‘एक देश एक परीक्षा’ पर 4 साल में 58 करोड़ खर्च परिणाम शून्य

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 20 जुलाई 2024 | दिल्ली : केंद्र सरकार ने 2020 में ऐलान किया था कि युवाओं के लिए एक देश-एक परीक्षा की व्यवस्था होगी। इसके तहत वे कई परीक्षाओं में बैठने के बजाय एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करके सरकारी नौकरी के लिए पात्र बन जाएंगे। नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (NRA) यानी राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई।

‘एक देश एक परीक्षा’ पर 4 साल में 58 करोड़ खर्च परिणाम शून्य

सरकारी भर्ती प्रक्रिया में एक बड़े और ऐतिहासिक बदलाव की ओर कदम उठाते हुए 19 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) के निर्माण को मंजूरी दे दी।

‘एक देश एक परीक्षा’ पर 4 साल में 58 करोड़ खर्च परिणाम शून्य

वर्तमान में, सरकारी नौकरियों की तलाश करने वाले उम्मीदवारों को विभिन्न पदों के लिए कई भर्ती एजेंसियों द्वारा आयोजित अलग-अलग परीक्षाओं के लिए उपस्थित होना पड़ता है, लेकिन अब NRA सभी गैर राजपत्रित पदों की केंद्र सरकार नौकरियों के लिए एक सामान्य पात्रता परीक्षा (CET) आयोजित कराएगा जिससे अभ्यार्थियों को एक ही परीक्षा में उपस्थित होना पड़ेगा जो उनके समय और खर्च दोनों को ही बचाएगा।

परिणाम की घोषणा की तारीख से उम्मीदवार का CET स्कोर तीन साल की अवधि के लिए वैध होगा।यह उम्मीदवार के साथ-साथ व्यक्तिगत भर्ती एजेंसी को भी उपलब्ध कराया जाएगा। वैध स्कोर के सर्वश्रेष्ठ को उम्मीदवार का वर्तमान स्कोर माना जाएगा। जबकि CET में उपस्थित होने के लिए उम्मीदवार द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

यह ऊपरी आयु सीमा के अधीन होगा। हालांकि, ऊपरी आयु सीमा में छूट अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को सरकार की मौजूदा नीति के अनुसार दी जाएगी।

कईयों के दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर NRA काम कैसे करेगा? कैसे CET परीक्षा आयोजित कराई जाएगी? कैसे मिलेगा उसका लाभ मिलेगा? इन सभी सवालों का जवाब आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में देंगे;

मूकनायक मीडिया ब्यूरो ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला, यह एजेंसी पिछले 4 साल में करीब 58 करोड़ खर्च करने के बावजूद अभी तक एक भी परीक्षा नहीं करा पाई है। इससे उन ढाई करोड़ बेरोजगारों की उम्मीदों को झटका लगा है, जो हर साल 1.25 लाख सरकारी नौकरियों के लिए भटकते हैं।

अब तक पहली परीक्षा कराने की तारीख का ऐलान नहीं कर पाई एजेंसी

नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की परिकल्पना एक स्वतंत्र, पेशेवर और विशेषज्ञ संगठन के तौर पर की गई थी। इसे कंप्यूटर बेस्ड ऑनलाइन कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का जिम्मा दिया गया ताकि नॉन गजैटिड पोस्ट पर भर्ती की जा सके। इसमें रेलवे, वित्त मंत्रालय, स्टाफ सलेक्शन कमिशन यानी SSC, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड्स यानी RRB और इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन यानी IBPS के प्रतिनिधि शामिल करने थे।

इन एजेंसियों ने कहा कि कॉमन टेस्ट के बावजूद वे अपनी परीक्षाएं अलग से कराना जारी रखेंगे। यानी तीन परीक्षाओं को हटाकर एक परीक्षा कराने की योजना एक और नई परीक्षा जुड़ने के रूप में सामने आएगी।

वादा था- पहला कॉमन टेस्ट 2021 में होगा

  • फरवरी 2020 में केंद्र ने नॉन-गजैटिड सरकारी नौकरियों के लिए देश में साझा परीक्षा का वादा किया।
  • अगस्त 2020 में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) का गठन करने की अधिसूचना जारी की गई।
  • 10 फरवरी 21 को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने वादा किया, पहला कॉमन टेस्ट 2021 में करवाया जाएगा।
  • 22 मई 2022 को जितेंद्र सिंह ने संसद में फिर एक वादा किया कि कॉमन टेस्ट इसी साल कराएंगे।
  • 10 अगस्त 2023 को सरकार ने संसद को सूचित किया कि सूचना टेक्नोलॉजी और अन्य ढांचा तैयार होने और विभिन्न चरणों के बारे में मानक और दिशा निर्देश तय होने पर ही कॉमन योग्यता टेस्ट हो पाएगा।

हकीकत- बार-बार फटकार, पर सुधार नहीं

  • 2020 की बजट घोषणा में कहा गया कि NRA पर तीन साल में 1,517 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे।
  • 2021-22 में इस पर 13 करोड़ और दिसंबर 22 तक 20.50 करोड़ रुपए खर्च भी किए जा चुके थे।
  • दिसंबर 2023 में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि NRA 58.32 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी।
  • समिति ने पूछा कि NRA की परीक्षा दिन का उजाला कब देखेगी? एक्शन रिपोर्ट में सरकार ने जवाब में कहा, NRA की सूचना के अनुसार भर्ती एजेंसियों के सामने आने वाली समस्याओं का विस्तार से अध्ययन कराया जा रहा है। हम विभिन्न राज्यों और संगठनों में परीक्षा प्रथाओं की स्टडी जारी रखेंगे।

दावा था- साल में 2 बार टेस्ट कराया जाएगा

  • साल में दो बार कॉमन ​एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) होगा। परीक्षा देश की 12 भाषाओं में होगी।
  • देश के हर जिले में परीक्षा का सेंटर होगा। एक हजार सेंटरों पर CET कराएंगे। देश के 117 आकांक्षी जिलों के उम्मीदवारों पर विशेष फोकस रहेगा।

छात्रों का परीक्षा का खर्च, समय और पैसा बच जाता

  • अगर कॉमन एलिबिलिटी टेस्ट से सरकारी नौकरियों की पात्रता तय होती है, तो करोड़ों बेरोजगारों को सालभर अलग-अलग परीक्षाओं में नहीं बैठना पड़ेगा।
  • एक परीक्षा होने से उसकी फीस भी कम होगी। हर जिले में सेंटर रखा जाएगा, तो परीक्षाओं के लिए दूर-दराज इलाकों में उनके आने-जाने का खर्च भी बचेगा।
  • यदि अपने जिले में परीक्षा होगी, तो ज्यादा से ज्यादा महिलाएं हिस्सा ले सकेंगी।
  • आवेदकों को एक ही रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकरण करने की जरूरत होगी।
  • परीक्षा की तारीखें टकराने का खतरा खत्म हो जाएगा। एक ही पर फोकस रहेगा।

संस्था की करीब 600 करोड़ रु. की बचत हो जाती

  • संस्थाओं को अभ्यर्थियों का प्री/स्कैनिंग टेस्ट लेने के झंझट से मुक्त मिल जाएगी।
  • इससे भर्ती प्रक्रिया का समय अपेक्षाकृत काफी हद तक कम होने की उम्मीद है।
  • अलग-अलग भर्ती एजेंसियों का खर्च घट जाएगा। करीब 600 करोड़ रु. बचेंगे।

संसदीय समिति की फटकार, विशेषज्ञ समितियों के मैराथन विचार-विमर्श और साल-दर-साल संसदीय आश्वासनों के बावजूद यह एजेंसी पहली परीक्षा कराने के बारे में भी कोई तारीख घोषित नहीं कर पाई है। सूत्रों के मानें तो नौकरी देने वाली तीनों सरकारी एजेंसियों (SSC, RRB और IBPS) ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

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आदिवासी दिवस रणनीति – संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 अगस्त 2025 | दिल्ली – जयपुर (विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष) :  जीवन में असफल हुए कई लोग वे होते हैं, जिन्हें इस बात का आभास नहीं होता कि जब उन्होंने हार मान ली जबकि वे सफलता के कितने करीब थे।

आदिवासी दिवस रणनीति – संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी

एक नन्हा पक्षी अपने परिजनों से बिछड़ कर घोंसले से बहुत दूर आ गया था। नन्हा पक्षी समझ नहीं पा रहा था कि वह अपने घोंसले तक कैसे पहुँचे?  वह उड़ान भरने की भरसक कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार कुछ ऊपर उड़कर नीचे गिर जाता। कुछ दूरी पर दो पक्षी यह दृश्य बड़े ध्यान से देख रहे थे।

कुछ देर देखने के बाद वे नन्हें पक्षी के करीब पहुँचे। नन्हा पक्षी उन्हें देखकर थोड़ा घबरा गया। उन पक्षियों में से एक पक्षी थोड़ा बूढ़ा और समझदार था, उसने नन्हें पक्षी से पूछा, ‘क्या हुआ नन्हें पक्षी काफी परेशान दिख रहे हो?” वह बोला, “मैं रास्ता भटक गया हूं और मुझे शाम होने से पहले अपने घर लौटना है। मेरे घरवाले बहुत परेशान हो रहे होंगे। क्या आप मुझे उड़ना सिखा सकते हैं?

मैं काफी देर से कोशिश कर रहा हूं पर कामयाबी नहीं मिल पा रही है। बूढ़ा पक्षी (थोड़ी देर सोचने के बाद) बोला, ‘जब उड़ान भरना सीखा नहीं, तो इतनी दूर आने की क्या जरूरत थी ?’ वह नन्हें पक्षी का मजाक उड़ाने लगा। उसकी बातों से नन्हा पक्षी बहुत क्रोधित हो रहा था।

बूढ़ा पक्षी हंसते हुए बोला, ‘देखो हम तो उड़ान भरना जानते हैं और अपनी मर्जी से कहीं भी जा सकते हैं। इतना कहकर बूढ़े पक्षी ने नन्हें पक्षी के सामने पहली उड़ान भरी। वह थोड़ी देर बाद लौटकर आया और दो-चार कड़वी बातें बोल कर पुनः उड़ गया।

ऐसा उसने पांच-छह बार किया और जब इस बार वह उड़ान भर कर वापस आया तो नन्हा पक्षी वहाँ नहीं था। बूढ़े पक्षी ने अपने मित्र से पूछा, ‘नन्हें पक्षी ने उड़ान भर ली न ?’ उस समय बूढ़े पक्षी के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। मित्र पक्षी बोला, ‘ही नन्हें पक्षी ने तो उड़ान भर ली लेकिन तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो? तुमने तो उसका कितना मजाक उड़ाया था।”

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बूढ़ा पक्षी बोला, ‘मित्र तुमने मेरी सिर्फ नकारात्मकता पर ध्यान दिया लेकिन नन्हा पक्षी मेरी नकारात्मकता पर कम और सकारात्मकता पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। इसका मतलब यह है कि उसने मेरे मजाक को अनदेखा करते हुए मेरी उड़ान भरने वाली चाल पर ज्यादा ध्यान दिया और वह उड़ान भरने में सफल हुआ। मित्र पक्षी बोला, ‘जब तुम्हें उसे उड़ान भरना सिखाना ही था, तो उसका मजाक बनाकर क्यों सिखाया ?’

बूढ़ा पक्षी बोला, ‘मित्र, नन्हा पक्षी अपने जीवन की पहली बड़ी उड़ान भर रहा था और मैं उसके लिए अजनबी था। अगर मैं उसको सीधे तरीके से उड़ना सिखाता, तो वह सारी जिंदगी मेरे उपकार के नीचे दबा रहता और आगे भी शायद ज्यादा कोशिश नहीं करता।

मैंने उस पक्षी के अंदर छिपी लगन देखी थी। जब मैंने उसको कोशिश करते हुए देखा था, तभी समझ गया इसे बस थोड़ी-सी दिशा देने की जरूरत है और जो मैंने अनजाने में उसे दी और वह अपनी मंजिल पाने में कामयाब रहा।

कहानी के प्रतीक : इस छोटी सी कहानी में प्रतीकात्मक रूप में नन्हा पक्षी (अभावों और विकट परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहा आदिवासी-दलित समाज), बूढ़ा पक्षी (दलित-आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी) और मित्र पक्षी (चतुर-चालाक सवर्ण व्यक्ति जो दलित आदिवासी समुदायों के रसूखदार लोगों से मित्रता का भाव रखकर अपने उल्लू सीधे करते हैं, पर वास्तविक रूप से दलित आदिवासी समुदायों के पक्के शत्रु) के प्रतीक हैं।

सीखः सच्ची मदद वही है, जो सहायता पाने वाले को यह महसूस न होने दे कि उसकी मदद की गयी है। बहुत बार लोग मदद तो करते हैं पर उसका ढिढोरा पीटने से नही थकते, ऐसी मदद किस काम की। यह कहानी हम इन्सानों के लिए एक सीख है कि हम लोगों की मदद तो करें पर उसे जतायें नहीं।

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राहुल गाँधी ने ईसी पर फोड़ा एटम बम, तिलमिलाया चुनाव आयोग

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 07 अगस्त 2025 | दिल्ली – जयपुर : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को वोटर लिस्ट में गड़बड़ पर 1 घंटे 11 मिनट तक 22 पेज का प्रजेंटेशन दिया। राहुल ने स्क्रीन पर कर्नाटक की वोटर लिस्ट दिखाते हुए कहा कि वोटर लिस्ट में संदिग्ध वोटर मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के नतीजे देखने के बाद हमारा शक पुख्ता हुआ कि चुनाव में चोरी हुई है। मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं देने से हमें भरोसा हुआ कि चुनाव आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र के चुनाव की चोरी की है।

राहुल गाँधी ने ईसी पर फोड़ा एटम बम, तिलमिलाया चुनाव आयोग

राहुल ने कहा कि हमने यहां वोट चोरी का एक मॉडल पेश किया, मुझे लगता है कि इसी मॉडल का प्रयोग देश की कई लोकसभाओं और विधानसभाओं में हुआ। राहुल के आरोपों पर कर्नाटक चुनाव आयोग ने शपथ पत्र मांगा है। कहा कि वे लिखित में शिकायत करें ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके। 

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर राहुल गांधी हमलावर
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बीते कुछ समय से चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर लगातार हमलावर हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और कुछ अन्य जगहों की मतदाता सूची के आधार पर चौंकाने वाले दावे किए हैं।

मतदाता सूची में जोड़े गए हजारों-लाखों नाम का उल्लेख करते हुए राहुल ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन न करते हुए वोट की चोरी की जा रही है। उन्होंने कई आंकड़ों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि आयोग की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है। 

शुरुआत कर्नाटक से की, महादेवपुरा सीट पर 1 लाख वोट चोरी

‘भाजपा के लिए की जा रही है वोटों की चोरी’
राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से जुटाए गए सबूतों का जिक्र करते हुए कहा कि वोटों की चोरी भाजपा के लिए की जा रही है। मतदाता सूची के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद ने सवाल किया कि आयोग इस मुद्दे  पर जवाब क्यों नहीं दे रहा है। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में चंद महीने में लाखों मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े गए, जो काफी चिंताजनक है। राहुल का कहना है कि, शाम पांच बजे के बाद वोटर टर्नआउट का बढ़ना भी हैरान करने वाला है।

बताया- 6 महीने में 7 फीट तक ऊंचे पेपर्स खंगाले, सबूत जुटाए

महाराष्ट्र में भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत
नवंबर 2024 में कराए गए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद हमारे संदेह की पुष्टि हुई कि विधानसभा चुनाव में ‘धांधली’ हुई… मशीन में पढ़ी जा सकने वाली मतदाता सूची नहीं मुहैया कराए जाने से हमें यकीन हो गया कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में चुनाव में ‘धांधली’ के लिए भाजपा के साथ मिलीभगत की है।

राहुल ने प्रेजेंटेशन में दिखाया, 5 तरह से वोट चोरी कैसे हुई

मतदाता सूची इस देश की संपत्ति है- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, ‘महाराष्ट्र में, 5 महीनों में 5 साल से ज्यादा मतदाताओं के जुड़ने से हमारा संदेह बढ़ा और फिर शाम 5 बजे के बाद मतदान में भारी उछाल आया… लोकसभा में हमारा गठबंधन पूरी तरह से साफ हो गया। यह बेहद संदिग्ध है। हमने पाया कि लोकसभा और विधानसभा के बीच एक करोड़ नए मतदाता जुड़ गए। हम चुनाव आयोग गए और यह लेख लिखा और हमारे तर्क का सार यह था कि महाराष्ट्र चुनाव चुराया गया था। समस्या की जड़ क्या है? मतदाता सूची इस देश की संपत्ति है। चुनाव आयोग हमें मतदाता सूची देने से इनकार कर रहा है।’

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वोटों की चोरी पकड़ने में छह महीने का वक्त लगा- राहुल
इस दौरान राहुल गांधी ने सवाल पूछा- शाम पांच बजे के बाद वोटिंग क्यों बढ़े? चुनाव आयोग इसका जवाब दें। राहुल गांधी ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने वोटों की धांधली के मामले में चुनाव आयोग से सवाल पूछे हैं, लेकिन आयोग ने एक भी जवाब नहीं दिया। इस दौरान राहुल गांधी ने दावा किया कि हमें वोटों की चोरी पकड़ने में छह महीने का वक्त लगा है।

1. डुप्लीकेट वोटर्स: 11,965: राहुल का दावा- वोटर लिस्ट में एक ही शख्स कई जगह नजर आया। हर बार उसका बूथ नंबर अलग था। 11 हजार संदिग्ध ऐसे हैं, जिन्होंने तीन-तीन बार वोट डाला। ये लोग कहां से आ रहे हैं?

2. फेक एड्रेस: 40,009 वोटर्स: राहुल का दावा- बेंगलुरु सेंट्रल में 40 हजार से ज्यादा वोटर्स का पता फर्जी पाया गया। उन पतों पर कोई नहीं रह रहा था, तो फिर वोट किसने डाला। एक ही पते पर 46 वोटर्स हैं।

3. एक पते पर कई वोटर्स: राहुल का तीसरा दावा- एक पते पर कई वोटर्स मिले। बूथ नंबर 470 पर लिस्टेड 35 नंबर के घर पर 80 मतदाता मिले। वहीं ऐसे ही दूसरे घर में एक साथ 46 वोटर्स लिस्ट किए गए।

4. अवैध फोटो: राहुल का दावा- 4132 वोटर्स ऐसे थे जिनकी वोटर आईडी में तस्वीर इनवैलिड थी। कुछ तस्वीरें इतनी छोटी थीं कि उन्हें पहचानना मुश्किल था, तो फिर उन्होंने वोट कैसे डाल दिया।

5. फॉर्म -6 से फर्जीवाड़ा: 70 साल की शकुन रानी ने एक महीने के अंदर दो बार वोटर आईडी कार्ड बनवाने के लिए फॉर्म 6 भरा। एक बार उनकी तस्वीर दूर से खींची गई थी। दूसरी बार उन्होंने जूम करके तस्वीर लगाई। फॉर्म 6 वह फॉर्म है जिससे कोई भी नया मतदाता, यानी जिसने पहले कभी वोटर कार्ड नहीं बनवाया है। वह अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए आवेदन करता है।

कर्नाटक में भी फर्जी मतदाता होने का दावा
कांग्रेस सांसद ने महाराष्ट्र के अलावा एक अन्य राज्य को लेकर भी चौंकाने वाला दावा किया। बकौल राहुल गांधी, कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर 6.5 लाख वोटों में से 1 लाख से अधिक वोटों की ‘वोट चोरी’ हुई। कांग्रेस के शोध में कर्नाटक के महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में एक लाख से अधिक फर्जी मतदाता, अवैध पते और बड़ी संख्या में मतदाता (बल्क वोटर्स) पाए गए।

पूरे देश में बड़े पैमाने पर ‘आपराधिक धोखाधड़ी’ 
देशभर में चुनाव कराने की एकमात्र सांविधानिक इकाई- निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, सत्तारूढ़ पार्टी चुनाव आयोग के साथ मिलकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर ‘आपराधिक धोखाधड़ी’ कर रही है। ‘चुनावी धोखाधड़ी’ का यह अपराध संविधान के विरुद्ध है। इसे पूरे देश में बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा है।

भाजपा सत्ता-विरोधी भावना से ग्रस्त नहीं- राहुल
राहुल गांधी ने कहा, ‘सत्ता-विरोधी भावना एक ऐसी चीज है जो हर लोकतंत्र में हर पार्टी को प्रभावित करती है। लेकिन किसी कारण से, भाजपा लोकतांत्रिक ढांचे में एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मूल रूप से सत्ता-विरोधी भावना से ग्रस्त नहीं है। एग्जिट पोल, ओपिनियन पोल एक बात कहते हैं, आपने हरियाणा चुनाव में देखा, आपने मध्य प्रदेश चुनाव में देखा और फिर अचानक परिणाम बड़े पैमाने पर बदलाव के साथ पूरी तरह से अलग दिशा में चले जाते हैं। इसमें हमारा अपना आंतरिक सर्वेक्षण भी शामिल है, जो काफी परिष्कृत है।’ 

ऐसे 40 हजार वोटर हैं जिनके पते शून्य है- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘ऐसे 40 हजार वोटर हैं जिनके पते शून्य है या फिर है ही नहीं… अलग-अलग नाम और अलग-अलग परिवार के लोग और जब हम वहां जाते हैं तो पता चलता है कि वहां कोई रहता ही नहीं है… चुनाव आयोग के मुताबिक इन पतों पर कई लोग रहते हैं लेकिन जब हम वहां जाते हैं तो पता चलता है कि वहां कोई रहता ही नहीं है… वोटर लिस्ट में कई लोगों की तस्वीरे नहीं हैं और अगर है भी तो ऐसी जिन्हें देखकर मतदाताओं की पहचान ही नहीं हो सकती।’ 

राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप
राहुल गांधी ने कहा, ‘यह एक चुनौती है। यह सात फीट का कागज है। मान लीजिए मुझे यह पता लगाना है कि क्या आपने दो बार वोट दिया है या आपका नाम मतदाता सूची में दो बार है, तो मुझे आपकी तस्वीर लेनी होगी और फिर उसे कागज के हर टुकड़े से मिलाना होगा। यही प्रक्रिया है, और यह बहुत ही थकाऊ प्रक्रिया है। मैंने शुरू में सोचा था कि हम कई सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन जब हमें इसका सामना करना पड़ा, तो हमें समझ आया कि चुनाव आयोग हमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा क्यों नहीं देता। क्योंकि वे नहीं चाहते कि हम ध्यान से देखें।

इस काम में हमें छह महीने लगे… अगर चुनाव आयोग हमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा देता, तो हमें 30 सेकंड लगते। मैं दोहराता हूं, इसीलिए हमें इस तरह का डेटा दिया जा रहा है, ताकि उसका विश्लेषण न हो… इन कागजों में ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन की सुविधा नहीं है। इसलिए अगर आप इन्हें स्कैन भी करते हैं, तो आप इनसे डेटा नहीं निकाल सकते। चुनाव आयोग इन कागजों की सुरक्षा क्यों कर रहा है? चुनाव आयोग जानबूझकर ऐसे कागज देता है जिन्हें मशीन से पढ़ा नहीं जा सकता।’

ECI ने लिखा था- कांग्रेस को आपत्ति तो कोर्ट जा सकती है चुनाव आयोग ने 2 अगस्त को राहुल को 24 जून को भेजा गया लेटर जारी किया था। लेटर में लिखा है कि कांग्रेस ने पहले भी नवंबर 2024 के चुनावों के बाद ऐसे ही आरोप लगाए थे, जिनका विस्तृत जवाब 24 दिसंबर 2024 को दिया गया था।

पत्र में बताया गया है कि चुनाव पूरी पारदर्शिता से, कानून के अनुसार और हजारों अधिकारियों की निगरानी में कराए गए। आयोग ने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस को कोई कानूनी आपत्ति थी तो वह कोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल कर सकती थी। चुनाव आयोग ने लिखा,

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फिर भी यदि राहुल गांधी को कोई और शिकायत है, तो वे आयोग को लिख सकते हैं या व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर सकते हैं। आयोग ने बातचीत के लिए तारीख और समय तय करने का सुझाव भी दिया है।

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बिहार वोटर वेरिफिकेशन- राहुल सहित पूरा विपक्ष हमलावर

बिहार वोटर वेरिफिकेशन को लेकर राहुल सहित पूरा विपक्ष इलेक्शन कमीशन की आलोचना कर रहा है। संसद के बाहर और अंदर विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रहा है। 1 अगस्त को वोटर्स का नया डेटा जारी किया गया।

चुनाव आयोग के बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के पहले चरण के आंकड़े के अनुसार, कुल मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है, जबकि पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था। यानी करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं।

वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों में वे लोग शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसके अलावा स्थायी रूप से किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित हो चुके हैं या जिनके नाम दो बार दर्ज थे। आंकड़ों के अनुसार 22 लाख मतदाताओं की मौत हो चुकी है, 36 लाख मतदाता अन्य स्थानों पर स्थानांतरित पाए गए हैं और 7 लाख लोग किसी नए जगह स्थायी निवासी बन चुके हैं।

24 जून 2025 से शुरू हुआ था विशेष अभियान

SIR 24 जून 2025 को शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था फर्जी, दोहराए गए और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना। इस कार्य के तहत 7.24 करोड़ मतदाताओं से फॉर्म लिए गए। पहला चरण 25 जुलाई 2025 तक पूरा किया गया, जिसमें 99.8% कवरेज हासिल की गई।

भाजपा और चुनाव आयोग पर राहुल का आरोप
2024 में सत्ता में बने रहने के लिए प्रधानमंत्री को केवल 25 सीटें ‘चुराने’ की जरूरत थी; भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 33,000 से कम वोटों के अंतर से 25 सीटें जीतीं। हमारे लिए सीसीटीवी फुटेज और मतदाता सूची अब अपराध का सबूत है और चुनाव आयोग इसे ‘नष्ट’ करने में व्यस्त है। चुनाव आयोग भारत में चुनाव प्रणाली को ‘नष्ट’ करने में भाजपा की मदद कर रहा है। अब लोगों की जरूरत के अनुसार चुनाव आयोग को मतदाताओं का डाटा देना होगा; अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो परिणाम भुगतने होंगे।

न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना चाहिए- राहुल गांधी
चुनाव से जुड़ी कथित धोखाधड़ी के मामले में राहुल ने कहा, निर्वाचन आयोग इस ‘धोखाधड़ी’ में शामिल है। मुझे लगता है कि न्यायपालिका को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

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