इंसानों के लिए सांप से ज्यादा खतरनाक हैं मच्छर

इंसानों के लिए सांप से ज्यादा खतरनाक हैं मच्छर

मच्छर को इंसानों के लिए सबसे खतरनाक जीव कहा जाता है। यह कहना ठीक भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल सांप के काटने से लगभग 1 लाख 40 हजार मौतें होती हैं, जबकि हर साल मच्छर से फैलने वाली बीमारियों से 10 लाख से अधिक लोग जान गंवा देते हैं।

इंसानों के लिए सांप से ज्यादा खतरनाक हैं मच्छर

यह बात आज भले ही छोटी लग रही हो पर उस समय विज्ञान और मेडिसिन जगत के लिए यह पता लगाना बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इसीलिए इस दिन को इतिहास में दर्ज किया गया। तब से हर साल 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस (वर्ल्ड मॉस्कीटो डे) के रूप में मनाया जाता है। विश्व मच्छर दिवस के बहाने हर साल लोगों को मच्छर जनित बीमारियों से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए जागरूक किया जाता है।

जब हम घातक जानवरों के बारे में सोचते हैं, तो हम शार्क या साँपों के बारे में सोचते हैं। लेकिन दुनिया का सबसे घातक जानवर, हर साल कितने लोगों को मारता है, इस मामले में मच्छर सबसे घातक है। हालाँकि अनुमान अलग-अलग हैं, कुछ स्रोतों का मानना ​​है कि मच्छर हर साल1 मिलियन लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं , जबकि साँप लगभग 100,000 लोगों को मारते हैं और शार्क सिर्फ़ 10 लोगों को (वैसे मच्छर के बाद दूसरे नंबर पर इंसान हैं, जो हर साल 400,000 लोगों की मौत का कारण बनते हैं)।

सच है, यह छोटा सा कीट अपना काम अकेले नहीं करता। जो चीज इसे इतना खतरनाक बनाती है वह है वायरस या अन्य परजीवियों को संचारित करने की इसकी क्षमता जो विनाशकारी बीमारियों का कारण बनती है।

हर साल, अकेले मलेरिया , जो एनोफिलीज मच्छर द्वारा संचारित होता है, 600,000 लोगों (मुख्य रूप से बच्चों) को मारता है और अन्य 200 मिलियन को कई दिनों के लिए अक्षम कर देता है। अन्य मच्छर जनित बीमारियों में डेंगू शामिल है , जो दुनिया भर में प्रति वर्ष 100 से 400 मिलियन मामलों का कारण बनता है, पीला बुखार , जिसमें उच्च मृत्यु दर है, या जापानी इंसेफेलाइटिस , जो प्रति वर्ष 10,000 से अधिक मौतों का कारण बनता है, ज्यादातर एशिया में। 

जीका वायरस को भी न भूलें , जिसका हाल ही में संक्रमित माताओं से पैदा हुए बच्चों पर विनाशकारी और दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल प्रभाव बताया गया है।

सबसे घातक मच्छर प्रजातियाँ 

मच्छरों की 2,500 से अधिक प्रजातियाँ हैं , और वे अंटार्कटिका को छोड़कर दुनिया के हर क्षेत्र में पाए जाते हैं। वास्तव में, मच्छर नए वातावरण और हमारे द्वारा उनके खिलाफ किए जाने वाले किसी भी हस्तक्षेप के अनुकूल होने में बहुत अच्छे हैं।

उदाहरण के लिए, एडीज एजिप्टी (पीले बुखार, जीका, डेंगू आदि का वेक्टर) ने शहरी वातावरण में अविश्वसनीय रूप से अच्छी तरह से अनुकूलन किया है: यह केवल मनुष्यों को खाता है और बाहरी और आंतरिक कंटेनरों की एक विस्तृत श्रृंखला में अंडे दे सकता है।

एनोफिलीज सहित कई मच्छर प्रजातियों ने व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कई कीटनाशकों के खिलाफ प्रतिरोध विकसित किया है और अपने भोजन की आदतों को बदल दिया है (वे अब बाहर और पहले भोजन करते हैं) ताकि मच्छरदानी और कीटनाशक-छिड़काव वाले घरों से बचें। हाल के वर्षों में, ‘ एनोफिलीज स्टेफेंसी ‘

मच्छरों से लड़ने के उपाय

मच्छरों से निपटना मुश्किल है। वे लगातार विकसित हो रहे हैं और उनसे लड़ने के लिए हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों से बचना सीख रहे हैं। लगातार खून चूसने वाले इन कीड़ों के खिलाफ चल रही इस लड़ाई में, ISGlobal में किए गए शोध से मच्छरों पर नियंत्रण की अधिक प्रभावी रणनीतियों की उम्मीद जगी है।

आईएसग्लोबल का मलेरिया अनुसंधान पर काम करने का एक लंबा इतिहास है और वर्तमान में इसमें ‘ मलेरिया इम्यूनोलॉजी ग्रुप ‘, ‘ मलेरिया एपिजेनेटिक्स लैब ‘, ‘ नैनोमलेरिया ग्रुप ‘, ‘ प्लाज्मोडियम ग्लाइकोबायोलॉजी लैब ‘, ‘ प्लाज्मोडियम विवैक्स और एक्सपोज़ोम रिसर्च ग्रुप ‘, ‘ मलेरिया फिजियोपैथोलॉजी और जीनोमिक्स ग्रुप ‘ सहित कई समूह शामिल हैं।

शोधकर्ता नई वेक्टर नियंत्रण रणनीतियों की भी खोज कर रहे हैं जो मौजूदा उपकरणों का पूरक हो सकती हैं और कीटनाशक प्रतिरोध और मलेरिया के अवशिष्ट संचरण से संबंधित चिंताजनक घटनाक्रमों पर काबू पाने में हमारी मदद कर सकती हैं।

मच्छर कुछ लोगों की ओर दूसरों की अपेक्षा अधिक आकर्षित होते हैं

क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि मच्छरों को आपके खून से खास लगाव है? यह सच हो सकता है! मच्छर अक्सर शरीर के तापमान और साँस में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा जैसे कारकों के कारण दूसरों की तुलना में कुछ खास व्यक्तियों की ओर ज़्यादा आकर्षित होते हैं। 

गर्भवती महिलाएँ , खास तौर पर, मच्छरों का पसंदीदा लक्ष्य होती हैं, जिसके कारण गर्भावस्था में गंभीर डेंगू और मलेरिया के कई मामले सामने आते हैं। गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों दोनों के जीवन को ख़तरा पैदा करने वाली बाद की चुनौती से निपटने के लिए, ISGlobal के शोधकर्ता नए कीमोप्रिवेंशन टूल का अध्ययन कर रहे हैं और गर्भावस्था में मलेरिया को रोकने वाले टूल के कवरेज को बेहतर बनाने के सर्वोत्तम तरीकों की खोज कर रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन और मच्छर

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मच्छरों की आबादी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में पहले की गई भविष्यवाणियाँ अब वास्तविकता के रूप में सामने आ रही हैं। 2000 के बाद से, डेंगू के मामलों में आठ गुना वृद्धि के साथ आसमान छूती हुई वृद्धि हुई है। अब हम इसे यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और अफ्रीका के नए हिस्सों में तेज़ी से फैलते हुए देख सकते हैं । 

जो देश में मलेरिया के बड़े पैमाने पर परीक्षण कर रहे थे, लोगों के स्वास्थ्य पर इस प्राकृतिक आपदा के तत्काल प्रभावों के गवाह थे, जिसका सबूत चक्रवात के बाद हैजा और मलेरिया के मामलों में चरम पर होना था ।

जैविक, सामाजिक-राजनीतिक और पर्यावरणीय खतरों के इस संदर्भ में , यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि मच्छर जनित रोगों के लिए निगरानी बढ़ाने के लिए स्थानिक देशों को सहायता प्रदान की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इन रोगों से लड़ने के लिए नए उपकरणों के लिए अनुसंधान एवं विकास पाइपलाइन अच्छी तरह से भरी हुई है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों की। साथ ही जानेंगे कि-

  • मच्छरों से फैलने वाली कौन सी बीमारी कितनी खतरनाक है?
  • कौन सा मच्छर किस बीमारी के लिए जिम्मेदार है?
  • मच्छर हर दिन इतने ताकतवर कैसे होते जा रहे हैं?

नागपुर में चिकनगुनिया और डेंगू के कारण हेल्थ इमरजेंसी

भारत के महाराष्ट्र का एक बड़ा शहर है नागपुर। यहां चिकनगुनिया और डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि के कारण स्थानीय हेल्थ केयर सिस्टम गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। मच्छर जनित बीमारियों में खतरनाक वृद्धि के कारण नगर निगम ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है, जिससे इसके प्रकोप को रोकने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक त्वरित और व्यापक प्लान बनाया जा सके।

कई जानलेवा बीमारियों का कारण है मच्छर

मच्छर ऐसे जीव हैं, जो एक नहीं बल्कि कई बीमारियां फैला सकते हैं। इसमें बड़ी मुश्किल ये है कि हम इन्हें सीधे देखकर पहचान नहीं कर सकते हैं कि कौन सा मच्छर कौन सी बीमारी लेकर आया है। यही कारण है कि हर साल सबको जागरुक करने के लिए विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। मच्छर कई तरह के होते हैं। ये अलग-अलग बीमारियों की वजह बन सकते हैं। 

पूरी दुनिया में मच्छर के काटने से फैलने वाली 10 से अधिक बीमारियां हैं। हम इनमें से 5 सबसे अधिक फैलने वाली और इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियों के बारे में बुनियादी बातें जान लेते हैं।

मलेरिया

  • मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है। इससे बड़े स्तर पर नुकसान भी होता है। इस बीमारी को फैलाने के लिए मादा एनाफिलीज मच्छर जिम्मेदार है।
  • इसके कारण बुखार, सिर दर्द और ठंड लगने जैसे लक्षण सामने आते हैं। इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 10 से 15 दिन बाद शुरू होते हैं।
  • पूरी दुनिया में हर साल मलेरिया के लगभग 25 करोड़ मामले दर्ज होते है।

मलेरिया कुल 5 तरह का होता है। कुछ प्रकार के मलेरिया घातक हो सकते हैं।

1. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम

2. प्लाज्मोडियम वीवेक्स

3. प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया

4. प्लाज्मोडियम मलेरिया

5. प्लाज्मोडियम नोलेसी

मलेरिया के इलाज के लिए एंटी मलेरिया दवाएं उपलब्ध हैं। अब कुछ जगहों पर इसके इलाज लिए टीके का भी सफल प्रयोग किया जा रहा है।

वेस्ट नाइल वायरस

  • सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, यह बीमारी मच्छरों के काटने से फैलती है।
  • आमतौर पर इसमें फीवर के साथ उल्टी, दस्त, ऐंठन और सिर दर्द की शिकायत होती है।
  • वेस्ट नाइल फीवर की सबसे खतरनाक बात ये है कि इसमें 10 में से 6 मामलों में लक्षण नजर नहीं आते हैं।
  • कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, हाल ही में किसी बीमारी या ऑपरेशन से गुजरे लोग और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इससे ज्यादा खतरा होता है।
  • चूंकि इस बीमारी से पीड़ित 80% लोगों में कोई लक्षण नहीं विकसित होते हैं, इसलिए इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

डेंगू

  • यह वायरल संक्रमण 100 देशों में एंडेमिक (ऐसी बीमारी जो स्थानीय स्तर पर तेजी से फैल रही है) का कारण बनता है।
  • इस बीमारी को फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छर हर साल दुनिया भर में 39 करोड़ से अधिक लोगों को संक्रमित करते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, डेंगू आमतौर पर हल्की बीमारी का कारण बनता है और इसके ट्रीटमेंट में लक्षणों को कम करने की कोशिश की जाती है। हालांकि गंभीर मामलों में डेंगू को कभी-कभी ‘हड्डी तोड़ बुखार’ कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह तेज सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, मतली, थकान, गंभीर पेट दर्द, उल्टी और कभी-कभी मृत्यु का भी कारण बन सकता है।
  • आमतौर पर डेंगू के संक्रमण की दर एशिया और अमेरिका के देशों में सबसे अधिक है। बीते कुछ सालों में यूरोप सहित नए क्षेत्रों में भी यह फैल रहा है।
  • डेंगू फैलाने के लिए जिम्मेदार एडीज इजिप्टी मच्छरों को तिलचट्टा भी कहा जाता है।

चिकनगुनिया

  • करीब 60 साल पहले 1963 में चिकनगुनिया का पहला मामला भारत में सामने आया। हालांकि यह पहली बार चिंता का विषय साल 2006 में बना, जब देश में इसके मामले तेजी से बढ़े।
  • इसे बैक ब्रेकिंग फीवर (Back Breaking Fever) के नाम से भी जाना जाता है।
  • चिकनगुनिया के लिए एडीज अल्बोपिक्टस मच्छर जिम्मेदार है, जिन्हें एशियन टाइगर मच्छर भी कहा जाता है। डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज इजिप्टी मच्छर भी इसे फैला सकते हैं।
  • इन मच्छरों ने पिछले 30 सालों में ही अपना भौगोलिक विस्तार किया है। इसका संक्रमण अब तक 110 से अधिक देशों में फैल चुका है।
  • इसके इंफेक्शन के शुरूआती दो हफ्तों में 92% मरीजों को जोड़ों में दर्द, 91% को मांसपेशियों में दर्द, 92% को सिर दर्द और 56% मरीजों को सुबह के समय शरीर में अकड़न महसूस होती है।
  • अभी तक चिकनगुनिया का कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। इसलिए एंटीवायरल दवाओं की मदद से लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जाता है। इसके टीके विकसित करने पर काम चल रहा है।

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जीका वायरस

  • जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। ये मच्छर आमतौर पर भारत और अफ्रीकी देशों की तरह थोड़े गर्म इलाकों में होते हैं।
  • इस बीमारी के साथ बड़ी मुश्किल यह है कि ज्यादातर संक्रमित लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इसके बावजूद यह गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
  • इससे गर्भ में पल रहे बच्चे मानसिक विकास बाधित हो सकता है और दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जीका वायरस से संक्रमित केवल 5 में से 1 व्यक्ति में ही लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षण इतने कॉमन हैं कि बीमारी का अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो जाता है।
  • जीका वायरस के इलाज के लिए कोई खास दवा नहीं है। बुखार और दर्द से जुड़ी कुछ दवाएं देकर इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसका सबसे अच्छा इलाज बचाव ही है।

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जयपुर में 1800 किलो मिलावटी पनीर पकड़ा, पनीर के नाम पर जहर

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 10 अगस्त 2025 |  जयपुर – अलवर : लालकोठी इलाके में सांगानेरी गेट के पास पकड़ी गई 1800 किलो मिलावटी पनीर से भरी पिकअप हरियाणा के नूंह स्थित अगोन से आई थी। जब्त किया गया मिलावटी बदबूदार पनीर जयपुर के 3 ठिकानों पर सप्लाई होना था। पुलिस ने पिकअप में सवार नूंह के फिरोजपुर निवासी मनीष, मुफीद व अलवर के किशनगढ़ निवासी शालीम को गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें शनिवार को कोर्ट में पेश किया, जहां से चार दिन के लिए रिमांड पर भेज दिया।

जयपुर में 1800 किलो मिलावटी पनीर पकड़ा, पनीर के नाम पर जहर

अब पुलिस पनीर सप्लाई होने वाले ठिकानों की तलाश कर रही है। लालकोठी थानाधिकारी बन्नालाल ने बताया कि पिकअप में 1800 किलो मिलावटी पनीर भरा था, जो जयपुर में थड़ी मार्केट, जयसिंहपुरा खोर व वीकेआई 14 नंबर के पास सप्लाई होना था।

आगे इन्हें पनीर सप्लायर तसलीन, तोफिक, विक्की, शेरू, समीर, जुम्मन, सद्दाम व यासीन लंगड़ा नाम के सप्लायर मिलने थे, लेकिन उनकी लोकेशन इनके पास नहीं है। वो सप्लायर इनसे खुद संपर्क करते तो ही माल आगे सप्लाई होता। ऐसे में पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।

नेटवर्क खंगालने में जुटी टीम

28 पैकेट में 1800 किलो मिलावटी पनीर भरा था, जो जयपुर में तीन ठिकानों पर होलसेल का काम करने वाले दलालों को सप्लाई होना था। इसके बाद वो दलाल अलग-अलग दुकानदारों को सप्लाई करते है। ऐसे में पुलिस टीमें पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि सरगना अरशद अगोन से रोजाना दो पिकअप माल भरकर जयपुर भेजता है। हर बार सप्लाई में अलग लड़के आते थे।

हर बार सप्लाई में अलग-अलग लड़के भेजता था

गिरोह का सरगना अरशद अगोन में मिलावटी पनीर की फैक्ट्री चलाता है, जो जयपुर सहित कई शहरों में रोज हजारों किलो पनीर सप्लाई करता है। अरशद हर बार सप्लाई के लिए अलग गाड़ी, अलग लड़के और उनके साथ खुद के अलग-अलग मोबाइल देकर भेजता था, ताकि कोई उन्हें ट्रेस नहीं कर सके।

पकड़े गए तीनों आरोपी करीब डेढ़ साल से अरशद के साथ काम करते है। जैसे यहां पकड़े गए आरोपी शुक्रवार को जयपुर आये थे, लेकिन अगले चक्कर में ये किसी अन्य शहर में सप्लाई को जाते और यहां दूसरे लड़के भेजे जाते है। कार्रवाई के दौरान मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पनीर के सैंपल लेने के बाद जेसीबी से गड्ढ़ा खोदकर बदबूदार पनीर को नष्ट करवा दिया।

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ICMR ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस, संतुलित व पौष्टिक डाइट लेना बेहद जरूरी

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 09 अगस्त 2025 | दिल्ली – जयपुर: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 56.4% बीमारियों का संबंध सीधे तौर पर खराब खानपान से है। यह चिंताजनक आंकड़ा हमें अपनी सेहत के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। 

ICMR ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस, संतुलित व पौष्टिक डाइट लेना बेहद जरूरी

आईसीएमआर (ICMR) की आहार संबंधी दिशानिर्देश, 2024, स्वस्थ जीवनशैली के लिए संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि पर जोर देती है। ये दिशानिर्देश, भोजन में विविधता, ताजी सब्जियों और फलों, दालों, मोटे अनाज, और दूध, अंडे, मांस, मछली जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त, ये दिशानिर्देश, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किशोरों के लिए विशेष आहार संबंधी सुझाव भी देते हैं। 

इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए ICMR ने भारतीयों के लिए कुछ डाइटरी गाइडलाइंस दी हैं। इसका मुख्य उद्देश्य हर व्यक्ति को स्वस्थ, फिट और रोगमुक्त बनाना है। NIN के मुताबिक, संतुलित डाइट और नियमित एक्सरसाइज से हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा 80% तक कम किया जा सकता है।

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आज के दौर में मिलावटी, पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड्स ने लगभग हर घर में अपनी जगह बना ली है। इसकी वजह से बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि बच्चों, बुजुर्गों और प्रेग्नेंट वुमन की डाइट में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

सवाल- ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस में क्या सुझाव दिए गए हैं?

जवाब- ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस यह बताती हैं कि एक स्वस्थ, सक्रिय और रोगमुक्त जीवन के लिए संतुलित व पौष्टिक डाइट लेना बेहद जरूरी है। ये गाइडलाइंस प्रेग्नेंसी, बचपन, किशोरावस्था और बुजुर्गों के अनुसार सही खानपान की आदतों को अपनाने पर जोर देती हैं।

इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे रेगुलर फिजिकल एक्टिविटीज, बेस्ट फूड चॉइस और सही कुकिंग मेथड हमारी सेहत को बेहतर बना सकते हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक से ICMR की 17 डाइटरी गाइडलाइंस को ध्यान से समझिए-

सवाल- हेल्दी मील किसे कहते हैं और उसमें कौन-कौन से फूड शामिल होने चाहिए?

जवाब- ICMR के मुताबिक, एक हेल्दी मील में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स जैसे सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मौजूद होने चाहिए। यह संतुलन न सिर्फ शरीर को एनर्जी और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है, बल्कि कई बीमारियों के रिस्क को भी कम करता है।

यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के मुताबिक, एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना लगभग 2,000 से 3,000 कैलोरी की जरूरत होती है, जो व्यक्ति की उम्र, लिंग, फिजिकल एक्टिविटी और हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करती है। 

सवाल- एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना कितनी मात्रा में नमक और चीनी खानी चाहिए?

जवाब- ICMR की डाइटरी गाइडलाइंस के मुताबिक, नमक और चीनी हमेशा सीमित मात्रा में ही खानी चाहिए। इसके ज्यादा सेवन से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।

रोजाना कुल 5 ग्राम (एक चम्मच से भी कम) नमक का सेवन पर्याप्त होता है। इसमें छुपा हुआ नमक (प्रोसेस्ड फूड्स, नमकीन, अचार आदि) भी शामिल होता है। वहीं प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम (लगभग 5-6 छोटी चम्मच) से अधिक चीनी नहीं खानी चाहिए। इसमें चाय-कॉफी, मिठाइयां, पैक्ड जूस और बिस्किट जैसी चीजों में मौजूद चीनी भी शामिल है।

सवाल- प्रेग्नेंट वुमन को डाइट के लिए क्या सलाह है?

जवाब- प्रेग्नेंसी के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में रोजाना लगभग 350 कैलोरी ज्यादा की जरूरत होती है। इसलिए इस दौरान थोड़ा अधिक डाइट लेनी चाहिए। लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि डाइट में फोलिक एसिड, आयरन, विटामिन B12, आयोडीन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व शामिल हों। सिर्फ डाइट बढ़ाने से फायदा नहीं है। इसमें सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स भी होने चाहिए।

सवाल- छोटे बच्चों की डाइट में किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है?

जवाब- जन्म से 6 महीने तक बच्चे को मां का दूध ही देना चाहिए। इसके बाद उन्हें घर पर बना हुआ नरम और थोड़ा ठोस भोजन देना चाहिए। जैसेकि- मसली हुई दाल, हल्की खिचड़ी और उबली और पिसी हुई सब्जियां। ध्यान रखें सिर्फ पैकेज्ड बेबी फूड्स पर निर्भर रहना न्यूट्रिशन की दृष्टि से सही नहीं है।

सवाल- किशोरों और बीमार बच्चों की डाइट पर खास ध्यान देना क्यों जरूरी है?

जवाब- किशोरावस्था और बीमारी के समय शरीर की पोषण संबंधी जंरूरतें बढ़ जाती हैं। ये दोनों अवस्थाएं विकास और रिकवरी के लिए अहम होती हैं। इस समय मसल्स और टिश्यू की रिकवरी के लिए प्रोटीन, हड्डियों और खून के लिए आयरन-कैल्शियम और एनर्जी और ब्रेन के लिए गुड फैट की ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए इस दौरान बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सवाल- क्या फिजिकल एक्टिविटी सिर्फ वजन कम करने में मददगार है?

जवाब- नहीं, फिजिकल एक्टिविटी का उद्देश्य केवल वजन घटाना नहीं है। यह पाचन, मेटाबॉलिज्म, मूड और पोषक तत्वों के अब्जॉर्प्शन को बेहतर बनाती है। ICMR के अनुसार, रोजाना कम-से-कम 30 मिनट की तेज वॉक से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है, कोलेस्ट्रॉल बेहतर होता है और मेंटल हेल्थ बेहतर रहती है।

सवाल- क्या बुजुर्गों को सिर्फ हल्का खाना ही देना चाहिए?

जवाब- नहीं, बुजुर्गों की भूख कम हो सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें सिर्फ खिचड़ी या हल्का भोजन दिया जाए। उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन देना चाहिए। जैसेकि- दूध, दही, अंडे, पनीर, अंकुरित अनाज, मौसमी फल और हरी सब्जियां आदि। ध्यान रखें बुजुर्गों को खास देखभाल और सपोर्ट की जरूरत होती है क्योंकि उनकी शरीर ढलान की ओर पहुंच चुकी होती है।

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