वेट लॉस ड्रग्स को भारत में अनुमति, पर सावधान बहुत खतरनाक है ड्रग्स

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 20 जुलाई 2024 | दिल्ली : मार्च 2024 में BMC एंडोक्राइन डिसऑर्डर्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में मोटापे की दर “महामारी के अनुपात” तक पहुँच गई है।

अध्ययन में बताया गया है कि 2022 तक भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 6.4% महिलाएँ और 4% पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं। मोटापे के चलते कई बीमारियां घेर रही हैं। वह सोच रहा कि क्या इसकी कोई दवा (Weightloss drug in India) नहीं हो सकती है?

द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2022 तक भारत में मोटापे से ग्रस्त  लोगों की संख्या चीन और अमेरिका के बाद तीसरी सबसे बड़ी संख्या होगी, और जंक फूड का सेवन आम हो जाने के कारण यह संख्या और भी बढ़ रही है।

वेट लॉस ड्रग्स को भारत में अनुमति, पर सावधान बहुत खतरनाक है ड्रग्स

दवाएं तो बहुत सी हैं, लेकिन भारत में अब तक कानूनी रूप से किसी दवा को मान्यता नहीं मिली थी। हाल ही में सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने वजन कम करने वाली दवा टिरजेपेटाइड (Tirzepatide) को हरी झंडी दिखा दी है।

वेट लॉस ड्रग्स को भारत में अनुमति

भारत में अप्रूव होने वाली यह पहली दवा है, जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो सकती है। यह दवा वेट लॉस (Weight Loss) से जुड़े कमाल के फायदों के लिए जानी जाती है। हालांकि ऐसी सभी वेट लॉस दवाओं के साइड इफेक्ट्स (Weight Loss Drugs Side Effects) को लेकर देश-दुनिया के बड़े डॉक्टर्स चिंता जता चुके हैं।

भारत मोटापे से जूझ रहे दुनिया के टॉप 5 देशों में आता है। इसलिए टिरजेपेटाइड के लिए एक बड़ा संभावित बाजार है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत के शहरों में रह रहे 70% लोग या तो मोटे हैं या फिर उनका वजन सामान्य से अधिक है।

वहीं साल 2021 में भारत सरकार द्वारा किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत के करीब 23% पुरुषों और 24% महिलाओं का वजन सामान्य से अधिक है। इन आंकड़ों को देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत मोटापे के संकट से जूझ रहा है। यह मोटापा कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है। आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे टिरजेपेटाइड जैसी वेट लॉस दवाओं की। साथ ही जानेंगे कि-

  • टिरजेपेटाइड क्या है और यह कैसे काम करता है?
  • वेट लॉस दवाओं का बाजार इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है?
  • दुनिया के बड़े डॉक्टरों का इस बारे में क्या कहना है?

वेट लॉस दवाओं के साइड इफेक्ट्स और वजन घटाने के सही तरीकों पर हमने एक महीने पहले एक आर्टिकल में विस्तार से चर्चा की है। इसे यहां पढ़ सकते हैं।

मोटापे से होती हैं जानलेवा बीमारियां: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अधिक वजन नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों का कारण बन सकता है। इससे 13 तरह के कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज, दिल की बीमारियां और फेफड़े के इन्फेक्शन होने का भी खतरा है। हर साल पूरी दुनिया में करीब 28 लाख लोग अधिक वजन या मोटापे के कारण मौत का शिकार बन रहे हैं।

गंभीर स्थितियों में डॉक्टर वेट लॉस दवाओं की सलाह दे सकते हैं, लेकिन कई बड़ी हस्तियां सिर्फ अपने लुक्स को मेंटेन करने के लिए इन दवाओं का सेवन कर रही हैं।

दुनिया के नामी लोग ले रहे वेट लॉस दवाएं

पूरी दुनिया में मोटापा कम करने वाली दवाइयों की धूम है। विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप में वेट लॉस के लिए ये दवाएं प्रयोग में लाई जा रही हैं। इन्हें बड़े कारोबारियों से लेकर सेलिब्रिटीज तक इस्तेमाल कर रहे हैं।

आपका सवाल हो सकता है कि इस लिस्ट में सिर्फ अमेरिकन नाम ही क्यों दिख रहे हैं। इसका जवाब यह है कि अभी वजन घटाने की दवाओं को अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में ही अनुमति मिली है। हालांकि टिरजेपेटाइड को मंजूरी मिलने के बाद अब भारत में भी ये दवा जल्द ही उपलब्ध हो सकती हैं।

टिरजेपेटाइड क्या है

टिरजेपेटाइड एक दवा है, जिसे एली लिली एंड कंपनी ने विकसित किया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है। यह कंपाउंड डायबिटीज के लिए मौन्जारो और वजन घटाने के लिए जेपबाउंड ब्रांड के नाम से बेचा जाता है।

हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में भी टिरजेपेटाइड का आयात और व्यवसाय डायबिटीज के इलाज के लिए ही किया जाएगा। इसका मोटापे पर क्या और कैसा असर होता है, इसकी अभी समीक्षा की जा रही है।

कैसे काम करता है टिरजेपेटाइड

जब हम खाना खाते हैं तो शरीर से दो हॉर्मोन ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (GLP-1) और ग्लूकोज-निर्भर इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड (GIP) सक्रिय हो जाते हैं। इनके कारण इंसुलिन निकलता है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसके अलावा ये हमें एहसास दिलाते हैं कि हमारा पेट भरा हुआ है।

टिरजेपेटाइड इन्हीं दोनों हॉर्मोन्स की सिंथेटिक कॉपी है यानी एक तरह की नकल। इसे खाने के बाद ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन निकलता है और हमें एहसास होता है कि हमारा पेट भरा हुआ है, जिससे हमें भूख नहीं लगती है। इससे हम खाना कम खाते हैं, जो वजन कम करने में मददगार साबित होता है। इसीलिए इसे ‘वेट लॉस ड्रग’ के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

क्या टिरजेपेटाइड के कोई साइड इफेक्ट्स हैं?

वेट लॉस ड्रग टिरजेपेटाइड के कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ये दवाएं हमें भूख का एहसास कराने वाले हॉर्मोन्स को संतुलित करती हैं, लेकिन ये हमारे मेटाबॉलिक रेट को धीमा करके पाचन को भी धीमा कर देती हैं।

अब जबकि हमारे पेट में खाना इतनी देर से पचेगा तो भोजन करने की इच्छा ही नहीं होगी। लंबे समय तक ये दवाएं खाने से मेटाबॉलिज्म बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। इन खतरों को लेकर देश-दुनिया के डॉक्टर्स कई बार आगाह कर चुके हैं।

भारत और दुनिया के बड़े डॉक्टरों की वेट लॉस ड्रग्स के बारे में क्या राय है

दुनिया के कई बड़े डॉक्टर्स वजन कम करने के लिए ऐसी किसी दवा के पक्ष में नहीं है। प्रसिद्ध अमेरिकन डॉक्टर टीना मूर भी इसके पक्ष में नहीं हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) इंग्लैंड के राष्ट्रीय चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर स्टीफन पॉविस भी इससे चिंतित दिखते हैं।

कनाडाई मूल के डॉ. जेसन फंग का पूरी दुनिया में नाम है इंटरमिटेंट फास्टिंग के विज्ञान को मुख्यधारा में लाने और पॉपुलर करने के लिए। इंसुलिन हॉर्मोन पर भी उनका लैंडमार्क काम है। डॉ. फंग वेटलॉस ड्रग्स को लेकर गंभीर चिंता जता चुके हैं। 

तेजी से फल-फूल रहा वजन बढ़ाने और घटाने का ग्लोबल बिजनेस

हमने अक्सर पढ़ा और सुना है कि हम जो चाहें वो कर सकते हैं। दुनिया की कुछ चीजें भले ही खुद-ब-खुद हो रही होती हैं। इसके बावजूद बहुत सी चीजें अपने हाथ में होती हैं। हालांकि असल सच इससे अलग है।

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हम जितना कुछ सोच रहे हैं, उससे भी बहुत कम चीजें और फैसले हमारे वश में हैं। दुनिया के बड़े कारोबारियों ने ज्यादातर लोगों का आधा भविष्य पहले ही लिख दिया है। वे अपने बाजार के ट्रैप में हमें फंसाते जा रहे हैं। नीचे दिए आंकड़ों पर गौर करें-

  • फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइड की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में जंक फूड इंडस्ट्री का मार्केट साइज 862.05 अरब डॉलर का है और साल 2028 तक बढ़कर इसके 1467.04 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
  • मार्केट रिसर्च फर्म ग्रैंड व्यू रिसर्च के मुताबिक वेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री का ग्लोबल मार्केट साल 2022 में 142.58 अरब डॉलर का था और 2030 तक इसके 9.94% के कंपाउंड ग्रोथ रेट से बढ़ने की उम्मीद है।
  • इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के मुताबिक दुनिया की 30% आबादी या तो ओबीज है या उसका वजन सामान्य से ज्यादा है। इसका कारण भी बहुत साफ है क्योंकि लोगों की जिंदगी में शारीरिक गतिविधियां बहुत कम और जंक फूड बहुत ज्यादा है। ICMR की एक रिपोर्ट मुताबिक भारत में सिर्फ 11% लोग रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं।
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक दुनिया की 36% लाइफ स्टाइल बीमारियों की वजह मोटापा, फास्ट फूड और सिडेंटरी लाइफ स्टाइल (दिन भर सिर्फ बैठे रहना) है।

अगर इन सारे तथ्यों और आंकड़ों को सिलसिलेवार ढंग से समझें तो समझ में आएगा कि इन सारी परेशानियों की जड़ सिस्टम में है। बाजार पहले जंक फूड खिलाकर बीमारियां पैदा कर रहा है और फिर दवाइयां बनाकर उसका इलाज कर रहा है। पहले मोटापा पैदा करो और फिर दवाई खिलाकर उस मोटापे को कम करने का उपाय बताओ।

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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणाछात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।

छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी। 

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल

किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।

सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था

राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-

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मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।

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किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे

कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?

यह भी पढ़ें : ‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।

किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

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सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 की एसओजी जाँच की आँच अशोक गहलोत के घर तक पहुँची, PSO गिरफ्तार

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 |  जयपुर – अजमेर : एसओजी ने शुक्रवार देर रात SI पेपर लीक से जुड़े मामले में राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) राजकुमार यादव और उसके बेटे भरत यादव को गिरफ्तार किया है। राजकुमार यादव और उसके बेटे भरत यादव को तीन दिन की रिमांड पर भेजा गया है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 की एसओजी जाँच की आँच अशोक गहलोत के घर तक पहुँची

मामले को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने पोस्ट की। किसी भी व्यक्ति की अपराध में कोई संलिप्तता हो तो कानून अपना काम करें। एसओजी रात से दोनों से पूछताछ कर रही है। अब तक जांच में सामने आया है कि राजकुमार यादव ने बेटे के लिए सब इंस्पेक्टर का पेपर खरीदा था। राजकुमार यादव का बेटा भरत यादव भर्ती एग्जाम में पास हो गया था। इसके बाद फिजिकल में फेल हो गया।

अशोक गहलोत के सीएम रहने के दौरान राजकुमार यादव उनकी सुरक्षा में तैनात था। प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद अशोक गहलोत का PSO लग गया था। इन्हें कोर्ट में पेश कर दिया गया है। अब रिमांड पर लिया जाएगा। शनिवार दोपहर राजकुमार यादव को कोर्ट में पेश किया गया।

शनिवार दोपहर राजकुमार यादव को कोर्ट में पेश किया गया।

पूर्व वर्ती सरकार के संरक्षण में नकल माफिया ने पेपर लीक किये

मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा- मैंने कई बार दोहराया था कि पूर्ववर्ती सरकार के संरक्षण में नकल माफिया ने पेपर लीक किये। आज SI भर्ती में SOG की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पीएसओ राजकुमार यादव और उनके बेटे भरत यादव की गिरफ्तारी से इसकी पुष्टि हो गई है। यदि गहलोत सरकार की नकल माफिया के साथ साठगांठ नहीं होती तो युवाओं के साथ इतना बड़ा अन्याय नहीं होता।

अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा…

मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है कि मेरी सुरक्षा में तैनात जयपुर पुलिस लाइन के एक हेड कांस्टेबल एवं उनके पुत्र को SOG ने हिरासत में लिया है। किसी भी व्यक्ति की अपराध में कोई संलिप्तता हो तो कानून अपना काम करे। मुझे आशा है कि SOG बिना किसी दबाव के इस मामले की जांच कर एक तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचेगी।

यह भी पढ़ें : डूँगरी बाँध और डीएमआईसी भूमि-हड़प अभियान

अब पढ़िए… 2021 की भर्ती का सिलसिलेवार घटनाक्रम

  • RPSC ने साल 2021 में सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती निकाली थी।
  • भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे, सरकार ने जांच SOG को दी। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया।
  • भर्ती को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुईं। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने 18 नवंबर, 6 जनवरी और 9 जनवरी को पूरी भर्ती प्रक्रिया पर यथास्थिति के आदेश दिए थे।
  • हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने 10 जनवरी 2025 को आदेश जारी करते हुए भर्ती में फील्ड ट्रेनिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। यह रोक आज भी जारी है।

नयी भर्ती 2025 की कवायद शुरू

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से निकाली गई उपनिरीक्षक/प्लाटून कमांडर के 1015 पद के लिए आवेदन कल यानि 10 अगस्त से शुरू होंगे। इसके लिए आवेदन की लास्ट डेट 8 सितंबर तक है। आयोग ने इसके लिए एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित की है।

साल 2021 में निकाली गई सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के 859 पदों पर भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप लगे। एसओजी ने ट्रेनी SI सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया। फिलहाल इसे रद्द करना है या नहीं, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग Link

आवेदन संबंधित जानकारी

  • शैक्षणिक योग्यता– किसी भी यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री, अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे कैंडिडेट्स भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन इंटरव्यू शुरू होने की डेट तक तय योग्यता होना जरूरी है।
  • आयु सीमा, तीन साल की छूट– कैंडिडेट्स की आयु 1 जनवरी 2026 को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम 25 साल होनी चाहिए। आयोग की ओर से इससे पहले साल 2021 में भर्ती निकाली गई थी। इसलिए इस बार कैंडिडेट्स को तीन साल की अतिरिक्त छूट दी गई है।
  • सिलेक्शन– लिखित परीक्षा व इंटरव्यू से चयन होगा। विस्तृत पाठ्यक्रम आयोग की वेबसाइट पर अलग से जारी होगा। लिखित परीक्षा में 200-200 अंक के दो पेपर होंगे।
  • परीक्षा – मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन में (ऑफलाइन/ऑनलाइन) ली जाएगी। एग्जाम की डेट 5 अप्रैल 2026 प्रस्तावित है।

सब इंस्पेक्टर भर्ती से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए करें यहां क्लिक

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