इंडिया ने जिम्बाब्वे से 5 मैचों की टी-20 सीरीज जीती 10 विकेट से हराया

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 13 जुलाई 2024 | जयपुर : भारत ने टी-20 सीरीज के चौथे मैच में जिम्बाब्वे को 10 विकेट से हरा दिया है। इस जीत से टीम ने 5 मैचों की सीरीज में 3-1 की बढ़त के साथ सीरीज भी अपने नाम कर ली है। सीरीज का पांचवां मुकाबला 14 जुलाई को खेला जाएगा।

इंडिया ने जिम्बाब्वे से 5 मैचों की टी-20 सीरीज जीती 10 विकेट से हराया

भारत ने टॉस जीतकर पहले बॉलिंग का फैसला लिया। जिम्बाब्वे ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 7 विकेट खोकर 152 रन बनाए। जवाब में भारत ने 15.2 ओवर में बिना कोई विकेट गंवाए टारगेट हासिल कर लिया। भारत की ओर से ओपनर्स के बीच नाबाद 156 रन की साझेदरी हुई। यशस्वी जायसवाल ने 53 बॉल पर नाबाद 93 और शुभमन गिल ने 39 बॉल पर 58 रन बनाए।

इंडिया ने जिम्बाब्वे से 5 मैचों की टी-20 सीरीज जीती 10 विकेट से हराया

इससे पहले, जिम्बाब्वे की ओर से कप्तान सिकंदर रजा ने सबसे ज्यादा 46 रन बनाए। उनके अलावा तदिवनाशे मरुमानी 32 और वेसले मधवरे ने 25 रन का योगदान दिया। जिम्बाब्वे के ओपनर्स तदिवनाशे मरुमानी (32) और वेसले मधवरे (25) के बीच 63 रन की साझेदारी हुई।

भारत की ओर से खलील अहमद ने दो विकेट झटके। शिवम दुबे, अभिषेक शर्मा, तुषार देशपांडे और वॉशिंगटन सुंदर को 1-1 विकेट मिला। जोनाथन कैंपबेल को रवि बिश्नोई ने अपनी ही बॉल पर डायरेक्ट हिट पर रन आउट किया।

अपडेट्स

28 मिनट पहले
भारत 10 विकेट से जीता

भारत ने चौथा टी-20 मैच 10 विकेट से जीत लिया और सीरीज में 3-1 की बढ़त हासिल कर ली है। भारत ने लगातार तीसरा मैच जीता है।

31 मिनट पहले

गिल की तीसरी टी-20 इंटरनेशनल फिफ्टी

शुभमन गिल ने 35 बॉल पर की फिफ्टी पूरी की। यह उनकी टी-20 इंटरनेशनल की तीसरी फिफ्टी है।

06:57 PM13 जुलाई 2024

यशस्वी की छठी टी-20 इंटरनेशनल फिफ्टी

यशस्वी जायसवाल की फिफ्टी पूरी हो चुकी है। उन्होंने 29 बॉल पर अपना अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने सिकंदर रजा की बॉल पर चौका लगाकर अपनी फिफ्टी लगाई। यह उनकी टी-20 इंटरनेशनल की छठी फिफ्टी है।

06:48 PM13 जुलाई 2024

पावरप्ले में भारत का स्कोर 61/0

टीम इंडिया ने टारगेट का पीछा करते हुए तेज शुरुआत की। टीम ने पावरप्ले में बिना किसी नुकसान के 61 रन बनाए। इस दौरान शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल क्रीज पर मौजूद रहें।

06:43 PM13 जुलाई 2024

जिम्बाब्वे ने भारत को 153 रन का टारगेट दिया

जिम्बाब्वे ने भारत को 153 रन का टारगेट दिया है। जिम्बाब्वे ने पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 7 विकेट खोकर 152 रन बनाए। जिम्बाब्वे की ओर से कप्तान सिकंदर रजा ने सबसे ज्यादा 46 रन बनाए। उनके अलावा तदिवनाशे मरुमानी 32 और वेसले मधवरे ने 25 रन का योगदान दिया। जिम्बाब्वे के ओपनर्स तदिवनाशे मरुमानी (32) और वेसले मधवरे (25) के बीच 63 रन की साझेदारी हुई।

भारत की ओर से खलील अहमद ने दो विकेट झटके। शिवम दुबे, अभिषेक शर्मा, तुषार देशपांडे और वॉशिंगटन सुंदर को 1-1 विकेट मिला। जोनाथन कैंपबेल को रवि बिश्नोई ने अपनी ही बॉल पर डायरेक्ट हिट पर रन आउट किया।

06:42 PM13 जुलाई 2024

जिम्बाब्व को लगा सातवां झटका

जिम्बाब्वे को सातवां झटका भी खलील अहमद ने दिया। उन्होंने क्लाइव मदांदे को 152 रन के स्कोर पर आउट किया। वह इस मुकाबले में 7 रन बना सके। उनके विकेट से साथ पारी के 20 ओवर में पूरे हो गए।

06:40 PM13 जुलाई 2024

जिम्बाब्वे का छठा विकेट भी गिरा

जिम्बाब्वे को छठा झटका डायन मायर्स के रूप में लगा। उन्हें खलील अहमद ने कॉट एंड बोल्ड किया। वह सिर्फ 12 रन बना सके।

06:28 PM13 जुलाई 2024

देशपांडे ने रजा को पवेलियन भेजा  

जिम्बाब्वे का पांचवां विकेट 19वें ओवर में गिरा। तुषार देशपांडे ने जिम्बाब्वे के कप्तान सिकंदर रजा को शुभमन गिल के हाथों कैच कराया। रजा ने 28 बॉल पर 46 रन की पारी खेली।

05:55 PM13 जुलाई 2024

बिश्नोई के डायरेक्ट हिट से कैंपबेल रन आउट 

जिम्बाब्वे को चौथा झटका 15वें ओवर में लगा। गलतफहमी की वजह से जोनाथन कैंपबेल रन आउट हुए। रवि बिश्नोई की बॉल पर सिकंदर रजा ने शॉट खेला। कैंपबेल रन लेने के लिए आगे बढ़ गए, बिश्नोई ने बॉल को कलेक्ट किया और डायरेक्ट हिट से उन्हें रन आउट कर दिया।

05:40 PM13 जुलाई 2024

जिम्बाब्वे का तीसरा विकेट गिरा, बेनेट आउट

जिम्बाब्वे का तीसरा विकेट 14वें ओवर में गिरा। वॉशिंगटन सुंदर की ऑफ के बाहर स्लोवर बॉल पर ब्रायन बेनेट ने शॉट खेला। एक्स्ट्रा कवर पर खड़े यशस्वी जयसवाल के हाथों में गेंद गई और बेनेट को पवेलियन लौटना पड़ा।

05:31 PM13 जुलाई 2024

जिम्बाब्वे को दूसरा झटका, मधवरे आउट 

जिम्बाब्वे को दूसरा झटका 10वें ओवर की आखिरी बॉल पर लगा। शिवम दुबे की बॉल पर वेसले मधवरे ने शॉट खेला, उन्हें रिंकू सिंह ने डीप स्क्वायर लेग कैच किया।

05:22 PM13 जुलाई 2024

तदिवनाशे मरुमानी 32 रन बनाकर आउट 

जिम्बाब्वे को पहला झटका 9वें ओवर की चौथी बॉल पर लगा। अभिषेक शर्मा की शॉर्ट बॉल को तदिवनाशे मरुमानी ने पुल किया, लेकिन टाइमिंग सही नहीं थी। उन्हें डीप मिडविकेट पर रिंकू ने कैच कर लिया।

05:10 PM13 जुलाई 2024

जिम्बाब्वे 50 रन पार 

जिम्बाब्वे का स्कोर 8वें ओवर में 50 रन पार पहुंच गया है। तदिवनाशे मरुमानी ने 8वें ओवर में वॉशिंगटन सुंदर की पहली पर डबल्स लेकर टीम का स्कोर 50 रन पार पहुंचाया।

05:01 PM13 जुलाई 2024

पावरप्ले में जिम्बाब्वे का स्कोर 44/0

तदिवनाशे मरुमानी और वेसले मधवरे ने जिम्बाब्वे को साथी शुरुआत दिलाई। टीम ने पावरप्ले में बिना किसी नुकसान के 44 रन बनाए।

04:52 PM13 जुलाई 2024

शिवम दुबे ने मरुमानी का कैच छोड़ा 

खलील अहमद के दूसरे ओवर में शिवम दुबे ने तदिवनाशे मरुमानी को जीवनदान दे दिया। खलील की बॉल पर मरुमानी ने मिड-ऑन पर शॉट खेला। शिवम भागे लेकिन कैच करने में असफल रहे।

04:24 PM13 जुलाई 2024

भारत ने टॉस जीता, दोनों टीमें एक-एक बदलाव के साथ उतरेंगी 

भारत ने कप्तान शुभमन गिल ने टॉस जीतकर पहले बॉलिंग का फैसला लिया है। टीम एक बदलाव के साथ उतरेगी। आवेश खान की जगह तुषार देशपांडे को मौका मिला है। जिम्बाब्वे के प्लेइंग-11 में भी एक बदलाव हुआ है। वेलिंगटन मसाकाद्जा की जगह फराज अकरम को शामिल किया गया है।

04:10 PM13 जुलाई 2024

तुषार देशपांडे का डेब्यू

भारत की तरफ से तेज गेंदबाज तुषार देशपांडे को डेब्यू का मौका मिला है। उन्हें प्लेइंग-11 में आवेश खान की जगह शामिल किया गया है।

03:58 PM13 जुलाई 2024

दोनों टीमों की प्लेइंग-11

भारत : शुभमन गिल (कप्तान), यशस्वी जायसवाल, अभिषेक शर्मा, ऋतुराज गायकवाड, संजू सैमसन (विकेटकीपर), शिवम दुबे, रिंकू सिंह, वॉशिंगटन सुंदर, रवि बिश्नोई,तुषार देशपांडे और खलील अहमद।

जिम्बाब्वे : सिकंदर रजा (कप्तान), तदिवनाशे मरुमानी, वेसले मधवरे, ब्रायन बेनेट, डायन मायर्स, जोनाथन कैंपबेल, फराज अकरम, क्लाइव मदांदे (विकेटकीपर), रिचर्ड नगारावा, ब्लेसिंग मुजरबानी और तेंदाई चतारा।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

MOOKNAYAK MEDIA

At times, though, “MOOKNAYAK MEDIA’s” immense reputation gets in the way of its own themes and aims. Looking back over the last 15 years, it’s intriguing to chart how dialogue around the portal has evolved and expanded. “MOOKNAYAK MEDIA” transformed from a niche Online News Portal that most of the people are watching worldwide, it to a symbol of Dalit Adivasi OBCs Minority & Women Rights and became a symbol of fighting for downtrodden people. Most importantly, with the establishment of online web portal like Mooknayak Media, the caste-ridden nature of political discourses and public sphere became more conspicuous and explicit.

Related Posts | संबद्ध पोट्स

एशियाई वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 इंडोनेशिया में भारत ने जीते सिल्वर और ब्रॉन्ज

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 27 अगस्त 2025 | जयपुर – जकार्ता : भारतीय एथलीटों ने इंडोनेशिया बोगोर के जेएसआई रिज़ॉर्ट में आयोजित 13वीं एशियाई कप वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 में कांस्य पदक जीता है। उद्घाटन समारोह में भारतीय वुडबॉल टीम का नेतृत्व हाथों में तिरंगा लहराते हुए डॉ प्रेम प्रकाश मीणा ने किया जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मी बाई कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर हैं। किंतु मैन स्ट्रीम मीडिया से यह ख़बर गायब है। इस चैंपियनशिप में ताइवान, चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, हांगकांग, सिंगापुर, भारत और मेज़बान देश इंडोनेशिया सहित पूरे एशिया के सैकड़ों एथलीट भाग ले रहे हैं।

एशियाई वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 इंडोनेशिया में भारत ने जीते सिल्वर और ब्रॉन्ज

भारतीय वुडबॉल टीम ने 7वीं AICE इंडोनेशिया वुडबॉल चैंपियनशिप 2025 में अपना शानदार खेल दिखाया है। भारतीय पुरुष टीम ने जहां इस टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता है तो सिंगल स्ट्रोक इवेंट में भरत कुमार ने सिल्वर मेडल जीता है।

वुडबॉल एक ऐसा खेल है जिसमें गेंद को गेट से पार कराने के लिए एक हथौड़े का इस्तेमाल किया जाता है। यह खेल घास, रेत या घर के अंदर खेला जा सकता है। यह खेल एशियाई समुद्र तट खेलों के कार्यक्रम में शामिल है और इसे 2008 में शामिल किया गया था। जल्द ही ओलंपिक गेम्स में भी हो सकता है शामिल। 

राजस्थान के भरत कुमार ने पुरुष एकल स्ट्रोक इवेंट में रजत पदक जीता

राजस्थान के भरत कुमार ने पुरुष एकल स्ट्रोक इवेंट में असाधारण कौशल और दृढ़ता दिखाते हुए रजत पदक जीता। उनके शानदार स्ट्रोक और दबाव में शांत रहने की क्षमता ने उन्हें मेडल दिलाया, जिससे वह भारत के सबसे होनहार वुडबॉल खिलाड़ियों में से एक बन गए। इसके अलावा, भारतीय पुरुष टीम ने स्ट्रोक प्रतियोगिता (टीम इवेंट) में कांस्य पदक हासिल कर शानदार सामूहिक प्रदर्शन किया। पदक विजेता टीम में शामिल थे:  
– विश्वराज परमार (गुजरात)  
– डॉ प्रेम प्रकाश मीणा (नई दिल्ली)  
– ललित डांगी (मध्य प्रदेश)  
– जयराज राठवा (गुजरात)  
– रितेश येतू गवास (गोवा)  
– सतीश चकाला (आंध्र प्रदेश)  

भारतीय वुडबॉल खिलाडियों की खूब हुई तारीफ

इंडोनेशियाई वुडबॉल एसोसिएशन (IWbA) के अध्यक्ष आंग सुनादजी ने खिलाड़ियों की उपलब्धियों की सराहना की और सुधार की गुंजाइश भी जताई। उन्होंने बुधवार, 20 अगस्त, 2025 को जकार्ता से एक आधिकारिक बयान में कहा, “मेजबान देश होने के नाते, अभी भी बहुत कुछ सुधार की आवश्यकता है। हालाँकि, ये केवल प्रारंभिक परिणाम हैं। कल, सभी टीमें अंतिम दौर में फिर से प्रतिस्पर्धा करेंगी, इसलिए सभी प्रतिभागियों के लिए अवसर खुला रहेगा।”

भारत में बढ़ रहा है वुडबॉल का क्रेज

भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प की बदौलत यह कामयाबी हासिल की है। दोहरे पदक ने न केवल भारत को गौरव दिलाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वुडबॉल में देश की स्थिति को और मजबूत किया है। इस चैंपियनशिप में भारत के विभिन्न हिस्सों से कुल 24 सदस्यों की टीम ने हिस्सा लिया, जो देश में वुडबॉल की बढ़ती लोकप्रियता और पहुंच को दर्शाता है।

क्या बोले भारतीय कप्तान

भारतीय टीम की अगुवाई महाराष्ट्र के एडवोकेट सुदीप मनवटकर ने किया, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जीत पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए सुदीप ने कहा कि यह जीत भारतीय वुडबॉल की बढ़ती ताकत और देश में इस खेल के उज्ज्वल भविष्य को दिखाती है।

टीम मैनेजर राजेंद्र पिरनकर ने भी अपने मैनेजमेंट और नेतृत्व क्षमताओं के साथ खिलाड़ियों को प्रेरित किया और मैदान के अंदर और बाहर बेहतर कोऑर्डिनेशन सुनिश्चित किया। इंडोनेशिया में यह जीत भारतीय वुडबॉल के लिए एक मील का पत्थर है, जो न केवल व्यक्तिगत प्रतिभा की ताकत बल्कि टीम वर्क की भावना को भी दर्शाती है। विदेशी धरती पर तिरंगे का ऊंचा होना पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।

वुडबॉल को भारत में 2002 में लाया गया था और इसे वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा बढ़ावा दिया जाता है , जो एक सरकारी पंजीकृत निकाय है जो राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करता है और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में टीमें भेजता है। खिलाड़ी गेंद को गेटों की एक श्रृंखला के माध्यम से मारने के लिए एक मैलेट का उपयोग करते हैं, यह खेल गोल्फ या क्रोकेट के समान है, और इसे विभिन्न सतहों पर खेला जा सकता है। भारत में वुडबॉल समुदाय बढ़ रहा है, जिसका प्रमाण एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में भारतीय टीम की भागीदारी और नागपुर और वडोदरा जैसे शहरों में राष्ट्रीय आयोजनों का आयोजन है।

यह भी पढ़ें : जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

नागपुर 22 से 26 मार्च तक सीनियर और सब-जूनियर पुरुष एवं महिला राष्ट्रीय वुडबॉल टूर्नामेंट की मेज़बानी की। भारतीय वुडबॉल कैलेंडर में एक प्रमुख आयोजन होगा। इसके अतिरिक्त, वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WAI) ने इसी सत्र से राष्ट्रीय बीच वुडबॉल टूर्नामेंट शुरू करने का निर्णय लिया है।

भारत में वुडबॉल के बारे में मुख्य तथ्य:
परिचय: वुडबॉल को भारत में 2002 में पेश किया गया था।
शासी निकाय: वुडबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WbAI) इस खेल को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय निकाय है, जिसके 26 संबद्ध राज्य संघ हैं।
गेमप्ले: गोल्फ की तरह, खिलाड़ी एक निर्दिष्ट कोर्स में गेट के माध्यम से गेंद को मारने के लिए मैलेट का उपयोग करते हैं। यह खेल घास, रेत या घर के अंदर खेला जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: भारतीय टीम ने पहली बार 2003 में किसी अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया था और उसके बाद से विभिन्न विश्व और एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया है।
राष्ट्रीय कार्यक्रम: डब्ल्यूबीएआई सीनियर और सब-जूनियर राष्ट्रीय वुडबॉल चैंपियनशिप जैसे आयोजनों का आयोजन करता है, जो हाल ही में नागपुर जैसे स्थानों पर आयोजित किया गया ।
विश्वविद्यालय स्तर: यह खेल विश्वविद्यालयों में भी लोकप्रिय है, तथा पारुल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय वुडबॉल चैम्पियनशिप जैसे आयोजन किये जाते हैं।

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 21 अगस्त 2025 | जयपुर – जैसलमेर : जैसलमेर में मेघा गांव के पास तालाब के किनारे जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म (फॉसिल) मिले हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अभी जो सतह के बाहर दिख रहा है, वो जुरासिक काल के डायनासोर की रीढ़ की हड्डी हो सकती है। बाकी का पार्ट जमीन में 15 से 20 फीट नीचे है।

जैसलमेर में मेघा गांव में जुरासिक काल के उड़ने वाले डायनासोर के जीवाश्म मिले

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया ने बताया- 2 दिन पहले 19 अगस्त को ग्रामीणों को जीवाश्म मिले तो वे चौंक गए। इसके बाद 20 अगस्त को फतेहगढ़ प्रशासन को इसकी जानकारी जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह को दी। जैसलमेर प्रशासन ने इसकी सूचना हमें दी। गुरुवार को हम फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र के मेघा गांव पहुंचे।

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया का दावा है कि

QuoteImage

ये जैसलमेर के इतिहास में अब तक सबसे बड़ा कंकाल मिला है। जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, हजारों साल पहले जैसलमेर समुद्र का किनारा रहा था, जहां डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। ऐसे में यहां इनके जीवाश्म मिल रहे हैं।

QuoteImage

अब जियोलॉजिकल सर्वे की टीम जांच करेगी। जीवाश्म कितना पुराना है? किस जानवर का है? ऐसे सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।

पहले वो तस्वीर, जिसमें जीवाश्म दिख रहे हैं…

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया ने जीवाश्म का निरीक्षण कर इसे जुरासिक काल का होने का अनुमान लगाया है।

लाखों साल पुराना कंकाल सुरक्षित

डॉ. इणखिया ने बताया- प्राथमिक जांच करने पर यह जुरासिक काल का होने का अंदाजा लगा है। यानी ये डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव की हड्डियों का कंकाल हो सकता है। अगर यह किसी अन्य जानवर की हड्डियां होती तो इसे अन्य मांसाहारी जानवर खा सकते थे।

ये कंकाल सुरक्षित है तो ये जीवाश्म बनने की प्रक्रिया में है और जम गया है। ऐसे में यह हजारों साल पुराना होने का अंदाजा है। इसके संरक्षण और शोध की आवश्यकता है। प्रशासन के माध्यम से जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लिखा जाएगा। इसके साथ ही शोध करने वालों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि वे इसकी जांच कर हकीकत बता सकें।

डॉ. इणखिया ने बताया- जीवाश्म मिलना तो आम है। इसके साथ स्केलेटन मिलने से यह माना जा रहा है कि यह लाखों-करोड़ों साल पुराने अवशेष हो सकते हैं। ये किसी उड़ने वाले डायनासोर का हो सकता है, जिसकी लम्बाई करीब 20 फीट या उससे भी ज्यादा हो।

2 साल पहले खोज चुके डायनासोर का अंडा

जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक नारायण दास इणखिया को 2023 में जेठवाई पहाड़ी के पास ही मॉर्निंग वॉक के दौरान एक अंडे का जीवाश्म मिला था। यह लाखों वर्ष पुराने किसी अंडे का अवशेष था। इससे पहले थईयात की पहाड़ियों में भी डायनासोर के पदचिन्हों के निशान मिले थे, जिसे बाद में कोई चुराकर ले गया।

जैसलमेर में जुरासिक काल के प्रमाण मौजूद

डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर में इससे पहले भी थईयात के आसपास के इलाकों में डायनासोर के पंजे के निशान मिले थे। इसके साथ ही आकल गांव में भी 18 करोड़ साल पहले के पेड़ मिले हैं, जो अब पत्थर हो गए हैं। आकल गांव में ऐसे पेड़ों के जीवाश्म को लेकर ‘वुड फॉसिल पार्क’ भी बनाया गया है।

तीन जगहों को कहते हैं डायनासोर का गांव

डॉ. इणखिया बताते हैं- जैसलमेर शहर में जेठवाई की पहाड़ी, यहां से 16 किलोमीटर दूर थईयात और लाठी को ‘डायनासोर का गांव’ कहा जाता है। इसकी वजह है कि इन जगहों पर ही डायनासोर होने के प्रमाण मिलते हैं। जेठवाई पहाड़ी पर पहले माइनिंग होती थी। लोग घर बनाने के लिए यहां से पत्थर लेकर जाते थे।

ऐसे ही थईयात और लाठी गांव में सेंड स्टोन के माइनिंग एरिया में डायनासोर के जीवाश्म मिलते हैं। तीनों गांवों में ही माइनिंग से काफी सारे अवशेष तो नष्ट हो गए थे। जब यहां डायनासोर के जीवाश्म मिलने लगे तो सरकार ने माइनिंग का काम रुकवा दिया। अब तीनों जगहों को संरक्षित कर दिया गया है।

मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।

मेघा गांव के पास प्राचीन जीवाश्म और कंकाल का ढांचा मिला है। कुछ ऐसे पत्थर हैं, जो जीवाश्म बन चुके हैं।

जैसलमेर में थे डायनासोर ऐसे पता चला

डॉ. इणखिया बताते हैं- जुरासिक प्रणाली पर 9वीं इंटरनेशनल कांग्रेस आयोजित होने के बाद जयपुर के वैज्ञानिक धीरेंद्र कुमार पांडे और विदेशी वैज्ञानिकों की टीम वर्ष 2014 में जैसलमेर घूमने आई थी। तब टीम ने वुड फॉसिल पार्क विजिट किया और जुरासिक युग के फॉसिल (जीवाश्म) देखे।

इस दौरान टीम को जैसलमेर शहर से 16 किलोमीटर दूरी पर जैसलमेर-जोधपुर हाईवे के पास थईयात गांव के पास मिट्टी हटाने पर डायनासोर के पैरों के निशान मिले थे। तब स्टडी से अनुमान लगाया गया कि यह थेरोपोड डायनासोर के थे।

पैरों के निशान बलुआ पत्थर पर मिट्टी हटाने के बाद ऊपरी सतह पर मिले थे। इसी गांव में बाद में टेरोसॉरस रेप्टाइल डायनासोर की हड्डियां भी मिली थीं। भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।

भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इणखिया का मानना है कि ये जीवाश्म व कंकाल डायनासोर या उसके किसी समकक्ष जीव के हो सकते हैं।

डायनासोर खाना ढूंढने आते थे

डॉ. नारायण दास इणखिया ने बताया- जैसलमेर में डायनासोर खाने की तलाश में आते थे। आज से करीब 25 करोड़ साल पहले जैसलमेर से गुजरात के कच्छ तक बसा रेगिस्तान जुरासिक युग में टेथिस सागर हुआ करता था। यह वो समय था जब अमेरिका, अफ्रीका और इंडिया सभी देश एक ही महाद्वीप में थे। तब जैसलमेर से लगे टेथिस सागर में व्हेल और शार्क की ऐसी दुर्लभ प्रजातियां थीं, जो आज विलुप्त हो गई हैं।

यह भी पढ़ें : ‘भारत में हर दिन लाखों-करोड़ों एकलव्य की कहानियां सामने आती हैं’ राहुल गाँधी

बिरसा अंबेडकर फुले फातिमा मिशन को आगे बढ़ाने के लिए ‘मूकनायक मीडिया’ को आर्थिक सहयोग जरूर कीजिए 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Color

Secondary Color

Layout Mode