासन के बाद सरकार से भी भोले बाबा को क्लीन चिट मिल गई है।

जिन अफसरों को सस्पेंड किया गया, उनमें SDM रविंद्र कुमार, CO आनंद कुमार के अलावा इंस्पेक्टर आशीष कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार और चौकी इंचार्ज कचौरा मनवीर सिंह और पारा चौकी इंचार्ज बृजेश पांडे शामिल हैं।

भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के संगठन से जुड़े मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर के राजनीतिक संबंध और फंडिंग का तथ्य सामने आना कुछ बड़ा इशारा कर रहा है। इसी दिशा में पहले से काम कर रही एसटीएफ ने अपने प्रयास और तेज कर दिये हैं।

यूपी एसटीएफ प्रदेश के साथ-साथ देश भर में बाबा की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है। देवप्रकाश सरीखे सभी आयोजकों के फंडिंग संपर्क, राजनीतिक संबंध आदि खंगाले जा रहे हैं। संकेत यहां तक हैं कि यह पूरा ब्योरा एकत्रित कर इसकी तह तक जाने के लिए ईडी तक को जांच में शामिल किया जा सकता है। ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके कि बाबा ने महज 35 वर्ष में इतना बड़ा साम्राज्य कैसे और किन लोगों के सहयोग से खड़ा किया।

जांच करने हाथरस पहुंचा न्यायिक आयोग

न्यायिक आयोग ने नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ से हुई 121 मौतों की जांच शुरू कर दी है। आयोग की टीम शनिवार को हाथरस पहुंची और शीर्ष अधिकारियों से मिलने के अलावा घटनास्थल व अस्पतालों में पहुंचकर जानकारी जुटाई।

हाथरस पुलिस ने इस मामले में दो और आरोपियों संजू यादव व रामप्रकाश शाक्य को गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार देर रात पकड़े गए मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर और संजू यादव को पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। शाक्य को रविवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले में अब तक नौ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
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हाथरस हादसे में 121 मौतों के बाद बेशक भोले बाबा उर्फ सूरजपाल को अभी तक क्लीनचिट मिली हुई है। न तो बाबा का मुकदमे में नाम है और न एसआईटी ने बयान के लिए बुलाया है। हां, बाबा के अधिवक्ता ने जरूर आकर एसआईटी के समक्ष अपना पक्ष रखा। मगर जैसे जैसे तथ्य सामने आते जा रहे हैं, वैसे वैसे यूपी पुलिस की जांच उसी दिशा में आगे बढ़ रही है।

संकेत हैं कि जांच की यही दिशा किसी दिन बाबा पर शिकंजे का काम करेगी। खुद घटना के दूसरे दिन हाथरस पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनीतिक संबंधों, साजिश आदि की ओर इशारा किया था।

यहां तक कहा था कि सभी लोग जानते हैं कि किन नेताओं से बाबा के संबंध हैं। उसके बाद से एसटीएफ को काम पर लगाया गया है। जो बाबा के साम्राज्य, धन संग्रह के तरीके, धन के ब्योरे, संपत्तियों आदि पर काम कर रही है।

फंडिंग को लेकर यह तथ्य आ रहे सामने

बाबा, उसके संगठन की अब तक की जांच और देवप्रकाश से हुई पूछताछ में उजागर हुआ है कि आयोजन समिति में सिर्फ सरकारी सेवकों और व्यापारी-कारोबारी लोगों को रखा जाता है। ये लोग खुद अपने पास से धन देते हैं। साथ में अपने अपने प्रभाव क्षेत्र में धन एकत्रित करके देते हैं।

हालांकि धन एकत्रित करते समय कोई दबाव नहीं होता। जिसकी जैसी इच्छा उतना धन लिया जाता है। यह धन होता तो आयोजन के खर्च के नाम पर एकत्रित होता है। मगर इसका कोई ब्योरा नहीं होता कि कितना धन एकत्रित हुआ और कितना आयोजन पर खर्च हुआ। क्योंकि तमाम जरूरी संसाधन तो ऐसे भी होते हैं जो बाबा के भक्त लोग खुद ही मुहैया करा देते हैं।

इसके बाद धन कहां जाता है। उसका प्रयोग कौन करता है। यह अपने आप में सवाल है। गिरफ्तार मुख्य आयोजक सहित ऐसे अन्य आयोजकों के खातों को दिखवाया जा रहा है। उनसे जुड़े अन्य लोगों के खातों को दिखवाया जा रहा है। साथ में बाबा की संपत्तियों, उसके खर्चों आदि को भी देखा जा रहा है।

गाड़ियाें तक का ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है। सुरक्षा गार्डों पर होने वाले खर्च की जानकारी जुटाई जा रही है। साथ में मुख्य आयोजकों के करीबी रिश्तेदारों, उनके खास लोगों के खातों व उनके लेनदेन पर भी नजर रखी जा रही है।

35 वर्ष में खड़ा हुआ है यह साम्राज्य

किराये पर रहकर पुलिस में नौकरी करने वाला बाबा सूरजपाल इतने बड़े साम्राज्य का मालिक 1990 के बाद से अब तक हुआ है। इसी दिशा में जांच तेज हो रही है कि ये संपत्तियां किसके सहयोग से जुटाई गई हैं। मददगार कौन कौन हैं। राजनीतिक सहयोग किस तरह से होता है। सरकारी सेवकों और धनाढ्यों को ही आयोजन समिति में क्यों रखा जाता है।

सिकंदराराऊ की आयोजन समिति में ज्यादातर शिक्षक-लेखपाल

सिकंदराराऊ के जिस आयोजन में यह हादसा हुआ है, उसमें अधिकतर सरकारी सेवक हैं। जिनमें सबसे बड़ी संख्या शिक्षकों व लेखपालों की है। ये भी अपने आप में जांच का विषय है। मुकदमे में वे लोग गिरफ्तार होंगे तो उनके खातों और उनके द्वारा जुटाए गए धन आदि का ब्योरा एकत्रित किया जाएगा।

मुख्य सेवादार के बयानों में फंडिंग, मनी ट्रेल, राजनीतिक संबंध आदि जानकारियां मिली हैं। अब ये कहां, कैसे और किनसे हैं? कौन मददगार हैं? फंडिंग कहां कैसे किसके माध्यम से होती है? ये सब जांच में साफ होगा। इसमें अन्य एजेंसियों की भी जरूरत के अनुसार मदद ली जाएगी।
– निपुण अग्रवाल, एसपी हाथरस।

जहां सर्वाधिक मौतें हुईं, आयोग के सदस्यों ने देखा वह गड्ढा

गांव फुरलई मुगलगढ़ी में हुए हादसे की जांच करने आए न्यायिक आयोग के सदस्यों को अधिकारियों ने सड़क किनारे वह गड्ढा और नाली दिखाई, जिसमें गिरकर सर्वाधिक मौतें हुईं। सीओ डॉ. आनंद यादव और कोतवाली निरीक्षक आशीष कुमार सिंह ने टीम को बताया कि पानी के छिड़काव के कारण सड़क से नीचे फुटपाथ पर कीचड़ हो गया था।

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भीड़ बचने के लिए खाली खेत की तरफ भागी तो फिसलन के कारण श्रद्धालु नाली में गिरते गए। कुछ नाली से निकलकर दलदली खेत में पहुंच गए। जो नाली में गिरे, लोग उन्हें पांवों से रौंदते हुए आगे बढ़ते गए। खेत में दलदल होने के कारण महिलाएं वहां चल नहीं सकीं और गिर गईं। ज्यादातर मौतें यहीं पर हुईं। सड़क पर बेहोश हुई महिलाओं के ऊपर फायर ब्रिगेड की गाड़ी से पानी डाला गया, जिसके बाद काफी महिलाएं होश में आ गईं।

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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणाछात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।

छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी। 

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल

किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।

सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था

राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-

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मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।

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किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे

कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?

यह भी पढ़ें : ‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।

किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

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उपनिरीक्षक-प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन शुरू

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 |  जयपुर – अजमेर : राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से निकाली गई उपनिरीक्षक/प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन आज यानि 10 अगस्त से शुरू कर दिया गया है। इसके लिए आवेदन की लास्ट डेट 8 सितंबर तक है। आयोग ने इसके लिए एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित की है।

उपनिरीक्षक-प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन शुरू

बता दें कि साल 2021 में निकाली गई सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। फिलहाल इसे रद्द करना है या नहीं, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

यह भी देखें : सब इंस्पेक्टर भर्ती की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग Link

  • शैक्षणिक योग्यता– किसी भी यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री, अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे कैंडिडेट्स भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन इंटरव्यू शुरू होने की डेट तक तय योग्यता होना जरूरी है।
  • आयु सीमा, तीन साल की छूट– कैंडिडेट्स की आयु 1 जनवरी 2026 को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम 25 साल होनी चाहिए। इससे पहले साल 2021 में भर्ती निकाली गई थी। इसलिए इस बार कैंडिडेट्स को 3 साल की अतिरिक्त छूट दी गई है।
  • सिलेक्शन– लिखित परीक्षा व इंटरव्यू से चयन होगा। विस्तृत पाठ्यक्रम आयोग की वेबसाइट पर अलग से जारी होगा। लिखित परीक्षा में 200-200 अंक के दो पेपर होंगे।
  • परीक्षा – मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन में (ऑफलाइन/ऑनलाइन) ली जाएगी। एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए करें यहां क्लिक

इन 3 भर्तियों में आवेदन प्रोसेस जारी

इन 2 वैकेंसी में भी जल्द शुरू होंगे आवेदन

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