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मूकनायक मीडिया : डॉ अंबेडकर-मिशन की बुलंद आवाज का दस्तावेज
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1920 में दलितों और वंचित समुदायों के अधिकारों की पैरवी के लिए 'मूकनायक' नामक समाचार पत्र शुरू किया। यह समाचार पत्र सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दलित सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
'मूकनायक' के शताब्दी (स्थापना वर्ष1920) वर्ष में सामाजिक समानता की लड़ाई हेतु अंबेडकर की विरासत को जारी रखने के लिए इसके डिजिटल संस्करण को 2020 में लॉन्च किया गया है।
‘मूकनायक-मीडिया’ विश्वविद्यालयों के पूर्व प्रोफेसरों, वरिष्ठ पत्रकारों की बाबासाहब के मिशन; दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के अपने अभियान को आगे बढ़ाने की अपनी कोशिश है क्योंकि जब मुख्यधारा का मीडिया देख-सुन ना सके, गोद में खेल रहा हो, लोभ-लालच में हो या भयातुर हो, तब संपूर्ण सत्यता के लिए ‘मूकनायक’ आपका नायक बनेगा, आपकी आवाज बनेगा, और बहुजन-न्याय का टूटा-भटका सिलसिला फिर से शुरू होगा। ताकि, आप लें सकें सही फ़ैसला क्योंकि महात्मा बुद्ध ने कहा है "सत्य को सत्य के रूप में और असत्य को असत्य के रूप में जानो !
बिरसा अंबेडकर फुले फ़ातिमा मिशन से जुड़े सिपाहियों और भीम-सैनिकों एवं पाठकों से हमारी बस इतनी-ही गुजारिश है कि हमें पढ़ें, सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने के सुझाव दें, हो सके तो अपने जज्बातों को लिखकर हम तक पहुँचावे, हम उसे भी छापेंगे।
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मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 अगस्त 2025 | जयपुर – जैसलमेर : जैसलमेर में मेघा गांव के पास तालाब के किनारे जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म (फॉसिल) मिले हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी जो सतह के बाहर दिख रहा है, वो जुरासिक काल के डायनासोर की रीढ़ की हड्डी हो सकती है। बाकी का पार्ट जमीन में 15 से 20 फीट नीचे है।
जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले
जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया ने बताया- 2 दिन पहले 19 अगस्त को ग्रामीणों को जीवाश्म मिले तो वे चौंक गए। इसके बाद 20 अगस्त को फतेहगढ़ प्रशासन को इसकी जानकारी जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह को दी। जैसलमेर प्रशासन ने इसकी सूचना हमें दी। गुरुवार को हम फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र के मेघा गांव पहुंचे।
जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया का दावा है कि
ये जैसलमेर के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा कंकाल मिला है। जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, हजारों साल पहले जैसलमेर समुद्र का किनारा रहा था, जहां डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। ऐसे में यहां इनके जीवाश्म मिल रहे हैं।
अब जियोलॉजिकल सर्वे की टीम जांच करेगी। जीवाश्म कितना पुराना है? किस जानवर का है? ऐसे सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।
पहले वो तस्वीर, जिसमें जीवाश्म दिख रहे हैं…
लाखों साल पुराना कंकाल सुरक्षित
डॉ. इणखिया ने बताया- प्राथमिक जांच करने पर यह जुरासिक काल का होने का अंदाजा लगा है। यानी ये डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव की हड्डियों का कंकाल हो सकता है। अगर यह किसी अन्य जानवर की हड्डियां होती तो इसे अन्य मांसाहारी जानवर खा सकते थे।
ये कंकाल सुरक्षित है तो ये जीवाश्म बनने की प्रक्रिया में है और जम गया है। ऐसे में यह हजारों साल पुराना होने का अंदाजा है। इसके संरक्षण और शोध की आवश्यकता है। प्रशासन के माध्यम से जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लिखा जाएगा। इसके साथ ही शोध करने वालों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि वे इसकी जांच कर हकीकत बता सकें।
डॉ. इणखिया ने बताया- जीवाश्म मिलना तो आम है। इसके साथ स्केलेटन मिलने से यह माना जा रहा है कि यह लाखों-करोड़ों साल पुराने अवशेष हो सकते हैं। ये किसी उड़ने वाले डायनासोर का हो सकता है, जिसकी लम्बाई करीब 20 फीट या उससे भी ज्यादा हो।
2 साल पहले खोज चुके डायनासोर का अंडा
जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया को 2023 में जेठवाई पहाड़ी के पास ही मॉर्निंग वॉक के दौरान एक अंडे का जीवाश्म मिला था। यह लाखों वर्ष पुराने किसी अंडे का अवशेष था। इससे पहले थईयात की पहाड़ियों में भी डायनासोर के पदचिन्हों के निशान मिले थे, जिसे बाद में कोई चुराकर ले गया।
जैसलमेर में जुरासिक काल के प्रमाण मौजूद
डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर में इससे पहले भी थईयात के आसपास के इलाकों में डायनासोर के पंजे के निशान मिले थे। इसके साथ ही आकल गांव में भी 18 करोड़ साल पहले के पेड़ मिले हैं, जो अब पत्थर हो गए हैं। आकल गांव में ऐसे पेड़ों के जीवाश्म को लेकर ‘वुड फॉसिल पार्क’ भी बनाया गया है।
तीन जगहों को कहते हैं डायनासोर का गांव
डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर शहर में जेठवाई की पहाड़ी, यहां से 16 किलोमीटर दूर थईयात और लाठी को ‘डायनासोर का गांव’ कहा जाता है। इसकी वजह है कि इन जगहों पर ही डायनासोर होने के प्रमाण मिलते हैं। जेठवाई पहाड़ी पर पहले माइनिंग होती थी। लोग घर बनाने के लिए यहां से पत्थर लेकर जाते थे।
ऐसे ही थईयात और लाठी गांव में सेंड स्टोन के माइनिंग एरिया में डायनासोर के जीवाश्म मिलते हैं। तीनों गांवों में ही माइनिंग से काफी सारे अवशेष तो नष्ट हो गए थे। जब यहां डायनासोर के जीवाश्म मिलने लगे तो सरकार ने माइनिंग का काम रुकवा दिया। अब तीनों जगहों को संरक्षित कर दिया गया है।
मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।
जैसलमेर में थे डायनासोर ऐसे पता चला
डॉ. इणखिया बताते हैं- जुरासिक प्रणाली पर 9वीं इंटरनेशनल कांग्रेस आयोजित होने के बाद जयपुर के वैज्ञानिक धीरेंद्र कुमार पांडे और विदेशी वैज्ञानिकों की टीम वर्ष 2014 में जैसलमेर घूमने आई थी। तब टीम ने वुड फॉसिल पार्क विजिट किया और जुरासिक युग के फॉसिल (जीवाश्म) देखे।
इस दौरान टीम को जैसलमेर शहर से 16 किलोमीटर दूरी पर जैसलमेर-जोधपुर हाईवे के पास थईयात गांव के पास मिट्टी हटाने पर डायनासोर के पैरों के निशान मिले थे। तब स्टडी से अनुमान लगाया गया कि यह थेरोपोड डायनासोर के थे।
पैरों के निशान बलुआ पत्थर पर मिट्टी हटाने के बाद ऊपरी सतह पर मिले थे। इसी गांव में बाद में टेरोसॉरस रेप्टाइल डायनासोर की हड्डियां भी मिली थीं। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।
डायनासोर खाना ढूंढने आते थे
डॉ. नारायण दास इणखिया ने बताया- जैसलमेर में डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। आज से करीब 25 करोड़ साल पहले जैसलमेर से गुजरात के कच्छ तक बसा रेगिस्तान जुरासिक युग में टेथिस सागर हुआ करता था। यह वो समय था जब अमेरिका, अफ्रीका और इंडिया सभी देश एक ही महाद्वीप में थे। तब जैसलमेर से लगे टेथिस सागर में व्हेल और शार्क की ऐसी दुर्लभ प्रजातियां थीं, जो आज विलुप्त हो गई हैं।
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एशियाई वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 इंडोनेशिया में भारत ने जीते सिल्वर और ब्रॉन्ज
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 अगस्त 2025 | जयपुर – जकार्ता : भारतीय एथलीटों ने इंडोनेशिया बोगोर के जेएसआई रिज़ॉर्ट में आयोजित 13वीं एशियाई कप वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 में कांस्य पदक जीता है। उद्घाटन समारोह में भारतीय वुडबॉल टीम का नेतृत्व हाथों में तिरंगा लहराते हुए डॉ प्रेम प्रकाश मीणा ने किया जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मी बाई कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर हैं। किंतु मैन स्ट्रीम मीडिया से यह ख़बर गायब है। इस चैंपियनशिप में ताइवान, चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, हांगकांग, सिंगापुर, भारत और मेज़बान देश इंडोनेशिया सहित पूरे एशिया के सैकड़ों एथलीट भाग ले रहे हैं।
एशियाई वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 इंडोनेशिया में भारत ने जीते सिल्वर और ब्रॉन्ज
भारतीय वुडबॉल टीम ने 7वीं AICE इंडोनेशिया वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 में अपना शानदार खेल दिखाया है। भारतीय पुरुष टीम ने जहां इस टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता है तो सिंगल स्ट्रोक इवेंट में भरत कुमार ने सिल्वर मेडल जीता है।
वुडबॉल एक ऐसा खेल है जिसमें गेंद को गेट से पार कराने के लिए एक हथौड़े का इस्तेमाल किया जाता है। यह खेल घास, रेत या घर के अंदर खेला जा सकता है। यह खेल एशियाई समुद्र तट खेलों के कार्यक्रम में शामिल है और इसे 2008 में शामिल किया गया था। जल्द ही ओलंपिक गेम्स में भी हो सकता है शामिल।
राजस्थान के भरत कुमार ने पुरुष एकल स्ट्रोक इवेंट में रजत पदक जीता
राजस्थान के भरत कुमार ने पुरुष एकल स्ट्रोक इवेंट में असाधारण कौशल और दृढ़ता दिखाते हुए रजत पदक जीता। उनके शानदार स्ट्रोक और दबाव में शांत रहने की क्षमता ने उन्हें मेडल दिलाया, जिससे वह भारत के सबसे होनहार वुडबॉल खिलाड़ियों में से एक बन गए। इसके अलावा, भारतीय पुरुष टीम ने स्ट्रोक प्रतियोगिता (टीम इवेंट) में कांस्य पदक हासिल कर शानदार सामूहिक प्रदर्शन किया। पदक विजेता टीम में शामिल थे:
– विश्वराज परमार (गुजरात)
– डॉ प्रेम प्रकाश मीणा (नई दिल्ली)
– ललित डांगी (मध्य प्रदेश)
– जयराज राठवा (गुजरात)
– रितेश येतू गवास (गोवा)
– सतीश चकाला (आंध्र प्रदेश)
भारतीय वुडबॉल खिलाडियों की खूब हुई तारीफ
इंडोनेशियाई वुडबॉल एसोसिएशन (IWbA) के अध्यक्ष आंग सुनादजी ने खिलाड़ियों की उपलब्धियों की सराहना की और सुधार की गुंजाइश भी जताई। उन्होंने बुधवार, 20 अगस्त, 2025 को जकार्ता से एक आधिकारिक बयान में कहा, “मेजबान देश होने के नाते, अभी भी बहुत कुछ सुधार की आवश्यकता है। हालाँकि, ये केवल प्रारंभिक परिणाम हैं। कल, सभी टीमें अंतिम दौर में फिर से प्रतिस्पर्धा करेंगी, इसलिए सभी प्रतिभागियों के लिए अवसर खुला रहेगा।”
भारत में बढ़ रहा है वुडबॉल का क्रेज
भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प की बदौलत यह कामयाबी हासिल की है। दोहरे पदक ने न केवल भारत को गौरव दिलाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वुडबॉल में देश की स्थिति को और मजबूत किया है। इस चैंपियनशिप में भारत के विभिन्न हिस्सों से कुल 24 सदस्यों की टीम ने हिस्सा लिया, जो देश में वुडबॉल की बढ़ती लोकप्रियता और पहुंच को दर्शाता है।
क्या बोले भारतीय कप्तान
भारतीय टीम की अगुवाई महाराष्ट्र के एडवोकेट सुदीप मनवटकर ने किया, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जीत पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए सुदीप ने कहा कि यह जीत भारतीय वुडबॉल की बढ़ती ताकत और देश में इस खेल के उज्ज्वल भविष्य को दिखाती है।
टीम मैनेजर राजेंद्र पिरनकर ने भी अपने मैनेजमेंट और नेतृत्व क्षमताओं के साथ खिलाड़ियों को प्रेरित किया और मैदान के अंदर और बाहर बेहतर कोऑर्डिनेशन सुनिश्चित किया। इंडोनेशिया में यह जीत भारतीय वुडबॉल के लिए एक मील का पत्थर है, जो न केवल व्यक्तिगत प्रतिभा की ताकत बल्कि टीम वर्क की भावना को भी दर्शाती है। विदेशी धरती पर तिरंगे का ऊंचा होना पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।
वुडबॉल को भारत में 2002 में लाया गया था और इसे वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा बढ़ावा दिया जाता है , जो एक सरकारी पंजीकृत निकाय है जो राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करता है और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में टीमें भेजता है। खिलाड़ी गेंद को गेटों की एक श्रृंखला के माध्यम से मारने के लिए एक मैलेट का उपयोग करते हैं, यह खेल गोल्फ या क्रोकेट के समान है, और इसे विभिन्न सतहों पर खेला जा सकता है। भारत में वुडबॉल समुदाय बढ़ रहा है, जिसका प्रमाण एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में भारतीय टीम की भागीदारी और नागपुर और वडोदरा जैसे शहरों में राष्ट्रीय आयोजनों का आयोजन है।
नागपुर 22 से 26 मार्च तक सीनियर और सब-जूनियर पुरुष एवं महिला राष्ट्रीय वुडबॉल टूर्नामेंट की मेज़बानी की। भारतीय वुडबॉल कैलेंडर में एक प्रमुख आयोजन होगा। इसके अतिरिक्त, वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WAI) ने इसी सत्र से राष्ट्रीय बीच वुडबॉल टूर्नामेंट शुरू करने का निर्णय लिया है।
भारत में वुडबॉल के बारे में मुख्य तथ्य: परिचय: वुडबॉल को भारत में 2002 में पेश किया गया था। शासी निकाय: वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WbAI) इस खेल को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय निकाय है, जिसके 26 संबद्ध राज्य संघ हैं। गेमप्ले: गोल्फ की तरह, खिलाड़ी एक निर्दिष्ट कोर्स में गेट के माध्यम से गेंद को मारने के लिए मैलेट का उपयोग करते हैं। यह खेल घास, रेत या घर के अंदर खेला जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: भारतीय टीम ने पहली बार 2003 में किसी अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया था और उसके बाद से विभिन्न विश्व और एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया है। राष्ट्रीय कार्यक्रम: डब्ल्यूबीएआई सीनियर और सब-जूनियर राष्ट्रीय वुडबॉल चैंपियनशिप जैसे आयोजनों का आयोजन करता है, जो हाल ही में नागपुर जैसे स्थानों पर आयोजित किया गया । विश्वविद्यालय स्तर: यह खेल विश्वविद्यालयों में भी लोकप्रिय है, तथा पारुल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय वुडबॉल चैम्पियनशिप जैसे आयोजन किये जाते हैं।
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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा। छात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।
छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा
छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी।
राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”
प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”
छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल
किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।
सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था
राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।
सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।
मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-
मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।
किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।
जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे
कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?
किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।
किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…
चुनाव में भय का माहौल रहता है
राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।
छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।
शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।
चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है
कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।
चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा
एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।
चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।
चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।
बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए