RAS का एग्जाम छोड़ पहुंची KBC की हॉट सीट पर नरेशी मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 24 अगस्त 2024 | सवाई माधोपुर : जब आप हॉट सीट पर बैठे हो तो 100 परसेंट श्योर कुछ नहीं लगता, यह भी यकीन नहीं होता कि आप अमिताभ बच्चन के सामने बैठे हो। सामने बिग-बी बैठे हो तो आप वैसे ही फ्रीज हो जाते हैं। यह कहना है कौन बनेगा करोड़पति में 50 लाख जीतने वाली सवाई माधोपुर की नरेशी मीणा का। अपने कोचिंग टीचर से इंस्पायर्ड होकर और नरेशी ने कौन बनेगा करोड़पति का सफर तय किया।

गेम शो की शूटिंग के लिए नरेशी ने जुलाई में हुई RAS की मुख्य परीक्षा भी छोड़ दी थी। सवाई माधोपुर के एंडा गांव की बेटी नरेशी मीणा (27) ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं। अमिताभ बच्चन ने गेम शो के दौरान नरेशी का इलाज करवाने की भी बात कही।

RAS का एग्जाम छोड़ पहुंची KBC की हॉट सीट पर नरेशी मीणा

“कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता, जरा पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो” ऐसा ही कारनामा सवाई माधोपुर जिले के एक छोटे से एंडा गांव की बेटी नरेशी मीणा ने कर दिखाया है। दरअसल, नरेशी महानायक अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में हॉट सीट पर पहुंची

RAS का एग्जाम छोड़ पहुंची KBC की हॉट सीट पर नरेशी मीणा

नरेशी ने 1 करोड़ के सवाल पर पर गेम छोड़ दिया था। सवाई माधोपुर के एंडा गांव की बेटी नरेशी मीणा की इस कामयाबी से पूरा गांव बेहद खुश है। नरेशी ने बताया कि जब वो गेम शो से लौटीं तो पूरे गांव ने उनका स्वागत किया।

‘केबीसी 16’ के लिए छोड़ा आरएएस का एग्जाम

इससे पहले नरेशी मीणा ने मूकनायक मीडिया ब्यूरो को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति 16’ में शामिल होने के लिए आरएएस का एग्जाम छोड़ दिया। नरेशी मीणा ने बताया, ‘मैंने आरएएस मेन का एग्जाम मिस कर दिया।

20 और 21 जुलाई को मेरा आरएएस मेन एग्जाम था। मेरा जयपुर में सेंटर आया था। वो एग्जाम 2 दिन होते हैं, क्योंकि लिखना होता है, 4 पेपर होते हैं। तो मुझे लगा कि एक दिन पहले जाना पड़ता है, फिर आने-जाने में 3-4 दिन लग जाते। तो मैंने सोचा कि इस बार केबीसी को देते हैं अपना पूरा टाइम। तो मैंने अपना आरएएस का मेन एग्जाम छोड़ दिया।’

सवाई माधोपुर के एंडा गांव की बेटी नरेशी मीणा की इस कामयाबी से पूरा गांव बेहद खुश है। नरेशी ने बताया कि जब वो गेम शो से लौटीं तो पूरे गांव ने उनका स्वागत किया।

15वें सवाल तक पहुंचने वाली पहली कंटेस्टेंट

इसके बाद प्रोमो में अमिताभ बच्चन कहते हैं, ‘आपने ये ठान लिया है कि ये धनराशि यहां से जीतकर जाऊंगी, तो इसका इलाज हो सकता है।’ बिग बी खुलासा करते हैं कि नरेशी मीणा शो के इस सीजन की पहली कंटेस्टेंट बन गई हैं, जो 15वें सवाल तक पहुंची हैं। अमिताभ बच्चन कहते हैं, ‘इस सीजन में पहली बार 15वां सवाल, 1 करोड़ रुपये, ये रहा’। वैसे नरेशी मीणा ‘केबीसी 16’ की पहली करोड़पति बनने से रह गयीं।

इसी दौरान गंगापुर सिटी के योगेश ने कौन बनेगा करोड़पति में 25 लाख रुपए जीते। जिसकी खबर नरेशी ने पढ़ी और इसके बाद नरेशी केबीसी का सीरियल अपने ताऊजी के घर जाकर देखने लगी। उनका इंटरेस्ट जनरल नॉलेज में काफी बढ़ गया। वह विभिन्न साइटों से और समाचार पत्रों के माध्यम से अपना जनरल नॉलेज बढ़ाने लगी।

जिंदगी जीने का हौसला

इसके चलते नरेशी ने आरएएस का एग्जाम छोड़ दिया और ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन से उनका सामना हुआ। नरेशी के पिता राजमल मीणा ने भी शूट के दौरान अमिताभ बच्चन से बातचीत की, जिसे उन्होंने काफी यादगार बताया। साल 2020 में वह महिला अधिकारिता विभाग में सुपरवाइजर के पद पर नियुक्त हुई।

इसी के साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई को आगे जारी रखा। इस दौरान वह RAS के एग्जाम में पास हुई। लेकिन RAS और कौन बनेगा करोड़पति की डेट आसपास थी। जिसके चलते नरेशी ने RAS का एग्जाम छोड़ दिया और कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर जा पहुंची। जहां महानायक अमिताभ बच्चन से उनका सामना हुआ। 

नरेशी के पिता राजमल मीणा ने भी शूट के दौरान अमिताभ बच्चन से बातचीत की, जिसे उन्होंने काफी यादगार बताया।

सब इंस्पेक्टर के मेडिकल में ब्रेन ट्यूमर का चला पता

नरेशी ने बताया कि साल 2018 में उनकी जिंदगी में एक बेहद टर्निंग पॉइंट आया। वह SI का एग्जाम पास कर चुकी थी। इसके बाद मेडिकल होना था। मेडिकल के दौरान उन्हें पता चला कि उन्हें ब्रेन ट़्यूमर है। इस कारण वो लंबे समय तक डिप्रेशन में रहीं। नरेशी ने बताया कि वह यह सोचकर खूब रोती थी कि यह बीमारी उनके ही क्यों हुई। उनकी मां छोटी देवी, पिता राजमल और दोनों बड़े भाई शिवराम (31), लक्ष्मीकांत (28) ने उन्हें संभाला।

इतना ही नहीं आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद परिवार ने उनका अच्छे प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाया। मां ने नरेशी के इलाज के लिए अपने गहने तक बेच दिए। इस दौरान नरेशी ने सोचा कि नेगेटिविटी से परेशानी कम नहीं होती, बल्कि बढ़ती ही है। इसके बाद नरेशी पूरी सकारात्मकता के साथ उबरने की कोशिश में जुट गई। 3 भाई-बहन में नरेशी सबसे छोटी है। उनके दोनों बड़े भाई हमेशा हर मौके पर अपनी बहन को पूरा सपोर्ट करते हैं।

3 भाई-बहन में नरेशी सबसे छोटी है। उनके दोनों बड़े भाई हमेशा हर मौके पर अपनी बहन को पूरा सपोर्ट करते हैं।

ताऊजी के घर जाकर देखती थीं केबीसी

मां-बाप और भाइयों के मोटिवेशन से नरेशी ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी। इसी दौरान वर्ष 2017 में गंगापुर के योगेश ने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में 25 लाख रुपए जीते। वो काफी चर्चाओं में रहे। इसके बाद योगेश कोचिंग टीचर बन गए। नरेशी ने भी उनसे कोचिंग ली है।

अपने कोचिंग टीचर से प्रेरित होकर और उनकी उपलब्धि सुनने-पढ़ने के बाद नरेशी का भी रूझान केबीसी की तरफ जाने लगा। खुद के घर में टीवी नहीं होने के कारण नरेशी केबीसी शो अपने ताऊजी के घर जाकर देखने लगी। इसके बाद वे अपनी जनरल नॉलेज को बढ़ाने की कोशिश करती रहीं।

माता पिता को देगी खूबसूरत तोहफा 

नरसी का कहना है कि यह उसके जीवन का सबसे यादगार पल था। उसने बेहद कठिन सवालों के जवाब देकर 50 लाख रुपये जीते। इन्हें जीतने के बाद नरसी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। उसके काम की चर्चा देश, प्रदेश और हर जगह हो रही है। कौन बनेगा करोड़पति में 50 लाख रुपये जीतकर जब नरसी अपने गांव आई तो गांव वालों ने फूल मालाओं और बैंड बाजे के साथ उसका स्वागत किया।

अपनी जीत पर और जीती गई रासि को लेकर नरसी का कहना है कि वह सवाई माधोपुर में किराए के मकान में रहती है। इसलिए वह इन पैसों से वहां एक मकान खरीदेगी। साथ ही वह अपनी मां के गहने दोबारा बनवाएगी। वह अपने पिता को एक खूबसूरत तोहफा भी देगी।

पॉलिटिकल साइंस से किया पोस्ट ग्रेजुएशन

नरेशी ने अपने गांव की ही सरकारी स्कूल से 9वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कक्षा 10 उन्होंने नजदीकी गांव की श्यामपुरा स्कूल से पास की। 11वीं और 12वीं कक्षा सवाई माधोपुर के सुरभि पब्लिक स्कूल से पास की। साल 2015 में उन्होंने बीए में एडमिशन लिया और साल 2017 में हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस और हिंदी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद उन्होंने पॉलिटिकल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

मां-बाप के लिए बहुत कुछ करना चाहती हैं नरेशी

केबीसी के लिए 18-19 जुलाई को सवाई माधोपुर में शूट हुआ था। इसके बाद नरेशी को 26 जुलाई को मुंबई बुलाया गया, जहां वो अपने पिता और बुआ के लड़के के साथ गई थी। करीब एक सप्ताह बाद 2 अगस्त को वापस गांव लौटी। नरेशी का डीजे और बैंडबाजे के साथ जोरदार स्वागत किया गया। नरेशी की मां ने उनसे कहा कि शाबाश बेटा, मेरी बेटी ने मेरा नाम रोशन कर दिया।

नरेशी बताती है कि 50 लाख रुपए जीतने के बाद अब वह अपनी मां की ज्वेलरी फिर से बनवा पाएंगी। अपने पिता को भी एक खूबसूरत सा तोहफा देंगी। वह सवाई माधोपुर में किराए से रहती हैं तो इन पैसों से सवाई माधोपुर में मकान खरीदने का मन बना रही हैं।

अमिताभ ने चीलगाड़ी शब्द को डायरी में नोट किया

अमिताभ बच्चन ने नरेशी के पिता से शूट के दौरान पूछा कि वह मुंबई कैसे आए हैं। जिस पर नरेशी के पिता राजमल ने उन्हें बताया कि वह चीलगाड़ी में बैठकर यहां आए हैं। यह सुनकर अमिताभ ने कहा कि यह चीलगाड़ी क्या होती है, तो उन्होंने बताया कि उनके गांव में प्लेन को ही चीलगाड़ी कहते हैं। जिस पर अमिताभ बच्चन ने इस शब्द को अपनी डायरी में नोट कर लिया। अमिताभ बच्चन ने करीब 4 महीने पहले 16वें सीजन की शूटिंग स्टार्ट की थी। इस दौरान उनकी सेट से कई फोटो भी सामने आई थी।

अमिताभ बच्चन ने करीब 4 महीने पहले 16वें सीजन की शूटिंग स्टार्ट की थी। इस दौरान उनकी सेट से कई फोटो भी सामने आई थी।

अमिताभ बच्चन कराएंगे नरेशी मीणा का ब्रेन ट्यूमर का इलाज

सवाई माधोपुर के एंडा गांव की नरेशी मीणा ने अमिताभ बच्चन को बताया कि उसे ब्रेन ट्यूमर की बीमारी है। उसने ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन तो कराया था, लेकिन इस ट्यूमर का कुछ हिस्सा अब भी उसके दिमाग में है। यह ट्यूमर उसके दिमाग में ऐसी जगह फंसा है, जिसे निकालना जानलेवा साबित हो सकता है।

नरेशी ने कहा था कि ब्रेन ट्यूमर का एडवांस इलाज कराने के लिए उन्हें चिकित्सकों की तरफ से प्रोटोन ट्रीटमेंट का सुझाव दिया था, लेकिन यह ट्रीटमेंट काफी महंगा होने की वजह से वह ट्रीटमेंट नहीं करा पाई।

केबीसी में आने का उसका मुख्य उद्देश्य ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए रुपए इकट्ठा करना था। लेकिन जब अमिताभ बच्चन ने उनकी कहानी सुनी तो वो भावुक हो गए । और उन्होंने उसके ब्रेन ट्यूमर का इलाज कराने वादा किया, कि वह स्वयं उसका पूरा खर्चा उठाएंगे।

अब जानते हैं केबीसी में कैसे होती हैं एंट्री

स्टेप 1- कंटेस्टेंट की तैयारी शो टेलीकास्ट होने से तकरीबन 4 महीने पहले शुरू हो जाती है। पहला प्रोमो लॉन्च होने के बाद, रोजाना रात 9 बजे सोनी चैनल पर अमिताभ बच्चन दर्शकों से एक सवाल पूछते हैं, जिसका जवाब देना होता है। सोनी लिव ऐप पर इसका रजिस्ट्रेशन होता है।

स्टेप 2- प्रोडक्शन टीम रजिस्टर किए हुए कंटेस्टेंट में से कुछ को चुनती है फिर उन्हें कॉल बैक करती है। कॉल पर उनसे तीन सवाल किए जाते हैं। पहले दो सवाल में 4 विकल्प दिए जाते हैं। हर सवाल के इन 4 विकल्प में से एक सही जवाब देना होता है।

आखिरी सवाल नंबर-बेस्ड होता है। उदाहरण के तौर पर- भारत को आजादी कब मिली थी? इसका जवाब देने के लिए फोन के कीपैड पर 1947 टाइप करना होता है। तीनों सवालों के सही जवाब देने पर अगले स्टेप के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाता है।

स्टेप 3- तीसरा स्टेप ऑडिशन का होता है। ज्यादातर ऑडिशन मुंबई में ही होते हैं। मुंबई से बाहर से चुने गए कंटेस्टेंट को उनकी उपलब्धता के हिसाब से मुंबई बुलाया जाता है। इसका पूरा खर्चा टीम ही उठाती है।

इस लेवल पर कंटेस्टेंट के लाइव ऑडिशन होते हैं। तकरीबन 20 सवालों का लाइव जवाब देना होता है – कुछ लिखकर तो कुछ वीडियो राउंड में। कंटेस्टेंट की पर्सनल लाइफ की डिटेल्स, इसी वीडियो में कैप्चर होते हैं।

स्टेप 4- यदि किसी कंटेस्टेंट ने सभी सवालों का सही जवाब दिया तो टीम उन्हें फिर से मुंबई बुलाती है। शो में शामिल होने की तैयारी शुरू हो जाती है। फास्टेस्ट-फिंगर राउंड से पहले कई बार रिहर्सल होती है। इस रिहर्सल का मकसद बस यही होता है कि कंटेस्टेंट से कोई चूक न हो जाए।

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स्टेप 5- सबसे कम समय में जवाब देने वाले कंटेस्टेंट को अमिताभ बच्चन खुद हॉट सीट तक लेकर जाते हैं।

स्टेप 6- हॉट सीट पर सवालों का सही जवाब देकर, कंटेस्टेंट करोड़ों रूपए जीतने का सपना साकार कर सकता है।

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जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 अगस्त 2025 | जयपुर – जैसलमेर : जैसलमेर में मेघा गांव के पास तालाब के किनारे जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म (फॉसिल) मिले हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी जो सतह के बाहर दिख रहा है, वो जुरासिक काल के डायनासोर की रीढ़ की हड्डी हो सकती है। बाकी का पार्ट जमीन में 15 से 20 फीट नीचे है।

जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया ने बताया- 2 दिन पहले 19 अगस्त को ग्रामीणों को जीवाश्म मिले तो वे चौंक गए। इसके बाद 20 अगस्त को फतेहगढ़ प्रशासन को इसकी जानकारी जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह को दी। जैसलमेर प्रशासन ने इसकी सूचना हमें दी। गुरुवार को हम फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र के मेघा गांव पहुंचे।

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया का दावा है कि

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ये जैसलमेर के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा कंकाल मिला है। जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, हजारों साल पहले जैसलमेर समुद्र का किनारा रहा था, जहां डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। ऐसे में यहां इनके जीवाश्म मिल रहे हैं।

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अब जियोलॉजिकल सर्वे की टीम जांच करेगी। जीवाश्म कितना पुराना है? किस जानवर का है? ऐसे सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।

पहले वो तस्वीर, जिसमें जीवाश्म दिख रहे हैं…

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।

लाखों साल पुराना कंकाल सुरक्षित

डॉ. इणखिया ने बताया- प्राथमिक जांच करने पर यह जुरासिक काल का होने का अंदाजा लगा है। यानी ये डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव की हड्डियों का कंकाल हो सकता है। अगर यह किसी अन्य जानवर की हड्डियां होती तो इसे अन्य मांसाहारी जानवर खा सकते थे।

ये कंकाल सुरक्षित है तो ये जीवाश्म बनने की प्रक्रिया में है और जम गया है। ऐसे में यह हजारों साल पुराना होने का अंदाजा है। इसके संरक्षण और शोध की आवश्यकता है। प्रशासन के माध्यम से जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लिखा जाएगा। इसके साथ ही शोध करने वालों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि वे इसकी जांच कर हकीकत बता सकें।

डॉ. इणखिया ने बताया- जीवाश्म मिलना तो आम है। इसके साथ स्केलेटन मिलने से यह माना जा रहा है कि यह लाखों-करोड़ों साल पुराने अवशेष हो सकते हैं। ये किसी उड़ने वाले डायनासोर का हो सकता है, जिसकी लम्बाई करीब 20 फीट या उससे भी ज्यादा हो।

2 साल पहले खोज चुके डायनासोर का अंडा

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया को 2023 में जेठवाई पहाड़ी के पास ही मॉर्निंग वॉक के दौरान एक अंडे का जीवाश्म मिला था। यह लाखों वर्ष पुराने किसी अंडे का अवशेष था। इससे पहले थईयात की पहाड़ियों में भी डायनासोर के पदचिन्हों के निशान मिले थे, जिसे बाद में कोई चुराकर ले गया।

जैसलमेर में जुरासिक काल के प्रमाण मौजूद

डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर में इससे पहले भी थईयात के आसपास के इलाकों में डायनासोर के पंजे के निशान मिले थे। इसके साथ ही आकल गांव में भी 18 करोड़ साल पहले के पेड़ मिले हैं, जो अब पत्थर हो गए हैं। आकल गांव में ऐसे पेड़ों के जीवाश्म को लेकर ‘वुड फॉसिल पार्क’ भी बनाया गया है।

तीन जगहों को कहते हैं डायनासोर का गांव

डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर शहर में जेठवाई की पहाड़ी, यहां से 16 किलोमीटर दूर थईयात और लाठी को ‘डायनासोर का गांव’ कहा जाता है। इसकी वजह है कि इन जगहों पर ही डायनासोर होने के प्रमाण मिलते हैं। जेठवाई पहाड़ी पर पहले माइनिंग होती थी। लोग घर बनाने के लिए यहां से पत्थर लेकर जाते थे।

ऐसे ही थईयात और लाठी गांव में सेंड स्टोन के माइनिंग एरिया में डायनासोर के जीवाश्म मिलते हैं। तीनों गांवों में ही माइनिंग से काफी सारे अवशेष तो नष्ट हो गए थे। जब यहां डायनासोर के जीवाश्म मिलने लगे तो सरकार ने माइनिंग का काम रुकवा दिया। अब तीनों जगहों को संरक्षित कर दिया गया है।

मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।

मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।

जैसलमेर में थे डायनासोर ऐसे पता चला

डॉ. इणखिया बताते हैं- जुरासिक प्रणाली पर 9वीं इंटरनेशनल कांग्रेस आयोजित होने के बाद जयपुर के वैज्ञानिक धीरेंद्र कुमार पांडे और विदेशी वैज्ञानिकों की टीम वर्ष 2014 में जैसलमेर घूमने आई थी। तब टीम ने वुड फॉसिल पार्क विजिट किया और जुरासिक युग के फॉसिल (जीवाश्म) देखे।

इस दौरान टीम को जैसलमेर शहर से 16 किलोमीटर दूरी पर जैसलमेर-जोधपुर हाईवे के पास थईयात गांव के पास मिट्टी हटाने पर डायनासोर के पैरों के निशान मिले थे। तब स्टडी से अनुमान लगाया गया कि यह थेरोपोड डायनासोर के थे।

पैरों के निशान बलुआ पत्थर पर मिट्टी हटाने के बाद ऊपरी सतह पर मिले थे। इसी गांव में बाद में टेरोसॉरस रेप्टाइल डायनासोर की हड्डियां भी मिली थीं। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।

डायनासोर खाना ढूंढने आते थे

डॉ. नारायण दास इणखिया ने बताया- जैसलमेर में डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। आज से करीब 25 करोड़ साल पहले जैसलमेर से गुजरात के कच्छ तक बसा रेगिस्तान जुरासिक युग में टेथिस सागर हुआ करता था। यह वो समय था जब अमेरिका, अफ्रीका और इंडिया सभी देश एक ही महाद्वीप में थे। तब जैसलमेर से लगे टेथिस सागर में व्हेल और शार्क की ऐसी दुर्लभ प्रजातियां थीं, जो आज विलुप्त हो गई हैं।

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छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 15 अगस्त 2025 | जयपुर – सवाई माधोपुर : छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये हैं कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणाछात्र संघ चुनाव पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- कई बार जो गलती पहले वाले कर देते हैं, वो हम भी कर देते हैं। वैसे गलती रिपीट नहीं होनी चाहिए। गहलोत साहब भी कहते हैं हर गलती की सजा लंबी पूरी होती है। इतिहास उसे बख्शता नहीं है।

छात्रसंघ चुनाव कराने के समर्थन में आये कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा

छात्रसंघ चुनाव करवाने या न करवाने के सवाल पर किरोड़ी ने कहा- छात्रसंघ चुनाव पर यह तो आप मुख्यमंत्री से पूछें। मैं तो कहने के लिए अधिकृत ही नहीं हूं। मूकनायक मीडिया से बातचीत करते हुए कल प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा ने भी छात्रसंघ चुनाव कराने की माँग की थी। 

राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व सिंडिकेट सदस्य प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा का कहना है कि “राज्य सरकार द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था को दबाने का प्रयास कारण दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार के  इस निर्णय से आम छात्रों का असहज होना स्वाभाविक है।”

प्रोफ़ेसर मीणा ने मूकनायक मीडिया से क्याह भी कहा कि “ऐसे में सरकार से डिमांड है कि सरकार छात्रसंघ चुनाव के माध्यम से यूथ लीडरशिप स्किल डेवलप करने की व्यवस्था के बारे में सोचें तो आवाज दबाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि युवा वर्ग, महिलाएं उनके खिलाफ आवाज उठायें। स्टूडेंट वेलफेयर के लिए छात्रसंघ चुनाव जरुरी है। इससे एक तरफ  छात्रों का सर्वांगींण विकास होता है, वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के पहरी तैयार होते हैं।”

छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने पर इशारों में उठाए सवाल

किरोड़ी के बयान को नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी ने छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के सरकार के फैसले को पिछली सरकार की गलती रिपीट करने के तौर पर देखा है। किरोड़ी ने इसकी जिम्मेदारी उच्च स्तर पर डालते हुए खुद का स्टैंड साफ करने का प्रयास किया है।

सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था

राज्य सरकार ने 13 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव कराने से मना कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने का हवाला देकर चुनाव करवा पाना असंभव बताया था।

सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिश का हवाला देते हुए कहा था- सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए थे। फिलहाल यह भी संभव नहीं दिख रहा। जवाब में 9 यूनिवर्सिटी के कुलगुरुओं की सिफारिश भी शामिल की गई थी। इसमें कुलगुरुओं ने शैक्षणिक सत्र, कक्षाओं के कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराने की राय दी थी।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने कहा-

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मैं छह बार एमएलए बन गया। तीन बार सांसद रहा हूं, लेकिन मैं छात्र राजनीति से बिल्कुल जुड़ा हुआ नहीं रहा। छात्र राजनीति से बहुत से लोग MLA, MP और मंत्री बने हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता। मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जो छात्र राजनीति से नहीं आए। कम से कम मैं उदाहरण हूं।

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किरोड़ी ने ये बातें जयपुर में मीडिया से बातचीत में कही। इससे पहले कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सवाई माधोपुर में ध्वजारोहण किया था। सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

सवाई माधोपुर में स्वतंत्रता दिवस समारोह पर परेड की सलामी लेते कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा।

जो छात्रसंघ चुनाव बंद कर गए, वो किस मुंह से बात कर रहे

कृषि मंत्री ने कहा- छात्रसंघ के मामले में कमेंट नहीं कर सकते, उच्च स्तर से निर्णय होता है। जो लोग पिछले राज में छात्रसंघ चुनाव खत्म कर गए, वो किस मुंह से इनकी बात कर रहे हैं, यह समझ से बाहर है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव क्यों रोका?

यह भी पढ़ें : ‘राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाना दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रोफ़ेसर राम लखन मीणा

किरोड़ी ने कहा- लोकतंत्र में कोई कानून हाथ में लेता है तो कार्रवाई होती है। गहलोत साहब कह रहे हैं, तो उन्होंने तो मेरे पर भी लाठियां बरसाई थीं। कांग्रेस राज में मेरे पर उदयपुर में लाठियां बरसाईं। सीकर जा रहा था तो वहां भी लाठियां बरसाई थीं।

किस यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ने सिफारिश में क्या कहा था, जानिए…

चुनाव में भय का माहौल रहता है

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2023-24 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के कारण ही छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। चुनाव में छात्रों का वोटर टर्नआउट भी 25 से 30 प्रतिशत से भी कम होता है। चुनाव होने से परीक्षा परिणाम में देरी होती है। इससे कारण राज्य के विद्यार्थी अन्य राज्यों में प्रवेश और प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित हो जाते हैं।

छात्रसंघ चुनाव स्थगित रखना उपयुक्त

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपनी सिफारिश में कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है। शैक्षणिक माहौल के लिए सभी विश्वविद्यालयों के लिए अम्ब्रेला नीति विकसित करनी होगी।

शिक्षा सर्वोपरि, लाखों पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का सवाल

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने अपनी सिफारिश में कहा था- साल 2022-23 में चुनाव करवाए गए थे। उसके बाद विश्वविद्यालय में गंदगी, पंपलेट, पोस्टर और तोड़फोड़ को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया था। 3-3 महीने में सेमेस्टर परीक्षा का परिणाम घोषित करना जरूरी होता है।

चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है

कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा था- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 25 प्रतिशत ही लागू हो पाई है। कोई भी महाविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं है। चुनावी माहौल से पढ़ाई बाधित होती है।

चुनाव से 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा

एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलगुरु प्रोफेसर अजय शर्मा ने कहा था- यदि चुनाव होते हैं तो लगभग 2 महीने का टाइम टेबल बाधित होगा। इसलिए इन परिस्थितियों में छात्रसंघ चुनाव कराना संभव नहीं है।

चुनावों में तोड़फोड़-प्रदर्शन आम बात

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर के कुलगुरु प्रोफेसर अनिल रॉय ने अपनी सिफारिश में कहा- अभी छात्रसंघ चुनाव करवाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समयबद्ध रूप से लागू करने के कारण संभव नहीं है। छात्रसंघ चुनाव के लिए लिंगदोह समिति की सिफारिश की पूर्ण पालन होनी चाहिए।

चुनाव होते हैं तो स्थिति विपरीत हो जायेगी

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा था- अभी वार्षिक परीक्षा पद्धति वाले और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तरह सेमेस्टर सिस्टम के कोर्सेज चल रहे हैं। इनके परीक्षा परिणाम नहीं आए हैं। यदि छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो स्थिति बहुत ही विपरीत हो जायेगी।

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