ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंची

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 02 अगस्त 2024 | जयपुर : पेरिस ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंच गई है। क्वार्टर फाइनल मुकाबले में इंडिया ने ब्रिटेन को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से हरा दिया। फुलटाइम मैच में दोनों टीमों का स्कोर 1-1 से बराबर था।

ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंची

पेनाल्टी शूट आउट में ग्रेट ब्रिटेन को 4-2 से हराकर भारत ने हॉकी के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। इसी के साथ पेरिस ओलंपिक में हॉकी में मेडल जीतने की भारत की उम्मीद कायम है। शूटआउट में भारत ने लगातार 4 गोल किए।

ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंची

ब्रिटेन की टीम सिर्फ दो गोल कर पाई। भारतीय गोलकीपर श्रीजेस जीत के हीरो रहे, जिन्होंने 2 गोल बचाए। फुलटाइम तक दोनों ने 1-1 गोल किए, मुकाबला 1-1 से बराबर आखिरी क्वार्टर भी गोल रहित रहा है। ऐसे में फुलटाइम तक दोनों टीम 1-1 की बराबरी पर रहीं।

तीसरा क्वार्टर खत्म, स्कोर 1-1 से बराबरी परमैच का तीसरा क्वार्टर खत्म हो चुका है। तीसरा क्वार्टर खत्म होने तक दोनों टीमें 1-1 से बराबरी पर हैं। मैच के 22वें मिनट में कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने भारत को 1-0 की बढ़त दिलाई। उनका यह पेरिस ओलिंपिक में 7वां गोल है। इससे पहले, पहले क्वार्टर में किसी टीम ने गोल नहीं किया। वहीं 27वें मिनट में ब्रिटेन के ली मॉर्टन ने गोल कर स्कोर बराबर कर दिया।

दूसरा क्वार्टर खत्म, स्कोर 1-1 से बराबर दूसरे क्वार्टर के खत्म होने तक दोनों टीम 1-1 से बराबरी पर हैं। मैच के 22वें मिनट में कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने भारत को 1-0 की बढ़त दिलाई। उनका यह पेरिस ओलिंपिक में 7वां गोल है। इससे पहले, पहले क्वार्टर में किसी टीम ने गोल नहीं किया। वहीं 27वें मिनट में ब्रिटेन के ली मॉर्टन ने गोल कर स्कोर बराबर कर दिया।

गोल का जश्न मनाते कप्तान हरमनप्रीत सिंह।

अमित को रेड कार्ड मिला

मैच का दूसरा क्वार्टर शुरू हो चुका है। मैच 17वें मिनट में अमित रोहितदास को रेड कार्ड मिला।जिस कारण उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा है। भारत को अब आज का बाकी मैच 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना होगा। गोल का जश्न मनाते कप्तान हरमनप्रीत सिंह।

पहले क्वार्टर में भारत और ब्रिटेन को 3 पेनल्टी कॉर्नर, श्रीजेश का बचाव  

पहले क्वार्टर में भारत और ग्रेट ब्रिटेन दोनों को 3-3 पेनल्टी कॉर्नर मिले। भारत के लिए गोलकीपर श्रीजेश ने शानदार खेल दिखाते हुए 2 शानदार डिफेंस किए, जबकि एक पेनल्टी कॉर्नर में अमित रोहितदास ने बचाव किया। वहीं भारत के कप्तान हरमनप्रीत पेनल्टी कॉर्नर के समय सही तरीके से शॉट नहीं मार सके।

भारतीय हॉकी टीम और ब्रिटेन का मुकाबला जारी

पेरिस ओलिंपिक का पहला क्वार्टर फाइनल भारतीय हॉकी टीम और ब्रिटेन के बीच खेले जा रहा है। मैच शुरू हो शुरू हो चुका है और पहला क्वार्टर जारी है।

राष्ट्रगान के दौरान भारतीय टीम।

अहम फैक्ट

  • भारत ने 1980 के 41 साल बाद टोक्यो ओलिंपिक में पहली बार पोडियम पर जगह बनाई थी। भारतीय हॉकी टीम 12 ओलिंपिक मेडल जीत चुकी है, इनमें आठ गोल्ड शामिल हैं।
  • ग्रेट ब्रिटेन को पिछले 36 साल से हॉकी में ओलिंपिक मेडल नहीं मिला है। ब्रिटेन ने 1988 में सियोल में वेस्ट जर्मनी को 3-1 से हराकर गोल्ड जीता था। उसके बाद टीम लंदन ओलिंपिक में टॉप-4 में पहुंची थी।

टोक्यो ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल में ब्रिटेन को हराया था

ओलिंपिक गेम्स में इससे पहले भारत और ब्रिटेन की भिड़ंत टोक्यो-2020 के क्वार्टर फाइनल में हुई थी। तब मनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने 3-1 से जीत हासिल की थी।तब से अब तक दोनों टीमें 4 बार आमने-सामने आ चुकी हैं, सभी मैच FIH प्रो-लीग 2023-24 में खेले गए। जिसमें भारत सिर्फ एक बार जीतने में सफल रहा। जून में दोनों टीमों के बीच दो मुकाबले हुए थे, दोनों ब्रिटेन ने जीते।

हरमनप्रीत भारत के टॉप स्कोरर, गैरेथ फरलोंग 3 गोल कर चुके

इस मुकाबले में भारतीय फैंस की नजरें कप्तान हरमनप्रीत सिंह पर होंगी। वे अब तक 6 गोल कर चुके हैं। वे वर्तमान में पेरिस ओलिंपिक में दूसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। ब्रिटेन के लिए सबसे ज्यादा 3 गोल गैरेथ फरलोंग ने किए हैं।

हर डिपार्टमेंट में बढ़त बनाना चाहेगा भारत

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के प्रदर्शन का मुख्य आकर्षण मनप्रीत-हार्दिक की लीडरशिप वाली मिडफील्ड और फॉरवर्ड लाइन का शानदार कॉर्डिनेशन रह। फ्रंट लाइन में गुरजंत और सुखजीत ने अपने खेल से ऑस्ट्रेलिया के डिफेंस को दबाव में रखा। भारतीय टीम ब्रिटेन के खिलाफ एक बार फिर हर विभाग में बढ़त बनाने की कोशिश करेगी। भारतीय खिलाड़ियों ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लंबे पास का बेहतरीन इस्तेमाल किया था और टीम ब्रिटेन के खिलाफ भी इसका प्रभावी इस्तेमाल करना चाहेगी। भारत के टॉप प्लेयर्स…

  • हरमनप्रीत सिंह: शानदार फॉर्म में हैं। हरमन अब तक 6 गोल कर चुके हैं और टूर्नामेंट में भारत के टॉप स्कोरर हैं।
  • अभिषेक सिंह: अभिषेक ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला गोल दागा। वे अब तक दो फील्ड गोल कर चुके हैं। अभिषेक भी प्रभाव छोड़ सकते हैं।
  • पीआर श्रीजेश: अपना आखिरी टूर्नामेंट खेल रहे अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश गोल के सामने दीवार की तरह खड़े रहे और कई बचाव किए।
  • अमित रोहिदास: टीम के फर्स्ट रसर हैं। पेनल्टी कॉर्नर के समय गोल बचाने में इनकी भूमिका अहम होती है।
  • जरमनप्रीत सिंह: जरमन डिफेंस को मजबूती दे रहे हैं। ब्रिटेन के अटैक को असफल करने की जिम्मेदारी इन पर होगी।
पेरिस ओलिंपिक भारत बनाम ब्रिटेन मेंस हॉकी पहला क्वार्टर फाइनल

…तो 52 साल बाद लगातार दूसरे ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचें

भारत अगर आज ब्रिटेन की चुनौती से पार पा जाता है, तो लगातार दूसरे ओलिंपिक गेम्स के सेमीफाइनल में पहुंचेगा। भारत के पास 52 साल बाद यह इतिहास दोहराने का मौका है। इससे पहले भारतीय टीम 1968 और 1972 ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। उसके बाद टीम ने 1980 में सेमीफाइनल खेलकर गोल्ड भी जीता, लेकिन इसके बाद 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में टीम सेमीफाइनल खेल सकी।

शूटआउट में जीता भारत, सभी प्रयास में गोल दागे

भारत ने ब्रिटेन को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली है। भारत की ओर से शूटआउट में हरमनप्रीत सिंह, सुखजीत सिंह, ललित उपाध्याय और राजकुमार पाल ने सफल गोल किए। जबकि इंग्लैंड की ओर से जेम्स एल्वेरी ने पहले और जैक वैलिस ने दूसरे प्रयास में गोल दागे। उसके बाद कोनोर विलियम्सन तीसरे और फिलिप रॉपर चौथे प्रयास में गोल नहीं कर सके। यहां भारत के अनुभवी गोलकीपर ने शानदार बचाव किया।

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एशियाई वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 इंडोनेशिया में भारत ने जीते सिल्वर और ब्रॉन्ज

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 अगस्त 2025 | जयपुर – जकार्ता : भारतीय एथलीटों ने इंडोनेशिया बोगोर के जेएसआई रिज़ॉर्ट में आयोजित 13वीं एशियाई कप वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 में कांस्य पदक जीता है। उद्घाटन समारोह में भारतीय वुडबॉल टीम का नेतृत्व हाथों में तिरंगा लहराते हुए डॉ प्रेम प्रकाश मीणा ने किया जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मी बाई कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर हैं। किंतु मैन स्ट्रीम मीडिया से यह ख़बर गायब है। इस चैंपियनशिप में ताइवान, चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, हांगकांग, सिंगापुर, भारत और मेज़बान देश इंडोनेशिया सहित पूरे एशिया के सैकड़ों एथलीट भाग ले रहे हैं।

एशियाई वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 इंडोनेशिया में भारत ने जीते सिल्वर और ब्रॉन्ज

भारतीय वुडबॉल टीम ने 7वीं AICE इंडोनेशिया वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 में अपना शानदार खेल दिखाया है। भारतीय पुरुष टीम ने जहां इस टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता है तो सिंगल स्ट्रोक इवेंट में भरत कुमार ने सिल्वर मेडल जीता है।

वुडबॉल एक ऐसा खेल है जिसमें गेंद को गेट से पार कराने के लिए एक हथौड़े का इस्तेमाल किया जाता है। यह खेल घास, रेत या घर के अंदर खेला जा सकता है। यह खेल एशियाई समुद्र तट खेलों के कार्यक्रम में शामिल है और इसे 2008 में शामिल किया गया था। जल्द ही ओलंपिक गेम्स में भी हो सकता है शामिल। 

राजस्थान के भरत कुमार ने पुरुष एकल स्ट्रोक इवेंट में रजत पदक जीता

राजस्थान के भरत कुमार ने पुरुष एकल स्ट्रोक इवेंट में असाधारण कौशल और दृढ़ता दिखाते हुए रजत पदक जीता। उनके शानदार स्ट्रोक और दबाव में शांत रहने की क्षमता ने उन्हें मेडल दिलाया, जिससे वह भारत के सबसे होनहार वुडबॉल खिलाड़ियों में से एक बन गए। इसके अलावा, भारतीय पुरुष टीम ने स्ट्रोक प्रतियोगिता (टीम इवेंट) में कांस्य पदक हासिल कर शानदार सामूहिक प्रदर्शन किया। पदक विजेता टीम में शामिल थे:  
– विश्वराज परमार (गुजरात)  
– डॉ प्रेम प्रकाश मीणा (नई दिल्ली)  
– ललित डांगी (मध्य प्रदेश)  
– जयराज राठवा (गुजरात)  
– रितेश येतू गवास (गोवा)  
– सतीश चकाला (आंध्र प्रदेश)  

भारतीय वुडबॉल खिलाडियों की खूब हुई तारीफ

इंडोनेशियाई वुडबॉल एसोसिएशन (IWbA) के अध्यक्ष आंग सुनादजी ने खिलाड़ियों की उपलब्धियों की सराहना की और सुधार की गुंजाइश भी जताई। उन्होंने बुधवार, 20 अगस्त, 2025 को जकार्ता से एक आधिकारिक बयान में कहा, “मेजबान देश होने के नाते, अभी भी बहुत कुछ सुधार की आवश्यकता है। हालाँकि, ये केवल प्रारंभिक परिणाम हैं। कल, सभी टीमें अंतिम दौर में फिर से प्रतिस्पर्धा करेंगी, इसलिए सभी प्रतिभागियों के लिए अवसर खुला रहेगा।”

भारत में बढ़ रहा है वुडबॉल का क्रेज

भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प की बदौलत यह कामयाबी हासिल की है। दोहरे पदक ने न केवल भारत को गौरव दिलाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वुडबॉल में देश की स्थिति को और मजबूत किया है। इस चैंपियनशिप में भारत के विभिन्न हिस्सों से कुल 24 सदस्यों की टीम ने हिस्सा लिया, जो देश में वुडबॉल की बढ़ती लोकप्रियता और पहुंच को दर्शाता है।

क्या बोले भारतीय कप्तान

भारतीय टीम की अगुवाई महाराष्ट्र के एडवोकेट सुदीप मनवटकर ने किया, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जीत पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए सुदीप ने कहा कि यह जीत भारतीय वुडबॉल की बढ़ती ताकत और देश में इस खेल के उज्ज्वल भविष्य को दिखाती है।

टीम मैनेजर राजेंद्र पिरनकर ने भी अपने मैनेजमेंट और नेतृत्व क्षमताओं के साथ खिलाड़ियों को प्रेरित किया और मैदान के अंदर और बाहर बेहतर कोऑर्डिनेशन सुनिश्चित किया। इंडोनेशिया में यह जीत भारतीय वुडबॉल के लिए एक मील का पत्थर है, जो न केवल व्यक्तिगत प्रतिभा की ताकत बल्कि टीम वर्क की भावना को भी दर्शाती है। विदेशी धरती पर तिरंगे का ऊंचा होना पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।

वुडबॉल को भारत में 2002 में लाया गया था और इसे वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा बढ़ावा दिया जाता है , जो एक सरकारी पंजीकृत निकाय है जो राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करता है और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में टीमें भेजता है। खिलाड़ी गेंद को गेटों की एक श्रृंखला के माध्यम से मारने के लिए एक मैलेट का उपयोग करते हैं, यह खेल गोल्फ या क्रोकेट के समान है, और इसे विभिन्न सतहों पर खेला जा सकता है। भारत में वुडबॉल समुदाय बढ़ रहा है, जिसका प्रमाण एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में भारतीय टीम की भागीदारी और नागपुर और वडोदरा जैसे शहरों में राष्ट्रीय आयोजनों का आयोजन है।

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नागपुर 22 से 26 मार्च तक सीनियर और सब-जूनियर पुरुष एवं महिला राष्ट्रीय वुडबॉल टूर्नामेंट की मेज़बानी की। भारतीय वुडबॉल कैलेंडर में एक प्रमुख आयोजन होगा। इसके अतिरिक्त, वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WAI) ने इसी सत्र से राष्ट्रीय बीच वुडबॉल टूर्नामेंट शुरू करने का निर्णय लिया है।

भारत में वुडबॉल के बारे में मुख्य तथ्य:
परिचय: वुडबॉल को भारत में 2002 में पेश किया गया था।
शासी निकाय: वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WbAI) इस खेल को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय निकाय है, जिसके 26 संबद्ध राज्य संघ हैं।
गेमप्ले: गोल्फ की तरह, खिलाड़ी एक निर्दिष्ट कोर्स में गेट के माध्यम से गेंद को मारने के लिए मैलेट का उपयोग करते हैं। यह खेल घास, रेत या घर के अंदर खेला जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: भारतीय टीम ने पहली बार 2003 में किसी अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया था और उसके बाद से विभिन्न विश्व और एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया है।
राष्ट्रीय कार्यक्रम: डब्ल्यूबीएआई सीनियर और सब-जूनियर राष्ट्रीय वुडबॉल चैंपियनशिप जैसे आयोजनों का आयोजन करता है, जो हाल ही में नागपुर जैसे स्थानों पर आयोजित किया गया ।
विश्वविद्यालय स्तर: यह खेल विश्वविद्यालयों में भी लोकप्रिय है, तथा पारुल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय वुडबॉल चैम्पियनशिप जैसे आयोजन किये जाते हैं।

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जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 अगस्त 2025 | जयपुर – जैसलमेर : जैसलमेर में मेघा गांव के पास तालाब के किनारे जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म (फॉसिल) मिले हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी जो सतह के बाहर दिख रहा है, वो जुरासिक काल के डायनासोर की रीढ़ की हड्डी हो सकती है। बाकी का पार्ट जमीन में 15 से 20 फीट नीचे है।

जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया ने बताया- 2 दिन पहले 19 अगस्त को ग्रामीणों को जीवाश्म मिले तो वे चौंक गए। इसके बाद 20 अगस्त को फतेहगढ़ प्रशासन को इसकी जानकारी जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह को दी। जैसलमेर प्रशासन ने इसकी सूचना हमें दी। गुरुवार को हम फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र के मेघा गांव पहुंचे।

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया का दावा है कि

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ये जैसलमेर के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा कंकाल मिला है। जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, हजारों साल पहले जैसलमेर समुद्र का किनारा रहा था, जहां डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। ऐसे में यहां इनके जीवाश्म मिल रहे हैं।

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अब जियोलॉजिकल सर्वे की टीम जांच करेगी। जीवाश्म कितना पुराना है? किस जानवर का है? ऐसे सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।

पहले वो तस्वीर, जिसमें जीवाश्म दिख रहे हैं…

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।

लाखों साल पुराना कंकाल सुरक्षित

डॉ. इणखिया ने बताया- प्राथमिक जांच करने पर यह जुरासिक काल का होने का अंदाजा लगा है। यानी ये डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव की हड्डियों का कंकाल हो सकता है। अगर यह किसी अन्य जानवर की हड्डियां होती तो इसे अन्य मांसाहारी जानवर खा सकते थे।

ये कंकाल सुरक्षित है तो ये जीवाश्म बनने की प्रक्रिया में है और जम गया है। ऐसे में यह हजारों साल पुराना होने का अंदाजा है। इसके संरक्षण और शोध की आवश्यकता है। प्रशासन के माध्यम से जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लिखा जाएगा। इसके साथ ही शोध करने वालों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि वे इसकी जांच कर हकीकत बता सकें।

डॉ. इणखिया ने बताया- जीवाश्म मिलना तो आम है। इसके साथ स्केलेटन मिलने से यह माना जा रहा है कि यह लाखों-करोड़ों साल पुराने अवशेष हो सकते हैं। ये किसी उड़ने वाले डायनासोर का हो सकता है, जिसकी लम्बाई करीब 20 फीट या उससे भी ज्यादा हो।

2 साल पहले खोज चुके डायनासोर का अंडा

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया को 2023 में जेठवाई पहाड़ी के पास ही मॉर्निंग वॉक के दौरान एक अंडे का जीवाश्म मिला था। यह लाखों वर्ष पुराने किसी अंडे का अवशेष था। इससे पहले थईयात की पहाड़ियों में भी डायनासोर के पदचिन्हों के निशान मिले थे, जिसे बाद में कोई चुराकर ले गया।

जैसलमेर में जुरासिक काल के प्रमाण मौजूद

डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर में इससे पहले भी थईयात के आसपास के इलाकों में डायनासोर के पंजे के निशान मिले थे। इसके साथ ही आकल गांव में भी 18 करोड़ साल पहले के पेड़ मिले हैं, जो अब पत्थर हो गए हैं। आकल गांव में ऐसे पेड़ों के जीवाश्म को लेकर ‘वुड फॉसिल पार्क’ भी बनाया गया है।

तीन जगहों को कहते हैं डायनासोर का गांव

डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर शहर में जेठवाई की पहाड़ी, यहां से 16 किलोमीटर दूर थईयात और लाठी को ‘डायनासोर का गांव’ कहा जाता है। इसकी वजह है कि इन जगहों पर ही डायनासोर होने के प्रमाण मिलते हैं। जेठवाई पहाड़ी पर पहले माइनिंग होती थी। लोग घर बनाने के लिए यहां से पत्थर लेकर जाते थे।

ऐसे ही थईयात और लाठी गांव में सेंड स्टोन के माइनिंग एरिया में डायनासोर के जीवाश्म मिलते हैं। तीनों गांवों में ही माइनिंग से काफी सारे अवशेष तो नष्ट हो गए थे। जब यहां डायनासोर के जीवाश्म मिलने लगे तो सरकार ने माइनिंग का काम रुकवा दिया। अब तीनों जगहों को संरक्षित कर दिया गया है।

मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।

मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।

जैसलमेर में थे डायनासोर ऐसे पता चला

डॉ. इणखिया बताते हैं- जुरासिक प्रणाली पर 9वीं इंटरनेशनल कांग्रेस आयोजित होने के बाद जयपुर के वैज्ञानिक धीरेंद्र कुमार पांडे और विदेशी वैज्ञानिकों की टीम वर्ष 2014 में जैसलमेर घूमने आई थी। तब टीम ने वुड फॉसिल पार्क विजिट किया और जुरासिक युग के फॉसिल (जीवाश्म) देखे।

इस दौरान टीम को जैसलमेर शहर से 16 किलोमीटर दूरी पर जैसलमेर-जोधपुर हाईवे के पास थईयात गांव के पास मिट्टी हटाने पर डायनासोर के पैरों के निशान मिले थे। तब स्टडी से अनुमान लगाया गया कि यह थेरोपोड डायनासोर के थे।

पैरों के निशान बलुआ पत्थर पर मिट्टी हटाने के बाद ऊपरी सतह पर मिले थे। इसी गांव में बाद में टेरोसॉरस रेप्टाइल डायनासोर की हड्डियां भी मिली थीं। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।

डायनासोर खाना ढूंढने आते थे

डॉ. नारायण दास इणखिया ने बताया- जैसलमेर में डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। आज से करीब 25 करोड़ साल पहले जैसलमेर से गुजरात के कच्छ तक बसा रेगिस्तान जुरासिक युग में टेथिस सागर हुआ करता था। यह वो समय था जब अमेरिका, अफ्रीका और इंडिया सभी देश एक ही महाद्वीप में थे। तब जैसलमेर से लगे टेथिस सागर में व्हेल और शार्क की ऐसी दुर्लभ प्रजातियां थीं, जो आज विलुप्त हो गई हैं।

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